Table of Contents
Toggleपूर्णिमा की रात्रि – Update 10
उसी रात कुछ समय पहले साम ढल रही थी.. तब में और मां गाड़ी में सवार कही रुकने की जगा ढूंढ रहे थे…
“बेटा रुक देख वहा कोई घर देख रहा ही चल पूछ के देखते है”
मेने गाड़ी रोक दी और उस और देखने लगा.. “मां ऐसी जगा कोन रहता होगा आगे जाते हे कही अच्छा होटल होते आगे वहा रुक जाएंगे कुछ दिन”
“देख ज्यादा लोग होंगे तो कोई हमें पहचान न ले.. क्या पता वो लोग भी यही हमें खोज रहे हो”
मेने मां की और देख हा में सर हिला दिया…
मेने गन साथ ने रख ली और कार को घर तक ले गया..
मैं गाड़ी से निकल आया और दरवाजा खटखटाया.. कोई नजर भी नही आ रहा था दूर दूर तक..
“कोई है क्या बेटा” मां ने अंदर बैठे हुए ही आवाज लगाई…
में मां के पास जाके बोला “मां कोई नही है लगता है काफी समय से बंद ही पड़ा ही घर”
“बेटा रात होने वाली है आज की रात यही रुकना सही होगा कल सुबह देखते है आगे कोई गांव होगा ही”
“मां दरवाजा बंद है यहा केसे रुक सकते ही पूरी रात और कोई आ गया तो हमे चोर समझ लेगा मां ऐसे”
मां घर की पीछे की और चल दी.. और चिल्ला के मुझे आवाज दी “यहां आ देख” मां के चहरे पे एक खुशी की लहर दौड़ गई थी आज मां काफी समय बाद इसे खुस थी..”
में मां की बड़ी सी मुस्कान देख उनके होठों की हलचल में ही खो सा गया…की मां मेरे पास आके मुझे इस और खीच ले गई…
सामने एक बड़ा सा शेड बना हुआ था.. घर से बिल्कुल सटा हुआ.. ये एक तबेला था.. जिस ने काफी चारा भरा हुआ था और अंदर और कुछ नही था.. में अंदर घुसा.. दीवारे नही बनी थी बस लकड़ी से चारो और से बंद किया गया था.. जगा जागा छेद थे..
मेने कोने में देखा वहा कुछ यूज किए हुए कॉन्डम पड़े थे और कुछ शराब की खाली बोतल और सिगरेट के यूज्ड पैकेट…
मेने इतना ध्यान नही दिया और थोड़ी सोचने लगा कि क्या करू ऐसी जगा पे रुकी की नहीं… अब रात भी हो चुकी थी.. साम के 8 बजे थे अब अंधेरा हो चुका था…
“मां आप रुकिए में गाड़ी को भी छुपा देता हु इस और आगे लाके..”
“बेटा वो गाड़ी में एक रजाई रखी हुए होगी ले और देखना अगर कोई कपड़ा हो”
“ठीक है मां”
