मैं ऊपर पहुंचा तो वो तार से कपडे उतार कर एक तरफ रख रही थी, उसने जैसे ही अगला कपडा उतारने के लिए हाथ ऊपर किये मैंने पीछे से उसके गोल मुम्मे पकड़ कर मसल दिए..
“आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह क्या करते हो बाबु……..खुले में कोई देख लेगा……छोड़ दो न…..” वो जैसे जानती थी की मैं उसके पीछे आऊंगा.
वो मना नहीं कर रही थी, क्योंकि खाने से पहले जो मजे मैंने उसे दिए थे, वो भूली नहीं थी और अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए अब कुछ भी कर गुजरने को तैयार थी,
मैंने उसकी गर्दन पर अपने होंठ टिका दिए और वहां से उसे चाटने लगा. मैंने पीछे से उसके गुब्बारे मसलने चालू रखे और नीचे से अपना खड़ा हुआ लंड उसकी गद्देदार गांड पर घिसने लगा. हमारी छत्त पर कोई दूर से तो देख ही सकता था, इसलिए मैंने वहां ज्यादा देर तक खड़ा होना उचित नहीं समझा,
हमारी छत्त के ऊपर एक छोटा सा स्टोर टाइप का कमरा है, जिसमे बेकार का सामान पड़ा रहता है, मैंने उसे वहीँ ले जाना उचित समझा और अन्दर ले जाकर मैंने जैसे ही उसे अपनी तरफ खींचा वो खींचती चली आई.
वो बोली “बाबु…..आज जो मजा मुझे तुमने नीचे दिया था…वैसा तो आज तक नहीं आया….क्या जादू कर दिया है तुमने पहले ही दिन… !!
ऐसा लग रहा है की मेरा बदन तप रहा है, पुरे शरीर में चींटियाँ सी रेंग रही है, और वहां नीचे गुदगुदी सी हो रही है दोपहर से….मन कर रहा है, वहां पर हाथ रखकर….घिस डालूं….जलन सी हो रही है…वहां…”
उसने अपने लरजते हुए होंठों से, अपनी शर्म को ताक़ पर रखकर, मेरी आँखों में आँखें डालकर, जब ये कहा तो वो बड़ी मासूम सी लगी,
मैंने आगे बढ़कर उसके मोटे होंठ चूस लिए, और कहा “तुम्हारे शरीर में जो आग लगी है, मैं उसे अपने प्यार से बुझा दूंगा, और जहाँ -२ तुम्हारे बदन पर चींटियाँ काट रही है, वहां पर मैं अपने होंठ रखकर तुम्हे ठंडक दूंगा, और जहाँ नीचे तुम्हे गुदगुदी हो रही है, उसे चूत कहते हैं, उसे भी चाटकर वहां की गुदगुदी ख़तम कर दूंगा, और तुम्हे ऐसा मजा दूंगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा, और फिर तुम्हे वो मजा, जो नीचे मिला था, जब तुम्हारी चूत में से पानी निकला था, वो भी कम लगेगा……”
मैं कहता जा रहा था और उसके बदन से कपड़े उतारे जा रहा था, मैंने उसका ब्लाउस खोला, और नीचे जैसा मैंने बताया था की उसने ब्रा नहीं पहनी थी, कोई पतले से कपडे की बनियान सी थी वहां,
और जैसे ही मैंने उसे उतारा, अपने सामने का नजारा देखकर मैं मंत्र्मुघ्ध सा हो गया, इतने सुन्दर कलश मैंने आज तक नहीं देखे थे, वो बिलकुल तने हुए थे, जरा भी झुकाव नहीं था उनमें, और उसपर मोती जैसे , काले रंग के निप्पल्स इतने लुभावने लगे की मैंने झट से अपना मुंह खोला और उनपर टूट पड़ा,
उसके मुंह से आनंदमयी आवाजें निकलने लगी, वो मदहोशी में पीछे की तरफ झुक गयी और बुदबुदाने लगी….
“हाआआन्न्न्न …म्मम्मम्म ….हाऽऽऽऽऽययय.. क्या कर रहे हो बाबु……गुदगुदी हो रही है……..काटो मत न…….चुसो…..हाआन्न्न मजा आ रहा है…..ये क्या आग लगा दी आपने बाबु…..अब ये कैसे बुझेगी….”!!
मैंने मन में सोचा…अब तो ये आग बुझेगी नहीं…और भड़केगी…अभी तो मेरा लंड जब तेरी चूत का बेंड बजाएगा तो तू और भी जोर से चुदने को बेकरार होगी, अभी तो ये शुरुआत है… और भी बहुत बैठे है मेरे घर में, तेरी चूत मारने के लिए.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला , वहां चुदाई के लिए पर्याप्त स्थान नहीं था, न ही वहां खड़े-२ चुदाई संभव थी, इसलिए मैंने सोचा की आज इसको अपना लंड ही चुसवा देता हूँ.
मैंने उसे नीचे बिठाया और अपना लंड निकाल कर उसके आगे किया, वो समझ गयी , की जब पिछली बार मैंने उसे वो फोटो दिखाई थी , जिसमे लंड चूसते हुए लड़कियां दिखाई दे रही थी,
मैं अब वही उससे चाहता हूँ, उसने अपना मुंह खोला और मेरा खौलता हुआ लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.
वो तो जैसे इस काम में पारंगत थी, मुझे उसे ज्यादा कुछ सिखाने की जरुरत नहीं पड़ी, मेरे सामने वो आधी नंगी बेठी, मेरा लंड चूस रही थी, उसके तने हुए मुम्मे जब हिलते थे तो लगता था अभी उनमे से शहद टपकेगा…
मेरा तो लंड ये सोचकर फटा जा रहा था की जब मैं इसकी चूत मारूंगा तो क्या हाल होगा..
जल्दी ही मेरे लंड का आखिरी समय आ गया और उसने अपनी ख़ुशी की वर्षा करनी शुरू कर दी, जो सोनी के लिए बिलकुल नया था, उसने सोचा भी नहीं था की मेरे लंड से इतना पानी निकलेगा, उसने जब तक अपना मुंह हटाया, दो चार पिचकारियाँ तो छोड़ ही दी थी मेरे लंड ने उसके मुंह के अन्दर, और बाकी की उसके चेहरे पर जा गिरी, और जब उसके मुंह के अन्दर , मेरे रस का स्वाद उसे महसूस हुआ, तो उसने अपने मुंह से इकठ्ठा हुईं सारी मलाई चाटकर उसके भी मजे ले लिए.
मैं जानता था की उसकी चूत में से इस समय आग निकल रही होगी, पर मैं उसे थोडा और भड़काना चाहता था, इसलिए मैंने उससे कपडे पहनकर नीचे चलने को कहा..
वो मासूमियत से मेरी बात मानकर अपना ब्लाउस पहन कर खड़ी हुई और नीचे की और चल दी.
कल होली है, मैं कल अपने लंड की पिचकारी से इसकी चूत से होली खेलूँगा, और दूसरों को भी खिल्वाऊंगा. मैंने कल के लिए प्लान बनाने शुरू कर दिए..
उसके जाने के बाद मैं वहां पड़ी एक पुरानी सी कुर्सी पर बैठकर अगले दिन के सपने बुनने लगा तभी बाहर से किसी के आने की आहट आई, मैं बाहर निकला तो देखा की वहां छत्त पर सोनी की छोटी बहन अनीता खड़ी है,
मुझे देखकर वो मंद मंद मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और बोली “अरे बाबु…आप भी ऊपर ही हैं…मैं यही सोच रही थी की आप कहाँ पर हो…”
मैं : “बोलो…क्या काम है अनीता ..मुझे ढून्ढ रही थी क्या. “मैंने उसकी चंचल सी आँखों में झांकते हुए कहा…??
“बाबु…मुझे अन्नू बोला करो…अनीता बड़ा पुराना नाम लगता है…और मुझे पुरानी चीजे पसंद नहीं है…सिर्फ नयी पसंद आती हैं ” ये कहते हुए वो मेरे लंड की तरफ देखने लगी.
मेरे मन में, उसकी हरकतों को देखकर, एक विचार कोंधा, कहीं इसकी चूत में भी तो आग नहीं लगी हुई, सोनिया की तरह…अगर ऐसा है तो मजा आ जाएगा…
मैं : “ठीक है अन्नू, पर तुमने बताया नहीं की तुम मुझे क्यों ढूंढ रही थी…”??
अन्नू : “वो मैं देख रही थी की आप सुबह से ही दीदी के साथ कुछ ख़ास तरह से पेश आ रहे हैं…
असल में…मैं…आपसे …कुछ कहना चाहती थी….” वो कुछ कहना तो चाहती थी पर शायद घबरा रही थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या कहना चाहती है.
मैं : “डरो नहीं…बोलो…क्या कहना है..”
अन्नू : “दरअसल…बाबु…मुझे लगा…की आप मेरी दीदी में दिलचस्पी ले रहे हैं…और आप उसके साथ…..कुछ करना….चाहते ..हैं..” वो धीरे से बोली.
मैं कुछ समझ नहीं पाया की वो आखिर कहना क्या चाहती है ?
अन्नू : “बाबु….वो बड़ी सीधी है…उसे इस बारे में कुछ पता नहीं है…वो हमेशा से काफी सीधी रही है…मेरी आपसे गुजारिश है की आप….इसके साथ…ऐसा कुछ मत करना…. ?
वो अभी नादान है इन सब बातों में….और अगर आप चाहे तो आप मेरे….साथ …वो सब…कर सकते हो…जो आप दीदी के साथ करने की सोच रहे हो…”
वो अपनी आँखें नीची करके बोले जा रही थी, और उसका गला सूख रहा था, होंठ फडफडा रहे थे, छाती ऊपर नीचे हो रही थी.. और मेरे लंड को तो आप जाने ही हो, अभी अभी झडा था , पर मेरी किस्मत तो देखो, सोनी की बहन ये सोचकर की उसकी बहन बड़ी नादान है, उसे कोई परेशानी न हो, इसलिए वो अपने आपको मेरे हवाले करने आई थी, कितना बड़ा बलिदान दे रही थी एक बहन दूसरी के लिए.. पर मैं सिर्फ एक ही तरीके से नहीं सोच रहा था, मैं इतना भी शरीफ नहीं था की हाथ आई एक मुर्गी को सिर्फ इसलिए छोड़ दूं की वो नासमझ है, अगर उसकी बहन भी मेरे से चुदने को तैयार है तो मुझे क्या प्रोब्लम है, उसे बाद में देखेंगे, अभी ये आई है तो ये भी सही, उसके ये सब कहने के बाद मैं इतना तो समझ ही गया था की ये अन्नू उससे काफी आगे है, और शायद चुद भी चुकी है किसी से…मैंने अपने मन की जिज्ञासा शांत करने के लिए उससे पूछा
“तुमने सही कहा, तुम्हारी बहन का तो मैं दीवाना सा हो चूका हूँ पर अगर तुम तुम ऐसा कर रही हो., अपनी बहन की खातिर ..ये बहुत अच्छी बात है, पर तुम ऐसा क्यों कर रही हो…” मैंने उसकी बाजू पकड़ कर पूछा..
वो मेरी आँखों में देखकर बोली “मुझे इन बातों में काफी मजा आता है, मेरे मोहल्ले के कई लड़के मेरा रस पी चुके हैं… और मुझे भी उन्हें अपनी जवानी का रस पिलाने में काफी मजा आता है….” वो इतरा कर बोल रही थी, जैसे उसे अपने हुस्न पर बड़ा गुमान हो..
मैंने पीछे हो कर , उसके चारों तरफ घूमकर उसके शरीर को गौर से देखा, उसकी गांड काफी बाहर की तरफ निकली हुई थी, जैसे उसका काफी इस्तेमाल हुआ हो, और उसके टी शर्ट में कैद गोल चुचे देखकर कोई भी बता सकता था की ये छिनाल तो काफी बार इनकी मालिश करवा चुकी है, पर कुल मिलकर उसका शरीर काफी सेक्सी था. मेरे लंड के तो मजे हो गए, इतना रसीला माल खुद अपने आप मेरे पास आकर अपने आप को मेरे हवाले कर रहा है, मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है…
मैंने उसे आँखों से इशारा करके अन्दर कमरे में आने को कहा. वो इठलाती हुई मेरे पीछे आ गयी और मैंने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया, पर कुण्डी नहीं लगायी , क्योंकि वो टूटी हुई थी,
अभी थोड़ी देर पहले ही उसकी बड़ी बहन इसी जगह आधी नंगी मेरे सामने खड़ी हुई थी और मेरा लंड चूसकर मुझसे मजे ले रही थी और अब उसकी छोटी बहन ..
मैंने उससे कहा “जरा मैं भी तो देखूं की तुम क्या कर सकती हो अपनी बहन को बचाने के लिए ..” और मैं वहीँ कुर्सी पर बैठ गया..
वो खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी, उसने अपनी टी शर्ट को नीचे से पकड़ा और उसे ऊपर उठा कर सर से निकाल कर मेरी तरफ फेंक दिया, उसके अन्दर से उसके शरीर की खुशबू आ रही थी…
शायद किसी सेंट की भी, उसने अन्दर बड़ी ही दिलकश पर्पल कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जिसके चारों तरफ सफ़ेद रंग की लेंस थी, और सामने का हिस्सा , जहाँ पर निप्पल्स आते हैं, वो जालीदार था, जिसके अन्दर से उसके गुलाबी रंग के निप्पल्स खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे, मेरा तो मन कर रहा था की उसकी ब्रा को नोचकर उसके निप्पल्स के अन्दर से सारा जूस निकाल कर पी जाऊं , पर मेरा लंड अभी अभी झडा था, जिसकी वजह से मैंने उसे अपने आप ही स्ट्रिप शो करने दिया, ताकि मुझे भी थोडा समय मिल जाए, पर मेरा लंड तो खड़ा हो ही चूका था.
उसने अपनी बाँहें पीछे करके अपनी ब्रा को खोल दिया, और उसे नीचे गिरा दिया, और अपने हाथों की उँगलियाँ अपने निप्पल्स के ऊपर रखकर उन्हें छुपा लिया, पर यार, क्या बड़े चुचे थे उसके, थोडा लटके हुए थे, पर उन्हें देखकर मुझे अपनी आरती चाची के वो बड़े बड़े और मोटे चुचे याद आ गए, जिनका मैं बचपन से दीवाना था, और जिन्हें मैंने हिल स्टेशन पर काफी चूसा था.. वो निप्पल्स को छुपा कर अपनी अदाएं दिखा रही थी, किसी पोर्न स्टार की तरह..मैंने अपना लंड निकाल कर मसलना शुरू कर दिया.
उसने जैसे ही मेरा लंड देखा, उसकी आँखें फटी रह गयी, शायद उसने इतना लम्बा और मोटा लंड आज तक नहीं देखा था.. उसके दोनों हाथ अपने आप नीचे हो गए और एक हाथ से वो अपनी चूत को मसलने लगी, जींस के ऊपर से ही..
अब उसके दोनों स्तन मेरे सामने पुरे नंगे थे, क्या माल थी यार, गुलाबी रंग के निप्पल्स, बिलकुल ऋतू के जैसे, पर थोड़े ज्यादा मोटे थे इसके…पतली कमर और नाभि वाला हिस्सा कुछ ज्यादा ही मोटा था, उसकी नाभि बाहर की तरफ निकली हुई थी, शायद बचपन से ही ऐसी रही होगी,…पर बड़ी सेक्सी लग रही थी, मैंने इतनी बड़ी नाभि आज तक किसी की नहीं देखी थी. उसने अपनी जींस के बटन खोले और उसे भी नीचे उतार दिया, लम्बी केले के तने जैसी मोटी टाँगे, जिनपर एक भी बाल नहीं था, और नीचे मेचिंग पेंटी पर्पल कलर की, जो आगे से गीली हो चुकी थी…उसने एक ऊँगली अन्दर डालकर अपनी चूत के रस में डुबोयी और उसे बाहर निकाल कर चूसने लगी…
मेरे मुंह में भी पानी आ गया उसकी इस हरकत से..
वो समझ गयी और अगली ऊँगली उसने मेरी तरफ बढ़ा दी…मैं किसी भूखे बच्चे की तरह से टूट पड़ा उसकी ऊँगली पर….उसकी उस ऊँगली के साथ साथ मैं उसके पुरे हाथ को चूसकर , चाटकर, अच्छी तरह से साफ़ करने में लग गया…
“आआआआआआआह्ह्ह्ह बाबु……अह्घ्ह्ह …..क्या मोटा और लम्बा लंड है… आपका….
आपको देखकर ही मैं समझ गयी थी…की आप बड़े चोदु किस्म के हैं….मेरी चूत में जब तक कोई लंड न जाए मुझे मजा नहीं आता, अब तो दीदी ने जब मुझे भी काम पर लगा दिया है तो मेरे मोहल्ले से मैं कोई लंड नहीं ले पाऊँगी…
अब आप ही मेरी चूत को अपने मोटे लंड से चोदो…रोज….अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म और चुसो…इन्हें…..और इन्हें भी….”
ये कहते हुए उसने अपने दोनों चुचे अपने हाथों में पकडे और उन्हें मेरी तरफ बड़ा दिया…मैं अपना मुंह खोलकर उनपर अपने दांतों के निशान छोड़ने लगा..
वो खड़ी हुई मचल रही थी, मैंने हाथ पीछे करके उसकी मोटी गद़रायी गांड को मसलना शुरू किया और एक हाथ अन्दर डालकर उसकी चूत को भी मसल दिया, बड़ी गरम हो चुकी थी वो…मैंने देखा की वहां ज्यादा जगह नहीं थी, की मैं उसे चोद सकता, मैंने उसे कहा की वो थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में आ जाए, यहाँ चुदाई की जगह नहीं है ..वो झुन्झुला कर बोली “पहले नहीं बोल सकते थे क्या….पूरी नंगी करने के बाद ये बात कह रहे हो..अब मैं नहीं जानती, जैसे भी चोदो, पर अभी चोदो….”
वो मेरी बात मानने को तैयार ही नहीं थी, उसकी चूत में आग जो लगी हुई थी..
मैंने देखा की कमरे में सिर्फ कुर्सी पर ही चुदाई हो सकती है, मैंने उससे कहा की वो मेरी तरफ मुंह करके अपने दोनों पाँव मेरी कमर के दोनों तरफ फेलाए और मेरे लंड पर बैठ जाए,
यही एक आसन है , जिसमे चुदाई संभव है…वो समझ गयी और जल्दी से पेंट और कच्छी उतार कर पूरी नंगी हो गयी, जैसा मैंने सोचा था, उसकी चूत भी बिलकुल सफाचट थी…और बह भी रही थी..
मैंने अपनी पेंट और टी शर्ट उतारी और नंगा होकर लंड को हाथ में पकड़कर बैठ गया, उसने टाँगे दोनों तरफ रखा और धीरे से नीचे होने लगी, मैंने लंड को निशाने पर लगाया और जैसे ही उसे अपनी चूत के मुंह पर मेरे लंड का एहसास हुआ, वो बैठ गयी उसके ऊपर, बड़ी टाईट थी, लगता था, उसने इतना बड़ा लंड नहीं लिया था आज तक…
वो चिल्ला पड़ी….”आआआआअह्ह्ह्ह बाबु…..क्या लंड है तेरा….मजा आ गया…आआआआअह्ह्ह सच में …मोटे लंड का मजा ही कुछ और है…. आआआआआआह्ह …”
वो मेरे लंड को अन्दर जड़ तक ले गयी और मेरी गर्दन पर बाहें फंसा कर अपने मोटे तरबूजों से मेरी गर्दन पर शिकंजा कस लिया… इतने मुलायम शिकंजे से तो मेरा छुटने का भी मन नहीं कर रहा था…पर एक बात थी, बड़ी गर्म टाइप की थी ये अन्नू, जिस तरह से वो कूद कूदकर अपनी चूत से मेरे लंड को पीस रही थी, उसके एक्सपेरिएंस का पता चलता था, उसकी फेली हुई गांड की मखमलता मेरी जाँघों पर अपनी छाप छोड़ रही थी,मैंने एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में दाल दी…वो तड़प उठी….. “आआआअह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो बाबु…बड़ा मजा आ रहा है…तेरे दो लंड होते तो एक वहां भी ले लेती………” मैं समझ गया की ये सब मजे ले चुकी है अपनी जवानी के…
उसने अपना चेहरा मेरे सामने किया और मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किये…और साथ ही साथ उसके दोनों होर्न बजाकर उसके हाईवे पर अपना ट्रक चलने लगा…पूरी स्पीड से…
“आः आःह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ़… य……. बाबु……हाआ…….हाँ ऐसे ही बाबु……और जोर से….. चुसो…. इन्हें…. चाटो…. काट लो…… लो पियो मेरा दूध……डाल दो अपना दूध मेरी चूत के अन्दर…..अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह …. अह्ह्ह्हह्ह बाबु…… मैं तो गयी रे….. अह्ह्हह्ह ओफ्फफ्फ्फ़ म्मम्मम्म …….. आआआआह्ह्ह्ह …”
उसने जैसे ही अपना रस छोड़ा मेरे खड़े हुए रोकेट के ऊपर, मैंने भी लंड से उसकी चूत के अन्दर गोले दागने शुरू कर दिए…. और उसके दोनों चुचों के बीच अपना मुंह छिपाकर गहरी साँसे लेने लगा…वो मेरे बालों को सहलाती हुई, आँखें बंद किये, मजे ले रही थी.
“वह भाई…तुम तो बड़े तेज निकले….पहले ही दिन मजे ले लिए….हूँ….”
दोनों ने चोंक कर देखा, बाहर ऋतू खड़ी थी….अयान के साथ..
मेरा तो कुछ नहीं, पर अन्नू का चहरा देखने लायक था.
अनीता अभी भी मेरे लंड पर बैठी उसमे से निकल रही पिचकारियों से अपनी चूत को भिगो रही थी, ऋतू और अयान अन्दर आये और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगे, अनीता समझ रही थी की पहले ही दिन उसने चुदवाकर बड़ी भूल करी है, जिसकी वजह से उसकी नौकरी भी जा सकती है, पर जब उसने सभी को मुस्कुराते हुए देखा तो उसकी जान में जान आई, चुद्दक्कड़ तो वो थी ही अपने इलाके की, इसलिए वो समझ गयी की घबराने की कोई बात नहीं है, ऋतू और अयान को भी अब उसे खुश करना होगा, नहीं तो उसकी नौकरी जा सकती है, उसने साथ खड़े अयान के लंड की तरफ देखा तो वो चोंक गयी, पेंट के ऊपर से उसके लंड की लम्बाई देखकर उसे कुछ समझ नहीं आया, पर इतना जान गयी की उसका पाईप उसकी चूत को बड़े मजे देने वाला है. अयान की नजर सीधा अन्नू के मोटे, लटकते हुए मुम्मो पर थी, उसने हाथ आगे करके उन्हें होले से दबा दिया.
मेरा लंड अन्नू की चूत में था, जैसे ही अयान ने उसके मुम्मो को दबाया, उसकी चूत की ग्रिप मेरे लंड के चारों तरफ थोड़ी और टाईट हो गयी, और उसके निप्पल्स जो अन्दर घुस चुके थे, वो बाहर आकर फिर से चमकने लगे, मानों कह रहे हो, अब कोन है भाई…!!
इसी बीच ऋतू ने कोने में पड़ी एक दरी को उठाया और उसे नीचे बिछाने लगी, जगह काफी छोटी थी वहां, इसलिए उस कुर्सी को उठाकर बाहर निकलना पड़ा, अब उसने अन्नू को नीचे जमीन पर लेटने को कहा , अन्नू जैसे ही मेरे लंड से उठी, ऋतू ने उसकी चूत के ऊपर अपना पंजा लगाकर उसके अन्दर से मेरे रस को बाहर निकलने से बचाया, और उसे आराम से दरी पर लिटाकर सीधा उसकी चूत के ऊपर मुंह लगा दिया और वहां से निकलता हुआ आमरस पीने लगी, मेरा लंड अभी -२ झडा था इसलिए मैं खड़ा होकर उनका खेल देखने लगा,
वैसे तो अन्नू भी अभी-२ झड़ी थी, पर वो फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गयी थी, सही में काफी चुद्दक्कड़ किस्म की लोंडिया थी वो. अयान ने जल्दी से कपडे उतारे और नंगा होकर अपना लंड अन्नू के सामने लटका दिया, एक बार तो वो सहम सी गयी उसकी लम्बाई देखकर, शायद सोच रही होगी की कैसे -२ लंड है इनके घर में, पर कोई बात नहीं , मजा तो आने ही वाला था उसे..
ऋतू ने लम्बी फ्रोक्क पहन रखी थी, जैसे ही वो नीचे झुकी, उसकी मोटी गांड ऊपर उठ गयी और मैंने उसकी फ्रोक्क को उठाकर उसके सर से उतार दिया, नीचे उस हरामजादी ने कुछ भी नहीं पहना हुआ था, मादरजात नंगी होकर अब वो बड़े मजे से अन्नू की चूत से मेरे रस को चूस चूसकर बाहर निकाल रही थी.
अन्नू ने शायद कल्पना भी नहीं की थी की ऋतू का सगा भाई उसके कपडे उतारकर उसे नंगा कर देगा, पर जब उसने देखा तो वो समझ गयी की इस फॅमिली में शायद सभी लोग ऐसे ही हैं, सो उसने भी मजे लेने के लिए, इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए, सामने खड़े अयान को अपनी तरफ बुलाया और उसके लंड को चूसने लगी.
अयान उसके मोटे और फुले हुए मुम्मो पर अपनी गांड टीकाकार बैठ गया, और उसके मुंह में अपना लंड डालकर चुस्वाने लगा. मेरे लंड में भी धीरे-२ करंट वापिस आने लगा था.
ऋतू के सर को अपनी चूत पर दबाकर अन्नू जोर-२ से चिल्लाने लगी.. “अह्ह्हह्ह बेबी जी…..हां यहीं…..चाटो…बड़ी खुजली होती है यहाँ….अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़…..मरर गयी रे….क्या मस्त लोग हो आप सभी…” और ये कहकर वो फिर से अयान के लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी..
ऋतू की चूत में से जैसे शहद टपक रहा था, उसकी चूत में से लटकती एक मोटी सी, गाड़े रस की बूँद, उसकी चूत के सिरे पर लगी हुई थी, मानों कह रही हो, चाटना है तो चाटो, वर्ना में तो चली, मैं कैसे उसे अनदेखा कर सकता था, मैंने झट से आगे बढकर ऋतू की चूत पर अपनी जीभ फेराई और उसे अपनी जीभ पर समेट कर पी गया..बड़ा ही मीठा रस है ऋतू की चूत का..
मेरा लंड भी अब पुरे शबाब पर आ चूका था, अब फिर से सबने अपनी जगह की अदला बदली की और अब नीचे अयान लेट गया अपनी पीठ के बल, ऋतू की गांड उसके मुंह पर आ टिकी और अन्नू ने अपनी चूत को अयान के लम्बे लंड के ऊपर रखा और फिसलती चली गयी वो उसके पोल के ऊपर… “अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उई मा…मा…कितना लम्बा लंड है….ओफ्फ्फ्फ़ …..अह्ह्हह्ह ….'”
अंत में अयान का लंड जब अन्नू के गर्भाशय से टकराया तब उसे पता चला की लम्बे लंड से चुदवाने में कितने मजे हैं, मैंने भी अब अन्नू को मोटी गांड को सहलाया और उसके पीछे वाले छेद को थूक लगाकर उसके रिंग में अपने लंड का सुपाडा फंसाया और एक तेज धक्का मारा…
“अय्यीईईइ बाबु….थोडा धीरे….इतना मोटा लंड तो आज तक मेरी चूत में भी नहीं गया था, और तुम गांड में इतनी बेरहमी से घुसा रहे हो….” वो शायद और भी कुछ बोलती पर ऋतू ने उसका मुंह अपनी चूत पर दबाकर उसकी बोलती बंद कर दी….
अब ऋतू की गांड को नीचे लेटा हुआ अयान चाव से चाट रहा था और ऊपर से अन्नू उसकी चूत का पानी पी रही थी..और अन्नू की गांड में मेरा और चूत में अयान का लंड था, जिसे हम दोनों भाई लम्बे लम्बे झटके दे देकर चोद रहे थे…
मजे तो ऋतू के थे, जिसकी चूत एंड गांड पर मखमली जीभ से सिंकाई हो रही थी, पर आफत अन्नू के लिए थी, उसने इतना लम्बा लंड अपनी चूत में और इतना मोटा लंड अपनी गांड में, आज तक नहीं लिया था…
पुरे स्टोर रूम में अन्नू की चीखें गूँज रही थी…
“अह्ह्ह्हह्ह बाबु…..थोडा धीरे…..अह्ह्हह्ह ….नहीं……अह्ह्हह्ह….इतनी तेज नहीं रे…..अह्ह्ह्हह्ह …मार डाला….रे….उई…..ओ माँ….ओह्ह्ह्ह…..उफ्फ्फ…..हाँ…..अह…..क्या कर रहे हो…..”
मैं उसकी गांड के फेले हुए हिस्से को अपने हाथ से मसल रहा था और बडबडा रहा था..
“ले साली…रंडी…तुने अभी अपने मोहल्ले के लंड ही खाए हैं….कुतिया …..चुद मेरे मोटे लंड से….भेन की लोड़ी…. बड़ी आई थी अपनी बहन को बचाने… साली.. उससे भी पूछ लेती…वो भी तो चुदना चाहती है….तू चुदे और वो देखे…साली हरामखोर… सारे लंड तू ही खाएगी क्या….वो कुंवारी रहेगी पूरी उम्र….बोल…..”!!
वो बोली “बाबु…. चोद देना उसे भी…मुझे क्या मालुम था …इतने मजेदार लंड हैं यहाँ….मोटे लंड से चुदेगी तो पूरी उम्र मजे लेगी….अह्ह्हह्ह …..चोद देना उसे भी…. पर अभी तो आप मुझे मजे दो…बड़ा मजा आ रहा है….इतने तो आज तक नहीं आये… अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़….अह्ह्हह्ह ……म्मम्मम …..” और फिर वो बकरी की तरह, ऋतू की चूत से पानी पीने लगी.
ऋतू की गांड और चूत पर भी एक साथ हमला हो रहा था, इसलिए सबसे पहले उसने झड़ना शुरू किया,
“अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ….ओफ्फ्फ्फ़ भाई….. अह्ह्हह्ह मैं तो गयी……अह्ह्हह्ह….अनीता ….बड़ा मस्त चुसती है रे तू तो….अब्बब्बब्ब ……अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म ” और जैसे ही उसकी चूत से रस का झरना फूटा, अन्नू ने जीभ बाहर निकालकर , लप लपा कर उसे पीना शुरू कर दिया, पर फिर भी उसके मुंह से बचकर कुछ पानी नीचे की और सरक गया और नीचे लेटे अयान के मुंह में जाकर टकराया..उसने अपनी जीभ उस रस में भिगोकर, ऋतू की गांड के छेद में वापिस डाल दी…बस येही बहुत था.उसे और भी ज्यादा तड़पाने के लिए…
उसने अपनी गांड को अयान के मुंह पर घिसना शुरू कर दिया, एक बार तो लगा की ऋतू कहीं अपनी मोटे चूतड़ों में फंसा कर उसका दम ही न घोट दे..
अयान ने भी अपने मुंह के साथ साथ अपने लंड की स्पीड बड़ा दी और जल्द ही उसके लंड ने अन्नू की चूत में बीज देने शुरू कर दिए…
“अह्ह्ह्हह्ह…..बड़ा गर्म है रे तेरा पानी बाबु…..अह्ह्ह्हह्ह मजा आ गया…चूत तृप्त हो गयी रे……”
उसकी चूत के साथ -२ मैंने उसकी गांड को भी तृप्त करने के लिए, पीछे से सिंचाई करनी शुरू कर दी…और एक के बाद एक कई पिचकारियाँ वहां चला दी…. आनंद के मारे जब वो झड़ने लगी तो उसके मुंह से सिवाए सिस्कारियों के कुछ और न निकला.. “स्स्स्सस्स्स्स म्मम्मम्मम अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह”
हम सभी चुदाई के बाद खड़े हुए और मुस्कुराते हुए कपडे पहन कर नीचे आ गए,
नीचे आकर मम्मी ने मुझे कोने में ले जाकर सब कुछ उगलवा लिया, अब उनकी चूत में भी खुजली होने लगी थी,
वो भी चाहती थी की ये नयी नौकरानी उनकी चूत चाटे, मैंने उन्हें आश्वासन दिया की उनका ये काम मैं जल्दी ही करवा दूंगा. सोनिया ने अपनी बहन से पुछा की इतनी देर से वो कहाँ थी…??
तो मैंने उससे कहा की वो ऊपर स्टोर रूम की सफाई कर रही थी.
सोनिया : “पर साहब…ये काम तो मेरा था…….आप मुझे कह देते….”
मैंने अन्नू की तरफ अर्थपूर्ण दृष्टि से देखकर मुस्कुराते हुए कहा “हाँ…मुझे पता है…कल तुम कर देना वहां की सफाई…”
वो कुछ समझी नहीं पर अन्नू मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी…वो समझ चुकी थी की कल होली वाले दिन उसकी बहन की चुदाई तो अब होकर ही रहेगी..
शाम को खाना बनाकर, सफाई करके वो दोनों बहने वापिस चली गयी, और उस रात हम सभी जल्दी ही सो गए, क्योंकि अगले दिन होली जो थी,..
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सुबह ढोल की आवाज से मेरी नींद खुल गयी.
बाहर गली में होली का हुडदंग शुरू हो चूका था, मैंने उठा और बाकी सभी को भी उठाया,
मम्मी पहले से ही उठ चुकी थी और सभी के लिए नाश्ते में ब्रेड पकोड़े बनाने में लगी हुई थी, वो जानती थी की नहाना तो सभी को होली के बाद ही है. सभी ने होली के लिए पुराने कपडे पहन लिए और बाहर निकल कर गली के लोगों के साथ एक दुसरे को रंग लगाने लगे.
अन्दर आकर हम सभी ने नाश्ता किया, तभी फ़ोन की घंटी बजी, पापा ने फ़ोन उठाया ,
वो फ़ोन अजय चाचू का था, उन्होंने एक दुसरे को होली के लिए विश किया, फिर आरती चाची ने भी, अजय चाचू के साथ हमारे दादाजी, विशम्भर, भी रहते हैं, उनकी उम्र लगभग 70 साल की है, उनकी पुश्तेनी जमीन है, इंदोर के पास, होशंगाबाद में, जहाँ की खेतीबारी वो अभी तक देखते हैं, उन्होंने भी बारी-२ से सभी को विश किया.
मम्मी : “डेडी जी…कितना टाइम हो गया है…आप को यहाँ आये हुए…आपको छोटी बहु की तीमारदारी काफी पसंद आ गयी है ….मेरी तो जैसे आपको याद ही नहीं आती..”
दादाजी : “अरे…बहु ऐसी बात नहीं है…वो क्या है न…फसल का टाइम है…होली के बाद कटाई भी करवानी है, उसके बाद मैं पक्का आऊंगा..अजय तो मुझे भी अपने साथ केम्प पर चलने को कह रहा था, पर फसल की वजह से जा नहीं पाया, मैं वादा करता हूँ की जल्दी ही आऊंगा दिल्ली….खुश… !!
और आशु और ऋतू कैसे हैं…उन्हें मेरा प्यार देना…खुश रहो सब…होली मुबारक हो सभी को…” और थोड़ी देर और बात करने के बाद उन्होंने फ़ोन रख दिया..
मम्मी ने दादाजी के आने के बारे में सभी को बताया, ऋतू ये बात सुनकर काफी खुश हुई, वो उनकी लाडली जो थी.
तभी बेल बजी और मैं दरवाजा खोलने गया..सामने अनीता और सोनिया खड़ी थी, पूरी तरह से रंग में नहाई हुई..
मैंने रंगों में भीगी हुई दोनों बहनों को ऊपर से नीचे की तरफ देखा, लगता था की वो अपने मोहल्ले में काफी होली खेलकर और रास्ते भर रंगों में नहाते हुए आई थी. सोनिया ने सफ़ेद रंग का सूट पहना हुआ था और अन्नू ने जींस और टी शर्ट,
रंगे होने की वजह से उसकी टी शर्ट का रंग सही तरह से पता नहीं चल पा रहा था..पर दोनों बड़ी मस्त लग रही थी उस समय. अन्नू ने मुझे देखकर आँख मार दी और सोनी शरमाते हुए बोली “होली मुबारक हो बाबु…” और दोनों अन्दर आ गयी, मैंने पीछे से अन्नू के गोल चूतडों पर हाथ मारकर उसकी गर्मी महसूस करने की कोशिश की.
अन्दर आकर उन्होंने सभी को होली विश किया और मम्मी ने उन दोनों को भी ब्रेड पकोड़े और गुजिया खाने को दी, उसके बाद अन्नू किचन समेटने में और सोनी घर की सफाई में लग गयी.
मैंने सोनी को धीरे से कहा “अरे…तुम सफाई क्यों कर रही हो…अभी तो होली शुरू हुई है…अभी काफी गन्दगी फेलेगी, तुम्हारी सारी मेहनत खराब हो जायेगी…बाद में करना ये सब…”
उसने मेरी बात मानकर झाड़ू रख दिया, मैंने ऋतू, सुरभि और अयान को अपनी तरफ बुलाया और इशारे से सोनी को रंग लगाने को कहा, वो मेरी बात समझ गए और अगले ही पल ऋतू और सुरभि, जो सुबह से ही बड़े अच्छे मूड में थी, ने दोनों तरफ से बेचारी सोनी को घेर लिया और उसके ऊपर रंग लगाने लगे..
वो बचने के लिए इधर उधर भागने लगी..और अंत में मेरे पीछे छुपकर खड़ी हो गयी और पीछे से मेरा कुरता पकड़कर बोली “मुझे बचा लो बाबु…मैं पहले से ही काफी भीग चुकी हूँ….मेरी तबीयत खराब हो जायेगी आज…बचा लो न…”
मैंने रोबीली आवाज में सभी को रोकते हुए कहा “रुक जाओ….क्या कर रहे हो…किसी से जबरदस्ती नहीं करते…”
और फिर उसकी तरफ मुंह करके कहा “पर होली में तो ये सब चलता है न….” और ये कहते ही मैंने अपने हाथों में छुपा हुआ पानी के रंग का डब्बा उसके सर के ऊपर डाल दिया,
गहरे हरे रंग से वो सराबोर होकर पूरी तरह से भीग गयी, उसके सूट के अन्दर से उसकी ब्रा की शेप दिखने लगी जिसे देखकर मेरे लंड ने अंगडाई लेनी शुरू कर दी..उसका चेहरा देखने लायक था, वो बोली “आप बहुत बुरे हैं….” और ये कहकर वो बाथरूम की तरफ चल दी..मेरे साथ-२ घर के सभी लोग हंसने लगे.
हम सभी लोग घर के पीछे वाली जगह में आ गए, ताकि घर ज्यादा गन्दा न हो, पापा भी अब नाश्ता कर चुके थे, वो भांग बनाकर लाये थे, जो उन्होंने सभी को दी, फिर उन्होंने सभी को गुलाल लगाया और खासकर अपनी साली को, जिसे वो ऐसे मसल रहे थे जैसे पहली बार छु रहे हो उसके जिस्म को.
वैसे ये होली भी कितना मजेदार त्यौहार है, कई लोगो को जिन्हें पुरे साल आप सिर्फ हाथ मिलाकर या हाथ जोड़कर मिलते हैं, उन्हें छूने का पहली बार जब मौका मिलता है तो कितना सुखद एहसास होता है मन में, और होली के रंगीन मौसम में उसके लिए अपने आप ही गंदे ख्याल आने शुरू हो जाते हैं.
पर यहाँ कोई भी ऐसा नहीं था जो एक दुसरे के स्पर्श से अनछुआ हो, सभी ने अच्छी तरह से एक दुसरे के जिस्म छु कर, चाट कर, चोद कर देख रखे थे.. खेर, हरीश अंकल भी अब पूरी मस्ती के मूड में आ गए , भांग का असर होने लगा था सभी पर, और उन्होंने अपनी बड़ी साली को किचन से ही घसीट कर बाहर की और लाये और उन्हें रंग लगाना शुरू कर दिया, मम्मी भी अपने हाथों में गीला रंग लगाकर अपने जीजा को रंगने में लगी हुई थी, तभी मम्मी ने रंग भरे हाथ हरीश अंकल के पायजामे में डाल दिए और उनके तने हुए लंड को पकड़कर उसे रंग दिया..
अंकल भी कहाँ पीछे रहने वाले थे, उन्होंने अपने हाथ में लाल रंग डाला और उसे पानी में भिगो कर उसे मम्मी के ब्लाउस में डाल दिया और उनके मोटे -२ मुम्मो को पकड़कर मसलने लगे, अयान भी ऋतू के चेहरे पर रंग लगाते-२ उसके पेट पर रंग लगाने लगा और फिर थोडा हाथ ऊपर करके उसके चुचों पर भी, उस कमीनी ऋतू ने आज ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी, जिसकी वजह से उसे कुछ ज्यादा परेशानी नहीं हुई,
सुरभि मेरे ऊपर टूट पड़ी और मैंने भी उसके एक एक अंग पर अपने हाथों के निशान छोड़ने शुरू कर दिए, ब्रा तो उसने भी नहीं पहनी थी, वैसे भी उसकी सपाट छाती पर ब्रा का क्या काम था, पर कुल मिलकर बड़ा ही रंगीन माहोल हो चूका था.
अन्नू किचन का काम ख़त्म करने के बाद बाहर आई और सभी को मस्ती में रंग लगाते देखकर एक तरफ खड़ी होकर सभी को देखने लगी, मेरी नजर जैसे ही उसपर पड़ी, मैंने भागकर उसे पकड़ा, वो मुझसे छुटकर भागने लगी, मेरे हाथ में उसकी टी शर्ट का पीछे वाला हिस्सा आ गया, पर उसके भागने से वो फट गया और उसकी पूरी कमर वाला हिस्सा नंगा हो गया,
सभी ये देखकर हंसने लगे, भांग के कई गिलास पी चुके पापा ने जब देखा की उनकी नयी नौकरानी अर्ध नग्न सी खड़ी हुई है तो उनके शरीर में एक अजीब सी हलचल होने लगी,
मैं उनकी नजरों को भांप गया, मैंने अन्नू के शरीर से वो बची हुई टी शर्ट भी उतार फेंकी, अब वो सिर्फ ब्रा में ही खड़ी थी सभी के बीच, और उसके बाद सभी ने उसके शरीर पर अपने हाथ साफ़ किये, खासकर पापा और हरीश अंकल ने, वो तो उसके नन्हे शरीर को ऐसे दबा रहे थे जैसे वो उनकी अपनी बेटी हो, पर इन सबमे अन्नू को बड़ा ही मजा आ रहा था, वो बचने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी, बल्कि बड़ चड़कर एक दुसरे से रंग लगवा भी रही थी और लगा भी रही थी.
मम्मी ने कहा “अरे छोड़ दो बेचारी को…नंगा ही कर दोगे क्या…”
“हाँ कर देंगे…” और ये कहते हुए पापा ने उसकी ब्रा को खींचा और फाड़कर उसे भी अन्नू के शरीर से अलग कर दिया. अन्नू ने अपने हाथों से अपने चुचों को ढकने की कोशिश करी पर पापा ने आगे बढ़कर उसके हाथ हटाये और उनपर फिर से रंग लगाने के बहाने उनका मर्दन करने लगे. उसकी आँखें आनंद के मारे बंद सी होने लगी, उसकी चूत में भी अब खुजली होने लगी थी, मैं जानता था की वो रंडी चुदने के लिए तैयार है, और ये भी की पापा और हरीश अंकल के सामने एक नया माल आ चूका है इसलिए उनके लंड भी इस नयी नौकरानी की चूत में होली खेलने को तैयार थे.
मम्मी और दीपा आंटी भी समझ गयी की उन्हें समझाना बेकार है, इसलिए वो भी मस्ती में आकर मजे लेने लगी.
अयान ने अपनी मम्मी का सूट ऊपर से उतार दिया, अन्दर उन्होंने भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी, मेरी समझ में ये नहीं आ रहा था की आज होली पर किसी ने ब्रा क्यों नहीं पहनी,!!
शायद गन्दी ना हो जाए इसलिए, मैंने मम्मी के ब्लाउस को आगे से पकड़ा और उसके हूक खुलकर उसे उतार दिया, एक और नंगे चुचों का जोड़ा बिना ब्रा के उजागर हो गया .
मैंने अपना कुरता उतारा और ऊपर से मैं भी नंगा हो गया, अब सभी लोग ऊपर से आधे नंगे होकर एक दुसरे को रंग लगा रहे थे.
मैंने पीछे से पाईप को पकड़ा और टंकी चला कर सभी को भिगोने लगा, सभी हँसते हुए , चिल्लाते हुए , ठन्डे पानी से बचने के लिए भागने लगे. बड़ा ही खुशनुमा सा माहोल बन चूका था.
तभी सोनी बाथरूम से अपने रंग को साफ़ करके बाहर आई और बाहर सभी की हालत देखकर उसके होश उड़ गए, सभी लगभग नंगे होकर एक दुसरे के साथ होली खेल रहे थे, और उन नंगो में उसकी छोटी बहन अनीता भी थी, जो बड़े मजे से मेरे पापा के साथ चिपकी हुई उनसे अपने स्तनों का मर्दन करवा रही थी.
वो डर कर वापिस अन्दर की और भागने लगी तो मैंने उसे पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया, वो बोली “मुझे छोड़ दो बाबु….मैं इस तरह होली नहीं खेलना चाहती…मुझे बड़ी शर्म आ रही है…”
