“मम्मी आप मुझे कह रही थीं….. मगर आप ने भी अंडरवियर को गीला कर दिया है” |
सलोनी की नज़र नीचे जाती है तो उसे अंडरवियर के सामने एक गीला धब्बा दिखाई देता है |
“मैं तो सुबह से ही गीली हूँ, मेरी तो गंगा यमुना की तरह रस बहा रही है” |
“सुबह से मम्मी?”
“सुबह से … जब से तेरे इसको चूसा है… ऊपर से तू बार बार इसे मेरे चुभो रहा था… अभी भी देख कैसे चुभ रहा है… बड़ा शैतान है यह तेरा… देख मेरी क्या हालत कर दी है” सलोनी राहुल का हाथ अपने घुटने से हटाकर अपनी अंडरवियर
पर अपनी चूत के ऊपर रख देती है |
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राहुल तुरंत चूत पर हाथ रखकर दबा देता है | उसे चूत के होंठ महसूस हो रहे थे मगर मर्दों का अंडरवियर होने के कारण सामने से उसका डिजाईन ऐसा था कि वो अपनी माँ की चूत को वैसे नहीं महसूस कर सकता था जैसे उसने दोपहर को उसी सोफे पर की थी जब उसने पायजामे के अन्दर हाथ डालकर उसकी चूत को भीगी कच्छी के ऊपर से मसला था, तब तो उसे ऐसे लगा था जैस उसकी माँ ने कच्छी पहनी ही नहीं थी | उसने दिल में सोचा काश उसकी माँ ने उसके अंडरवियर की जगह अपनी कच्छी पहनी होती | राहुल के सहलाने से सलोनी सिसकियाँ भरने लगी थी | उसे लगने लगा था कि शायद उसके चुदने का समय आ गया था |
“राहुल…. राहुल….” सलोनी अपने बेटे को पुकारती है जो अपनी दुनिया में खोया हुआ था |
“बेटा मैं सोच रही थी क्योंकि अब तुम घर पर रहने वाले हो तो अगर हम सारा दिन घर पर खाली हाथ बैठेगें तो सही नहीं होगा, हमें कुछ ना कुछ ऐसा काम करना चाहिए जैसे हमारी थोड़ी बहुत कसरत हो जाए….. काम तो यहाँ कुछ… है नहीं” सलोनी सिसकीयों के बीच बोलती है |
“क्या मतलब मम्मी… मैं समझा नहीं” राहुल अब बेहिचक चूत को अंडरवियर पर से मसले जा रहा था |

“मेरा मतलब सारा दिन खाली बैठने से हम आलसी होते जायेंगे… शरीरक क्षमता कम होती जाएगी.. इसलिए हमें कोई काम वगैरा करना चाहिए जैसे … हमारी सेहत ठीक रहे…” सलोनी की सिसकियाँ ऊँची होती जा रही थी और वो राहुल की आग को और भड़का रही थी |
“कोन…सा …कोन..सा..काम… मम्मी” राहुल की उँगलियाँ अंडरवियर के सामने की उस डिजाईन में घुसने लगती हैं यहाँ लंड बाहर निकाल कर पेशाब किया जाता है |
“यही तो मैं सोच रही थी… काम तो यहाँ है नहीं…..” सलोनी राहुल के लंड को अपनी गांड पर झटके मारता महसूस कर रही थी,“क्यों… ना हम कोई खेल खेले.. तो कैसा रहेगा” सलोनी राहुल की उँगलियाँ को अंडरवियर को सामने से खोलते महसूस कर रही थी | अब उसका बेटा जल्द ही उसकी नंगी छूट को छूने वाला था | यह सोचकर सलोनी के पूरे बदन में कम्कम्पी सी होंने लगती है | पहली बार उसका बेटा उसकी नंगी चूत को छूने वाला था |
“कैसा खेल मम्मी….” राहुल की उँगलियाँ अंडरवियर के होल से होती हुई चूत को स्पर्श करती हैं |
“आहह्ह्हह्ह्ह्ह…. हे भगवान…….” सलोनी चीख पड़ती है “कोई भी ऐसा खेल….. जिसमें उफ्फ्फ्फ़……हम दोनों खूब मज़ा करें … आह……खूब…….खूब… मस्ती करने को मिले…… आह्ह्ह्ह…….उन्न्न्नन्न्गग्गह्ह्हह्ह्ह्ह….. ऊउफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ … थोडा तुम्हारा ज़ोर लगे…. इइइइइआह…. थोडा मेरा ज़ोर लगे… कोई ऐसा खेल….” सलोनी दांतों से निचे वाला होंठ काटते हुए ऐसे सिसक सिसक कर बोल रही थी |
राहुल अपनी उँगलियों को चूत में धकेलना चाहता था मगर अंडरवियर के होल की बनावट उसकी ऊँगली को ज्यादा अन्दर तक नहीं जाने दे रही थी |
“आऊऊन्न्नन्नग्गग्ग्ग… कोई ना कोई ….खेल… सोच लेंगे… अपना बना लेंगे ..उफफ्फ्फ्फ़… ऐसा खेल जो दिन और रात को हम दोनों मिलकर खेलेंगे.. हाए बेटा.. तू खेलेगा मेरे साथ वो खेल… अपनी मम्मी के साथ… आह्ह्ह….. बोल ना मेरे लाल… मस्ती करेगा मेरे साथ…” |
“हाँ मम्मी. …….. हाँ……… मैं खेलूँगा…… तुम्हारे साथ…… वो मस्ती वाला खेल.. …… हाए मम्मी मैं दिन रात तुम्हारे साथ मस्ती करूँगा…… दिन रात……” राहुल अपनी उँगलियाँ अंडरवियर के होल से बाहर निकालता है और अपना हाथ अंडरवियर की इलास्टिक के अन्दर डाल देता है | राहुल का हाथ सीधा अपनी माँ की चूत पर जाता है और उसकी चूत को कस कर मुठी में दबोच लेता है |

सलोनी एक झटके से उठ राहुल की गोद से निकल सोफे पर थोड़ी दूर खड़ी हो जाती है |
राहुल हक्का बक्का रह जाता है | सलोनी की अंडरवियर राहुल के हाथ अन्दर डालने के कारण थोड़ी नीचे खिसक गई थी |
उसकी चूत पर हलके–हलके, छोटे-छोटे बाल थे जिन्हें शायद उसने अपने पति के जाने के बाद शेव नहीं किया था |
सलोनी ट्रे से दूध के गिलास उठाती है और राहुल की और बड़ती है |
राहुल कुछ कहने के लिए मुंह खोलता है तो सलोनी उसके बोलने से पहले ही उसके होंठो पर अपनी ऊँगली रख देती है |
“अभी नहीं…. यहाँ नहीं… दूध पीकर मेरे कमरे में आ जाना … आज रात तुम्हे वहीँ सोना है … मेरे साथ मेरे बेड पर….”
राहुल सलोनी को जाते हुए देखता है, उसकी नज़र अपनी माँ की गांड पर जाती है
जिसमें अंडरवियर अंदर को धंसा हुआ था |

जो शायद उसके लंड की करतूत थी | फिर उसका ध्यान अपने झटके खाते लंड और अपने हाथ पर जाता है जो उसकी माँ की चूत के रस से बुरी तरह भीगा हुआ था | उसे समझ नहीं आ रहा था कि अभी अभी क्या हुआ था |
सलोनी अपने कमरे में जाती है और सीधे बाथरूम में घुस जाती है | कुछ देर नहाने के बाद बदन पोंछती है | अपने वार्डरोब से एक पेंटी और एक सिल्क की नाईटी निकालती है | अपनी देह को शीशे में निहारती वो अपने चेहरे को देखती है | उसके चेहरे पर कैसे अजीब से भाव थे | वो एक तरफ को हट जाती है | वो ड्रायर से कोई परफ्यूम निकालती है और उसे बदन पर लगाती है | फिर वो अपनी पेंटी और नाईटी पहनती है | अपने बालों का जुड़ा बनाती है | चेहरे पे हल्का सा मेकअप करती है, अंत में दोबारा शीशे में खुद पर एक निगाह डालती है | उसके सामने शीशे में सलोनी नहीं कयामत थी | उसकी सिल्क की नाईटी से हालाँकि उसके अंग तो नहीं दिख रहे थे

मगर सिल्क की वो नाईटी उसके बदन के कटावों और उभारों को इस तरह से चूमती, सहलाती थी और उन्हें इस प्रकार अलींगनबध करती थी कि वो किसी पारदर्शी नाईटी से बढ़कर उत्तेजनात्मक दृश्य पैदा करती थी | संतुष्ट होकर सलोनी बेडरूम में चली जाती है |
राहुल बेड पर एक तरफ टांगें लटका कर बैठा हुआ था | सलोनी दूसरी तरफ से बेड के ऊपर चड़ती है |
“बेटा ऐसे क्यों बैठे हो? ऊपर आराम से बैठो ना” सलोनी उसे प्यार से कहती है और कमरे की लाइट बुझा देती है और नाईट बल्ब को जला देती है | कमरे में काफी अँधेरा था, मगर कुछ समय बाद जब उनकी आँखें अँधेरे में एडजस्ट होती हैं तो दोनों एक दुसरे को बाखूबी देख सकते थे, एक दुसरे के चेहरे को बाखूबी पढ़ सकते थे |
“राहुल ऊपर आओ ना बेड पर, इस तरह क्यों बैठे हो” राहुल पहले की तरह ही बेड के सिरहाने टाँगे नीचे लटका कर बैठा रहता है और वो अपनी माँ की और देखता है तो सलोनी उसके चेहरे पर नाराज़गी साफ़ देख सकती थी |
“मुझसे नाराज़ हो” सलोनी धीमे से पूछती है |
“नहीं मैं भला क्यों नाराज़ होने लगा आपसे”, आखिरकार राहुल मुंह से कुछ फूटता है और अपनी टाँगे उठाकर बेड पर रख लेता है और तकिए पर सर रखकर बेड पर लेट जाता है |
“देखो बेटा अगर तुम इस बात के लिए नाराज़ हो कि …”
“मैंने कहा ना मम्मी, मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ, आप खामखाह परेशान हो रही हैं”, सलोनी जैसे ही अपनी बात कहनी चालू करती है, राहुल उसे एकदम से काट देता है | उसके खुशक स्वर से मालूम चलता था वो थोडा नहीं बहुत नाराज़ था | राहुल छत की और घूर रहा था जबकि सलोनी पिल्लो पर कोहनी के सहारे ऊपर उठी हुई थी और राहुल की और देख रही थी |
कमरे में चुप्पी छा जाती है | सलोनी को समझ नहीं आता वो उसे कैसे मनाये? कमरे का माहोल कुछ ऐसा बन चूका था कि वो सीधे जाकर राहुल से लिपट नहीं सकती थी | वो बहुत ही अटपटा होता |
सलोनी उसी तरह लेटे हुए कोहनी के बल अपना सर उठाए राहुल को घूर रही थी जो अपने माथे पर अपनी बांह रखे छत को घूर रहा था | उसका लंड अब पूरी तरह से नर्म पड़ चूका था |
बेटे को घूरती सलोनी अचानक महसूस करती है कि उनके रिश्ते ने एक दिन में क्या से क्या मोड़ ले लिया था | कहाँ वो एक माँ थी, एक पवित्र माँ, जिसके लिए बेटे से बढ़कर कुछ भी नहीं था | शायद अब भी उसकी ममता में कुछ फर्क नहीं पड़ा था, बस अब उनके रिश्ते में वो पवित्रता नहीं रही थी |
सुबह की उस छोटी सी घटना के बाद सब कुछ जैसे एकदम से बिखर गया था | वो उसके लंड को सहलाती किस तरह अपने पर काबू खो देती है और उसके लंड को चुस्ती है और उसके वीर्य को पी जाती है | ‘उफ्फ्फ’ जबकि उसे वीर्य पीना कभी अच्छा नहीं लगता था | वो कभी कभी अपने पति की ख़ुशी के लिए उसके वीर्य को पीती थी | मगर उसे यह कतई पसंद नही था | मगर आज तो वो किस तरह अपने बेटे के लंड से वीर्य पी गई थी, उसने एक पल के लिए भी नहीं सोचा था कि इस सबका नतीजा क्या होगा?
नहीं बाद में अपने कमरे की तन्हाई में उसने यह जरूर सोचा था बल्कि फैसला किया था कि वो फिर कभी भी इस तरह की वाहियात हरकत नहीं करेगी | मगर उसका फैसला ‘रेत का महल’ साबित हुआ था जो हवा का पहला झोंका आते ही ढह गया था | उसने खुद दोपहर को अपने बेटे के साथ ड्राइंग रूम में क्या किया था? किस तरह वो उसके लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर सहलाने लगी थी और जब उसके बेटे ने उसके मुम्मे को टीशर्ट के ऊपर से मसलना चालू किया था तो उसने खुद उसको बढ़ावा दिया था | किस तरह राहुल ने उसके पायजामे में हाथ डालकर उसकी चूत को कच्छी के ऊपर से सहलाया था और जब उसने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरा था | वो खुद अपनी चूत उसके हाथ में उछाल रही थी और फिर उसका सख्लन हो गया था | यह शायद जिंदगी में पहली बार हुआ था कि सलोनी ने बिना चुदवाए सख्लन हासिल कर लिया था मात्र अपने बेटे के स्पर्श से और वो भी कच्छी के ऊपर से |
और फिर……… और फिर बाथरूम में वो कैसी बेशर्म बन गई थी | सलोनी को बाथरूम की याद आती है जब उसका बेटा उसे कपड़े देने आया था तो उसे मात्र एक भीगी हुई कच्छी में देखकर उसकी क्या हालत हो गई थी, सलोनी के होंठो पर मुस्कराहट फ़ैल जाती है | किस तरह वो उसकी गांड में अपना लंड ठोक देता है और जब सलोनी उसकी और घूमी थी तो किस तरह उसका मुंह खुला रह गया था | बेचारा पलक भी ना झपका रहा था अपनी माँ को अपने सामने एक कच्छी में देखकर उसकी क्या हालत हो गई थी? किस तरह वो उसके नंगे मुम्मो को घूर रहा था, जैसे अभी आगे बढ़कर उन्हें मुंह में भर लेगा | सलोनी दिन की घटनाओं को याद करती करती गर्म हो रही थी | उसकी चूत से रस बहना चालू हो गया था
और अब उसने क्या किया था, किस तरह तपाक से उसके लंड पर जाकर बैठ गई थी | किस तरह उसके लंड को अपनी गांड से मसल रही थी और जब राहुल की उँगलियाँ अंडरवियर के होल से उसकी चूत से टकराई थीं …… हाएएएएएए .. और फिर उसने अपना हाथ ही उसके अंडरवियर में घुसाकर पहली बार उसकी नंगी चूत को अपनी हथेली में भर लिया था…… ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़…. वो फिर से सख्लन के करीब पहुँच गई थी …… वो महसूस कर सकती थी….. उसके बेटे के स्पर्श में जादू था…. या शायद उनके रिश्ते की पवित्रता उनके इस पाप से हासिल होने वाले आनंद को कई गुणा बढ़ा रही थी कि वो अपने बेटे के हल्के से स्पर्श से ही भड़क उठती थी… और यही हालत शायद राहुल की भी थी…. वो भी शायद अपनी माँ के स्पर्श से बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाता था….. शायद मेरे जैसे वो भी खुद पर काबू खो देता है…. और इसीलिए मैंने उसे वहीँ रोक दिया था…. जिस तरह उसका लंड मेरी गांड के निचे झटके मार रहा था और वो जिस तरह सिसक रहा था वो ज्यादा देर टिकने वाला नहीं था….. वो जल्द ही सखलित हो जाता .. फिर मेरा क्या होता… अगर वो इतना उत्तेजित ना होता तो मैं उसे ना रोकती.. उससे वहीँ चुदवा लेती.. मगर वो उस समय शायद ही मेंरी चूत में लंड घुसा पाता.. हो सकता है वो यह सब पहली बार कर रहा हो.. नहीं लगभग तै था कि वो पहली बार किसी औरत के साथ का आनंद प्राप्त कर रहा था ………
मगर अब क्या… अब वो उससे नाराज़ हो गया था.. अब वो उसे मनाए कैसे .. सलोनी सोचती है…. उसे समझ नहीं आ रहा था वो अपनी बात की शुरुआत कहाँ से करे…
अचानक बेड की पुश्त पर रखे मोबाइल की घंटी बज उठी, सलोनी और राहुल दोनों एकदम से चौंक उठते हैं | राहुल अपना बाजू अपनी आँखों से हटाकर अपनी माँ की और मुख घुमाकर देखता है | सलोनी बेड की पुश्त से मोबाइल उठाती है और जैसी उसने उम्मीद की थी , फ़ोन उसके घरवाले का ही था | सलोनी ओके का स्विच दबाकर मोबाइल को कान से लगाती है | वो अब भी पहले की तरह सिरहाने पर कोहनी के बल उचककर राहुल की और देख रही थी और अब राहुल भी उसकी और देख रहा था |
“हेल्लो…. हाँ जान कैसे हो?” सलोनी राहुल की आँखों में झांकती मोबाइल के माइक्रोफोन में बोलती है |
दूसरी तरफ से : ……………………………………………………
