नीरा–भैया में आपको शादी की दी हुई कसम से आज़ाद करती हूँ क्योकि ज़बरदस्ती में आपका जिस्म पा सकती हूँ…लेकिन आपका प्यार नही…में अच्छे से जानती हूँ जब आपको असलियत पता चलेगी आपका रिश्तो से भरोसा उठ जाएगा….प्यार क्या होता है ये आप भूल जाओगे…सब कुछ मर जाएगा लेकिन इस सच्चाई को में अपने अंदर भी नही रख सकती ये सच्चाई बिल्कुल उसी हलाहल ज़हर की तरह हे जो शिव के गले में पड़ा है…और वेसा ही हलाहल ज़हर मेरे सीने में भी भर गया है…
में–ऐसी क्या सचाई है जो सब ख़तम कर देगी….बता मुझे में भी अब सुनना चाहता हूँ लेकिन पापा के बारे में बोला गया तेरा हर एक शब्द तुझे मुझ से बहुत दूर ले जाएगा…बस ये याद रखना…
नीरा–नही भैया में आपसे कभी दूर नही हो सकती अगर में मर भी गयी तब भी आपके पास ही रहूंगी….दुनिया की कोई ताक़त मुझे आप से दूर नही रख सकती….अगर मेरे बोलने से में आप से दूर होती हूँ तो फिर ठीक है…जो खुद इस सच्चाई की सबसे बड़ी गवाह है….जो खुद एक सबसे बड़ा सच है में उसी को आपके सामने खड़ा कर दूँगी….
में–कौन्से सच की बात कर रही है तू…किसको खड़ा करेगी यहाँ गवाही देने के लिए…
नीरा–आप मम्मी के मोबाइल पर फोन करो और उन्हे यहाँ बुलाओ….
में–नीरा तू सच में पागल होगयि है….मम्मी को क्यो परेशान कर रही है…वो पहले से ही दुख में डूबी हुई है….और हम लोगो की बातो से उनको और चोट पहुचेगी…
नीरा–मम्मी नही है वो….वो औरत एक ज़हरीली नागिन है…वो डॅस लेगी आपको भी…में कहती हूँ बुलाओ उस नागिन को..
टदाआक्ककक….. एक झन्नाटेदार थप्पड़ नीरा के मासूम गालो पर पड़ता है…
में–अगर एक शब्द भी तूने और बोला…तो ये मान लेना तेरा भाई तेरे लिए हमेशा के लिए मर गया है…
नीरा की आँखे बिल्कुल सुर्ख लाल हो चली थी उनमें अब आँसू नही थे….एक निश्चय था अपने भाई को इन लोगो से बचा कर रखने का…वो पलट कर जय के रूम में से चली जाती है…और रूम से निकलने के बाद सीधा अपनी मम्मी के कमरे की तरफ़ बढ़ जाती है…..
वहाँ मम्मी बेसूध हो कर सो रही थी…
नीरा अपनी मम्मी को लगभग झींझोड़ते हुए उठती है,…
मम्मी–क्या हुआ बेटा इतनी रात को इस तरह से क्यो जगाया मुझे…..
नीरा–में कोई तेरा बेटा वेटा नही हूँ…और ना ही में तुझसे कोई बात करना चाहती हूँ…मुझे मेरे भाई की चिंता है….में बस इसीलिए तुझे बुलाने आई हूँ…चल मेरे साथ और बता अपनी काली कर्तुते अपने बेटे को…बता अपने बेटे को कि कैसे पैदा हुआ वो….चल उठ………
नीरा लगभग मम्मी को खिचते हूर कमरे से बाहर लाई….मम्मी बिल्कुल सुन्न हो चुकी थी नीरा की इन बातो से….वो समझ नही पा रही थी…कैसे जवाब देगी वो नीरा के सवालो का….कैसे सामना कर पाएगी वो जय का…
नीरा मम्मी को लगभग धकेलते हुए जय के बेड तक पहुचा देती है….
में–नीरा ये क्या हरकत है…तू कैसे भूल गयी ये हमारी मम्मी है….
नीरा–मम्मी से….अब बोलती क्यो नही हो…जवाब दो…बताओ इसे कि कैसे पैदा हुआ ये…बताओ इस पाप में कौन कौन भागीदार था…
में–मम्मी ये क्या बकवास कर रही है….ऐसी क्या बात है जो आप इसके जानवरों जैसे व्यवहार को चुप चाप सहे जा रही हो…एक थप्पड़ क्यो नही लगा देती हो आप इसे..
मम्मी–इसमें नीरा की कोई ग़लती . है…ये मुझे ग़लत समझती है….और ये सही भी है…में ग़लत हूँ….हाँ…हाँ..में ग़लत हूँ….मैने अपने परिवार को अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार किया….मैने अपने घर को बचाने के लिए वो सब किया जो मुझे नही करना चाहिए था…
में–ये क्या पहेलियाँ बुझा रही हो मम्मी…क्या बात है सॉफ सॉफ कहो..
मम्मी की आँखो से लगातार आँसू बहे जा रहे थे….
मम्मी–मैने तुम्हारे पापा से शादी बेहद कम उमर में कर ली थी…में उस वक़्त 11 क्लास में ही तो थी. तुम्हारे पापा जब मुझे मिले…. मुझे पहली ही नज़र में उनसे प्यार हो गया था…और शायद वो भी मुझे प्यार करने लग गये थे….हम दोनो ने भाग कर शादी कर ली…मेरे माँ बाप नही थे बस एक मामा और मामी ने ही मुझे पाला था….
हम लोगो की शादी को 2 साल हो चुके थे जीवन में सब कुछ सही चल रहा था…तुम्हारे पापा भी अपना बिज़्नेस अच्छे से सेट करने में लगे हुए थे…
एक रात जब वो घर लौट कर आए…तब वो काफ़ी परेशान लग रहे थे….मैने जब उनसे पुछा के क्या हुआ…तब उन्होने कहा..
किशोर–संध्या हमारी सारी मेहनत खराब हो जाएगी अगर…हमारा माल मार्केट में नही बिका तो…
संध्या–ऐसा क्या हो गया है ….माल क्यो नही बिकेगा…
किशोर–मैने जो डाइमंड मँगवाए थे वो काफ़ी अच्छी क्वालिटी के है लेकिन फिर भी कोई उन्हे खरीद नही रहा…4 लोग ऐसे हैं जो नही चाहते में इस काम में उनकी बराबरी करूँ..
संध्या–लेकिन वो ऐसा क्यो कर रहे है….और दूसरा वो अगर आपका रास्ता रोक रहे है तो इसमें आपको क्या फरक पड़ता है….
किशौर–वो नही चाहते बिज़्नेस में उनका कोई कॉंपिटिटर बाज़ार में आए..और वो यहाँ के काफ़ी बड़े बिज़्नेस मॅन है…इसलिए वो हर तरह से मुझे मुंबई में बिज़्नेस स्टार्ट करने नही देना चाहते…
संध्या–आप उनके साथ एक मीटिंग फिक्स क्यो नही करते…उनलोगो से प्यार से कुछ ले दे कर इस मामले को ख़तम कर दो…
किशौर–मुझे अब ऐसा ही करना पड़ेगा…वरना हम बर्बाद हो जाएँगे…
उसके बाद किशोर एक फाइव स्टार होटेल में उन सभी को इन्वाइट करता है..किशोर के साथ में संध्या भी आई थी…और जब उन लोगो ने संध्या को उपर से नीचे तक देखा…तो एक ज़हरीली मुस्कान उन सभी के चेहरो पर आ चुकी थी…
किशोर–मैने आप सभी को इस लिए यहाँ बुलाया है कि आप मेरी इस काम में मदद करे…हम दोनो का जीवन अब आप लोगो के हाथ में है…
आहूजा–किशोर भाई कैसी बाते करते हो…भला हम आपके रास्ते में रोड़े क्यो अटकाएंगे…
कंबले–हमे तो खुशी होगी जब आप अपना बिज़्नेस अच्छे से एस्टॅब्लिश कर लेंगे…
किशोर–में भी यही चाहता हूँ…आप लोग मेरा साथ दे और मार्केट में मेरा माल जाने दे.
प्रधान–किशोर भाई साहब आप हमे दो दिन का टाइम दीजिए ताकि हम कुछ सोच विचार करके…प्यार मोहब्बत से इस मामले को निपटा सके…आख़िर हम भी चाहेंगे कि मार्केट में अच्छी क्वालिटी का माल आए…
संध्या–भाई साहब आप सभी लोगो का शुक्रिया….हम लोगो को बर्बाद होने से बस आप ही लोग बचा सकते है….
और उसके बाद हम सभी उठ जाते है ….
किशोर को कुछ बात करने के बहाने से आहूजा अपने साथ ले जाता है और कंबले प्रधान और संध्या एक दूसरी टेबल पर जाकर बैठ जाते है…
प्रधान–भाभी जी सिर्फ़ आपकी वजह से हम उसे ये काम करने दे सकते है…
संध्या–मेरी वजह से कैसे भाई साहब??
कंबले–अगर आप हम लोगो को खुश कर दें तो ये मान लीजिए आपके पति को दुनिया की कोई ताक़त मुंम्बई पर राज करने से नही रोक सकती….और हमारा क्या है भगवान की दया से हमारा बिज़्नेस लगभग सभी देसो में है…हम आपके लिए मुंम्बई जैसा छोटा सा नुकसान सह ही सकते है…
संध्या–ये आप लोग कैसी बाते कर रहे है…में वेसी औरत नही हूँ जो अपने आप को बेच दूं काम के बदले में…
प्रधान–भाभी जी ये मेरा कार्ड आप रख लीजिए जब कभी भी आपको लगे …आप मुझे फोन कर देना…
संध्या वो कार्ड अपने पर्स में डाल कर बोलती है…
संध्या–ऐसा दिन कभी नही आएगा प्रधान साहब…लेकिन फिर भी में आपका कार्ड रख लेती हूँ…और फोन में उस दिन आपको करूँगी जब मेरे पति मुंबई पर राज कर रहे होंगे.
कांबले–हमारी बेस्ट विशस आप लोगो के साथ है भाभी जी….
उसके बाद संध्या वहाँ से उठ कर चली जाती है…
जब वो लोग घर पहुँच जाते है तो संध्या उसे वहाँ हुई सारी बाते बता देती है…किशोर ये बाते सुनकर माथा पीट लेता है अपना….
संध्या–हम लोग किसी दूसरे शहर में चलकर ये बिज़्नेस फिर से शुरू कर सकते है…
किशोर–ये उतना आसान नही है संध्या…किसी दूसरी जगह पर जाने का मतलब है फिर से शुरूवात करनी पड़ेगी…और क्या पता वहाँ भी प्रधान जैसे लोग अपना कब्जा जमाए बैठे हो…
करते करते वो दोनो सो गये थे…अगले दिन सवेरे सवेरे घर का लॅंडलाइन बजने लगता है…ये कॉल किशोर के असिस्टेंट का था… जिन्हे किशोर काका कह के बुलाता था…
काका–सर ग़ज़ब हो गया…हम लोगो ने जिन भी छोटे छोटे व्यापारियो को अपना माल दिया था उन सभी ने एक एक करके वो माल वापस भिजवा दिया है…
किशोर–काका ये सब कैसे हो गया…हमारा माल नही बिकेगा तो हम सड़क पर आजाएँगे.
काका–सर पता नही क्या होगा ये माल अब हम उस पार्टी को भी नही दे सकते जिस से हमने ये माल लिया था बड़े व्यापारी तो पहले ही हम से माल नहीं ले रहे थे और अब ये छोटे व्यापारियो ने भी माल वापस भिजवा दिया है.
ये सुनकर किशोर फोन रख कर सारी बाते संध्या को बता देता है..
संध्या–अब क्या होगा…ये लोग तो हमे बर्बाद करके ही दम लेंगे…
किशोर–में देखता हूँ…कुछ करने की कोशिश करता हूँ…
और उसके बाद किशोर नहा धो कर बाहर निकल जाता है…
संध्या भी सोच सोच कर एक फ़ैसला ले ही लेती है…वो अपने पर्स में से प्रधान का कार्ड निकालती है और उसे फोन कर देती है…
प्रधान–हेलो कौन??
संध्या–प्रधान साहब आप जीत गये…बोलिए मुझे कहाँ आना है…
और प्रधान उसे एक फार्म हाउस पर बुला लेता है…
फार्म हाउस पर प्रधान कांबले और आहूजा के अलावा उनका एक पार्ट्नर और होता है जिसका नाम दामोदर होता है…वो चारो मिलकर संध्या को हर जगह से नोचते खसोटते है…एक तरह से उसका रेप ही कर देते है…
जब वो संध्या को जाने के लिए बोलते है तो कल दुबारा आने के लिए बोल देते है…
संध्या अपने घर पहुँच कर अपने सारे कपड़े उतार कर शवर के नीचे खड़ी हो जाती है…और ज़ोर ज़ोर से रोते हुए अपने बदन से उन भेड़ियो के निशान मिटाने लग जाती है…
जब शाम को किशोर घर आता है तो वो काफ़ी खुश होता है…उन सभी छोटे व्यापारियो ने माल वापस मंगवा लिया होता है…और किशोर इसे चमत्कार मान कर मिठाई का डिब्बा अपने साथ लेकर आता है…
लेकिन जब वो घर के अंदर घुसता है तो संध्या बिल्कुल नंगी बेड पर रोती हुई मिलती है…
संध्या–सब ख़तम हो गया मेरा…कुछ नही बचा उन लोगो ने कल फिर मुझे बुलाया है…..
किशोर को समझते देर नही लगी संध्या की हालत देख कर….
किशोर–संध्या मुझे माफ़ कर देना….लेकिन तुम्हे उन लोगो को कल यहाँ बुलाना होगा …..ये आख़िरी बार है इसके बाद तुम्हे कभी भी मेरी वजह से किसी के आगे झुकना नही पड़ेगा…
संध्या–में अब मरना चाहती हूँ में अब तुमहरे लायक नही रही….
किशोर–तुम नही मरोगी संध्या मरेंगे वो लोग जिन्होने हमारे जीवन में आग लगा दी है…बस कल कल का दिन और निकाल लो…
किशोर ने पूरे घर में सीसीटीवी कॅमरास लगवा दिए थे….रात भर में ही…
किशोर–संध्या मुझे तेरी कसम है में उन सब को सड़क पर ले आउन्गा….वो तेरे सामने खुद को बख्सने की भीख माँगे गे लेकिन उन्हे वो भी नसीब नही होगी….
संध्या–मुझे कुछ नही चाहिए ….बस किसी तरह से हम लोग उनके चंगुल से निकल जाए इसके अलावा मुझे कुछ और नही चाहिए…
उसके बाद संध्या और किशोर कल के लिए प्लान करने लग जाते है…
अगले दिन संध्या प्रधान को फोन करके घर पर ही सब को बुलवा लेती है…और अपने साथ बलात्कार का वीडियो रकौर्ड़ कर लेती है…
संध्या और किशोर उस वीडियो में से संध्या का चेहरा धुँधला करके उस वीडियो को पूरे मीडीया में डाल देते है….इस से होता ये है कि दामोदर , प्रधान कांबले और आहूजा चारो पूरी तरह से बेनक़ाब हो जाते है…बाज़ार में उनकी साख पूरी तरह से मिट जाती है…इस मोके का फ़ायदा उठाते हुए किशोर पूरे मार्केट पर अपना क़ब्ज़ा जमा लेता है….
वर्तमान में
……………………………………………….
मम्मी–उसके बाद मैने अपनी ज़िंदगी ग़रीब बच्चो की देखबाल में लगा दी….में अपना सब कुछ खो चुकी थी…इस गम में मैने शराब भी पीनी शुरू कर दी….जब मुझ से बलात्कार हुआ मेरी उमर ज़्यादा नही थी लेकिन मेरे जिस्म में सेक्स की चींतिया रह रह कर काटने लगी….शराब के नशे में…मुझ से वो ग़लती हो गयी जो नही होनी चाहिए थी…मैने अपना संबंध राज से बना लिया…और जब तक में खुद को संभाल पाती तू मेरी कोख में तू आ चुका था….राज को बस इतना पता था कि कुछ ग़लत हुआ है लेकिन उसे ये पता नही था तू उसका ही बेटा है ये बात सिर्फ़ तेरे पापा और रूही जानते थे….रूही को इस लिए पता पड़ गया क्योकि में अधिकतर उसी के साथ डॉक्टर के पास जाया करती थी….मुझे गर्व है रूही पर उसने मेरा साथ कभी नही छोड़ा…वो हमेशा मेरे सुख और दुख में एक परच्छाई की तरह मुझ से चिपकी रही….
मेरे होश उड़ चुके थे….मुझे समझ नही आ रहा था के में क्या करूँ….ऐसा लग रहा था किसी ने मेरे शरीर से सारा खून निचोड़ लिया हो….
मम्मी–हो सके तो मुझे माफ़ करदेना जो कुछ भी हुआ…वो या तो वक़्त की मजबूरी थी या शराब के नशे में बहकते हुआ मेरा जिस्म…..मुझे माफ़ कर देना मेरे बच्चो में तुम लोगो की माँ कहलाने लायक नही हूँ…
नीरा–मम्मी मुझे माफ़ कर दो …..आपकी इन्ही कुर्बानियों की वजह से हम सभी एक अच्छा जीवन जी रहे है मम्मी मुझे माफ़ कर दो….में अब कभी आपसे कोई सवाल नही करूँगी….
में अपनी कुर्सी से बिना कुछ बोले उठ जाता हूँ…और घर से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठकर अंजाने रास्ते की तरफ़ बढ़ने लगता हूँ……
मेरी आँखो से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे….और में अपनी कार तेज़ी से भगाए जा रहा था….में नही जानता था मुझे कहाँ जाना था….बस एक जुनून सा हावी हो गया था मुझ पर…में मरना चाहता था….घिंन आ रही थी अपने आप से…मानो सारे जहाँ की गंदगी मुझ पर ही आ गिरी हो….में अब वापस नही लौटना चाहता था…..
में अभी जिस रोड पर गाड़ी भगा रहा था वो एक पहाड़ी एरिया था जिसे महादेव के घाटा के नाम से जाना जाता है….पता नही कौनसी अद्भुत शक्ति ने….मुझे उन ख़तरनाक घाटियो में भी संभाले रख रखा था….घाटी क्रॉस करने के बाद मुझे एक मंदिर दिखा जो कि महादेव का काफ़ी प्राचीन मंदिर है….मैने अपनी गाड़ी साइड में लगाई और मंदिर की तरफ़ अपने कदम बढ़ा दिए….
मंदिर के बाहर ही कुछ साधु आग जला कर बैठे थे और दम भर रहे थे…
मुझे मंदिर की तरफ जाते देख एक साधु बोला…
साधु–बेटा अभी महादेव के दर्शन नही कर सकते तुम इस समय मंदिर के पट बंद है…
मेरी आँखो में भरे हुए आँसू उन से छिप ना सके…
साधु–लगता है जीवन की जंग में हार कर आरहा है तू….तेरी आँखे तेरी कायरता का सबूत दे रही है…तेरा तो स्वयं महादेव भी उद्धार नही कर पाएँगे…
में–बाबा में कायर नही हूँ…लेकिन कभी कभी ज़िंदगी कायर बनने पर मजबूर कर देती है…
साधु–ज़िंदगी तुम्हे लड़ना सिखाती है…या तो जीवन के संघर्षो से डरो मत….या फिर महादेव की भक्ति में लीन हो जा…लेकिन बिना संघर्ष के तो भक्ति भी नही होती बेटा…
में–बाबा मुझे कुछ समझ में नही आ रहा में क्या करूँ…
वो साधु अपनी जगह से उठता है….और मुझे एक छोटे से चबूतरे के पास ले जाता है.
साधु–ले सब से पहले इस चिलम का एक दम लगा उसके बाद अपने दिल की बात खोल कर मुझे बता…
में–बाबा में ये सब नही पीता…
साधु–में तुम्हे हमेशा पीने की सलाह नही दे रहा बस आज मेरे कहने पर एक दम लगा….और उसके बाद तेरे सारे बंद दरवाजे खुल जाएँगे….
में बाबा से वो चिलम ले कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ…लेकिन कुछ भी नही होता….ये देख कर साधु बोलता है…
साधु–बेटा एक माँ भी अपने बच्चे को दूध तब पिलाती है जब वो भूख के कारण संघर्ष करते हुए रोने लग जाता है….इसलिए इस चिलम का दम अगर तुझे लगाना है तो कर संघर्ष…..में देखना चाहता हूँ…तू वास्तव में वीर है या जैसा मैने सोचा कि तू कायर है….
में उनकी ये बात सुनकर काफ़ी ज़ोर लगा कर उसे खिचने की कोशिश करता हूँ लेकिन इस बार मुझे खाँसी आजाती है…
साधु–एक चिलम तुझ से नही खीची जा रही तो तू कैसे इस दुनिया से लड़ेगा. कायर…
बाबा की ये बात सुनकर अचानक मुझे क्या हुआ मैने उस चिलम के 2 -3 लंबे लंबे दम अपने फेफड़ो मे भर लिए….
साधु–हाँ ये हुई ना बात आज तू सही मायनो में एक मर्द बन गया है….अब बैठ यहाँ कुछ देर और याद कर तूने क्या किया और तेरे सगो ने क्या किया…जब तक मुझे एक हवन का निर्माण करना होगा ….
में बिल्कुल स्थिर हो चुका था…दिमाग़ बिल्कुल ऐसे शांत हो गया जैसे उसमें कोई परेशानी कोई अनतर्द्वंद अब बचा नही था…एक लहर मेरे पूरे बदन में उठती हुई सी महसूस हो रही थी….में अपने आप ही बड़बड़ाते हुए साधु को जोभी मेरे साथ हुआ वो बताता चला गया…
![अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani](https://desikahani4u.com/wp-content/uploads/2023/03/अपनों-का-प्यार-या-रिश्तों-पर-कलंक-ड्रामा-सस्पेंस-Pariwarik-Chudai-Ki-Kahani.png)