अध्याय 66
वही सन्नाटा पसरा हुआ था जो की हमेशा से ही मुझे बोदली महल में महसूस होता था,जो पहले इतना सुहाना सा लगता था वो आज बहुत ही मनहूस और डरावना लग रहा था,
दिन ढलने को हो रहा था और शाम के 5 बज चुके थे,मैं वँहा से करीब 2 किलोमीटर की दूरी में अपने परिचित जगह में अपनी गाड़ी पार्क करके पैदल ही महल की तरफ निकल पड़ा था,मैं बहुत ही सतर्क था…मुझे पता था की काजल जरूर उस पगडंडी से वँहा पहुची होगी जो की कभी यंहा आने का एक मात्रा मार्ग था,मेरे लिए कोई कठिनाई नही थी लेकिन काजल के लिए जरूर ये कठिनाई पैदा करने वाला रहा होगा..
कुछ ही दूर तक गाड़ी वँहा आ सकती थी काजल ने वही अपनी गाड़ी खड़ी कर इधर का रुख किया होगा,
मैं दीवारों के सहारे से बहुत ही आहिस्ता से अंदर गया,मुझे बाहर ही काजल खड़ी हुई दिखी,मैं चुप चाप ही उसे देख रहा था,उसके चहरे में भी बेचैनी और डर साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे,वो बार बार अपनी घड़ी की ओर देखती थी ,तभी किसी मोटरसाइकिल की आवाज आनी शुरू हुई ,वो जैसे जैसे पास आ रही थी वैसे वैसे ही हमारे दिल की धड़कने बढ़ रही थी ……..
कुछ ही देर में मुझे एक बुलेट में एक लंबा चौड़ा सा आदमी आता हुआ दिखा,उसके साथ ही पीछे की सीट में एक लड़की बैठी हुई थी ,दोनो को देखकर काजल के चहरे में थोड़ी शांति दिखाई दी …
लेकिन उस लड़के और लड़की को देखकर मेरा मुह सूखने लगा था ..
मैं दोनो को ही पहचानता था ,लड़की थी मेरी प्यारी बहन निशा और लड़का ..
लड़का था काजल के भाई वरुण का दोस्त सुशांत …
सुशांत के मैं अपनी शादी के दिन ही कोर्ट में मिला था(अपडेट 1) उसके बाद मैंने उसे कभी नही देखा था ,लेकिन मैं उसे पहचान गया …
दोनो के आते ही सुशांत आकर काजल के गले से लगा काजल ने भी हल्के से उसके पीठ को थपथपाया,लेकिन निशा और काजल के बीच कोई भी इंटरेक्शन अभी तक नही हुआ था …निशा काजल को देखे बिना ही खण्डर के अंदर चली गई ..
“तुमने मुझे यंहा क्यो बुलाया ,इतने दूर हम बात तो वँहा भी कर सकते थे ना “
काजल ने सुशांत की ओर थोड़े गुस्से में देखा
“अरे दीदी,वो पता नही क्यो आपसे पहले से ही नाराज है और जब मैंने निशा से कहा की दीदी तुमसे बात करना चाहती है तो पहले तो वो भड़क गई फिर उसने कहा की ये लेटर उसे दे देना वो समझ जाएगी की कहा और कितने समय आना है ,मुझे भी कहा पता था की वो इतने दूर बुलाएगी …”
काजल ने एक गहरी सांस छोड़ी
“आप दोनो तो एक ही घर में रहते हो फिर भी बात नही कर पाते “
सुशांत ने स्वाभाविक सा सवाल किया
“नही पता ये अब क्यो मुझसे गुस्सा हुई बैठी है ,मेरी तो बात ही नही सुनती इसलिए तुझे कहने को कहा “
“अच्छा चलो ठिक है अब अंदर चलते है “
दोनो अंदर चले गए मैं भी पीछे के रास्ते से अंदर पहुचा,जैसा की मैंने पहले भी कहा था की यंहा मैं सालो से आता रहा हु इसलिए मैं इस जगह के चप्पे चप्पे से परिचित था …
मैं एक कोने में छुपकर सभी को देख पा रहा था ,निशा बड़े ही तल्लीनता से सभी नक्काशियों को देख रही थी जो की वक्त की धुंध से बोझिल हो गए थे ..
वो एक दीवार को फूक मारकर साफ करती है और वँहा पर पत्थर से उकेरा गया एक दिल का निशान साफ हो जाता है ,जिसमे निशा और देव लिखा था …
मैंने उसे पहले भी देखा था लेकिन उस समय मुझे नही पता था की मेरे बहन के दिल में मेरे लिए ऐसा प्यार पल रहा है..
निशा पलटी तो सामने काजल और सुशांत थे …
“तुम बाहर जाओ मुझे इनसे अकेले में बात करनी है “
सुशांत बिना कुछ कहे ही बाहर चला गया ..
“जानती को काजल मैंने तुम्हे यंहा क्यो बुलाया है “
निशा के मुह से काजल सुनकर मुझे अजीब लगा क्योकि मुझे इसकी आदत नही थी मैंने अभी तक निशा के मुह से काजल के लिए बस भाभी ही सुना था ..
“बताओ “काजल ने एक सपाट जवाब दिया
“क्योकि यंहा से मेरी बहुत ही यादे जुड़ी हुई है जो मैं आज तुमसे शेयर करना चाहती हु,माना की तुम मुझसे बात करना चाहती थी लेकिन पहले मेरी बात सुन लो तो बेहतर होगा “
निशा शांत थी और साथ ही काजल भी
“ह्म्म्म “काजल बस इतना ही बोल पाई
“इतना तो तुम्हे पता ही होगा की मैं और भइया यंहा अक्सर आया करते थे ,यही मेरे दिल में भाई के लिए ऐसा प्यार पनपा जो भाई बहन के प्यार से अलग ही कुछ था “
“हम्म्म्म”
“मुझे ये जगह बहुत ही पसंद थी ,क्योकि भइया को ये जगह बहुत पसंद थी ,और इसलिए भी क्योकि यही तो जगह थी जंहा मैं उनके साथ बिल्कुल ही अकेले होती थी,हमारे बीच कोई भी नही आता था,काश मैं उस समय ही भाई से अपने प्यार का इजहार कर लेती तो शायद हमे ये दिन नही देखना पड़ता…शायद मैं कभी बहकी ही ना होती ,शायद मैं उस रास्ते जाती ही नही जिसने भाई के नजरो में मुझे गिरा दिया …”
निशा ने एक गहरी सांस ली
“वो आज भी तुमसे बहुत प्यार करते है निशा “
निशा के चहरे में एक फीकी सी मुस्कान आ गई
“हा मेरी हर गलतियों के बावजूद वो मुझसे बहुत प्यार करते है ,जैसे तुमसे करते है ,जबकि वो जानते है की हम दोनो ही रंडिया है …”
निशा के मुख से निकली बात ने काजल को चुप करा दिया था…….वो कुछ भी नही बोल पाई
“जब भइया कालेज की पढ़ाई के लिए शहर गए तब मैं बिल्कुल ही अकेली हो गई थी काजल,और यंहा मैं घंटो बैठी रहती थी ,उस समय पूर्वी बिल्कुल ही बच्ची थी की मैं उससे अपने दिल की बात शेयर कर सकू ,उसी समय मेरे स्कूल के कुछ लड़के जो की स्कूल से भाग कर यंहा आकर सिगरेट दारू या गंजा पिया करते थे ,उनसे मेरी दोस्ती हो गई ,वो यंहा आया करते थे लेकिन मैंने कभी किसी से नही कहा की वो यंहा आकर क्या करते है ,वो लोग मेरे अकेलेपन के साथी बने ,लेकिन मुझे इसकी एक बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ गई …अपने जिस्म की ..
जवानी के जोश में मैं उन लड़को के साथ इन्वाल्व हो गई लेकिन मुझे नही पता था की ये मेरी आदत बन जाएगी ,मैं नई नई जवान हुई थी और इस शराब गंजे के नशे में गिरफ्त होने लगी थी ,लड़के भी बेचारे आखिर कब तक एक जवान लड़की के साथ रह कर भी चुप रह पाते ,लेकिन फिर भी कोई भी मुझे हाथ लगाने से पहले सोचता जरूर था ,वक्त ने उनकी झिझक खत्म कर दी और मैंने भी अपनी जवानी के मजे उठाने की सोची ..
फिर भी मैं एक रांड नही बनी थी ,जबतक की मैं अजीम से नही मिली जो की उन लड़को में से एक को जानता था ,लड़के उसे अजीम भाईजान कहा करते थे ,वो एक डॉन की तरह था और सभी उससे डरते थे ,उसे भी नई जवानी चखने का शौक था और जब उसने मेरे दोस्तो के साथ मुझे देखा तो बस देखता ही रह गया,मुझे अब नया नशा लगा पॉवर का और मैं अजीम की गर्लफ्रैंड बन गई ,मुझमें इतनी समझ नही थी की मैं क्या कर रही हु ,असल में मुझे मजा आता था जब सभी लड़के जो की मेरे साथ बैठा करते थे अब मुझसे डरकर बात करते थे ,जब तक मैं नही कहती कोई मुझे छूने की हिम्मत भी नही करता था ,मेरे दिन अच्छे चल रहे थे जबतक की मेरी जिंदगी में तुम नही आयी …”
काजल उसके बातो को सुन रही थी ,जैसे उसे सब कुछ पहले से ही पता हो
“याद है तुम उस समय नई नई कालेज खत्म करके भइया के साथ MBA आयी थी और पूरे कालेज तुम अजीम के पास आने की कोशिस करती रही थी लेकिन डरते हुए ,मैं तुम्हे देखा करती थी की तुम उसके आसपास ही उसपर नजर रखे हुए हो लेकिन उससे मिलकर बात नही कर पाती हो “
“हा मुझे याद है मैंने तुम्हारे दोस्तो के गैंग में सुशांत को भी शामिल करवा दिया था ताकि वो अजीम के आसपास ही रहे ,लेकिन तुम्हे पता चल गया था की कुछ गड़बड़ है “
“हा मुझे पता चल गया था और साथ ही लेकिन 3 सालो तक तुम बस वैट ही करती रही किसी सही मौके का,तुम्हे तो ये भी नही पता था काजल की तुम्हे करना क्या है …लेकिन जब तुम्हे पता चला की मैं देव की बहन हु वो देव जो तुम्हारे साथ पढ़ता है तब तुमने मेरे पास जाने के लिए मेरे भाई से ही दोस्ती कर ली …वाह “
काजल की नजर नीची हो गई थी मानो वो इस बात से ग्लानि महसूस कर रही हो
“जब मुझे लगा की भइया भी तुम्हारे साथ खुस है और वो तुम्हे पसंद करने लगे है तो मुझे बहुत धक्का लगा ,लेकिन फिर मेरे दिल में भी आया की क्यो ना तुमसे एक डील की जाय ,और मैंने तुमसे बात की ,तुमने क्या कहा था काजल की देव से मुझे प्यार नही है ..ऐसा ही कुछ क्या था वो ..”
निशा के चहरे में एक जहरीली सी मुस्कान खिल गई थी ,और काजल जैसे जल रही हो ,पसीने से भीगी हुई सर नीचे किये बस खड़ी रही थी
“मेरे दिमाग में उस समय बस खान से बदला लेने की बात ही थी निशा ,और जब तुमने कहा की तुम्हे तुम्हारे भइया चाहिए बदले में तुम मेरी मदद करोगी अजीम के गढ़ में घुसने में और मेरा बदला पूरा करने में तो इससे अच्छी डील मेरे लिए कुछ नही हो सकती ही ,उस समय मैं देव से प्यार नही करती थी लेकिन …”
“लेकिन क्या ……”
निशा चिल्ला उठी
“मैंने तो सोचा था की ये करने से अजीम को एक नया खिलौना मिल जाएगा और वो मुझे भूल जाएगा,अजीम से पीछा भी छूट जाएगा और मेरे भइया भी मुझे मिल जाएंगे लेकिन तुमने क्या किया ….भइया तुम्हारे प्यार में गिरफ्तार होने लगे और तुमसे शादी भी करने की सोच ली और तुमने मुझे धोखा दे दिया ..”
“नही निशा मैं सच में देव से प्यार करने लगी थी ,मैं उससे अलग नही रह सकती थी ,”
“अजीम की रंडी बनने के बाद भी भाई से तुम कैसे प्यार कर सकती थी काजल “
निशा की आवाज में बौखलाहट थी
“जैसे तुमने किया है ,तूम भी तो कई मर्दों के साथ सोई हो निशा लेकिन सच बताओ की क्या तुमने देव के अलावा किसी और से प्यार किया है “
दोनो ही चुप थे जैसे कुछ सोच रहे हो…
“तुम्हे अजीम की जिंदगी में मेरी जगह ले ली और साथ ही भइया से भी शादी कर लिया ,तुमने अजीम के जीवन से रश्मि को भी निकाल फेका जो की मैं भी नही कर पाई ,मैं मानती हु की तुम मुझसे कही ज्यादा खूबसूरत हो लेकिन तुम्हे ये सब मैंने ही तो सिखाया था ,मैंने ही तो बतलाया था की तुम्हे क्या करना चाहिए कैसे करना चाहिए …”
काजल चुप थी
“तुम्हे तो सब मिल गया काजल लेकिन मुझे क्या मिला ??”
निशा रो पड़ी थी
“नही निशा मेरी बात सुनो “काजल उसके पास जाने को हुई लेकिन निशा ने तुरंत ही अपने जेब से एक पिस्तौल निकाल ली
“रुक जाओ काजल बहुत हुआ अब और नही अब या तो तुम रहोगी या मैं “
काजल के साथ साथ मेरे भी प्राण मानो उड़ गए थे
“माना मैं थोड़ी बहक गई थी ,माना की मैंने गलतियां की है लेकिन मेरा भाई आज भी मुझे प्यार करता है ,मैंने तो उसके सामने अपनी प्यारी बहन पूर्वी को भी कुछ नही समझा तू क्या चीज है ,तुझे तो पहले ही मार देना था लेकिन ये जगह सबसे सही है ,यही से मेरा प्यार शुरू हुआ था “
निशा के चहरे में आने वाला बदलाव मुझे डरा गया था ,हम दोनो ही जम चुके थे ,उसके चहरे में वो पागलपन फिर से आने लगा था जिसे मैं पहले भी देख चुका था ,,
“अब और नही काजल “
“निशा रुको “
मैं और सुशांत दोनो ही एक साथ काजल को बचने के लिए भागे लेकिन
‘धाय धाय ‘ दो गोलियां निशा की पिस्तौल से चल चुकी थी और सीधे जाकर सुशांत के कंधे में छेद कर गई …
जो की काजल को बचने के लिए कूदा था ,निशा और भी कुछ करती उससे पहले उसने मुझे देख लिया था जो की एक टूटे हुए दीवार से कूदकर वँहा आ गया था ,निशा का मुह बस खुला का खुला रह गया और वो पिस्तौल को वही छोड़ते हुए भागने लगी,
“निशा रुको …निशा रुको तो सही “
वो भागते हुए झड़ियो में ना जाने कहा गुम हो गई मैं उसके पीछे भागता रहा लेकिन मैं उसे ढूंढ ही नही पाया …
मैं जब वापस आया तो सुशांत की हालत बहुत ही खराब लग रही थी मैं जल्दी से उसे उसकी ही गाड़ी में बैठकर काजल की गाड़ी की तरफ भागा,काजल ने मुझसे एक भी शब्द नही कहा ना ही मैंने उसे कुछ कहा …
हम दोनो ही चुप थे शांत थे …..काजल ने सुशांत को गाड़ी में बिठाया और पास के ही हॉस्पिटल की तरफ निकल गई …
