पूर्णिमा की रात्रि – Update 13 | Incest Story

पूर्णिमा की रात्रि – Update 13

हम दोनो ही बहोत थके हुए थे कुछ ही देर में हमारी कब नींद लग गई पता ही न चला.. बड़े दिन बाद में मां के इतना करीब सो रहा था रात में कब मां ने मुझे उनकी गोद में भर लिया मुझे भी नही पता.. जब मेरी नींद खुली मुझे अपने सीने पे मां का हाथ महसूस हुआ और मां के मुयालाम स्तनों का दबाव मुझे अजीब सी गुदगुदी कर दे रहे थे… मां की एक टांग मेरी टांग में फसी हुए थी और मैने अपनी नजर जरा सी नीचे की तो पाया कि मां का पेटिकोट मां के घुटनों तक सरक चुका था उनकी बड़ी कम ही दिखने वाली किसी मखन सी मुलायम और चमकदार गोरी टांगे मेरे पैरो के बीच में दबी हुए थी…

में कुछ देर एक ईच भी नही हिला और मां के ममता से भरे आलिंगन को जी घर के महसूस करते हुए मां की गोद में लेटा रहा…

मां अगड़ाई लेते हुए मुझे अपनी पकड़ से आजाद की और दूसरी तरफ करवट लेते हुए आधी निंद्रा अवस्था में ही बड़ी ही धीमी आवाज में बोली “बेटा उठ गया क्या आह.. कितने बजे है”

में यहां वहा अपना फोन खोजने लगा.. और फोन उठा के देखा तो में चोक गया किसी अननोन नम्बर से 10 15 किस कॉल थे..

“मां 8 बजे गई” मेने मां की और देख के कहा उनकी अर्ध नंगी पीठ को देख में फिर से मां की खूबसूरती में खो गया..

“बेटा बड़े दिन बाद फर्श पे सोई हु पूरा बदन अकड़ गया हे… आए आउच बेटा..” मां की हल्की दर्द से भरी हुई आह निकल गई…

“मां आप आराम कीजिए में कुछ खाने के लिए ले आता हु और दवाई भी आऊंगा”

“नही में ठीक हु मै यहां अकेली नहीं रुकने वाली”

“आप को तो बुखार भी है आप यही रुकिए” मेने मां का हाथ पकड़कर देखते हुए कहा…

मां पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उनका बदन आग उगल रहा था.. उन्हे काफी तेज बुखार और सरदर्द था..

“में बिलकुल ठीक हु डॉक्टर तू है या में”

“चुप चाप यहां लेटे रहिए यहां आप रुकिए पापा को फोन करता हु मेरी तो एक नही सुनते आप”

मेने पापा को फोन किस्मत से कॉल भी लग गया..

“हैलो बेटा तुम दोनो ठीक होना कल से कॉल ही नही लग रहा क्या हुआ है” पापा जितना हो सके तेज रफ्तार से बोपने लगे…जैसे सालो से बात नहीं हुए हो…

“पापा हम ठीक है लेकिन मां को तेज बुखार हो गया है और वो मेरी एक नही सुन रही आप ही कुछ बोलिए ना”

“हैलो… हैलो… इशिता सुन रही हो…”

“अरे कुछ तो बोल…. ऐसी क्या नाराजगी इशू.. अब बस करो तुम्हारी खामोशी मुझे मार डालेगी कुछ तो बोलो.. देखो आदि सुन रहा है यार तुम समझो ना”

मां की आखों से मोती के दाने जैसे मोटे मोटे आसू निकल के उनके टमाटर जैसे लाल गालों से होते हुए उनके काले रंग के पेटीकोट पे गिर रहे थे..

मां पूरी तरह से टूट चुकी थी और एक तेज आवाज के साथ रोते हुए बोली “क्या जरूरत थी एक पराई औरत के साथ इतनी घिनौनी हरकत करने की विक्रम.. क्यों किया आप ने ऐसा मेरे बारे में एक बार भी नही सोचा.. कही मुंह दिखाने के लायक नही छोड़ा है आपने हमे.. यहा वहा भटक रहे है बस” मां ने अपने सर पकड़ लिया…. मुझे पापा की आवाज साफ सुनाई रही थी क्यों कॉल स्पीकर पे था…

“में मानता हु मेरी गलती थी लेकिन में तब अपने होस में नहीं था इशू.. तुम क्यों नही समझती की में तुम से कितना प्यार करता हु… तुम्हारी वो वीडियो सब ने देख ली और लोगो के ताने सुन सुन में थक चुका था. लोग कैसी कैसी बाते करने लगे थे.. में नही सुन पाया और फिर नसे की हालत में… माफ कर दो बस एक बार इशू”

“ये कैसे प्यार है की मेरे लिए किसी और के साथ तुन्हे सोना पड़े” और मां ने एक गहरी सांस ली…मां की आंखे लाल हो चुकी थी…

पापा के पास कोई जवाब नहीं था वो चुप हो गई…

कुछ देर खामोसी सी छा गई…और उसके बाद एक पतली और मीठी आवाज ने मेरा ध्यान फोन की और खीच लिया…

“देखिए उनकी कोई गलती नही इशिता जी… गलती मेरे पति की थी… कोई भी पति ऐसी हालत में और क्या करेगा.. इन्होंने जो मेरे साथ किया वो ठीक नहीं था लेकिन क्या मेरे पति ने आप के साथ किया वो क्या ठीक था.. और इनके जितना शरीफ कोई नही इशिता जी कल से इनके साथ हु आंख उठाकर भी नही देखते ये.. आप बड़ी नसीब वाली है की ये आपके पति है”

पापा हैरानी से और बहोत चिंतित मुद्रा में खड़े खड़े आंटी को देखते ही रहे की ये क्या बोल रही है अब क्या होगा आगे…

मां का गुस्सा आंटी की आवाज सुनकर और भटक उठा…

“वो…वो.. चुड़ेल अभी तक तुम्हारे साथ है… छी… ” मां गुस्से में कॉल कट कर दिया…

“इशू.. बात तो सुनो… हैलो… हैलो…”

मां कभी किसी हालत में पापा से इसे बात नही करती और किसी औरत के लिए इसे सब्द का प्रयोग मां करेगी मेने कभी सोचा ही नहीं था.. तो गाली जवाब भी अपनी मीठी वाणी से देने वालो में से थी.. लेकिन आज पता नही उन्हे आंटी का आवाज से ही जैसे नफरत हो गई थी… सायद क्यू की मां भी एक महिला ही थी एक पतिव्रता स्त्री थी जो अपने मर्द को किसी और के साथ देख क्या कभी सोच भी नही सकती थी…

में मां को वही रहने को बोल के बाहर निकल आया और कुछ दूरी पे मुझे खाना और दवाई मिल गई… और पापा से ठीक से बात भी की…

पापा ने कॉल रखा और घर से बाहर निकल आई…

वो दूर दूर तक फैले खेतो में लहरा रही फसल को देख के अपना दुख कुछ हद तक भूल गए… और गांव की साफ और सुबह की ठंडी हवा को गहरी गहरी सांस लेते हुए अदर बाहर कर रहे थे… पापा का मन कुछ हद तक शांत हो चुका था… पापा भी जानते थे मां का गुस्सा है क्यों की वो उनसे बेहत प्यार करती है…

पापा गांव की खूबसूरती में खो गई की तभी एक आवाज दरवाजे के खुलने की आवाज ने उनका ध्यान उस और खींचा… पापा ने अपनी गर्दन हल्की सी अपनी बाई घुमाई.. और पापा के दिल दिमाग में एक भाव एक साथ आई.. पापा की आंखे बड़ी हो गई.. आखों में स्वाभाविक रूप एक चमक सी आ गई.. पापा के काले और थोड़े शख्त गालों पे एक दम से एक गुलाबी रंग फेल गया.. कोई उन्हें इसे देखते हुए पकड़ न ले देख न ले उस डर मात्र से पापा के तन बदन में एक करेंट सा लगा.. 

ऐसा क्या देखा पापा ने चलिए आप भी देख लीजिए…

प्रतिज्ञा आंटी नहाने के बाद कपड़े पहन रही थी और दरवाजा ठीक से बंद होने से अपने आप खुल गया था… इन सब से बेखबर की पापा रहे थे… वो अपना पेटकोट का नाडा कस रही थी…

अक्सर गर्भवती महिला का बदन अपने आप ही फूलने फलने लगता है यही असर आंटी स्तनों पे साफ नजर आ सकता था आंटी के दोनो निप्पल एक दम काले अंगूर के दाने जैसे खड़े थे.. गोर गौर स्तन पे लंबे काले निप्पल आह देख के ही मर्द पागल हो जाई… यहा तो सामने खड़ी महिला उन से उम्र में 20 साल छोटी थी.. और पापा इतने शरीफ थे की ये दूसरी ही महिला थी जिसे पापा इसे देख रहे थे… हा उस रात क्या हुआ उस का उन्हे इतना ठीक से याद नही रहा था…

ये सब बस 3 सेकंड तक चला की आंटी अपना ब्लाउज लेने के लिए अपनी नजर घुमाई और उनकी नजर पापा की नजर से दम से मिल गई… बिचारी आंटी शर्म के लाल हो गई और तुरत ही अपने हाथो से अपने दोनो स्तन को छुपाने लगी… लेकिन इतने सुडोल और बड़े स्तन केसे चुप पाते.. लेकिन पापा तुरत ही घर चल दिए खेतों की और… अपनी नजरे जुकाई….

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