अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 15

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

घर में आज माहॉल काफ़ी चेंज लग रहा था आज इतने दिनो के बाद भाभी किचन में काम कर रही थी और मम्मी अपने कमरे में आराम कर रही थी….

हम लोगो को आया देख सब से पहले भाभी ने हम सबको पानी पिलाया और उसके बाद कॉफी का पुच्छ कर वापस चली गयी….

में भी भाभी के पास ही किचन में चला गया और उनसे बाते करने लग गया….

में–भाभी क्यो ना आप अपनी प्रॅक्टीस फिर से शुरू कर दें…..

भाभी–क्यो तुझे में किचन में काम करती हुई अच्छी नही लग रही क्या….में वो काम अब छोड़ चुकी हूँ इसलिए में दुबारा वो अब फिर से नही करना चाहती….

में–ओके भाभी जेसी आपकी मर्ज़ी….वैसे आज खाने में क्या बनाया है….

भाभी–बाजरे की रोटी लहसुन की चटनी रायता और अगर तुम्हे गेहू की रोटी खानी है तो वो भी बनाई हुई है मेने….लेकिन में जानती हूँ बाजरे की रोटी तुम्हे सब से ज़्यादा पसंद है….

में–वाह भाभी मज़ा आ गया में जल्दी से चेंज करके आता हूँ तब तक रूही और दीक्षा भी शॉपिंग कर के आचुकी होंगी….

भाभी–उन दोनो को टाइम लगेगा वो शॉपिंग करने गयी है…तुम चेंज कर लो में तुम सब के लिए अभी खाना रेडी कर देती हू….

उसके बाद में अपने रूम में चला गया….आज का पूरा दिन बस ऐसे ही नौरमल निकल गया वरना कुछ दिन से तो ऐसा लग रहा था जैसे हंगामे कभी ख़तम ही नही होंगे मेरी ज़िंदगी से.

रात हो चुकी थी हम सब अपने अपने रूम्स में सोने की कोशिश कर रहे थे…

देर रात किसी को अपने पास पा कर मेरी नींद खुल गयी….नीरा मेरे सीने पर अपना हाथ रख कर सो रही थी….इस वक़्त उसके चेहरे की मासूमियत मेरे दिल को सुकून दे रही थी….ऐसा लग रहा था जैसे में किसी गार्डन में बैठ कर रंग बिरंगे फूलों को निहार रहा हूँ….तभी उसकी एक जुल्फ उसके चेहरे पर आ गयी थी….इस तरह उसकी जुल्फ का चेहरे पर आना मुझे ऐसा लग रहा था जैसे पूर्णिमा के चाँद के सामने एक छोटा सा काला बादल आ गया हो…

मैने अपनी एक उंगली से उसकी जुल्फ को उसके कानो के पीछे दबा दिया….मेरे इस तरह से करने से नीरा की आँखे खुल गयी….उसकी आँखे किसी बड़ी झील की तरह शांत लग रही थी इस समय….

नीरा–ऐसे क्यो देख रहे हो मुझे….

में–क्या करूँ तुझे इस तरह प्यार से मेरे पास सोता हुआ पाकर में तुझे देखने से खुद को रोक नही पाया….

नीरा ने अब मुझे कस कर अपने आलिंगन में भर लिया था…उसके बदन की खस्बू मेरी सांसो में समाने लग रही थी….

में–तू यहाँ कब आई….

नीरा–मुझे नींद नही आ रही थी तो सोचा थोड़ी देर आपसे बाते करलूँ लेकिन यहाँ आपको सोते देख कर में भी आपके पास ही सो गयी….

में उसके माथे पर किस करते हुए….उसकी पीठ पर हाथ फिराने लग जाता हूँ…

नीरा–आप मुझ से कितना प्यार करते हो….

मैने उसकी इस बात का कोई जवाब नही दिया…और में उसके गले पर किस करने लग जाता हूँ….

नीरा–सुनो ना…..क्यो तंग कर रहे हो आप मुझे….पहले मुझे मेरे सवाल का जवाब दो उसके बाद में आपको कुछ भी करने से नही रोकूंगी…..

में–कुछ भी करने से???

नीरा–मेरी हर साँस पर आपका अधिकार है….मेरे जिस्म का रोम रोम आपके अंदर समा जाना चाहता है….क्या आप भी ऐसा महसूस करते हो…..बताओ ना कितना प्यार करते हो मुझसे….

में–तू जान है मेरी…में तुझे पाने के लिए किसी भी हद तक चला जाउन्गा….में कैसे बताऊ तुझे में कितना प्यार करता हूँ….मुझे खुद भी नही पता….तेरे इस सवाल का जवाब कैसे दूं में….इसके जवाब का ना मुझे कही अंत दिखता है और ना ही शुरुआत….

नीरा ने मेरी ये बात सुनकर मेरे होंठो को अपने होंठो से दबोच लिया…..आज पता नही क्यो में उसे रोक नही पा रहा था किसी भी बात के लिए….मैने भी उसके होंठो का मीठा मीठा रस चूसना शुरू कर दिया…..

काफ़ी देर तक हम एक दूसरे के होंठो को ही चूमते रहे…जब हम दोनो की साँसे उखड़ने लगी तब जाकर हम अलग हुए…..

नीरा–अपनी सांसो पर काबू पाते हुए….पहले मुझे ऐसा लगता था जैसे मैने आपको शादी करने की कसम दे कर ग़लत किया….लेकिन अब मेरे मन से वो सारी बाते चली गयी है….आप मुझे कभी छोड़ना मत वरना में मर जाउन्गि आपके बिना….आप से ही साँसे चलती है मेरी और आपसे ही दिल…..

में–तेरी कसम…..मेरी जान में तुझे कभी खुद से अलग नही करूँगा चाहे इसके लिए मुझे सब कुछ छोड़ना पड़े….

ये कह कर मेने नीरा को अपने अंदर समेट लिया और इसी तरह एक दूसरे की बाहो मे हम दोनो को सोया देख नींद भी अपनी बाहे फैला कर हम दोनो को अपनी बाहो में भर लेती है…..

सवेरे सवेरे….

रूही हम दोनो को इस तरह एक दूसरे की बाहो में सोया हुआ देख कर थोड़ा सा विचिलित हो गयी थी….लेकिन उसकी जलन उसके प्यार पर कभी भारी नही पड़ सकती थी….वो भी मेरी तरह नीरा से प्यार करती थी….वो नीरा के पास बैठकर उसके बालो में हाथ फिराने लग जाती है….

नीरा अपने बालो में किसी को हाथ फेरता महसूस करके अपनी आँखे खोल देती है….वो अभी भी मेरी बाहो में ही थी….जैसे ही वो पलट कर देखती है वहाँ बैठी हुई रूही उसे नज़र आजाती है….

नीरा–दीदी आप कब आई…??

रूही–में बस अभी थोड़ी देर पहले ही आई हूँ…तुम लोगो को इतने प्यार से सोता देख कर तुम दोनो को जगाने का मन नही हुआ….

नीरा–मेरा हाथ अपने उपेर से हटाते हुए…दीदी बाकी सब लोग उठ गये क्या…

रूही–हाँ भाभी किचन में हैं दीक्षा और कोमल जाने के लिए रेडी हो रही है मम्मी बाहर हॉल में बैठी है….और में तुम दोनो को यहाँ जगाने आई हूँ….

नीरा–अब तो में भी जाग गयी हूँ…बस आप इन्हे उठा दो तब तक में फ्रेश होने चली जाती हूँ….

रूही–ठीक है में इसे उठाती हूँ तू जाकर जल्दी रेडी हो जा स्कूल के लिए देर हो जाएगी नही तो…

उसके बाद नीरा वहाँ से उठ कर चली गयी…नीरा के जाते ही रूही ने पहले मेरे माथे को चूमा फिर मुझे उठाने लग गयी…

में–क्या हुआ दीदी आज क्यो उठा रही हो…

रूही–क्यो आज कॉलेज नही जाना है क्या….

में–नही आज मुझे काफ़ी सारे काम है…में आज नही जाउन्गा…आप लोग कार लेकर चले जाना…अक्तिवा पर परेशान हो जाओगे…

रूही–चल ठीक है तो फिर सोता रह….जब मन करे उठ जाना….

में–अब नींद कैसे आएगी…आपने उठा जो दिया है….आप एक काम करोगी…

रूही–बोल क्या काम है…

में–मुझे दीक्षा और कोमल के सिर का एक एक बाल चाहिए अलग अलग…बस आप ये भूलना मत कि किसका कौनसा बाल है….

रूही–में समझ गयी…में लेकर आती हूँ अभी…

रूही अब बाहर निकल गयी थी और में भी फ्रेश होने चला जाता हूँ…

रूही–दीक्षा इधर आना तो….

जैसे ही दीक्षा रूही के पास आती है रूही उसका एक बाल खेंच के तोड़ देती है…

दीक्षा–उूउउइइ….दीदी बाल क्यों तोड़ा….वैसे ही इतने बाल झड रहे है मेरे….

रूही–ये बाल तेरा भाई मॅंगा रहा है…उसे कुछ टेस्ट करवाने है….

दीक्षा–अपने सिर पर हाथ मसल्ते हुए….कौन्से टेस्ट करवाने है भैया को…

रूही–ये मुझे नही पता…कोमल तू भी इधर आ…

कोमल–दीदी भैया अगर बाल माँग रहे है तो में खुद ही तोड़ कर दे देती हूँ….ये लो.

कोमल ने भी अपने सिर का बाल तोड़ कर रूही के हाथ में रख दिया….रूही ने दोनो बालो को अपने दोनो हाथो में अलग अलग कर के रख लिया और मेरे रूम में आ गयी…

रूही–ये लो दोनो के बाल….ये वाला दीक्षा का है और ये वाला कोमल का….

में वो दोनो बाल अलग अलग लिफाफे में डालकर उनपर उन दोनो का नाम लिख देता हूँ….

रूही–अब में जा रही हूँ…कॉलेज के लिए लेट हो रहा है मुझे….

में–ठीक है आप जाओ….

उसके बाद में भी रूही के साथ बाहर निकल जाता हूँ हॉल में सभी लोग बैठे थे मुझे देखते ही नीरा मुझ से चिपक गयी…

नीरा–आज अकेले अकेले छुट्टी क्यो मार रहे हो…

में–अरे दिन में एक शादी में जाना है…और गिफ्ट भी खरीदने है….

नीरा–किस की शादी में जाना है आपको….में भी चलूंगी…..

में–तू चुप चाप तेरे स्कूल भाग जा….चाचा जी के कोई जानकार है उनके लड़के की शादी है…में भी वहाँ से गिफ्ट देकर निकल जाउन्गा कुछ ज़रूरी कामो के लिए….

नीरा–ठीक है लेकिन शाम को मुझे बाइक पर घुमाने ले जाना पड़ेगा….

में–ठीक है गुंडी ले जाउन्गा तुझे शाम को घुमाने….अब जा स्कूल तेरे चक्कर में इन सब को भी देरी हो रही है…

उसके बाद वो सब चले गये….में मम्मी से..

में–मम्मी भैया के जदुले के बाल कहाँ रखे है आपने….मुझे वो चाहिए…

मम्मी–चल मेरे रूम में है…ले ले..

उसके बाद मम्मी ने अपनी अलमारी में रखे बॉक्स में से वो बाल दे दिया….मैने उन से पापा के बाल भी ले लिए थे और अपने रूम में आकर उन्हे भी लिफाफो में डालकर उन पर नाम लिख लिया….मेरे पास अब सभी के डीयेने आ चुके थे सिवाए मेरे खुद के इसलिए मैने भी अपना एक बाल तोड़कर नये लिफाफे में डाल दिया और उन्हे फोल्ड करके अपनी जेब में रख लिया….

मम्मी को मैने बता दिया कि में बाहर जा रहा हूँ….और अपनी बाइक उठा कर बाज़ार में चला गया….लेकिन मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या लूँ….क्योकि बात शादी की नही थी बात पापा की रेस्पेक्ट की थी…इसलिए में एक ज्यूयलरी शॉप में घुस गया….

दुकानदार मुझे अंदर आते ही पहचान गया जबकि में पहली बार इस दुकान परचढ़ा था..दुकानदार का नाम धर्मदास था

धर्म–अरे जय बेटा आओ आओ….आज मुझ ग़रीब की दुकान पर कैसे आना हो गया…

में–क्या आप मुझे जानते हो….में तो पहली बार ही आपकी दुकान पर आया हूँ….

धर्म–बेटा तुम्हारे पापा के अंतीमसंस्कार मे शाहर का हर एक छोटा बड़ा आदमी आया था….में तुम्हे तब से जानता हूँ जब तुम एक बार अपने पापा के साथ यहाँ आए थे….उस वक़्त तुम काफ़ी छोटे थे लेकिन अब तो गबरू हो गये हो…

अब मुझे बताओ यहाँ कैसे आना हुआ…

में–मुझे एक शादी के लिए गिफ्ट लेना है…और ये मान लो गिफ्ट पापा की इज़्ज़त के हिसाब से होना चाहिए….

धर्म–तुम्हारे पापा को इस शहर में हर छोटा बड़ा व्यापारी जानता है….तुम्हारी इस बात ने मुझे भी सोच में डाल दिया…क्योकि अगर आज वो हमारे बीच में होते तो कोई भी उन पर उंगली नही उठा सकता था….लेकिन कोई बात नही….चलो में तुम्हे कही ले कर चलता हूँ…

उसके बाद वो मुझे एक बड़े से शोरुम में लेकर गये जहाँ ज्वेलरी का काम होता था…

वो सीधा वहाँ बने सेल्स काउंटर से आगे बढ़ते हुए एक कॅबिन में मुझे ले जाते है…

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