मोड़… जिंदगी के – Update 11 | Thriller Story

मोड़... जिंदगी के - Thriller Story

मोड़… जिंदगी के – Update 11

#11 Who is she??….

सुबह अमर की आंख रमाकांत जी के बिस्तर पर खुलती है, वो चारो तरफ देखता है और उसकी नजर अनामिका पर पड़ती है जो शायद उसके जागने का इंतजार करते करते पास पड़े सोफे पर सो जाती है, अमर को प्यास लगी होती है तो वो पास पड़े जग से ग्लास में पानी डालने की कोशिश करता है और ग्लास इसके हाथ से फिसल जाता है। ग्लास गिरने की आवाज सुन कर अनामिका उठ जाती है और जल्दी से ग्लास उठा कर पानी भर कर अमर की ओर बढ़ा देती है। अमर की नजरें अनामिका से मिलती है जिसमे चिंता और गुस्सा दोनो दिखता है उसे।

अनामिका: आप कहां जाने की कोशिश कर रहे थे?

अमर थोड़ा झिझकते हुए: वो दरअसल मैं आप सब से दूर जाना चाहता था तक मेरे कारण आप लोग की जान मुसीबत में न पड़े। वैसे भी आप लोग को मेरे कारण इतनी तकलीफ हो रही है, बिना जान पहचान के आप लोगो ने इतनी मदद की है मेरी।

अनामिका थोड़ा उलहाना भरे लहेजे से: “अच्छा जी जान पहचान नहीं है?” और बड़ी अदा से अपनी एक भौं उचका दी, और कमरे से बाहर चली गई।

उसका यूं भौं उचकाना अमर के दिल पर एक छाप छोड़ गया…

थोड़ी देर के बाद रमाकांत जी और अनामिका कमरे में आए।

रमाकांत जी: कहां जा रहे थे अमर, वो भी इस हालत में?

इससे पहले अमर कुछ बोलता, अनामिका बीच में शिकायत से बोली: “दादाजी ये हम सब को छोड़ कर जा रहे थे, क्योंकि इनके हिसाब से हम सब को इनसे तकलीफ हो रही है, और ये हमारे लगते भी कौन हैं आखिर??”

“ये हमारे लगते भी कौन हैं” पर ज्यादा जोर दिया था अनामिका ने, जिसे सुन कर रमाकांत जी हल्के से मुस्कुराए।

रमाकांत जी: क्या ये सही बात है अमर?

अमर: जी दादाजी, ऐसा कुछ नही है, पर मैं कब तक आप लोग पर बोझ बना रहूंगा?

रमाकांत जी थोड़ी नाराजगी से: ऐसे क्यों बोलते हो तुम? कोई बोझ नहीं हो तुम हम पर, तुम मेरे लिए अमर के जैसे ही हो। बस नाम ही नही दिया तुमको उसका। और जब तक सही नही हो जाते तब तक कहीं जाने की सोचना भी नही।चलो बाहर नाश्ता कर लो।

अमर: माफी चाहता हूं दादाजी, मैं आप लोग को और परेशान नहीं करना चाहता था, लेकिन मेरे जाने से आप लोग को बुरा लगेगा ये नही जानता था। आगे आ ऐसा कभी नही होगा।

ये सुन कर रमाकांत जी और अनामिका दोनो के चेहरे पर खुशी आ जाती है। एक ओर जहां अनामिका के चेहरे पर थोड़ी शर्म की लाली भी होती है, रमाकांत जी के आंखो में एक निश्चिंतित्ता।

नाश्ते के टेबल पर चारो लोग बैठे थे।

अमर: दादाजी मैं यह कैसे आया?

रमाकांत जी: चंदन ले कर आया तुमको, उसके घर के बाहर तुम।बेहोश हुए थे।

अमर: ओह, अच्छा हुआ की दोस्त के घर के बाहर ही गिरा। वरना कौन मेरा दुश्मन है कुछ पता ही नही।

रमाकांत जी ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए संतावना दी और कहा, “धीरे धीरे सब ठीक होगा अमर, चिंता मत करो। और अब तो खुश हो, तुम्हारा एक परिवार भी है।

तभी पीछे से आवाज आती है, “और मेरे जैसा दोस्त!” 

सभी पीछे मुड़ कर देखते हैं तो डॉक्टर चंदन खड़ा होता है।

रामकांत जी: अरे चंदन बेटा, आओ आओ नाश्ता तो करोगे नही तुम?

चंदन: क्यों अंकल? आपको पता है की जब भी मुझे यहां आना होता है तो मैं एक दिन पहले ही खाना छोड़ देता हूं, ताकि अच्छे से खा सकूं। और खा कर भी आऊंगा तब भी अनु के हाथ का खाना तो छोड़ नही सकता ना?

ये बोलते हुए चंदन आ कर अमर के साथ वाली कुर्सी पर बैठ जाता है, और अनामिका उसे प्लेट में नाश्ता लगा कर देते हुए, “ले भूक्खड़”

चंदन: ओहो आज तो चंडी देवी का मूड बहुत सही है? क्या बात है दादाजी??

रमाकांत जी: मुझे क्या पता चंदन, ये मौसम से है या किसी के आने से?

चंदन: आज तो सब बदल गए लगता है, क्यों पवन?

पवन बस मुस्कुरा देता है।

चंदन: अच्छा ये अमर का जादू है। समझ गया भाई, तू तो जादूगर निकला।

सब हंस पड़ते है ये सुन कर।

थोड़ी देर ऐसे ही हंसी मजाक चलता रहता है, फिर चंदन अपने हॉस्पिटल निकल जाता है, और अमर अनामिका के साथ बाहर गार्डन में आ जाता है, रमाकांत जी और पवन होटल की तरफ चले जाते हैं।

अनामिका गार्डन में पौधों की देख भाल कर रही होती है और अमर उसको देखता रहता है, अनामिका पास आ कर उसको पौधों की तरफ ले जाने लगती है, मगर अमर घबरा जाता है। अनामिका उससे कारण पूछती है तो अमर कल वाली घटना बता देता है, जिसे सुन कर अनामिका जोर से हस्ते हुए कहती है, ” वो बेचारा तो आपके कारण डांट खा गया था।

अमर: मतलब?

अनामिका: आप कल मुझे कितना इग्नोर क्यों कर रहे थे?

अमर: मैं… बस उसी कारण से जिससे मैं कल रात को घर छोड़ कर जाने वाला था।

अनामिका: तो अब क्या फैसला लिया आपने?

अमर: यहां से जाने के कोई वजह ही नही रही अब।

अनामिका थोड़ा शरमाते हुए: और रुकने की….

अमर बिना कुछ बोले अनामिका का हाथ थाम लेता है।

शाम के समय दोनो गार्डन में घूम रहे होते हैं की तभी बाहर रोड से एक गाड़ी निकलती है, जिसमे अमर को एक लड़की दिखती है और वो लड़की……

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