अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया – Incest Story | Update 24

अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया - Incest Story

भाग २४

 अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती जिस काम के लिए ससुराल गई थी वह काम नहीं हो पाया और अब वह वापस मायके आ गई है और अपने बाप राजनाथ के गले लगा कर रोने लगती है, फिर राजनाथ उसको समझा बुझा कर चुप कराता है तो आरती अपने आप को संभालते हुए कहती है कि शायद मेरी किस्मत में ही नहीं लिखा है मेरा माँ बना।

 राजनाथ – ऐसा कुछ नहीं है तु गलत मत सोच तू जरूर माँ बनेगी।

 आरती – क्या आपको अभी भी लग  रहा है कि मैं मन बना पाऊँगी ।

राजनाथ – क्यों नहीं मुझे पूरा यकीन और विश्वास है कि तू जरूर माँ बनेगी।

 आरती – यह तो आप मेरा मन बहलाने के लिए कह रहे हैं मुझे तो अब और कोई रास्ता नहीं दिख रहा जिससे मैं माँ बना पाऊंगी जो भी एक रास्ता था डॉक्टर वाला वह अभी काम नहीं आया।

 राजनाथ – तू फिकर मत कर ऊपर वाला एक रास्ता बंद करता है तो और कई रास्ते बनाकर रखता है और तुम्हारे लिए भी कोई ना कोई रास्ता जरूर बना रखा होगा , और मुझे अभी एक रास्ता दिख रहा है।

 आरती – कौन सा रास्ता ।

राजनाथ – तुम्हें याद है तुम्हारी दादी किसी बाबा का नाम बता रही थी और कह रही थी की  वह बहुत बड़े और जाने-माने बाबा है ,  जिन औरतों का बच्चा नहीं होता वह उनका इलाज करते हैं , और कह रही थी कि जिन औरतों को बहुत सालों से बच्चा नहीं हो रहा था वहाँ पर इलाज कराने के बाद उनका बच्चा हुआ।

 आरती-  हाँ दादी उस दिन बोल तो रही थी लेकिन क्या आपको लगता है कि वहाँ जाने से कोई फायदा होगा।

 राजनाथ – मुझे यह तो नहीं पता कि वहाँ जाने से काम होगा कि नहीं लेकिन एक बार जाकर देखना चाहिए शायद काम बन जाए आज ही मैं माँ से बात करता हूँ क्या कहती है फिर वहां जाने के बारे में सोचेंगे।

दोनों बाप बेटी  बात कर ही रहे होते हैं कि तभी दादी बाहर से आ जाती है और। आरती को देखते ही कहती है अरे आरती बेटा तू आ गई कैसी है तू।

 आरती – मैं ठीक हूँ  दादी आप कैसी हो मैं भी ठीक हूँ बेटा और दामाद जी कैसे हैं।

 आरती – वह भी ठीक हैं।

 दादी – जब से तू यहाँ से गई पूरा  घर सूना सूना लग रहा था। और तुम्हारी बाप की तो ऐसी हालत हो गई थी कि ना ठीक से काम कर  थ और ना ही ठीक से खाना खाता था जब भी मैं इसको खाना खाने के लिए देती थी तो  एक दो निवाला खाता था और पूरा खाना छोड़ देता था।

 आरती – क्या आप सच कह रही हो बाबूजी खाना नहीं खा रहे थे।

 दादी – और नहीं तो क्या मैं झूठ बोल रही हूँ  तो सामने बैठा है पूछ लो उसी से ।

आरती राजनाथ से कुछ पूछती उससे पहले राजनाथ बोलता है अरे  माँ तुम यह सब बात क्या लेकर बैठ गई मुझे तुमसे कुछ  बात करनी है।

 दादी – क्या बात करनी है।

 राजनाथ – बात-बहुत जरूरी है लेकिन  अभी नहीं शाम को वापस आऊंगा तब बात करूंगा अभी मैं कहीं जा रहा हूँ इतना बोलकर वह चला जाता है।

 उसको जाते ही दादी कहती हैं बेचारा राजू पता नहीं इसका क्या होगा। 

तो आरती दादी के बात सुनकर कहती है।क्यों बाबूजी को क्या होगा।

 दादी – क्या होगा यह तो मैं नहीं जानती लेकिन इस बार जब तुम यहाँ से गई तो वह कुछ ज्यादा ही उदास रहने लग गया था। इससे पहले मैं उसको कभी इतना उदास रहते हुए नहीं देखी थी,  जब तुम्हारी शादी हुई थी और तुम यहाँ से गई थी उस वक्त  इतना उदास नहीं रहता था  इस बार तुम जबसे यहां रहने आई हो तब से उसको तुमसे कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया है, शायद अब उसको अकेलापन महसूस होने लगा है क्योंकि तुम्हारे अलावा उसका  और है ही कौन, एक तुम्हारी माँ थी  वह भी नहीं रही ,अब मैं भी कितना दिन रहूंगी, और तू भी चली जाएगी वह बेचारा अकेला रह जाएगा।

 दादी-  की बात सुनकर आरती सोचने लगती है की दादी  सही कह रही है मेरे अलावा और उनका है ही कौन मैं भी चली जाऊंगी यहाँ से तो उनका ख्याल कौन रखेगा कोई बेटा बहू भी नहीं है जो उनका ख्याल रखेगा दादी आप फिकर मत कीजिए मैं उनको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी।

 दादी – बेटा तुम्हारे कहने से क्या होगा  तुम ससुराल तो  जाओगी   आखिर तुमको एक दिन यहाँ से तो जाना ही पड़ेगा।

 आरती – मैं नहीं जाऊंगी ।

दादी -हाँ नहीं जाएगी तुम्हारे  कहने से होगा अच्छा यह सब बातें छोड़ उधर घर का सारा काम पड़ा है जा जल्दी से वह सब खत्म कर और शाम होने वाली है खाना भी जल्दी से बना लो राजू ने दोपहर में खाना नहीं खाया है उसे भूख लगी होगी ।

 फिर आरती घर का काम करने के लिए चली जाती है घर का सारा काम खत्म करने के बाद खाना बनाने में लग जाती और शाम का खाना जल्दी बना लेती हैं राजनाथ भी शाम को घर जल्दी आ जाता है फिर आरती राजनाथ के पास जाती है और कहती है कि  खाना खाएंगे कि आज भी भूखे रहेंगे।

 राजनाथ – क्यों आज क्यों भूखा रहूंगा।

 आरती-  एक बीवी अपने पति पर जिस तरह से गुस्सा दिखाती है उसी तरह से गुस्सा होते हुए कहती है आपको भूखा रहने की आदत जो  पड़ गई मेरे जाने के बाद ज्यादा हीरो बन रहे थे अभी  खाना खा लीजिए उसके बाद में आपसे बात करूंगी इतना बोलकर वह  दादी को बुलाने के लिए चली जाती है। 

उसके जाने के बाद राजनाथ सोचता है कि इसको क्या हो गया यह क्यों गुस्सा हो रही है  माँ ने इसको मेरी खाने वाली बात बता दी इस वजह से शायद गुस्सा हो रही है मेरे ऊपर।

 आरती- फिर दोनों मांँ बेटे को खाना देती है और दोनों खाना खाने लगते हैं तभी राजनाथ अपनी माँ से कहता है माँ तुम उस दिन किसी बाबा के बारे में बता रही थी कौन है वह बाबा और कहाँ रहते हैं क्या नाम है उनका।

माँ – नाम क्या यह तो मुझे ठीक से नहीं पता लेकिन उनको पहाड़ी वाले बाबा कहते हैं क्योंकि वह जिस जगह पर रहते हैं उस जगह का नाम काली पहाड़ी है और वह ऐसे वैसे बाबा नहीं है वह बहुत बड़े बाबा  हैं वह कोई और  बीमारी का इलाज नहीं करते हैं वह सिर्फ उसी का इलाज करते हैं और जो भी उनके पास इलाज के लिए जाता है उसको वह पहले ही देख कर बता देंगे किसका होगा कि नहीं होगा जिसको बच्चा होने का रहेगा उसका इलाज करेंगे और जिसका नहीं होने के रहेगा वह मना कर देंगे मैं तो तुमको कब से कह रही हूँ की आरती को एक बार ले  जाकर उनके पास दिखाओ लेकिन तुम मेरी बात सुनता ही कहाँ है। राजनाथ मैं भी यही सोच रहा था इस बार वही जाकर दिखाने के लिए लेकिन वह जगह है कहाँ पर।

माँ – वह जगह यहाँ से थोड़ी दूर है वहां जाने के लिए तीन-चार घंटे लगते हैं गाड़ी से और वह बाबा जी जगह पर रहते हैं वहाँ अगल-बगल में और कोई गांव नहीं है वहाँ चारों तरफ  जंगल ही जंगल है और उधर सब सवारी वाली गाड़ी सही जाते हैं और बाबा जी जगह पर रहते हैं वहाँ जाने के लिए थोड़े दूर चलकर भी जाना पड़ता है।

 राजनाथ – इधर से तो हम लोग  गाड़ी से चले जाएंगे लेकिन उधर जो चलकर जाना पड़ेगा वहाँ हम लोग कैसे जाएंगे।

 माँ – तुम दोनों को जाने में दिक्कत होगी इसलिए मैं एक काम करती हूं मैं ही इसको लेकर चली जाती हूं फिर बाद में जाने का होगा तो तुम इसके साथ चले जाना फिर तो इसको रास्ता मालूम ही रहेगा और बाबा के साथ मेरी जान पहचान भी है उनको मालूम होगा कि ये मेरी पोती है तो और अच्छे से इलाज करेंगे।

राजनाथ – तुम ठीक कर रही हो माँ तुम्ही इसके साथ चली जाना जब जाने का होगा मुझे बता देना।

यह सब बात करते करते दोनों का खाना भी हो गया खाना खाने के बाद राजनाथ उठकर अपने कमरे में सोने के लिए चला गया।

फिर आरती ने भी खाना खाया और बाकी जो काम था खत्म करके फिर एक कटोरी में तेल गर्म करती है और लेकर राजनाथ के कमरे में जाती है तो देखी है राजनाथ आंख बंद करके सोया हुआ तो आरती समझ जाती है क्या सोने का नाटक कर रहे हैं तो उसके बेड के करीब जाती है और कहती है क्या बात है आज बहुत जल्दी नींद आ गई और दिन तो नींद ही नहीं आती थी रात भर यह सब नाटक छोड़िए मुझे पता है आप जाग रहे हैं मुझे आपसे बात करनी है उठीए जल्दी राजनाथ मुस्कुराते हुए अपनी आंखें खोलता है और कहता है  क्या हुआ क्या बात करनी है मेरी बेटी को।

 आरती – मुझे यह बताइए कि मेरे जाने के बाद आप खाना क्यों नहीं खा रहे थे ।

राजनाथ – अरे किसने तुझे बोला कि मैं खाना नहीं खा रहा था मैं खाना नहीं खाता तो क्या मैं जिंदा रह पाता।

 आरती – अच्छे से खाना और जिंदा रहने के लिए खाना दोनों में बहुत अंतर है और आप  जिंदा रहने के लिए खाना खा रहे थे मैं आपसे पूछ रही हूँ कि आप अच्छे से खाना क्यों नहीं खा रहे थे।

 राजनाथ – अरे तुम्हें किसने बताया कि मैं अच्छे से खाना नहीं खा रहा था।

 आरती – और दादी जो बोल रही थी  क्या झूठ बोल रही थी।

 राजनाथ – तुम भी दादी की बात पकड़ कर बैठी  हो  तुम्हें पता है की उसको बढ़ा चढ़ा कर बोलने की आदत है भूख जितना रहेगा उतना ही तो खाऊंगा की उससे ज्यादा खाऊंगा।

आरती – वही तो मैं पूछ रही हूं कि मेरे जाने के बाद आपको भी भूख क्यों नहीं लग रही थी मैं यहां रहती हूं तो आपको तो बहुत भूख लगती है। 

राजनाथ – सोचता है कि अब माफी मांग लेने में ही भलाई है ऐसे यह नहीं छोड़ेगी और कहता है अच्छा सॉरी बाबा मुझसे गलती हो गई अब से ऐसा नहीं होगा अब कभी भी भूखा नहीं रहूंगा भूख नहीं भी रहेगी रहेगी तब भी खा लूंगा लेकिन आज मुझे माफ कर दे।

आरती – पक्का आज के बाद कभी भूखा नहीं रहेंगे।

राजनाथ – पक्का मेरी माँ पक्का आज के बाद कभी भूखा नहीं रहूंगा।

 आरती – तो ठीक है आज माफ कर देता हूँ ।

अब  मालिश करवाएंगे कि नहीं करवाएंगे!

 राजनाथ – नेकी और पूछ पूछ मालिश के लिए तो एक महीने से तड़प रहा हूं आज रात भर मालिश करेगी तो रात भर करवाऊंगा !

आरती अच्छा जो एक महीने का बाकी है वह आज ही पूरा करवा लेंगे क्या और आज मैं सोंगी भी नहीं

राजनाथ – और नहीं तो क्या मैं एक महीने से जाग रहा हूँ तो क्या तुम मेरे लिए एक रात नहीं जाग सकती।

आरती – एक रात क्या मैं आपके लिए कई रात जाग सकती हूँ आप कह कर तो देखिए फिर वह मालिश करने लगती है।

आरती- की  बात सुनकर राजनाथ का मन गदगद हो जाता है  और सोचता है कितना प्यार करती है मेरी बेटी मुझे फिर वह आरती को ऊपर से नीचे तक देखने लगता है तभी उसकी नजर उसकी पतली कमर  और पेट पर जाता है जिसको देखकर उसके मन में ख्याल आता है कि काश  इसको कोई मेरे जैसा मर्द मिलता जो इसकी जवान खूबसूरत बदन को मसल मसल के मजे लेता और इसकी सटा हुआ पेट है  उसको फूला देता और एक मेरा दामाद है जिनको इतनी खूबसूरत बीवी मिली है और  वह कुछ कर नहीं पा रहा है यह सब सोंचते हुए और मालिश करते हुए आधा घंटा बीत जाता है तो राजनाथ कहता है कि बेटा बहुत देर हो गई अब छोड़ दे जा जाकर सो जा।

तो आरती कहती है क्यों क्या हुआ अभी तो आधा ही घंटा हुआ है अभी तो पूरी रात बाकी है।

राजनाथ – अरे बेटा वह तो मैं मजाक में बोला था जितनी देर तक तुमने मालिश किया उतना मेरे लिए काफी है अब तू भी थक गई होगी जा जाकर आराम कर और सो जा और करने का होगा तो कल दोपहर में कर लेना।

आरती – अच्छा ठीक है जा रही हूं लेकिन कल दोपहर में जल्दी आजा आ जाना।

राजनाथ – अच्छा ठीक है आ जाऊंगा।

………….

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