अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 17

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

उसकी ये बात सुनकर मैने झटके से अपनी बाइक ब्रेक लगा कर रोक दी….हमारे पास में से काफ़ी सारी गाड़िया तेज रफ़्तार में हॉरेन बजा बजा कर निकल रही थी….लेकिन ये बात सुनके हम लोगो के दरम्यान एक बहुत बड़ी खामोशी छा गयी थी….

उसकी ये बात सुनकर में ये कहने से खुद को रोक नही पाया….

में–अगर आप नही चाहती तो कोई आपको ज़बरदस्ती इस दलदल में कैसे फेक सकता है…..आप पोलीस में कंप्लेन क्यो नही कर देती…..

शमा अपने एक हाथ अपने घूँघट में डालकर अपने बह रहे आँसू पोछते हुए कहती है….

शमा–साहब यहाँ मेरी फरियाद सुनने वाला कोई नही है…और जिन लोगो के पास अपनी दरख़्वास्त ले जाने के लिए भेजना चाहते है….हम उन्ही लोगो की महफील रोशन करते है…..

में–अगर आप चाहो तो में आपकी मदद कर सकता हूँ आपको इस दलदल में से निकालने के लिए….

शमा–मेरी मदद तो मेरा भगवान भी नही करता साहब…..और आप क्यो एक तवायफ़ के पिछे अपना वक़्त ज़ाया करेंगे….

में–में तुम्हे वहाँ से निकालने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा दूँगा….तुम मुझे बोलो बस में तुम्हारे लिए क्या करसकता हूँ….

शमा–साहब आज से 10 दिन बाद मुझ पर बोली लगाई जाएगी….अगर कोई मेरी बोली लगाकर मुझे जीत जाता है तो मुझे सारी उमर उसकी गुलाम उसकी रखेल बन कर रहना होगा…लेकिन अगर कोई भी बोली नही लगाता है तो….मुझे एक रंडी का जीवन जीना होगा….मुझ पर खर्च हुए बचपन से अब तक का पैसा मुझे मेरा जिस्म बेच कर देना होगा….

में–अगर में तुम्हे अभी यहाँ से गायब कर दूं तो….वो लोग तुम्हे ढूँढ नही पाएँगे…..

शमा एक दर्दभरी मुस्कुराहट अपने होंठो पर ले आती है….

शमा–साहब छुप तो परछाई भी नही सकती….उसे भी छुप्ने के लिए अंधेरे में ही जाना पड़ता है…में कही भी भाग जाउ ये लोग मुझे ढूँढ ही लेंगे…..

में–अगर तुम चाहो तो में पोलीस की मदद लेकर तुम्हे वहाँ से निकलवा सकता हूँ….मेरे संबंध काफ़ी बड़े बड़े लोगो से है…..

शमा–हन साहब ऐसा हो सकता है….लेकिन फिर भी आपको मेरी कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी…..

में–अगर तुम उस दलदल से निकलना चाहती हो तो में तुम्हे वहाँ से निकालने के लिए कोई भी कीमत दे सकता हूँ…..

शमा–साहब आप मेरे लिए इतना सब क्यो कर रहे है….आप आज से पहले ना मुझे जानते थे ना ही अब तक आपने मेरा चेहरा देखा है….अगर मैने आपको धोका दे दिया तो….या सिर्फ़ आपसे पैसे लूटने के लिए आपका इस्तेमाल कर रही हूँ तो….आप मेरी मदद क्यो करना चाहते है….

में–तुम्हारी मदद में तुम्हे अपनी छोटी बहन समझ कर कर रहा हूँ…मेरी वो खोई हुई बहन जिसे में पता नही कैसे ढूँढ पाउन्गा….

मुझे किसी ने कहा था कि मेरी एक बहन और है जिसके बारे मे मैं नही जानता और वो तक़लीफ़ में अपना जीवन जी रही है….. इस लिए तक़लीफ़ से गुजरती हर लड़की मुझे अपनी बहन ही लगती है……

शमा–कितनी खुशनसीब होगी आपकी वो बहन जिस दिन आप उसे ढूँढ लेंगे….भगवान से में आज ही आपकी बहन के लिए प्रार्थना करूँगी….

में–शमा अगर आप बुरा ना मानो तो क्या में आपका चेहरा देख सकता हूँ……

शमा–इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है आप ने मुझे अपनी बहन बोला है….बस बुरा एक ही बात का लग रहा है….आप मुझे बार बार मुझे आप कह कर मत बुलाए….

में–ठीक है शमा में तुम्हे आप नही कहूँगा….

इसके साथ शमा अपना चेहरे पर से अपना घूँघट हटा देती है…..

उसकी बड़ी बड़ी आँखे उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी उसके माथे पर एक छोटी सी बिंदी बड़ी ही मनमोहक लग रही थी…. लेकिन ये चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लग रहा था….कहाँ देखा मैने इस चेहरे को कुछ समझ नही आ रहा…..

में–शमा क्या हम पहले भी मिल चुके है….तुम्हारा चेहरा मुझे जाना पहचाना सा लग रहा है….

शमा–में तो आपको देखते ही पहचान गयी थी साहब…..

में–अब तुम भी मुझे साहब कहना बंद करो मेरा नाम जय है….तुम मुझे भैया भी बुला सकती हो….

शमा–भैया शायद आपको याद नही होगा….आप कुछ दिन पहले दुबई जा रहे थे….आप बस बैठे बैठे शराब ही पिए जा रहे थे….में उस वक़्त आपकी बगल वाली सीट पर ही बैठी थी और जानना चाहती थी कि आप ऐसा क्यो कर रहे है….आपकी आँखे दर्द से सुलग रही थी जैसे किसी ने आपकी आँखो में तेज़ाब डाल दिया हो उस वक़्त….लेकिन में आपसे बात कर पाती उस से पहले ही वहाँ की एर होस्टेस्स ने आपको संभाल लिया था….

में–तुम मेरे पास बैठी थी और में तुम्हे पहचान भी नही पाया….

शमा–आपने सिर्फ़ एक बार ही मेरी तरफ देखा था….लेकिन में आपको देखे ही जा रही थी….आपके दर्द को में अपने अंदर महसूस कर रही थी….

में–शमा तुम चिंता मत करो अब में…तुम्हे वहाँ से ज़रूर निकाल पाउन्गा….अगर में सही हूँ तो मेरी खोई हुई बहन तुम ही हो….बाकी सारी बाते में तुम्हे अपने घर लेकर आने के बाद करूँगा….क्या मुझे तुम्हारा एक बाल मिल सकता है….में कुछ पहेलियो के जवाब ढूँढ रहा हूँ….शायद कल सुबह तक सारी पहेलिया सुलझ जाएँगी…. मुझे तुम अपना अड्रेस और मोबाइल नंबर भी दे दो…

उसके बाद शमा अपना अड्रेस और मोबाइल नंबर मुझे बता देती है और वो सारी डीटेल में मेरे फोन में एड कर लेता हूँ….

शमा–भैया आप मुझे बचा तो लेंगे ना….??

में–तेरी कसम….बहन तुझे में इस दलदल से निकाल कर ही दम लूँगा….तेरी कसम…..तेरी कसम…..

शमा मेरे सीने से लग कर ज़ोर ज़ोर से रोने लग जाती है…..

शमा–भैया मुझे वहाँ से निकाल लो….वहाँ रोज मुझे नंगा करके वहाँ के आदमियो से मालिश करवाई जाती है….मुझे अपने आप से घिंन आने लग गयी है अब….या तो मुझे वहाँ आकर बचा लो या फिर में खुद खुशी कर लूँगी….मुझ से सहन नही हो रहा है ये सब कुछ….मुझे बचा लो भैया…. मुझे बचा लो…..

में–तू अब चिंता मत कर तेरे आँसुओ को देख कर भगवान ने मुझे तेरे पास भेज दिया….अब ये तेरा भाई तुझे इन सब से बचा कर अपने घर जल्दी ही ले आएगा….तू चिंता मत कर मेरी बहन तू चिंता मत कर….

उसके बाद में वहाँ से अपनी बाइक वापस नंदू के बंगलो की तरफ बढ़ा देता हूँ….वहाँ पहुँचकर में उसे अपने गले से एक बार फिर से लगा लेता हूँ और उसे वापस आने का वादा देकर में वहाँ से निकल जाता हूँ….

में अब सब से पहले कमिशनर ऑफीस की तरफ बढ़ जाता हूँ….वहाँ मुझे कमिशनर जे. प्रसाद से मिलना था….वो मुझे अच्छे से जानते थे….

प्रसाद–जय बेटा कैसे हो….आज यहाँ का रास्ता कैसे भूल गये…

में–अंकल मुझे आपकी मदद चाहिए…मुझे एक लड़की को नरक में से निकालना है….

प्रसाद–किस की बात कर रहे हो तुम बेटा….कौन जी रहा है नरक में…..

में–अंकल एक लड़की है जिसे तवायफ़ के धंधे में ज़बरदस्ती झौंक दिया गया है….मैने उसे अपनी बहन माना है….और में किसी भी कीमत पर उसे वहाँ से निकालना चाहता हूँ….

प्रसाद–कुछ सोच कर…..बेटा तुम कहाँ इन चक्करो में पड़ रहे हो….वो लड़की शायद तुम से पैसा लूटना चाहती है….इसलिए वो तुम्हे एमोशनल ब्लॅकमेन्ल कर रही होगी.

में–नही अंकल वो लड़की झूठ नही बोल रही….और मेरा दिल कहता है ये लड़की ही मेरी खोई हुए बहन है….प्लीज़ अंकल आप मेरी मदद करिए उसे वहाँ से निकालने के लिए जितना भी पैसा मुझे खर्च करना होगा में उसके लिए करूँगा….

प्रसाद–सोच लो बेटा कहीं ऐसा ना हो कि वो लड़की बाद में तुम्हे धोका देकर तुम्हारा पूरा जीवन बर्बाद कर दे….

में–मैने सोच लिया है अंकल बस आप मेरी मदद कर दीजिए….

प्रसाद–ठीक है बेटा जैसा तुम चाहो….

अंकल अपनी टॅबेल पर रखी हुई बेल बजाते है जिसे सुनकर एक चपरासी अंदर आजाता है….

उस चपरासी को इनस्पेक्टर शर्मा को बुलाने के लिए कहते है….फिर वो चपरासी. बाहर चला जाता है….

कुछ देर बाद हे दरवाजे पर दस्तक होती है….और प्रसाद अंकल उसे अंदर आने के लिए कहते है….

प्रसाद–जय बेटा ये है इनस्पेक्टर राजेश….ये तुम्हारी मदद उस लड़की को वहाँ से निकालने में करेंगे….

राजेश एक 6 फीट लंबा सुघटित जिस्म का मालिक था गोरा रंग, चेहरे पर आत्मविश्वास अच्छे से झलक रहा था उसके….

राजेश–सर किसे कहाँ से निकालना है….

पसद–राजेश….जय को तो तुम जानते ही हो….इन्होने एक लड़की को तवायफ़ के धंधे से बाहर निकालने की ज़िम्मेदारी उठाई है…और इन्होने उस लड़की को अपनी बहन भी माना है इसलिए तुम्हे जय के साथ मिलकर उस लड़की को वहाँ से आज़ाद करवाना है….

राजेश–सर….क्या इनको ये पता है कि ये धोके का शिकार भी हो सकते है उस लड़की को आज़ाद करवाने के चक्कर में….

प्रसाद–में इन्हे वो सब कुछ बता चुका हूँ लेकिन ये फिर भी उसे बचाने की रिस्क ले रहे है….इनकी नेक नियत पर भरोसा करते हुए तुम्हे उस लड़की को वहाँ से किसी भी तरह निकालना होगा…

राजेश–ठीक है सर पर जाना कहाँ है….

में–बनारस…..

राजेश–कुछ सोच कर…. लगता है उस लड़की के साथ साथ अब कुछ ज़िंदगियाँ और बर्बाद होने से बच जाएँगी….हम कल सुबह ही बनारस के लिए निकल जाएँगे सर…..मुझे खुशी है आपने मुझे इतना अच्छा काम दिया….इस भलाई के काम को में ज़रूर पूरा करूँगा…

उसके बाद में और राजेश अपना अपना मोबाइल नंबर एक्सचेंज कर लेते है और फिर में वहाँ से उठ कर सीधा डॉक्टर आलोक के क्लिनिक की तरफ अपनी बाइक मोड़ लेता हूँ…..

शाम के 7 बज गये थे….में डॉक्टर आलोक के क्लिनिक में बैठा हुआ उनसे मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था….

कितना अजीब दिन था आज का…जिसे में अपना दुश्मन समझ रहा था वो तो मेरे पापा के अहसानो से वैसे ही दबा हुआ है….और फिर शमा से मिलना….जिसे देख कर मेरा रोम रोम कह रहा है….हां ये मेरी वही बहन है जो खो चुकी है….मुझे अब अपनी बहन को वहाँ से निकालने के अलावा ये भी पता करना है…कि इसकी माँ कौन है….क्या शमा का कोई और परिवार तो नही है….??

ये ही सवाल मेरे मन में लगातार हथोडे की तरह प्रहार कर रहे थे….तभी चपरासी ने आकर मुझे डॉक्टर के कॅबिन में जाने के लिए बोल दिया और में वहाँ से उठ कर सीधा कॅबिन में घुस गया…..

डॉक्टर–मुस्कुराते हुए….तुम कभी टाइम पर क्यो नही आते….में तुम्हे सुबह बुलाता हूँ तो शाम को आते हो और शाम को बुलाता हूँ तो सुबह…..

में–सर क्या करूँ….आज कल समय भी कुछ ज़्यादा ही तेज़ भागने लग गया है….देर हो ही जाती है….

डॉक्टर–कोई बात नही बोलो चाय लोगे या कॉफी…

में–सर थॅंक्स लेकिन मुझे थोड़ी जल्दी है कॉफी आपके साथ फिर किसी दिन ज़रूर पियुंगा….

डॉक्टर–अच्छा कोई बात नही….तुम वो सम्पेल्स मुझे दे दो….

उसके बाद में वो सारे लिफाफे डॉक्टर आलोक की टॅबेल पर रख देता हूँ और डॉक्टर आलोक एक एक करके सारे लिफाफे देखने लगते है…..

डॉक्टर–क्या बात है जय आज एक लिफ़ाफ़ा और बढ़ गया….तुम तो सिर्फ़ बड़े भाई वाला लिफ़ाफ़ा लाने वाले थे ये किसका सॅंपल ले आए तुम…और इन सब लिफाफो पर खून किसका लगा है….और लिफाफो पर तुम्हारे पापा भैया का तुम्हारा नाम क्यों है बाकी 3 नामो के अलावा….

में–सर कोई कन्फ्यूषन ना हो इस लिए मैने अपने घर वालो के नाम लिख दिए इस मे….और ये खून उसका है जिसका सॅंपल दूसरे लिफाफे में है….

डॉक्टर–इंट्रेस्टिंग…. लग रहा है कुछ पहेलियाँ सुलझाने में लगे हुए हो….खेर अगर मुझे तुम ना बताना चाहो तो ना सही लेकिन कुछ तो गड़बड़ चल रही है तुम्हारे दिमाग़ में….

में–सर जिस दिन ये पहेली सुलझ जाएगी….में उस दिन आपको सब कुछ सच सच बता दूँगा….अभी में आपसे इजाज़त चाहूँगा जाने की….

डॉक्टर–ठीक है….तुम कल आकर ये रिपोर्ट्‌स ले जाना….अभी तुम जा सकते हो.,..

में–कल कब आउ सर….?

डॉक्टर–जब तुम्हारा मन करे वैसे भी तुम मेरे दिए हुए वक़्त पर तो आओगे नही….

में–सर में वैसे भी कल बाहर हूँ रूही दीदी आएँगी आपसे रिपोर्ट्‌स लेने आप उन्हे ये रिपोर्ट्‌स दे देना….

डॉक्टर-ठीक है जय जैसा तुम चाहो….

उसके बाद में वहाँ से निकलकर सीधा अपनी बाइक एक शराब की दुकान के बाहर रोकता हूँ और एक स्कॉच की बोतल ले कर घर की तरफ बढ़ जाता हूँ….

घर पहुँच कर मम्मी को में वो ज्यूयलरी वाला बॉक्स दे देता हूँ….और उनसे कहता हूँ कल कोई आएगा आप उसे ये दे देना…उसके बाद में अपने रूम में आजाता हूँ और अपने कपड़े बदलने लगता हूँ….तभी रूम के दरवाजे पर दस्तक होती है…और में उसे अंदर आने के लिए कह देता हूँ….

भाभी–क्या बात है हीरो….कहाँ घूमते रहते हो आज कल सारा सारा दिन….चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग़ में….मम्मी से पूछती हूँ तो वो भी तेरा ही पक्ष उठाती है….कुछ मुझे भी बताएगा….

में–भाभी आपको सब कुछ बता दूँगा बस मुझे कुछ काम और करने है उसके बाद सब कुछ पहले की तरह हो जाएगा…..

भाभी–क्या सब कुछ पहले की तरह हो सकता है….??

भाभी की आँख में आँसू आ गये थे ये बात बोलते हुए…..मैने कितनी बड़ी ग़लती करदी उनके जख्म को कुरेद कर….

में तुरंत आगे बढ़ा और भाभी को अपने गले से लगा लिया…..वो भी बिल्कुल मुझ से चिपक सी गयी थी…और मेरे कंधे पर सिर रख कर सिसकने लग गयी

में तुरंत आगे बढ़ा और भाभी को अपने गले से लगा लिया…..वो भी बिल्कुल मुझ से चिपक सी गयी थी…और मेरे कंधे पर सिर रख कर सिसकने लग गयी….

मैने बड़ी मुश्किल से उन्हे संभाला….और थोड़ी देर बाद वो बाहर चली भी गयी…

कैसे कर पाउन्गा में ये सब….कैसे सब के जीवन फिर से खुशिया आ पाएँगी….कैसे फिर से मेरा घर फिर से खुशियो से भर जाएगा….क्या करूँ….क्या करूँ में….???

रात मेरी आँखो में ही कट गयी….बस यही सोचते सोचते कि कैसे में फिर से खुशिया ला पाउन्गा मेरे घर में….सुबह 11 बजे निकलना है और अभी सुबह के 4 बज चुके थे…

यही सोचते सोचते जाने कब मेरी आँख लग गयी….जो कुछ घंटी बाद रूही की आवाज़ से खुल गयी….

रूही–जय उठ जा….कितना सोएगा….चल जल्दी से उठ जा कॉलेज नही जाना है क्या….

में–नही दीदी में आज भी आप लोगो के साथ नही चल पाउन्गा….क्या मेरा एक काम कर दोगि….

रूही–तुझे मैने कभी किसी काम के लिए मना किया है जो पूछ रहा है….

में–दीदी डॉक्टर. आलोक के यहाँ से एक रिपोर्ट लेकर आनी है कॉलेज से आने के बाद आप मेरे मोबाइल पर उसकी एक फोटो भी भेज देना….

रूही–चल ठीक है….में कॉलेज से आते वक़्त तेरा ये काम कर दूँगी….वैसे तू आज कहाँ जा रहा है….कॉलेज में अटेंडेन्स शॉर्ट्स पड़ जाएँगी….वैसे ही छुट्टियाँ काफ़ी ज़्यादा हो गयी है….

में–दीदी ये काम कॉलेज से ज़्यादा ज़रूरी है…प्ल्ज़ आप मेरा वो काम ज़रूर याद से कर देना….भूल मत जाना…

रूही–नही भूलूंगी बाबा….

में–अच्छा नीरा उठ गयी क्या….

रूही–वो तो सुबह सब से पहले उठ गयी थी अभी भाभी के साथ किचन में है….

में–क्या बात है आज वो आलसी जल्दी कैसे उठ गयी….

रूही–पता नही सुबह से ही किचन में घुसी हुई है वो भी नहा धो कर….

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और दरवाजा खोल कर नीरा अंदर आजाती है….वो अपने साथ मेरे लिए कॉफी लेकर आई थी….

नीरा–आप उठ गये….ये लो में आपके लिए अपने हाथो से कॉफी बना कर लाई हूँ….

में–आज सूरज कहाँ से उगा है….आज तो मेरा बर्तडे भी नही है जो तू मुझे सुबह सुबह कॉफी पिलाने आ गयी है….

नीरा–अब से में ही आपके लिए सुबह कॉफी लाउन्गी और नाश्ता भी अपने हाथो से बनाया हुआ ही खिलाउन्गि….

में–मम्मी ने तुझे किचन में काम कैसे करने दिया….वो तो भाभी को भी बड़ी मुश्किल से किचन में घुसने देती है काम करने के लिए….इसीलिए घर में आज तक उन्होने कोई नोकर नही रखा….क्योकि वो घर का सारा काम खुद ही करना पसंद करती है….फिर तुझे कैसे घुसने दिया….

नीरा–वो क्या है ना….मैने मम्मी को एक बात बोली….इस वजह से मुझे वो काम करने से मना नही कर पाई और वैसे भी कॉफी बनाने के लिए तो मम्मी रूही दीदी को भी मना नही करती….तो मुझे क्यो करेगी….

में–चल ठीक है अब ये कॉफी का मग यहाँ रख और स्कूल जाने की तैयारी कर…

नीरा–वो मुझे आप से एक काम था….

में–कौनसा काम….

नीरा–बाद में बताउन्गी पहले आप फ्रेश हो जाओ और बाहर आ जाओ….

उसके बाद नीरा और रूही दोनो बाहर चले जाते है…तभी एक मिनिट बाद ही मेरे रूम का दरवाजा वापस खुल जाता है और नीरा भागते हुए मेरे बेडपर चढ़ कर मेरे उपर बैठ जाती है…..

में–ओये मोटी उठ….क्यो दबा रही है सुबह सुबह….

नीरा–पहले मुझे एक गुड मोर्निंग किस दो उसके बाद ही में यहाँ से जाउन्गि….

में–तुझे रोका किसने है जो चाहिए वो ले ले..

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