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Toggleमेरी माँ बहने और उनका परिवार – Update 28
अगले कुछ दिनों तक कुछ ख़ास नहीं हुआ। मैंने और विक्की ने मिलकर मौसी के साथ कई बार थ्रीसम किया। सुधा दी ने विक्की को हाथ लगाने नहीं दिया पर माँ ने विक्की को खुद से चिपटने और लिपटने का मौका दे दिया था। वो अब माँ के स्तन भी पकड़ लेता और उनके दूध को चूस भी लेता था। एक बार मैंने माँ से धीरे से कहा – कहो तो विक्की और मैं तुम्हारे दोनों छेड़ भर दे , पर माँ ने मना कर दिया। उनके हिसाब से विक्की को इतनी परमिशन भी सिर्फ इस लिए दी थी क्योंकि मौसी ने मुझे उन्हें चोदने दिया था और अगर वो ऐसा नहीं करती तो मौसी को बुरा लग सकता था। बीच बीच में मैंने और विक्की ने कुछ बिजनेस आईडिया पर भी दिमाग लगा रहे थे।
इसी बीच मामी की बेटी की भी फंक्शन्स हो गए। मुझे अभी तक लीला दी और बड़ी मौसी को चोदने का मौका नहीं मिला था। वो दोनों चुदना चाहती थी पर मैं ही थोड़ा तड़पाना चाह रहा था। मंजू मौसी वापस जाने को कह रही थी। आखिर तय हुआ कि मैं गाडी से उन्हें छोड़ आऊंगा।
एक हफ्ते बाद मैं उन दोनों को लेकर निकल पड़ा। शुरू में तो मैं गाडी चला रहा था पर मेरा मन मौसी की साथ थोड़ा मस्ती करने का था। मैंने एक जगह चाय पीने की लिए रुके तो उसके बाद मैंने विक्की को गाडी चलाने को कहा और खुद जाकर पीछे बैठ गया। पीछे की दोनों खिड़कियों पर पहले से शेड्स लगा रखे थे तो बाहर से कुछ दिखने का कोई सवाल ही नहीं था।
मुझे पीछे आते देख मौसी मुश्कुरा उठी। बोली – लगता है मेरे लाल को मेरी याद आ रही है।
मैं – अरे मौसी , अब तुम जा ही रही हो। पता नहीं फिर कब मौका मिले।
मौसी – अरे अभी घर तो चल ही रहे हो। एक हफ्ते रुक जाना।
मैं – माँ और दीदी अकेले हैं। ज्यादा दिन नहीं रुक पाउँगा। कल नहीं तो परसों वापस आना ही पड़ेगा।
मैंने ऐसा कहके मौसी के गोद में सर रख लिया। मौसी ने पहले तो मेरे बाल सहलाये फिर झुक कर मुझे किस कर लिया। कुछ देर किस करने की बाद मैंने मौसी से कहा – जरा दूध पिलाओ न।
मौसी – एकदम बाप पर गए हो तुम
मैं – क्यों पापा भी ऐसे थे क्या ?
मौसी – मत पूछ , दूध की दीवाने थे। अम्मा ने दूध के रस्म का हवाला देकर काबू में किया था। उसके बाद से तो उन्हें ऐसी लत लगी की पूछो मत।
मैं – जरा पिलाते हुए कहानी सुनाओ न।
मौसी ने अपने साडी का आँचल हटाया और ब्लाउज के बटन खोल दिए। फिर ब्रा को ऊपर किया और मेरे मुँह में अपने निप्पल डाल दिया।
विक्की ने पलट कर कहा – ये तो चीटिंग है।
मौसी ने कहा – तू चुप चाप गाडी चला। तू तो रोज ही पीता है।
विक्की -ठीक है कहानी तो सुनाओ।
मौसी – ठीक है सुनो।
—–मौसी की जुबानी घर की दामाद लोगों को परिवार की खेल में शामिल होने की कहानी [फ्लैशबैक 8 ] —-
शादी की बाद घर की हर दामाद को खेल में शामिल करने का तरीका माँ ने ईजाद कर लिया था। उन्होंने एक रस्म बनाई थी। शादी की दो दिन तक दूल्हा लड़की की घर ही रहेगा। और पहली सुहागरात वहीँ मानेगी। सुहागरात से पहले का एक रस्म होता है जो हर दामाद को मानना पड़ेगा।
वो रस्म थी – सुहागरात को लड़की की कमरे में लड़की की साथ माँ भी कुछ घंटो तक रहेगी। सुहागरात की दूध माँ पिलाएगी और वो भी अपने स्तनों से। चूँकि माँ का दूध तो नहीं आता नहीं था। इस लिए माँ दूध की गिलास से दूध की धार अपने स्तनों पर छोड़ती और लड़के को वही पीना था। उसके बाद लड़के को लड़की के स्तनों से दूध पीना था। माँ कमरे में तब तक रहती जब तक लड़का चुदाई की लिए अपना लंड लड़की में नहीं डाल देता। ये हर रात होता जब तक लड़का लड़की की यहाँ होता।
बड़े जिजा को सुशीला जिज्जी की साथ सुहागरात मनाने की जल्दी थी तो उन्होंने उस रात तो माँ की दूध पिए और फिर सुशीला जिज्जी को बेरहमी से चोदा। बड़े जीजा को गांड मारने का शौक था। उन्होंने दूसरी रात जिज्जी की गांड मारनी चाही तो उन्होंने मना कर दिया। ऐसा नहीं था कि दर्द की वजह से मना किया था। वो बाउजी से गांड भी मरवा चुकी थी। ये तो बस इस लिए किया था ताकि जब जिज्जी मन करें तो जिजा को माँ की गांड मारने को मिल जाये।
हुआ वही जो प्लान में था। जिज्जी की मना करने पर जिजा माँ से बोले – माँ जी आप जरा इसे समझाओ।
माँ – दामाद जी मेरी बच्ची अभी फूल सी है। चूत से मजे लो। कुछ समय दो खुद ही गांड मरवायेगी।
जिजा – अम्मा जी , अब तो मेरा मन गांड मारने का कर गया है।
सुशीला जिज्जी – देखिये जी। मैं न मरवाउंगी। आपका बहुत मन है तो माँ की मार लो। माँ की गांड खुली है।
मौसा ने ये सुना तो दंग रह रह गए। उन्हें उम्मीद नहीं थी जिज्जी ऐसा कहेंगी । पर जब उन्होंने देखा की नानी कुछ नहीं कह रही हैं तो उन्होंने कहा – मुझे कोई दिक्कत नहीं है। वैसे भी माँ जी की गांड मस्त है।
माँ ने कहा – देखिये दामाद जी आप ऐसा कर तो सकते हैं। पर इसके बदले में हम सबकी बात हमेशा माननी पड़ेगी। बात मानोगे तो मजे ही मजे रहेंगे। मेरी क्या छोटी सास की भी गांड मिल जाएगी। पर सुशीला भी हर किसी से चुदेगी।
जिजा की तो एकदम मजे हो गए। उन्होंने ने आव न देखा ताव और कहा – मुझे मंजूर है।
दरअसल माँ और मौसी (राज की छोटी नानी ) की गांड इतनी मस्त थी की कोई भी उनका दिआना हो जाता। अब एक की बदले दो गांड मिलनी थी तो जिजा को बीवी की क्या चिंता।
माँ ने कहा – ठीक है। अब जो कहूँगी वो करना पड़ेगा।
जिजा – मंजूर।
माँ जिज्जी से कहा – चल सुशीला जरा बाँध इसे।
जिज्जी ने जिजा को बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने उनके दोनों हाथ और टाँगे बाँध दी। जिजा ये सब देख एकदम गरम हो रहे थे। उनका लंड
हवा में नब्बे डिग्री पर खड़ा था। फिर माँ ने अपने सारे कपडे उतार दिए और जिज्जी से कहा – जरा मुझे गरम तो कर सुशीला।
माँ जीजा ऊपर कमर के ऊपर दोनों तरफ पैर करके बैठ गईं पर लंड को न छूट में लिया न ही गांड में। उधर सुशीला जिज्जी जीजा के ऊपर सिक्सटी नाइन पोज़ में हो गईं। उनकी चूत जीजा के मुँह पर था जिसे जीजा लपक कर चाटने लगे। जिज्जी ने माँ के चूत पर मुँह लगा दिया।
माँ जीजा के लंड से खेलने लगीं। कभी वो उनके लंड को चुत पर रगड़ती तो कभी गांड में फंसाती तो कभी हाथ में। कमरे का माहौल गरम हो चूका था। कुछ देर मस्त चूत चटाई से माँ और जिज्जी दोनों के चूत ने पानी छोड़ दिया।
जीजा बोले – आप दोनों का तो हो गया। मुझसे किया वादा भी तो निभाओ।
माँ जिज्जी से बोली – जा जरा तेल लेकर आ।
जिज्जी ने माँ को टेबल पर पड़ी तेल की शीशी दे दी। माँ ने जीजा के लंड पर खूब सारा तेल उड़ेल दिया। फिर होल से ऊपर उठी। अबकी उन्होंने जीजा के लंड को अपने गांड पर सेट किया और धप से उस पर बैठ गईं। जीजा का पूरा लंड माँ के गांड में था। जीजा को इतनी मस्ती चढ़ी की उन्होंने आँखे बंद कर ली। कुछ देर बाद माँ ने जीजा के लंड पर ऊपर निचे करना शुरू कर दिया।
माँ – दामाद जी कैसा लग रहा है ?
जीजा – आह माँ जी , मजा आ गया। क्या मस्त गांड है आपकी लग रहा है एकदम टाइट सुरंग में घुसा हुआ हूँ।
माँ – इसस। मुझे भी मजा आ रहा है। आपके दोनों ससुरों के अलावा आप ही ही जो मेरे गांड में घुसे हो।
जीजा – माँ जी , मुझे बचपन से गांड मारने का शौक था। मेरी माँ की बहुत चौड़ी गांड है। जब बिना चड्ढी के जब वो घर में घूमती हैं तो उनके थिरकते गांड को देख कर मन करता है, बस घुस जाऊं उसमे।
माँ – चिंता न करो। अभी अपनी सासु माँ के गांड में घुसे हो। कल अपनी माँ के गांड में भी घुसोगे। पर गांड के चक्कर में मेरी बेटी की चूत मत भूल जाना।
जीजा – आप चिंता न करो। आपकी बेटी की चूत चोद चोद कर मैं भोसड़ा बना दूंगा और गांड का फाटक। बस आप सबका प्यार मिलना चाहिए।
माँ – अभी तुमने हमारे परिवार का प्यार देखा कहाँ है। देखोगे तो ससुराल में ही बस जाओगे।
जीजा – माँ जी। ससुराल छोड़िये। मेरा मन तो आपके गांड में बस जाने का है।
माँ – बसने का तो नहीं पर कभी कभी फ्री में रहने को मिल जाएगी। आह आह
जीजा – उतना ही बहुत है मेरे लिए। माँ जी थोड़ा तेज करिये न। मेरा बस होने वाला है।
माँ ने निजी से लंड के ऊपर कोडना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में जीजा ने अपना पूरा माल निकाल दिया।
उस रात के बाद जीजा ने जिज्जी, माँ और चाची की चूत और गांड सबके मजे लिए। कुछ ही दिनों में वो परिवार के चुदाई समारोह में भाग लेने लगे थे।
————————————————–वर्तमान समय ——————————–
ये सब सुनकर मेरा लंड एकदम टाइट हो गया। मैंने मौसी से कहा – अब तो मेरा मन भी तुम्हारा गांड मारने का कर रहा है मौसी।
मौसी – मन तो मेरा भी कर गया।
अब मैं गाडी के बीच के आ गया और सीधा बैठ गया। मैंने अपना पेंट अंडरवियर सहित उतार कर घुटनो के निचे कर लिया। मौसी ने अपनी साडी उठाई और मेरे लंड को गांड के मुहाने पर लगा लिया । चूँकि बिना तेल या क्रीम के लंड लिया था और वो भी मेरा उनकी हालत खराब हो गई। मेरा लंड नाना के लंड के लगभग बराबर था और मोटा भी। मौसी की इस समय चीख निकल गई। उनकी चीख सुन विक्की ने गाडी किनारे कर ली। मैंने विक्की से कहा – गाडी कहीं सुनसान जगह पर किनारे लगा और अपनी माँ का मुँह बंद कर वार्ना ये पुलिस में पकड़वाएंगी।
विक्की ने थोड़ा आगे हाईवे से हैट कर एक सुनसान जगह पर गाडी रोक ली और पलट कर माँ के मुँह पर हाथ रख दिया। अब मौसी ने धीरे धीरे मेरे लंड पर बैठना शुरू कर दिया। मुँह बंद होने की वजह से उनकी चीख दबी हुई थी। थोड़ी देर बाद जब लंड उनके गांड में सेट हो गया तो उन्होंने विक्की की हाथ हटाने के लिए कहा।
मौसी – मादरचोद , इतने जोर से मुँह क्यों बंद किया था। सांस रुक गई थी।
तभी मैंने पीछे से लंड को हल्का सा निकला और फिर दोबारा झटके से अंदर डाल दिया।
मौसी – उइ माँ। भोसड़ी के चैन नहीं है। मारने के लिए ही दिया है। थोड़ा सांस तो लेने दे।
मैं – मौसी , तुम्हारी गांड इतनी मस्त है रुका नहीं गया। पर तुम कहती हो तो रुक जाता हूँ।
मौसी – अब रुक मत पेल दे मेरी गांड। अब मैं चीखूंगी नहीं।
मैंने अब मौसी के गांड को मारना शुरू कर दिया। गाडी का मस्त माहौल था। चुदाई की वजह से गाडी हौले हौले हिल रही थी। मौसी के स्तन ब्लाउज से बहार लटक कर हिल रहे थे। विक्की से भी बर्दास्त नहीं हुआ। उसने अपना लंड निकाला और मुठ मारने लगा। वो एक हाथ से मुठ मार रहा था और एक हाथ से मौसी के स्तनों को दबा रहा था।
मौसी – आह , मजा आ गया। पेल दे मुझे। फाड़ दे मेरी गांड। आह आह। अपनी माँ की भी मार ले। मस्त गांड है। कुंवारी है।
मैं – आह आह। मौसी माँ और दीदी ने तो दिया ही नहीं अभी तक। एक तुम्हारी और दूसरी मामी की गांड नसीब हुई है।
मौसी – आह आह। फिर जो नसीब में है अभी वही ले। बाद में क्या पता नसीब बदल जाये।
मौसी के टाइट गांड को मारने के मजे अलग ही थे। कुछ देर तक गांड में मस्त उधम मचाने के बाद मेरे लंड लंड ने अपना पानी मौसी के चूत में उड़ेल दिया। कुछ देर वैसे रहने के बाद मौसी उठ कड़ी हुई । उन्होंने तुरंत बैग से तौलिया निकाला और गांड पोछने लगीं। मेरा माल तौलिये में समेटने के बाद, वो फिर गाडी से बाहर आ गई और बोली – जरा तुम दोनों देखते रहो कोई आ तो नहीं रहा। मैं मूट लूँ।
मैं – यहाँ कोई नहीं आएगा। आप मूट लो।
मूतने की इच्छा तो मेरी भी थी। मैं भी निकल आया। मुझे देख विक्की भी वहीँ खड़ा मूतने लगा। मस्त नजारा था। मैं, फिर बीच में मौसी और उसके बाद विक्की। जहाँ मौसी बैठ कर सिटी बजाते हुए मूट रही थी वहीँ हम दोनों लंड निकाले नलका बहा रहे थे।
विक्की बोला – भाई , अब तू गाडी चला।
मौसी – नही। गाडी तू ही चलाएगा।
मैं – हाँ यार। तू तो मौसी के साथ ही रहेगा। मुझे थोड़ा समय बिताने दे। वैसे भी आते समय मुझे अकेले ही आना है।
विक्की – ठीक है।
मैं और मौसी पीछे बैठ गए । मैं – मौसी – तुमने बड़े मौसा की कहानी तो सुना दी। पर पापा की तो रह ही गई।
मौसी – तू अपने पापा की कहानी माँ से पूछना।
मैं – ये तो चीटिंग है। चलो काम से काम अपनी और मौसा की कहानी सुना दो।
मौसी – हमारी कहानी तो मौसा ही सुनाएंगे। रात सुनना।
मुझे कोई कहानी नहीं तो सुनने को नहीं मिली पर मौसी कुछ देर बाद मेरे गॉड में फिर आ गईं। अबकी मेरे एतराफ़ चेहरा करके उन्होंने मेरे लंड को अपने चूत में लिया और रास्ते भर चुदती आई।
हम शाम तक मौसी के घर पहुँच गए। वहां हमें देख मौसा और सोनी बहुत खुश हुए। सोनी जो मुझसे मेरे घर में बात भी करने से कतरा रही थी , आज बहुत खुश थी। रात में खाना खाने के बाद मैं और विक्की छत पर टहल रहे थे की सोनी भी आ गई।
मैंने सोनी से कहा – कैसी हो ?
सोनी – मैं तो ठीक हूँ। तुम सुनाओ ?
मैं – मस्त हूँ।
सोनी हँसते हुए – मस्त क्यों नहीं रहोगे भाई। एकेले लड़की को छोड़ने उसके घर गए। रस्ते में भी कांड किया होगा और वहां उसके घर भी। और फिर अकेले घर में दो दो मायें। मस्ती तो हुई ही होगी।
मैं और विक्की उसे इतना खुल कर बात करते देख हैरान थे। पर श्वेता ने बताया था की लड़की एक़दाम चुदास है। बस गरमी दबा रखी है।
मैंने कहा – तुम भी रुक जाती। मजे हो जाते।
सोनी – रहने दो तुम लोगों वाले मजे नहीं चाहिए। वैसे भी यहाँ काम रुक जाता।
मैं – यार , तुम अपनी बुटीक दिखाओ। सुना है बहुत बढ़िया डिज़ाइन बनाती हो। अच्छे कस्टमर भी हैं।
सोनी – बुटीक देखनी है या वहां काम करने वाली लड़कियां ?
मैं – वो भी देख लेंगे।
सोनी – ये सब वहां नहीं चलेगा।
मैं – ठीक हैं हम वहां एकदम शरीफ बन कर चलेंगे।
सोनी – कोई शरारत न करने का वादा करो तो सोचूंगी।
मैं – वादा। कोई शैतानी नहीं।
सोनी – ओक।
कुछ देर हमारे साथ टहल कर सोनी फिर निचे चली गई।
उसके जाते ही विक्की बोला – भाई, ये तो कमाल हो गया। मुझे आजतक बुटीक के आस पास भी फटकने नहीं दिया। और तुम्हे तो न्योता दे डाला।
मैं – देखते जाओ। अभी बुटीक घूमने का न्योता दिया है। कल को चूत की भी सैर कराएगी।
विक्की – क्या किस्मत है तेरी भाई।
मैं – चिंता न कर तुझे भी देगी।
विक्की – दोनों बहनचोद फिर इसकी खूब लेंगे।
मैं – हाहाहाहाहा। साला तुझसे अकेले में भी कुछ होगा ?
हम दोनों थके थे तो रात घोड़े बेच कर सोये। सुबह सोनी की खनकती आवाज से नींद खुली। सोनी – उठों , कितना सोना है। बुटीक देखने को कहा था न। चलना है तो जल्दी तैयार हो जाओ। वार्ना मैं निकल जाउंगी।
नज़ारे खोली तो सोनी नहाकर सगुलाबी सूट में कड़ी थी। उसने गीले बालों को तौलिये से बाँध रखा था। मेरी नजर उसके चेहरे पर जाकर टिक गई। मन किया पकड़ कर उसे किस कर लूँ । मुझे खोया हुआ देख कर बोली – कहा खो गए ? उठो ?
मैं – तुम चीज ही ऐसी हो , कोई भी खो जायेगा।
सोनी शर्माते हुए बोली – बहुत बेशरम हो। बहन हूँ तुम्हारी ।
तभी विक्की ने करवट बदलते हुए कहा – और ये बहनचोद है ।
सोनी – बहुत बेशरम हो तुम। चलना है तो तैयार हो जाओ। मैं आधे घंटे में निकल जाउंगी।
विक्की – मैं बेशरम नहीं हूँ। मैं मादरचोद हूँ।
सोनी तब तक कमरे से जा चुकी थी। मैंने विक्की के पीठ पर जोर से मुक्का मारा और कहा – साले लौंडिया के साथ ऐसे पेश आएगा तो बदन पर हाथ भी नहीं लगाने देगी।
विक्की उठता हुआ बोला – सही कह रहा है। मेरे हवस भरी निगाह और घटिया बातों से ही भाग जाती है।
मैं – बदल ले खुद को।
विक्की – हम्म। पहले चलो जल्दी से तैयार हो जाओ। वार्ना इस साली का मन बदल गया तो फिर लौड़े लग जायेंगे
मैं – तू फिर वैसे ही बोल रहा है।
विक्की – अब ज्ञान मत दे। चल तैयार हो जा।
हम दोनों भाई फटाफट से तैयार होकर बाहर आ गए। तब तक सोनी भी तैयार हो गई थी। मौसी ने हम तीनो को देखा तो मुश्कुरा कर बोली – क्या बात है तीनो एक साथ कहीं जा रहे हो क्या ?
सोनी – वो राज को मेरी बुटीक देखनी थी। सोचा इतने दूर से आया है तो दिखा देती हूँ।
मौसी – हाँ हाँ क्यों नहीं। चलो तुम सब फटाफट नाश्ता कर लो।
हम तीनो ने नाश्ता किया और मेरी ही कार से निकल पड़े। रिश्ते में विक्की मुझे अपने शहर के बारे में बताते रहा। मैं यहाँ बचपन में ही एक आध बार आया था। कुछ देर बाद हैम सोनी के बुटीक पहुंचे। बुटीक उसके स्टाफ ने पहले से खोल रखा था। सोनी ने ठीक थक बड़ा सा वर्कशॉप बना रखा था। करीब दस बारह लड़कियां भी थी। हमें देख सब थोड़ा संकोच में आ गईं। उन्हें हमारे आने का अंदाजा नहीं था। वहां पर वो सब विक्की को पहचानती थी। ख़ास कर एक चौड़ी गांड वाली लड़की जिसने एक टाइट सा जीन्स और टी शर्ट डाला हुआ था। वो उसे देख मुश्कुरा रही थी। लग रहा था कुछ तो चक्कर है। एक दो लड़कियां सुन्दर थी बाकी सब नार्मल थी। हमें लड़कियां ताड़ता देख सोनी धीरे से बोली – बाज नहीं आओगे। लड़कियां ताड़ने आये हो तो वापस निकल लो।
मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ। मैंने फिर सोनी के बनाये डिज़ाइन देखे। देख कर समझ आया की उसने इतना नाम कैसे कमाया है। मैं उसके वर्कशॉप में घूमने के बाद जब वहीँ साइड में बने केबिन नुमा कमरे में घुसा तो मैंने उससे कहा – तुम अपना ब्रांड क्यों नहीं खोल लेती ?
सोनी – क्या मतलब ?
मैं – देखो। बड़े बड़े डिज़ाइनर हैं। उन्होंने अपने ब्रांड बना रखे हैं। ब्रांड का कमाते हैं। उनके कपडे देश विदेश में जाते हैं। महंगे दामों पर बिकते हैं।
सोनी हँसते हुए बोली – भाई। मैं कोई बड़ी डिज़ाइनर नहीं हूँ। और मुझे कौन खरीदेगा। फिर इन सब लफड़ों में बहुत पैसा लगता है।
मैं – यार मैं बहुत से बिजनेस आईडिया सोच रहा था। पापा के सेव किये हुए पैसे हैं। अगर तुम कहो तो हम तुम पार्टनर बन जायेंगे। मैं इन्वेस्ट करूँगा। तुम एक फैक्ट्री लगाओ। विक्की भी मदद कर देगा। तुम दोनों यहाँ प्रोडूस करो। मैं मार्केटिंग का देखता हूँ। कुछ नहीं तो अपने ब्रांड के शो रूम खोल लेंगे। वहीँ से बिकेंगे।
विक्की – मैंने तो कितनी बार बोला की मदद करने दे पर ये तैयार ही नहीं होती।
सोनी – तुझे तो यहाँ घुसने भी नहीं दूँ। आज राज की वजह से आ पाया है। वार्ना तुम लड़कियां ताड़ोगे। कुछ कांड कर दोगे तो सब जेल में होंगे।
विक्की – वादा करता हूँ। कुछ नहीं करूंगा।
मैं – यार , लड़ने से कोई फायदा नहीं है। अगर लड़की खुद ही देने को तैयार है तो इसमें इस बेचारे की क्या गलती है। वैसे भी इसका सोनिया के साथ टांका भीड़ गया है। कुछ धंधा पानी करने लगेगा तो शादी करवा देंगे।
सोनी – सोनिया मान गई ? और इसे कोई ऐतराज नहीं तुमसे चुदी लड़की से शादी करने में।
फ्लो में सोनी भी चुदने चुदाने की बात करने लगी थी।
विक्की – मुझे कोई दिक्कत नहीं है। बिलकुल अच्छी लड़की है।
सोनी – तो सुहागरात साथ में मनाओगे तुम तीनो।
मैं – तुम्हे सब पता है ?
सोनी – उस रात जब सुधा दी के कमरे में तुम उन तीनो की ले रहे थे तो मैंने सब सुन लिया था।
मैं – टी मतलब छत पर भी तुम्ही छुप कर देख रही थी।
सोनी ने सर झुका लिया। विक्की को ज्यादा कुछ समझ नहीं आया। वो समझने की कोशिश कर रहा था। पर उससे ज्यादा वो इस बात से खुश था की सोनी अब हमसे खुलने लगी है।
विक्की – मैं प्रॉमिस करता हूँ। कुछ नहीं करूँगा। पर कोई लड़की अगर खुद ही तैयार होगी तो मेरा दोष नहीं।
सोनी – मतलब तू अन्वी को चोद के रहेगा।
अन्वी उस गदराई लड़की का नाम था जो बड़े बड़े गांड वाली थी और पेंट शर्ट में थी। हम अभी बात ही कर रहे थे की वही लड़की ट्रे में हमारे लिए ठंढा कोल्ड ड्रिंक और कुछ खाने के लिए लेकर आई।
सोनी ने फिर हमारा परिचय कराया । पता चला तान्या उसके यहाँ शुरू से काम करती थी। काफी विश्वासपात्र थी और घर में सभी को जानती थी। सोनी के न रहने पर वही सब संभालती थी। उसके घर में सिर्फ वो और उसकी माँ थी। सोनी ने उसकी काफी मदद की थी।
खैर उसके जाने के बाद मैंने सोनी से फिर से कहा – यार तुम मेरे प्रपोजल पर सोचो। मुझे भी बिजनेस करना है। हम सब का काम निकल पड़ेगा।
सोनी – सोचती हूँ। कुछ देर और समय बिताने के बाद हम दोनों वहां से निकल लिए। वैसे तो मुझे आज शाम तक ही निकलना था पर आज एक रात और रुकने का सोचा। क्या पता सोनी मिल जाए। सोनी नहीं तो मौसी और मौसा के साथ ही मजे ले लिए जायेंगे। वहां से निकल हम दोनों मार्किट में तफरी करते रहे।
इधर हमारे निकलते ही सोनी के कमरे में अन्वी अंदर आई। अन्वी अंदर आते घुसते ही सोनी के सामने टेबल पर बैठ गई।
अन्वी – मतलब हमें शराफत का पाठ पढ़ती रहती हो और खुद इस नए लौंडे के साथ घूम रही हो।
सोनी – भाई है ये मेरा। फालतू बकवास मत करो।
अन्वी – और अपने बाप के पास मुझे भेजकर हमारी चुदाई के वीडियो देखती हो वो सही है।
सोनी – मेरे बाप के पास जाने की जिद तुम्हारी थी। एहसान चुकाने के चक्कर में तुम और तुम्हारी माँ उसनसे चुद रही हो। उससे मेरा कोई लेना देना नहीं है।
अन्वी – तुम्हे लेना देना हो या न हो। पर तेरे ये दोनों भाई तेरी लेने चाहते हैं। और तेरा बाप भी। साला भोसड़ीवाला पेलते समय मुझे सोनी और माँ को मंजू बनाकर पेलता है।
सोनी – चिंता मत कर अब तुझे अन्वी बनाकर हो पलेगा।
अन्वी – मतलब तू तैयार हो गई है। ऐसा क्या है इस राज में। जब से वहां से आई है। खोई खोई रहती है। आज तक विक्की को यहाँ कदम भी नहीं रखने दिया। आज उसे खुद हो लेकर आई।
सोनी – तू उसका देख लेगी तो उसकी दीवानी हो जाएगी।
अन्वी – साली, साइज की बात है तो यहाँ बहुत बड़े बड़े वाले तेरे चक्कर में पड़े हैं। तूने किसी को भाव नहीं दिया।
सोनी – सिर्फ साइज वाली बात नहीं है। उसके प्यार करने का अंदाज हो अलग है। गुलाम बना लेता है।
अन्वी – और तुझे गुलाम बनाने का शौक है।
सोनी – हाँ। चल अब मेरी चूत चाट।
अन्वी – क्यों उसी से चटवा लेती।
सोनी – उससे भी चटवाउंगी। फिलहाल तू आ।
अन्वी वही टेबल से उतर जाती है। सोनी ने पहले से हो अपने सलवार का नाडा खोल रखा था। तन्वी उसके चूत चाटने में व्यस्त हो गई और सोनी वहीँ झुक कर टेबल पर कुछ काम करने लगी। सोनी को चूत चटवाते समय हो आईडिया आते थे। अन्वी के अलावा कुछ ख़ास लड़कियां थी जो सोनी के इतने करीब थीं। सोनी ने उन सबकी इतनी मदद की थी की सब ख़ुशी ख़ुशी ये करने को तैयार थी। सोनी के ये राज कोई नहीं जानता था सिवाए उसके पिता के। पर सोनी ने आजतक उन्हें भी हाथ नहीं लगाने दिया था। पर लगता था सोनी को घर में अब ये सब खुल कर बताना होगा। अपने ऊपर संयम रखने की सीमा ख़त्म हो चुकी थी। अब उसके कुँवारी चूत को जीभ नहीं लंड चाहिए था।
सोनी का ये राज और इसके पीछे की कहानी मैं फिर कभी सुनाऊंगा। पर सोनी की चूत में आजतक कोई लंड नहीं गया था। ना हो प्लास्टिक का न हो मास का। आजतक उसने सिर्फ चूत चटवाया ही थी। और आज रात उसकी चूत में शायद मेरे लंड को प्रवेश करने का मौका मिल जाये।
हम दोनों ने मौसी को पहले ही बता दिया था की दोपहर में खाना नहीं खाएंगे। हम दोनों दिन भर इधर उधर घुमते रहे। विक्की मुझे अपने घर के सोनी के और अन्वी के कहानी सुनाता रहा। घुमते घुमते शाम हो गई तो वापस चलने से पहले विक्की बोला – रात में मस्ती करते हैं। दारू शरू पीते हैं।
मैंने कहा – घर में ?
विक्की – हाहाहा। सब पीते हैं। हमारे यहाँ सब खुलेआम होता है। अक्सर मैं , पापा और माँ पीकर ही चुदाई करते हैं। बड़ा मजा आता है।
मैं – सोनी ?
विक्की – वो भी लेती है। बल्कि मुझे तो लगता है वो हमसे ज्यादा पीती है।
मैं – ऐसा क्यों कह रहे हो ?
विक्की – साला , मुझे और माँ को तो एक दो बोतल बियर में ही नशा चढ़ जाता है। तीसरे में मैं लुढ़क जाता हूँ। पर वो साली एकदम कण्ट्रोल में रहती है।
मैं – मौसा ?
विक्की – उनका बियर से कुछ नहीं होता। उनको तो रम या व्हिस्की हो तो नशा आता है।
मैं – हम्म। ठीक है। मैं उससे पूछता हूँ वो बियर के अलावा क्या लेगी ?
मैंने सोनी को फ़ोन लगाया – हाइ सोनी, तुम शाम को कब तक आओगी ?
सोनी – वही आठ बजे के आस पास। क्यों क्या हुआ ?
मैं – दरअसल शाम को विक्की दारु पार्टी करना चाह रहा था।
सोनी – उस चूतिये को बियर चढ़ जाती है। क्या पार्टी करेगा।
मैं – उसकी छोडो , अपनी बताओ। क्या लोगी ?
सोनी – जिन, वोडका और पापा के लिए व्हिस्की ले आओगे न ?
मैं – हाँ।
सोनी – थोड़ा उसमे से ले लुंगी।
मैंने कहा – आज जल्दी आ जाना।
सोनी – उसकी गारंटी नहीं है। तुम सब चाहो तो पार्टी शुरु कर देना।
मैं – तुम्हारे बिना पार्टी शुरू नहीं होगी।
सोनी – बकवास मत करो। मैं देखती हूँ।
विक्की ने मौसा से और मौसी से बात कर ली थी। डिनर और स्टार्टर का भी बंदोबस्त हो रहा था। मौसा ने भी जल्दी आने को कह दिया था।
हम दोनों शाम होते होते सब सामान लेकर घर पहुँच गए। पहुंचे तो देखा मौसी किचन में लगी हुई थी। अभी मौसा नहीं आये थे। विक्की ड्रिंक्स को फ्रिज में रखने लगा। उसने घर के आँगन में पार्टी का अरेंजमेंट करना शुरू कर दिया। अब मैं आपको मौसा के घर के बारे में बता दूँ। मौसा का घर काफी बड़ा था। उनका दोमंजिला मकान था और ग्राउंड फ्लोर में पीछे एक आंगन बना हुआ था। जिसके चारो और ऊँची दिवार थी। वैसे तो हर रूम में अटैच्ड बाथरूम था पर आँगन में भी कॉर्नर पर एक बाथरूम बना हुआ था। विक्की वहीँ पर टेबल , चेयर लगाने लगा। उसने म्यूजिक सिस्टम भी लगा दिया।
उधर वो ये सब कर रहा था इधर मैं मौसी के साथ चुहलबाजी में लगा हुआ था। मौसी ने साडी पहनी हुई थी और पसीने से भींगी हुई थी। मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनके गर्दन और गाल पर लगे पसीने को चाटते हुए कहा – क्या स्वाद है मौसी ?
मौसी – तुझे भी ये खानदानी बिमारी है ?
मैं – बिमारी नहीं है ये। मजा है मौसी।
मौसी – पर यहाँ किसी को पसंद नहीं है। विक्की को तो बिलकुल भी नहीं।
मैं – चिंता क्यों करती हो , मैं भी तो तुम्हारा ही बेटा हूँ।
पर मुझे और मौसी दोनों को नहीं पता था कि इससे भी बुरी आदत सोनी की है। आज मालूम पड़ना था। उसकी एक झलक उसने ऑफिस में दिखा ही दी थी। खैर मेरे चाटने से मौसी को झुरझुरी होने लगी थी।
मौसी – रहने देना अभी। सबको आने दे।
मैं भी आखिरी तक मजा लेना चाहता था। मैंने कहा – ठीक है। तुम्हे भी लगता है एक साथ तीन तीन लैंड चाहिए।
मौसी ने मेरे कंधे पर प्यार से हाथ लगाते हुए कहा – चुप कर। ऐसा नहीं है। खाना भी तो बनाना है।
मैंने थोड़ी देर और मस्ती की फिर विक्की कीमदद करने लग गया। थोड़ी ही देर में मौसा भी आ गए। मौसी खाना बनाकर नहाने चली गई। विक्की ने आँगन में म्यूजिक भी लगा दिया था। कुछ देर में सोनी भी आ गई। जब तक वो फ्रेश होकर आती , मौसी ने खाने का सामान टेबल पर लगा लिया था। मौसी ने नहाने की बाद दोबारा साडी पहन ली थी। पर इस बार थोड़ा डीप नेक का ब्लाउज था और शायद अंदर ब्रा नहीं पहना था। जिस तरह से उनके हिलने पर उनका पिछवाड़ा थिरक रहा था लग रहा था, अंदर पैंटी भी नहीं डाली थी। विक्की ने म्यूजिक लगा दिया था और बियर की बोतलें निकाल ली थीं।
हम पनीर पकोड़े और फ्राइड ड्राई फ्रूट और मूंगफलियों की साथ सिप ले लेना शुरू कर चुके थे। तभी सोनी अपने कमरे से बाहर निकली। उसे देख कर मेरी आँखे चुंधियाँ गई। सिर्फ मेरी ही नहीं बल्कि मौसी और विक्की की भी। फर्क अगर नहीं पड़ा था तो मौसा को। उसने एक व्हॉइट क्लोर का लगभग ट्रांसपेरेंट सा मिनी ड्रेस पहन रखा था। और उसके अंदर उसने एक ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी। ऊपर की मिनी ड्रेस बमुश्किल उसके थाइस तक थी। और ट्रांसपेरेंट इतनी की हमें उसके इनर वियर का कलर दिख रहा था। मैं आंगन में लगे एक बेंत की सोफे पर मौसी की पास बैठा था। विक्की मौसी की दुसरे तरफ। मौसा वहीँ आंगन में लगे एक झूले पर बैठे थे। उसे देखते ही विक्की ने सीटी बजाई।
सुनकर वो बोली – तू नहीं सुधरेगा।
विक्की – तुझे इस हालत में देख कर कोई क्या सुधरेगा। बल्कि बिगड़ ही जायेगा।
उसने कुछ जवाब नहीं दिया बल्कि अदा की साथ टेबल से एक बियर की बोतल उठाई और मौसा की बगल में झूले पर बैठ गई। मौसा ने उसके कंधे पर से हाथ करके अपने तरफ खींच लिया। उसने उनका विरोध नहीं किया बल्कि और उनसे चिपक गई।
मौसी – वाह। आज बाप बेटी में इतना प्यार आ रहा है।
सोनी – क्यो? तुम जो रोज बेटे से प्यार करती हो उसका क्या ?और आज तो बेटे और भतीजे की बीच में सैंडविच बानी हुई हो।
मैं – कहाँ सैंडविच ? हाथ तो लगाने नहीं दे रही।
मौसी – अब मेरा पसीना चाटेगा तो मना नहीं करुँगी क्या ?
सोनी खिलखिला कर बोली – तुझे भी आदत है इसकी क्या ?
अब आश्चर्य करने की बारी मौसी की थी। वो बोली – तुझे भी का क्या मतलब ?
सोनी – ने बियर पीते हुए कहा – खानदानी है ये तो। और मुझे ये भी पता है लोगो की और भी अजब गजब आदत है।
मौसा इन सबके बीच में मुस्कुराये जा रहे थे।
विक्की को अब नशा चढ़ने लगा था। उसने कहा – मुझे तो डांस करने का मन कर रहा है। आओ न माँ थोड़ा डांस करते हैं।
मुझे भी थोड़ा शुरुर चढ़ रहा था। मैंने भी मौसी का हाथ पकड़ा और उन्हें खींचते हुए कहा – चलो मौसी डांस करते है। सोनी तू भी आ।
सोनी – तुम लोग शुरु करो।
मौसी हार मान गई। अब हम तीनो डांस करने लगे थे। डांस करते करते कभी मौसी की पीछे मैं जाता तो कभी विक्की। पर मेरी नजर तो आज सोनी की तरफ ही थी। मैंने देखा सोनी और मौसा की बीच कुछ और ही खेल चल रहा था। सोनी ने मौसा की लुंगी की अंदर हाथ डाला हुआ था और उनका लैंड उसके हाथ में थे। दोनों एक दुसरे को किस कर रहे थे। बीच बीच में मौसा सोनी को पकोड़े अपने हाथों से उठा कर खिला रहे थे। एक बार जब मेरी नजर सोनी से मिली तो उसने इशारे से मुझे अपने तरफ बुलाया। मैं सेयुर नहीं था। फिर भी मैं बियर लेने की बहाने ने उधर गया तो सोनी ने मुझे अपने तरफ खींच लिया और एक किस देकर बोली – खुश ?
मैं – सामान बाप का पकडे हो और खुदही मेरी पूछ रही हो। उसने ट्रॉउज़र की ऊपर से ही मेरे लैंड पर हाथ रख कर बोला – चिंता न कर इसे भी लुंगी। पर पहले उधर ख्याल रख। माँ और विक्की को चढ़ रही है।
मैं – साली बाप से चुद कर मेरे पास आएगी तो क्या ही आएगी ?
सोनी ने बुरा नहीं माना , न ही मौसा ने। बल्कि उसने दोबारा मुझे किस करके कहा – चिंता न कर। मेरी छूट की सील तू ही तोड़ेगा। पर गांड पापा की है।
मैं खुश होते हुए बोला – गांड पुरे मोहल्ले से मना मुझे कोई मतब नहीं।
सोनी – श्वेता की शर्त मुझे पता। टेंशन ना ले। अभी तो मजे की शुरआत हुई है।
हम तीनो को आस पास देख विक्की और मौसी भी चले आये।
मौसी ने कहा – मैं जरा बाथरूम से आती हूँ फिर खाना खाते हैं।
मौसी की जाते ही विक्की बोला – ये भी एक भाई बैठा है। कुछ इधर भी दे देती।
सोनी – प्यासे को कुँए की पास आना पड़ता है। कुंआ नहीं जाता।
विक्की खुश हो गया। वो तुरंत उसके पास पहुँच गया। सोनी की उसके गाल पर किस दिया। उसे होठों पर किस की उम्मीद थी। ।
उसने कहा – ये तो चीटिंग है।
सोनी – कहाँ भागी जा रही हूँ। ले लेना।
ऐसा कहकर सोनी उठी और मेरे हाथ पकड़ कर मुझे भी उठा लिया। उसने मुझे खिंचा और मेरे साथ डांस करने लगी। उसको बाँहों में लेते ही मुझे अजीब सा शुरुर चढ़ने लगा। मैंने उसके कंधे पर एक हाथ रखा और एक उसके कमर पर और धीरे धीरे स्लो म्यूजिक में डांस करने लगा। बीच बीच में हम दोनों एक दुसरे को किस भी कर लेते। मैंने उसके कमर पर जो हाथ रखा था उसे उसके हिप्स पर भी फेरना शुरू कर दिया।
सोनी – सच में तुम्हारा वो बहुत बड़ा है ?
मैं – क्या ?
सोनी ने निचे मेरे कमर की तरफ देखा और कहा – वो ?
मैं – वि का कुछ नाम भी है।
सोनी – लंड। सच में वो बहुत बड़ा है।
मैं – अब तक जिसने जिसने लिया है , उसके हिसाब से बड़ा भी है और मोटा भी है।
सोनी – फिर तो उन्हें दर्द भी हुआ होगा।
मैं – हाँ। कुछ को हुआ। ख़ास कर जिन्होंने अपने चूत में कुछ भी नहीं लिया है।
सोनी – फिर तो मुझे अगले दो तीन दिन छुट्टी लेनी पड़ेगी क्या ?
मैं – एक दिन शायद।
सोनी – पर मुझे तो डबल मजा करना है।
मैं – ऐसी भी क्या जल्दी है ?
सोनी – इतने सालों तक खुद को रोक कर रखा है। और फिर पापा को भी इनाम मिलना चाहिए न।
मैं – ये हमारे तुम्हारे बीच में मौसा कहा से आ गए।
सोनी – सच बोलूं , तुम मेरे और उनके बीच में आ गए हो। कुंवारी चूत तो उनकी ही थी। पर श्वेता ने वादा ले लिया और फिर पापा को एक कुँवारी चूत दिला दी थी। उनको कोई शिकायत नहीं है। वो भी तुम्हे मानते हैं।
मैं – ये क्या चक्कर है ? उन्हें श्वेता और उसके शर्त का कैसे पता ? तुमने कौन सी चूत दिलाई उन्हें ?
सोनी – सब आज नहीं बताउंगी। श्वेता वाली बात जब हम आ रहे थे तो उन्हें बता दिया था। उन्हें लग गया था की मैं तुमसे चुदना चाहती हूँ।
मैं – तो तुम चाहती हो न ?
सोनी – अब भी नहीं समझे ?
हम दोनों बातें कर ही रहे थे की मौसी भी आ गईं। बोली डांस के लिए रात पड़ी है। आ जाओ खाना खा लो। वो प्लेट में खाना निकालने लगीं। तभी मौसा ने उनके अंचल को पकड़ा और अपने पास खींच लिया और कहा – जरा हमारे पास बैठो। खाना तो बच्चे निकाल देंगे। मौसी उनके इस हरकत उनके गोद में गिर पड़ीं। अंचल पकड़ने से उनकी साडी भी लगभग खुल सी गई। फिर मौसा ने एक घूँट बियर मुँह में लिया और मौसी के होठों से अपने होठ सटा दिया। मौसी ने के मुँह से बियर अपने अपने मुँह में ले लिया। इस चक्कर में कुछ बाहर भी गिरा जो सीधे मौसी के स्तनों पर छलक गया। मौसी का ब्लॉउज भी गिला हो गया। मौसा ने झुक कर उसे चाट लिया। अबकी मौसी ने ड्रिंक लिया और मौसा को पिलाया। उन दोनों की हरकत देख मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने सोनी की तरफ देखा।
सोनी ने कहा – मैं ऐसे नहीं पिलाने वाली। खाना निकालने में मदद करो। विक्की भी गरम हो रहा था। एक प्लेट में खाना निकला ही था की मौसी ने कहा बस रहने दे इसी में मैं और तेरे मौसा खाना खा लेंगे। विक्की बोला – मुझे भी खिलाओ न।
मौसी – आजा मेरे लाल। तू भी आजा।
विक्की भाग कर मौसी के दुसरे तरफ बैठ गया।
मौसा ने सोनी से कहा – जरा व्हिस्की का पैग बना।
सोनी ने दो पैग बनाये और एक उनको थमा दिया।
सोनी ने फिर एक थाली में खाना निकला और कहा – हम दोनों भी इसी में खा लें।
मैं – तुम भी जरा ड्रिंक पिलाओ न।
सोनी ने अबकी एक घूँट व्हिस्की का लिया और मुझे किस करते हुए मेरे मुँह में उड़ेल दिया। मैंने उसे उठा कर अपने गोद में बिठा लिया। गोद में बैठते ही ुए मेरे लंड का एहसास हुआ। वो थोड़ा सिहर गई। पर उठी नहीं। उसने मुझे फिर खाने का एक कौर बना कर खिलाया और एक कौर खुद भी खा लिया। मैंने अपने हाथ आगे ले जाकर उसके बूब्स पर रख दिए। उसने कहा – आहिस्ते से।
मैं – आराम से ही करूँगा।
उधर विक्की और मौसा ने मौसी के कपडे पूरी तरह से उतार दिए थे। अब वो दोनों खाना कम खा रहे थे मौसी को ज्यादा खा रहे थे। अब माहौल चुदाई का बन चूका था। मौसी मौसा के गोद में बैठे बैठे ही धीरे से उठीं और उनके लंड को अपने गांड में ले लिया। विक्की झूले से उतर कर निचे उनके चूत के पास बैठ गया। मौसी और मौसा ने पेअर लटका लिया था। मौसी झूले पर होते हुए भी झूले पर नहीं थी। विक्की उनके चूत को चाट रहा था और झूले को हल्का सा पीछे करता। इससे मौसा का लंड बाहर निकलता फिर मौसा झूले को आगे करते तो लंड अंदर आता। एक तरह से झूलते हुए वो मौसी की गांड मार रहे थे। मौसी की चूत अब कुलबुलाने लगी थी। नशा भी हावी होने लगा था।
मौसी विक्की से – भोसड़ी के ठीक से चाट। अंदर जीभ डाल। बेचारे ने जीभ को चम्मच की तरह बनाया और चूत में डाल दिया। अब मौसी उसके जीभ से चुद रही थी और गांड मरवा रही थी।
मौसी – हाँ। ये सही है।
इधर मैंने अपना लोअर निकाल लिया था और सोनी ने अपना मिनी। अब वो सिर्फ टू पीस में थी। उसके चेहरा मेरी तरफ था। वो अपने चूत के फांको से मेरे लंड को रगड़ रही थी। और मेरे होठों को पी रही थी।
अब विक्की से बर्दास्त नहीं हुआ। उसने कहा – पापा मुझे भी माँ को चोदना है।
मौसा ने मौसी के गांड में लंड डाले डाले ही उन्हें उठाय। विक्की ने उन्हें जगह दे दी। मौसा टेबल पर लेट गए और मौसी उनकेऊपर पीठ किये लेट गईं। विक्की उठ कर सामने से आया और उनके गीले चूत में अपना लंड घुसा दिया। अब दोनों बाप बेटे मौसी को चोदे जा रहे थे।
ये देख सोनी से रहा नहीं गया। वो निचे बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा नहीं आ पा रहा था।
आँगन में मौसी की सिसकारियां गूँज रही थी। बीच बीच में वो उन दोनों को ललकार भी रही थी।
मौसी – चोद मादरचोद। चोद मुझे। बाप बेटों में देखूं कितना दम है।
विक्की – चिंता क्यों करती हो माँ। अभी मेरे बाद राज भी आएगा। तुम्हारे बुर का भोसड़ा न बना आज तो समझना।
मौसी – बहनचोद। तेरे जैसे कई लंड लेने के बाद भी मेरी बुर वैसी ही रहेगी। राज का भी ले चुकी हूँ। बड़ा है पर लील लुंगी मैं।
मैं – बहुत बोल रही हो मौसी। लगता है तुम्हारा तीसरा छेद भी भरना पड़ेगा।
मौसी – आजा न बहनचोद। वो तो कुछ करेगी नहीं। बस ऊपर ऊपर से तरसाएगी। तू मेरा बेटा है , मैं तुझे भरपूर प्यार दूंगी।
सोनी ने कहा – चुप माँ की लौड़ी , रंडी कहीं की। अभी तूने मुझे जाना नहीं है। चूत कुँवारी है। दिमाग तेरे से भी गन्दा है।
मौसी – तो दिखा ना ? घर के बाहर कहा रंडीबाजी दिखाती है। मैदान खुला है। देखूं कितना दम है।
सोनी – बस थोड़ा रुक तुझे अपना सब रूप दिखाउंगी। तब तक जरा अपने तीसरे यार का लंड ले।
मैं जैसे ही उठा विक्की और मौसा दोनों खलास हो गए। विक्की तो वहीँ हांफ कर बैठ गया। मौसा भी मौसी को ऊपर लिए लिए थक गए थे। उन्होंने मौसी को उठने को कहा।
मौसी – देखा। साले बाप बेटे दोनों भंडुए हैं। माल निकाल दिया।
मैं उठा और टेबल पर लेती मौसी के दोनों टाँगे उठाएं और उनके चूत में अपन लंड डाल दिया। अब मैं मौसी को ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था।
मौसी – देखो – चुदाई इसे कहते हैं। लौड़ा ऐसा होना चाहिए। चोदे तो औरत की चूत फाड़ दे। पेल ले मेरे लाल। पेल। बहुत प्यासी है तेरी मौसी। पहले मिला होता तो लंड चूत में लेकर घूमती। आह आह आह। भोसड़ी के तेरी माँ ने क्या खा कर पैदा किया है। काश मेरे बेटे का भी ऐसा ही लंड होता।
मैं – मौसी है तो वो तुम्हारा बेटा ही। खुश तो रखता है न। फिर मैंने विक्की को आवाज लगाई – मादरचोद, एक गिलास दारू पी और आजा। दिखा दे माँ को कितना दम है तुझमे।
विक्की को थोड़ा जोश आया। उसने तुरंत दो तीन पैग व्हिस्की के लगाए। पर व्हिस्की से ज्यादा उसे मौसा और सोनी की हरकतों से से नशा चढ़ा। क्योंकि अब सोनी सिर्फ पैंटी में मौसा के गोद में पीठ किये बैठी थी और उनके लंड पर अपनी चूत रगड़ रही थी। वो उठ कर उनके पास पहुँच गया आगे बढ़ कर सोनी को चूम लिया। सोनी ने इस बार उसे रोका नहीं बल्कि पलट कर उसके ऊपरी होठ को काट लिया। विक्की को दर्द तो हुआ पर इसमें भी उसे बहुत मजा आया। बहन का ये रूप उसने नहीं देखा था । सोनी ने फिर उसके लंड को पहले तो अपने हाथो से सहलाया फिर उसे मुँह में भर लिया। विक्की का लंड अब अपने स्वरुप में आ चूका था।
सोनी – जा अपनी माँ चोद अब।
अब मैंने मौसी को खड़ा कर दिया। मेरा लंड लम्बा था तो खड़े होने पर भी मौसी के चूत को अंदर तक मजा दे रहा था। उधर अब पीछे से विकककी उनके गांड में अपना लंड डाल चूका था। मौसी लगता है एकदम नानी पर गई थी। इतने देर से छू रही थी पर थकी नहीं थी।
हम हम दोनों भाई खड़े खड़े उनके आगे और पीछे से धक्के लगा रहे थे।
मौसी – शाबाश मादरचोदों। अब खानदान के लौंडो की तरह चोद रहे हो। मजा आ गया। तुम सब की नानी की याद आ गई। वो भी आंगन में हम सब के सामने तुम्हारे नाना और उनके छोटे भाई से चुदती थी। आह। चोद दो मुझे। मजा आ गे । माँ देख रही हो क्या नाती है तुम्हारे। आह आह।
मौसा का लंड भी दोबारा खड़ा हो गया था उन्होंने मुझसे कहा – साले तेरी बहन की चूत यहाँ बहे जा रही है। तेरे चक्क्कर में ये मुझे दे भी नहीं रही है और तू मौसी के साथ लगा हुआ है। चूत गरम है , अभी नहीं चोदेगा तो कभी नहीं चोदेग। तुझे ये न्योता नहीं देगी।
मैंने सोनी की तरफ देखा। वो बड़े अरमान से मेरी तरफ देख रही थी।
मौसी ने भी कहा – मेरी चूत छोड, जा बहन चोद।
मैंने मौसी के चूत से अपना लंड निकाला और सोनी के तरफ बढ़ चला। मौसा वहां से उठे और मौसी के तरफ बढ़ चले।
अब मई सोनी के सामने अपना लंड लेकर खड़ा हो गया और उससे बोला – चाहिए ?
उसने हाँ में गर्दन हिलाई।
मैंने कहा – मांग फिर।
सोनी – चोद दो अब मुझे। मेरी चूत से पानी की धार बहे जा रही है। उसमे अपने लौड़े को तैराओ।
मैं – ऐसे नहीं, ठीक से बोलो।
सोनी – मादरचोद, मेरी चूत कुलबुला रही है। पेल दो और भंग कर दो मेरा कुंवारापन। मुझे अपना बना लो।
मैं – मेरी तो पहले से कई है। मेरी तो सिर्फ रंडी बन सकती है तू।
सोनी – श्वेता के अलावा सब तेरी रंडी ही तो हैं।
मैंने उसके गाल पर अपने लंड से एक थप्पड़ सा मारा और कहा – श्वेता मेरी बीवी बनेगी। पर मेरी जान मेरी माँ और सुधा दी भी ह। वो दोनों रंडी नहीं हैं। ख़बरदार जो उन्हें रंडी कहा तो।
सोनी – मुझे माफ़ कर दो। मैं तुम्हारी रंडी हूँ। अब इस कुँवारी रंडी को पेल दो।
मैं – मैं तो पेलते पेलते थक गया हूँ। आजा तू ही मेरी सवारी कर। अपने हिसाब से लौड़े को अपना बना।
मैं सोफे पर बैठ गया और सोनी ने अपनी पैंटी उतार दी। और मेरे लंड को अपने चूत पर सेट कर लिया। मेरा लंड बड़ा तो था पर मोटा भी और सोनी की चूत एकदम कुँवारी। उसे दर्द होना शुरू हुआ तो वो चीखते हुए बोली – देखो माँ , देखो पापा आपके बेटी की सील टूटने जा रही है। अपने भाई से ही चुद रही है। आह माआआआ।
उसके हिम्मत को दाद देनी पड़ेगी। उसने मेरा लंड पूरा का पूरा अंदर ले लिया। लंड को पूरा लील कर बोली – साला कितना बड़ा लौड़ा लेकर घूम रहा है। लग रहा है पेट फाड़ कर बाहर निकल जायेगा। अब समझ आया। क्यों सब तेरे दीवाने है।
मैंने उसे चूमते हुए कहा – अभी तो सिर्फ अंदर लिया है। जरा चुदाई तो शुरू करो। असली मजा तो उसमे है।
उसने धीरे धीरे मेरे लंड पर ऊपर निचे करना शुरू किया। मुझे लग रहा तह ाजैसे मैं एक खरे कैसे से सुरंग में फंस गया हूँ।
अभी मेरी चुदाई शुरू हुई थी। उधर वो तीनो एकदम खलास हो चुके थे। विक्की ने आखिरी बोतल उठा ली और हमारी चुदाई देखने लगा। मुझे पता था कुछ ही देर में वो लुढ़कने वाला है। इधर मौसा ने दोबारा एक पैग बनाया और एक घूँट मौसी को पिलाया। मौसी भी अब थक कर चूर थी । उन्होंने झूले पर ही लेट गईं। पर मौसा अभी जगे थे। सोनी ने आज ही अपनी गांड उन्हें देने का वादा किया था।
मौसा ड्रिंक लेकर हमारे पास आये और सोनी ने अपना मुँह थोड़ा सा खोल लिया। मौसा ने गिलास से थोड़ा ड्रिंक उसके मुँह में डाल दिया जिसे वो गटक गई। मौसा वहीँ उसके सामने खड़े थे। वो धीरे से उठी और अब उसने मेरी तरफ पीठ कर लिया और वापस मेरे लैंड को चूत में डाल लिया। फिर उसने मौसा के लैंड को अपने मुँह में ले लिया। अब वो मुझसे चुद भी रही थी और साथ ही मौसा के लंड को मुँह में अंदर बाहर कर रही थी। उसके इस रणदीपाने को देखकर मेरा लंड एकदम से उबलने लगा। अब मैं स्खलित होने वाला था।
मैंने कहा – मेरा होने वाला है।
सोनी – मेरी चूत तो कब से बहे जा रही है। भर दे अपना माल उसमे।
कुछ ही धक्को में मेरे लंड ने अपना माल उसके गांड में उड़ेल दिया। सोनी मेरे बाँहों में ढेर हो गई। मौसा हमारे बगल में बैठ गए। उनका लंड अब भी खड़ा था। सोनी पता नहीं किस शुरुर में थी। वो मेरे गोद से उठी और मौसा के गोद में जाकर बैठ गई। उसने कहा – पापा मेरी कुंवारी चूत तो आपकी नहीं हुई। पर गांड आपकी है। चूत का कबाड़ा तो राज कर चूका। अब आप गांड मार लो मेरी।
मौसा ने कहा – जाने दे क्यों जिद पर है। तेरी हालत ठीक नहीं है।
सोनी – हालत तो जिस दिन गांड मरवाउंगी तब भी ख़राब होगी। तो आज ही सही। मार लो।
मौसा उठे और वहीँ नीचे घी की कटोरी जो रोटी में लगाने ले लिए राखी थी , उठा लिया। तब तक सोनी ने हिम्मत करके खुद को सोफे के सहारे डॉगी स्टाइल में कर लिया था। मौसा ने खूब सारा घी उसके गांड पर लगाया और कुछ अपने लंड पर। उनका लंड चमक रहा था। मेरी तरह उनका लंड बड़ा तो नहीं था पर गांड फाड़ने के लिए बहुत था। मौसा ने जैसे ही गांड पर अपना लंड लगाया, सोनी बोली – मार लो पाप। रहम मत करना। आज अपनी बेटी को रंडी बना दो।
मौसा ने एक झटके में एंड घुसाते हुए कहा – तू मेरी प्यारी बेटी है। रंडी नहीं।
सोनी के मुँह से चीख निकल गई – माआआआ , बेटीचोद फाड़ दिया मेरी गांड को।
उसकी आवाज सुन मौसी भी जग कर बैठ गई।
मौसी – फड़वाने के लिए तो तब से तैयार थी। अब ले मजा
मौसा ने झटके देना शुरु कर दिया मौसा के हर झटके से सोनी सिसकारियां लेती। वो पागल सी हो गई थी।
सोनी – आह। पापा फाड़ दो मेरी गांड आज। कल से चूत भी मिलेगी। अब तुम अन्वी को अन्वी कहकर ही चोदना। सोनी घर में ही मिलेगी।
मौसी – हाँ , किसी और की बेटी अपनी बनाकर चोदने से अच्छा रहेगा।
सोनी – हाँ पापा। अब तुम असली बेटीचोद बन गए हो। आज मैंने तुम्हारा पूरा एहसान उतार दिया। ले लो अपना इनाम। मार लो मेरी गांड।
अब मौसा तबडतोस सोनी की गांड मारे जा रहे थे। मेरा लंड उनकी चुदाई देख कर फिर से खड़ा होने लगा था।
तभी मौसी लड़खड़ाते हुए मेरे पास आई और बोली – इसकी गांड मरै देख कर मेरे गांड में खुजली हो रही है। चल राज मिटा दे मेरी खुजली।
मौसी भी सोनी के बगल में कुतिया जैसी हो गई। मैंने भी खड़ा होकर उनके गांड में अपना लंड डाल दिया। अब दोनो माँ बेटी मुझसे और मौसा से चुद रही थी। कुछ देर बाद मौसी बोली- जरा रुक मुझे मूतना है।
मैं – तो मूत लो न। कौन सा चूत में लंड है।
मौसी – ये भी सही है। पर रुक जरा।
मैं कुछ पल के लिए रुक गया। मौसी वहीँ कुतिया बने बने मूतने लगीं। उनका देखा देखि सोनी भी मूतने लगी। मैं और मौसा फिर से गांड मारने में लग गए। वो दोनों रुक रुक कर मूत रही थी। बड़ा ही कामुक सा माहौल हो रखा था।
कुछ देर बाद हम सब जल्दी ही खलास हो गए। अन्वी वही सोफे पर गिर पड़ी। मौसा और मैं हाँफते हुए पास के चेयर पर बैठ गए।
मौसी वही टेबल पर बैठ गईं।
होश में आने पर मैंने कहा – ये इनाम विनाम का क्या चक्कर है और अन्वी कहा से इसमें शामिल है। इसकी हवा मौसी और विक्की को है भी ?
मौसा – तेरी मौसी को सब पता है ?
अब चौंकाने की बारी सोनी की थी। उसने कहा – पापा आपने माँ को सब बता दिया है ?
तभी धीरे से मौसी की आवाज आई – मुझे सब पता है। तेरे पापा मुझसे कुछ नहीं छुपाते। तभी तो मैं इनको इतना प्यार करती हूँ।
मौसा – हाँ , तेरी मौसी को सब पता है। क्यूंकि तुम इसे राज रखना चाहती थी। इस लिए उन्होंने तुमसे कभी इसकी चर्चा नहीं की।
मैं- पर बात है क्या ?
मौसा – जब इसने बुटीक खोला था तो इसे बिजनेस का आईडिया नहीं था। मैंने शुरू में इसकी खूब मदद की थी। पैसे के अलावा पुरे सेटअप में , मशीन और लड़कियों के हायरिंग तक में। बल्कि पहली एम्प्लोयी अन्वी जिससे तुम मिल चुके हो, वो मेरे एक दोस्त के दूर के रिश्तेदार हैं। उसके पापा गुजर गए थे और उनकी हालत बहुत ख़राब थी। दोस्त ने ही रिफरेन्स दिया था। मैंने इससे बात की। दोनों की आपस में बन गई और वो तब से इसकी पक्की दोस्त, सलाहकार या भरोसेमंद एम्प्लोयी है।
सोनी – और इन्होने अपने दोस्त की बेटी को ही चोद दिया।
मौसा – देख , मैंने कुछ भी शुरू नहीं किया। माँ बेटी मेरा एहसान चुकाना चाहते थे। खुद ही ऑफर किया।
मौसी फिर से – उसकी अम्मा चुदासी थी साली। उसको सैलून बाद लौड़ा मिल गया तो चुद गई। बेटी भी शामिल हो गई।
सोनी – तो आपको सब पता है।
मौसी हँसते हुए – तेरी अम्मा हूँ। और ये तेरे बाप हैं।
सच माँ माँ ही होती है। उसे सब पता होता है। और सबसे बड़ी बात मेरे घर में सब एक से बढ़कर एक थे। मिलकर चोदते थ। कोई परदा नहीं कोई राज नहीं। राज रखने की जरूरत ही क्या है। जब रजामंदी से सब हो तो छुपाना ही क्यों। छुपाने से प्यार घटता ही है।
आज की रात कमाल की रात थी। मेरे परिवार के और भी राज मुझे मालूम पड़ा। पर सबसे खुशी की बात ये थी की मैं आज एक और कुँवारी चूत मार माया। श्वेता मेरे और नजदीक आ गई थी।
उतनी भयंकर चुदाई के बाद वापस कमरे में जाकर सोने की हिम्मत तो किसी की नहीं थी। पर आंगन और सिफॅ की हालत भी ऐसी नहीं थी की रात काट जाये। मौसा ने सहारा देकर मौसी और विक्की को अपने कमरे में सुला दिया। मैंने सोनी को गोद में उठा लिया और उसके कमरे में लेकर चल दिया। वो जगी हुई थी और उसने अपनी बाहें मेरे गर्दन पर लपेट रखा था। नशे में मैं भी था पर सोनी को पाने के बाद दारू का नशा नहीं , प्यार और सेक्स का नशा था। मैंने उसे उसके बिस्तर पर लिटा दिया और लौटने लगा तो उसने मेरी बाहें थाम ली और कहा – यहीं सो जाओ।
मैं – अगर यहाँ सोया और रात फिर चुदाई का मन कर गया तो ?
सोनी – चोद लेना। अब तो मेरा शरीर तुम्हारा है और मेरा मन तुम्हारा गुलाम। जब चाहो चोद लो।
मैं – अपनी हालत देखि है ?
सोनी – आज नहीं तो कल होना ही था। अब इससे बुरी हालत क्या होगी ?
मैं उसे कोई जवाब नहीं दे पाया। मैं भी उसके बगल में लेट गया। हम दोनों बिना कपडे के ही थे। अब पर्दा रहा ही कहाँ। सोनी मेरे नजदीक खिसक आई और मुझसे चिपक कर सो गई। मैं भी थका हुआ था , कुछ देर में मुझे भी नींद आ गई।
हमारी नींद सुबह सुबह विक्की के चीखने से खुली। विक्की – अरे बहनचोद , मैं साला रात में कब सोया पता ही नहीं। और यहाँ तो मजे हो रहे हैं।
मैंने धीरे से उससे कहा – यार , सोने दे अभी। हम बहुत रात में सोये। और थके भी हुए हैं।
विक्की ने शर्ट उतारा और पेंट उतारते हुए कहा – मैं भी आता हूँ। ऐसे नंगे चिपट के सोने में बहुत मजा आएगा।
लगता है सोनी की भी नींद खुल गई थी। उसने चखते हुए कहा – ख़बरदार जो बेड पर आया भी तो। भाग यहाँ से।
विक्की को भी गुस्सा आ गया – बोला , ये क्या बात हुई। खुद तो रात भर रंडी की तरह राज से चुदी है और मुझे मना कर रही है।
सोनी – मेर मूड का भोसड़ा मत बना। कपडे उठा और भाग। वरना मेरी चूत तो कभी नहीं मिलेगी और तो और अन्वी की भी नहीं मिलेगी जिसे चोदने के सपने दिन रात देखता रहता है। अब भाग और हमें सोने दे।
विक्की ने उसकी बातों को सुनकर अपने कपडे उठाये और चुप चाप भाग लिया।
मैं हँसते हुए बोला – बेचारा। बहन की नहीं ले पाया।
सोनी मुझसे चिपकती हुई बोली – आज नहीं तो कल लेगा ही मेरी। और अन्वी भी मिले जाएगी। थोड़ा बेसब्र है मेरा भाई।
मैं – यार ुए अन्वी का क्या चक्कर है ?
सोनी – तुझे चोदना है उसे ?
मैं – अब घर के सब मर्दों से चुद ही रही है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
सोनी – बड़े चोदू हो तुम।
अब हमारी नींद खुल गई थी। नींद हमारी ही नहीं खुली थी बल्कि मेरे लैंड की भी खुल गई थी और वो अंगड़ाइयां लेने लगा था। सोनी ने भी ये महसूस कर लिया था।
सोनी – तुम्हारा लौड़ा तो खड़ा हो गया ?रात भर चोदने के बाद भी थका नहीं है ?
मैं – जब इसके बगल में कुंवारी चूत हो तो उसके बहते पानी के खुशबु से बहकेगा ही।
सोनी – तुम्हे कैसे पता मेरी चूत बाह रही है।
मैं – जिस तरह से तुम चिपकी हो और अपने पैरों को मेरे पैरों से रगड़ रही हो , पता तो चलना ही है। वैसे भी इसकी खुशबु पुरे रूम में फैली है।
सोनी – एक्सपर्ट हो तुम भी।
मैंने उससे चिपकते हुए कहा – मैं कहाँ, मेरा लंड एक्सपर्ट है।
सोनी – तो एक्सपर्ट को एक बार और एक्सपेरिमेंट करा दें ?
मैं – वो तो तरस रहा है। पर तुम्हारी चूत रात भर छोड़ने से सूज गई है। रहने दो।
सोनी – जिसने सुजाइ है वही अंदर जाकर मालिश कर दे।
मैंने उसे सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर लेटते हुए कहा – पक्का ?
सोनी – हम्म, अब बातें ही करोगे या काम भी।
मैं – क्या काम करना है ?
सोनी – बहन चोदनी है। चोद दो। अब चीखूँ भी तो रुकना नहीं। जितनी बेदर्दी से चोद सकते ही चोद लेना।
मैंने अपना लंड उसके चूत पर सेट किया और एक ही झटके में उसके चूत में डाल दिया। लंड अंदर जाते ही उसके मुँह से चीख निकल पड़ी।
सोनी चिल्लाई – माँ, फट गई मेरी चूत। आह। रंडी बना दिया है तुम्हारी बेटी को।
सोनी की चीख सुन कर मौसी, मौसा और विक्की कमरे में दौड़ते हुए आये। सोनी के चीखने से मैं भी डर गया था। मैं लंड अंदर डाले डाले ही रुक गया।
कमरे में आते ही मौसी बोली – तुझसे जरा भी रहा नहीं जा रहा। फूल से बेटी को रात भर चोदा है और उसकी हालत देखे बिना फर चढ़ गया ?
विक्की – माँ , इसने अभी मुझे भगाया था की नींद आ रही है। सोना है। और देखो खुद ही चढ़ गया।
सोनी ने मेरी तरफ देखते हुआ कहा – बहनचोद , रुक क्यों गया ? चोद मुझे। माँ, मेरे मूड की माँ बहन मत करो , इसे चोदने को मैंने ही कहा है।
मौसी कुछ न कह सकीं। मौसा बोले – मैने मन किया था। पर इन्हे बड़ी फिक्र थी। चलो।
विक्की – मैं ना जाने वाला। इसके बाद मैं चोदूँगा।
सोनी – भाग यहाँ से। मेरी सुबह वाली बात भूल गया क्या ? राज , तुम रुक क्यों गए। पेलो मुझे। माँ, जरा बर्फ और पेन किलर लेकर आओ। जरूरत पड़ेगी।
सब वहां से चले गए और मैं सोनी की चुदाई में वापस लग गया।
सोनी – आह इसस , क्या लौड़ा है तुम्हारा। अंदर तक मजे दे रहा है। चोद दो मुझे। बना लो अपनी रंडी। आह आह
मैं सोनी को बेतहाशा चोदे जा रहा था। मैं बीच बीच में उसके होठो को चूमता तो कभी उसके गर्दन को। कुछ देर की चुदाई के बाद सोनी के चूत ने तो चरम पा लिया पर मेरे नहीं हुआ था। मैंने अब उसकी एक टांग अपने कंधे पर कर लिया और थोड़ा टेढ़ा होकर उसे चोदने लगा। अब मौसी भी कमरे में आ गईं थी। वो साथ में मालिश वाला तेल, आइसपैक और दवा भी लेकर आई थी। सोनी की हालत देख उन्हें चिंता होने लगी थी।
मौसी – रहने दे राज। उसका हो गया गया। देख उसकी हालत। मुझे पता है तेरा पानी जल्दी नहीं निकलेगा। ये मर जाएगी।
सोनी – माँ, तेरी बेटी हूँ मुझे कुछ नहीं होगा। थोड़ा और सब्र रखो। मुझे पता है तुम्हे भी चुदने का मन कर रहा है। बस मुझे कुछ देर और मजे ले लेने दो।
कुछ देर की चुदाई के बाद सोनी की हालत ख़राब होने लगी। मौसी ने ये देखते ही अपने सारे कपडे उतार दिए और हाथो और घुटनो के सहारे कुतिया की तरह बन गईं। मैंने भी सोनी को छोड़ दिया और उनके पिछवाड़े में अपना लंड घुसा दिया। मैंने मौसी के बालों को इस तरह पकड़ लिया जैसे वो घोड़ी हो।
मौसी – आह , चोद दे मुझे। तेरे गधे जैसे लंड को मेरी जैसी ही संभाल सकती है। आह आह। मार ले मेरी गांड।
अब कमरे में विक्की भी आ गया था। पर इस बार उसने कोई फालतू बात नहीं की। बल्कि उसने सोनी को पानी के साथ दवा निकल कर दिया जिसे सोनी ने खा लिया। उसके बाद वो उसे पीठ के बल लेता कर उसके कमर पर तेल से मालिश करने लगा। कमरे में दो तरह के प्रेमालाप चल रहे थे। मैं मौसी को चोद रहा था और विक्की प्यार से अपनी बहन की मालिश कर रहा था। मालिश के वक़्त वो पूरी सावधानी रख रहा था की किसी के कोई सेक्सुअल एडवांसेज ना करे।
इधर मेरे लंड ने भी मौसी के गांड में अपना माल उड़ेल दिया था। मुझसे चुदने के बाद मौसी विक्की को हटा कर सोनी की सिंकाई और मालिश करने लगीं। मैं भी पलट कर वहीँ सो गया। विक्की फिर से कमरे के बाहर चला गया। मैं और सोनी फिर नींद के आगोश में चले गए।
आगे का पूरा दिन और रात आराम में ही बीता। सोनी ने दो तीन दिन के लिए काम अन्वी को सौंप दिया था। सोनी ने विक्की को भी इनाम दिया। उसने विक्की को अपने बुटीक जाकर अन्वी की मदद करने को कहा। उसने उससे बोला – काम समझ ले अगर आगे मेरे साथ बिजनेस करना है तो। और अन्वी को बिना मेरे आये चोदेगा नहीं।
कहाँ मैं एक दिन के लिए आया था। मैं भी दो दिन एक्स्ट्रा रुक गया। मैंने, सोनी , विक्की ने कुछ तो प्लान किया की सोनी के काम की ब्रांडिंग कैसे की जाए। मौसा ने भी हमारा सपोर्ट करने का वादा किया।
तीन दिन बाद मैं अपने घर वापस आ गया। जहाँ सुधा दी और माँ मेरे बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मौसी ने उन्हें सब बता दिया था। सिर्फ उन दोनों को ही नहीं , श्वेता को भी सोनी ने खुद ही बता दिया था। घर लौटते वक़्त श्वेता , सोनी और सुधा दी तीनो मेरे हाल पूछ रहे थे। सबको चिंता थी की मैं अकेले लम्बे ड्राइव पर हूँ। पर जब इतने चिंता करने वाले हो तो किसी को क्या ही कुछ होगा।
