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Toggleमेरी माँ बहने और उनका परिवार – Update 26
फंक्शन वाले दिन सुधा दीदी के ससुराल से भी सभी लोग आ गए थे। सबके रुकने का इंतजाम हमारे पास के ही दुसरे मकान में कर दिया गया था। उस दिन परिवार के सभी लोग आ गए थे। चाचा भी गाँव से आये थे। सुबह पंडित जी ने पूजा पाठ करवा दिया था। शाम को पार्टी थी। पार्टी एक बड़े से पार्टी लॉन में रखा गया था।
मैंने देखा नाना दोनों मौसियों के साथ लगे हुए थे। दोनों मौसा भी माँ, चाची और सुधा दी की सास के साथ बात करने में लगे थे। सबने अच्छे कपडे पहन रखे थे। मैंने सोनी को देखा तो उसने बहुत ही सुन्दर सूट डाला हुआ था। सूट काफी डिज़ाइनर था। उसने खुद ही डिज़ाइन किया हुआ था। मैं, श्वेता और सोनिया सुधा दी के पास थे। जब वो आई तो सबने उसकी बहुत तारीफ की।
मैंने भी कहा – मुझे पता नहीं था मेरी एक बहन इतनी बढ़िया डिज़ाइनर है।
ये सुन श्वेता बोल पड़ी – सिर्फ सुन्दर डिज़ाइनर एयर सुन्दर भी है ?
मैं – ओफ़्कौर्स सुन्दर है। अच्छे कपडे सुन्दर लोगों पर ही जमते हैं। तेरे पर थोड़े ही जांचेंगे।
श्वेता – अच्छा जी। बच कर रहना सोनी। कहीं तुम्हारे गोद में भी नन्हा मुन्ना न दे दे। क्यों सोनिया ?
सोनिया हँसते हुए – हाँ भाई। तगड़ा हथियार लेकर घूमता है।
सोनी थोड़ी शरमाई पर बोल ही पड़ी – लगता है सबने ट्राई किया हुआ है ?
मैं – मौका ही कहाँ मिलता है। बस सो पीस है।
तभी वहां मामी आ गईं। उन्होंने कहा – कौन सो पीस है भाई ?
सुधा दी – आपके सामने सब बेकार हैं। आप आईं है तो अब शो ठीक हुआ।
श्वेता ने उनके गोद से बच्चा ले लिया।
मैं – मामी का शो देखना तो अभी बचा हुआ है।
मामी – तुम्हे कितना बुलाया पर आते ही नहीं। वो देखो अपने नाना को आ गए हैं। एक तुम हो तुम्हे शो नहीं देखना और एक वो हैं उनको शो के बिना मजा ही नहीं आता। देखो लीला से कैसे चिपके हुए हैं।
ऐसे ही हंसी मजाक चल रहा था।
उधर दोनों मौसा माँ से कह रहे थे – जिज्जी आजकल आप आती ही नहीं। भाई साहब के जाने के बाद से हमारे तो मजे ही ख़त्म हो गए।
माँ – अब, बच्चों के खेलने कूदने की उम्र है। हम क्या ही मजे करे। वैसे भी राज के पापा के जाने के बाद इन सबमे मन नहीं लगता।
बड़े मौसा बेशर्मी से सुधा दी के सास से बोल पड़े – बहन जी, आपने बड़ा अच्छा किया जो इसके लिए मान गई। वैसे मुझे लगता है सुधा के हस्बैंड कीतरह आपके पति भी कुछ नहीं कर पाते होंगे।
पता नहीं माहौल का असर था या सुधा दी की सास चुदास हो रखीं थी। बोली – क्या भाई साहब अब तो पोते नातियों से खेलने की उम्र है।
छोटे मौसा – अरे आप भी कैसी बात कर रही हैं। आपको देख कर तो अच्छे अच्छे अपना खड़ा कर लें।
वो शर्मा गईं।
माँ बोली – आप सब भी। बच्चे भी हैं यहाँ। यही सब करने आये हो क्या। कुछ तो शर्म करो।
बड़े मौसा – अरे इतने सालों बाद मिले हैं। रिश्ता ही मजाक का है। अब साली और समधनों से मजाक न करें तो फिर किससे करें।
तभी मुझे हलवाई से कोई काम पड़ा और मैं उधर चल पड़ा। कुछ देर उससे बातें करने के बाद मैं जब पंडाल की तरफ जा रहा था तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ कर एक तरफ खींच लिया। मैं जैसे ही सम्भला उसने मेरे पेंट के ऊपर से ही मेरे हथियार को पकड़ लिया। वो बोली – तेरे लंड में बहुत खुजली हो रही थी। कपडे मेरे ऊपर नहीं जांचेंगे।
वो श्वेता थी। मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होठो पर किस कर दिया और फिर बोला – ये सब तुझे पाने के लिए ही है जानेमन। तू मान जाती तो पटाने के जरूरत ही नहीं पड़ती। पर तू और तेरी शर्त।
उसने मेरा लंड छोड़ा नहीं , बल्कि मेरे बॉल्स को दबाते हुए बोली – मैं तो आखिरी में मिलूंगी। जब तक तू इस घर की साड़ी औरतों को नहीं चोद लेगा। मैं नहीं मिलूंगी।
मैं गिड़गिड़ा उठा – मैंने कहा – यार इन्हे तो छोड़। और ये कौन सी नई बात है। तीन कुंवारियों की शर्त थी। दो हो गईं। पर अब ये साड़ी औरतों की बात कहाँ से आ गई।
वो बोली – मेरा मन बदल गया।
मैंने कहा – यार ये चीटिंग है।
उसने मेरे सामान को छोड़ दिया और बोली – ठीक है। थोड़ा रिलैक्स कर देती हूँ। बीच बीच में कुछ इनाम देती रहूंगी। पर लंड चूत में तभी जायेगा जब इसने सारे किले फ़तेह कर लिए होंगे।
मैंने चेहरा बना लिया – यार ये गलत है।
श्वेता – पर इसमें तेरी ही तो मौज है।
मैं – पर तू ये क्यों कर रही है ? तुझे बुरा नहीं लग रहा ?
श्वेता – नहीं। जैसे आज सब नाना के बारे में बोल रहे हैं। एक दिन सब तेरे बारे में बोलेंगे। पर तू मुझसे कुछ भी नहीं छुपायेगा। और सबकी चुदाई के किस्से भी सुनाएगा।
मैं सोच में पड़ गया। नर्स वाली बात इसे नहीं बताई थी मैंने।
मैं बोला – मान लो कुछ तुम्हे नहीं बता पाया तो।
बोली – मुझे सब मालूम पड़ जायेगा। अब तक का सब पता है। उस नर्स का किस्सा भी।
मैं आश्चर्य में पड़ गया। बोला – तुम्हे कैसे पता ?
श्वेता – सुधा दी ने बता दिया था। मुझे के िदिक्क़त नहीं है। पर आगे से मुझे सारा हिसाब चाहिए।
मैंने उसके स्तन दबा दिए और कहा – जो हुकुम।
उसने मेरा हाथ हटा कर बोला – अब मुझसे बिना पूछे तुम सिर्फ मुझे किस कर सकते हो। वो भी मूड देख कर। बाकी का हक़ मैं ही दूंगी।
मैंने सर पकड़ लिया – बोला , यार सबकी लेने में उम्र निकल जाएगी। मान लो कोई तैयार नहीं हुआ तो। ये सोनी तो राजी होने वाली नहीं है। और लीला दी की छोटी बहन सुरभि के बारे में तो ज्यादा पता ही नहीं।
श्वेता – ये सोनी तो मान जाएगी। उसके अंदर बहुत आग है। बस दबा कर रखा है। मेरा गेस है घर की सबसे वाइल्ड सेक्स करने वाली लड़की होगी ये। बाकी सुरभि के बारे में पता लगाती हूँ।
मैं – सोनी के बारे में कैसे पता ?
श्वेता – तुम बुद्धू हो। एकदम मेरी जैसी है वो । जब देगी तो इतने मजे देगी की तुम संभाल नहीं पाओगे। वैसे उसने तुम्हारे बारे में इंटरेस्ट दिखाना शुरू कर दिया है। संभाल कर कदम बढ़ाओगे तो दी देगी। पर अभी मंजू मौसी के साथ डबलिंग का जुगाड़ करो।
मैं – तो तुम्हे पता है ?
श्वेता हँसते हुए बोली – तेरी टारगेट ने ही बताया है। तभी तो कह रही हूँ , बहुत आग दबाया हुआ है उसने।
फॉर वो बोली – मैं जा रही हूँ,। तुम थोड़ी देर बाद आना।
मैं – क्यों ? शर्माना क्यों ?
श्वेता – शर्म नहीं है मूरख। जो किया ही नहीं वो दिखाना क्यों ?
मैं – क्या पता इसी जलन में सोनी मान जाये।
वो ठिठक गई। उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली – साला कौन कहता है तुम्हारे पास दिमाग नहीं है।
हम दोनों साथ ही चल पड़े। जैसे ही पहुंचे सब हमें ही देख रहे थे। लगता था सब हमारा इंतजार कर रहे थे। मैंने कहा – चलिए खाना खाइये सब लो। हलवाई ने सब रेडी कर दिया है।
मुझे देख विक्की एकदम आश्चर्य में था। सोच में तो माँ और चाची भी थी। पर सब ग़लतफ़हमी में थे। ये देख हम दोनों के मजा आ रहा था।
खैर किसी ने हमें कुछ कहा नहीं।
खाते समय मेरे पास सोनी आई। वो मुझे अजीब नजरों से घूर रही थी। मुझसे रहा नहीं गया। मैं बोल पड़ा – ऐसे मत देखो प्यार हो जायेगा।
वो चिढ कर बोली – मुझसे दूर रह। बाकी बहनो को प्यार दे।
मैं बोला – क्यों तुम्हारे पास चूत नहीं है क्या ? तुम्हे निचे खुजली नहीं होती ? या अभी जवानी आई ही नहीं है ?
वो गुस्से में मुझसे दूर चली गई। तभी सोनिया आई। बोली – लगता है आज श्वेता का शिकार हो गया?
मैं – कहाँ यार। वो तो बस मुझसे धमका रही थी। वैसे कोई और है जो तुम्हारा शिकार करना चाह रहा है।
वो समझ गई की मैं विक्की की बात कर रहा हूँ। वो बोली – मेरा सौदा करना चाह रहे हो क्या ?
ये कहकर वो नाराज होकर मेरे पास से चली गई। पता नहीं मेरे और सोनिया के के बीच ये प्यार और नाराजगी का क्या रिश्ता था। खैर मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा।
पार्टी की बाद रात को मामा ,मामी,नाना , बड़ी मौसी और उनका परिवार मामा के साथ चला गया। दोनों मौसा और सुधा दीदी के ससुराल वालों के लिए होटल कर दिया था पर वहां भी उनकी सास और सोनिया घर ही चले आये। चाचा चाची भी घर आये। छोटी मौसी , विक्की और सोनी हमारे घर ही आये। घर में कमरों की कमी नहीं थी। छत भी अपना ही था। सोने का इंतजाम ऐसे हुआ था की सुधा दी के साथ सोनिया और उनकी सास सो गईं। चाची और चाचा एक कमरे में। श्वेता और सोनी माँ के कमरे में चले गए। छोटी मौसी ने कहा हम तो छत पर ही सोयेंगे। तो मैंने माँ, अपना मंजू मौसी और विक्की का जुगाड़ छत पर कर लिया। मुझे विक्की ने ही इसके लिए कन्विंस किया था। ये उसका ही प्लान था। वो चाहता था की आज मैं उसकी माँ को उसके साथ चोद लूँ। उसे आशा थी की शायद माँ उसे अपनी चूत दे दें।
सोनिया मुझसे अब भी नाराज थी। पर मैं कुछ कर नहीं सकता था। विक्की को जब उसकी नाराजगी का कारण पता चला तो उसने उसे पटाने और चोदने का प्लान पोस्टपोन कर दिया था। इधर श्वेता के सोनी को भांपने में लगी थी। मैंने पहले ही श्वेता को विक्की का प्लान बता दिया था। बता दिया था की आज रात शायद मौसी का नंबर लग जाए।
खैर रात को मैं , माँ , मौसी और विक्की ,हम चारों छत पर सोने के लिए चले गए। पहले माँ सोईं थी , फिर मौसी , फिर विक्की और लास्ट में मैं। माँ और मौसी एक दुसरे की तरफ मुँह करके अपने पुराने दिन की बातें कर रही थी। मौसी ने चादर ओढ़ रखी थी। मैं और विक्की आपस में बात कर रहे थे। तभी विक्की ने मुझे ईशारा किया की अब वो अपनी माँ को छेड़ने जा रहा है। मैं चुपचाप उसे देखने लगा।
वो मौसी के चादर में घुस गया। पहले मौसी ने हाथ से मन किया पर वो नहीं माना। फिर उसने अपना हाथ आगे ले जाकर मौसी के स्तनों पर रख दिए और अपना लैंड पीछे से उनके गांड में घुसाने लगा। मौसी ने एक नाइटी पहनी हुई थी और उसके निचे कुछ भी नहीं पहना था। माँ भी वैसे ही कपड़ों में थी।
विक्की की हरकतों से मौसी की हालत खराब होने लगी। वि चादर के अंदर से ही अपने हाथों से उसे पीछे करने लगीं। माँ ने उन्हें हिलते डुलते देखा तो समझ गई की कुछ तो हो रहा है।
माँ ने कहा – क्या हुआ मंजू ? इतना परेशान क्यों है ?
मौसी – ये विक्की शैतानी कर रहा है।
माँ – विक्की क्यों परेशान कर रहा है माँ को ?
विक्की – अरे मौसी परेशान कहा कर रहा हूँ। अब माँ को पकडे बिना मुझे नींद तो आती नहीं है।
माँ – ठीक ही तो है मंजू। सोना ही तो चाह रहा है।
मौसी – दीदी तुम नहीं समझोगी। अभी चिपका हुआ है। थोड़ी देर में चढ़ जायेगा।
माँ हँसते हुए – चढ़ा लेना , दिक्कत क्या है?
मौसी – राज के सामने ? तुम उसे अपने ऊपर चढ़ा लो तो सोचूं भी।
माँ – ना भाई ना। मैंने एक आध बार गलती की है। अब राज नजदीक भी नहीं आता। तू लेले। तुझे तो वैसे भी सैंडविच बनने में मजा आता है।
मौसी – हीहीहीहीही , तुम भी दीदी।
अब तक राज ने मौसी की नाइटी ऊपर कर दी थी और अपना लंड उनके चिकने गांड के फैंको के बीच में फंसा लिया था।
तभी माँ बोली -क्यों मेरे राज में क्या बुराई है ? एक बार उसका सामान देख लेगी तो फिर कोई दूसरा सामान नहीं लेगी। राज जरा आकर मौसी को अपना लंड दिखा।
मैं अब तक शांत बैठा हुआ था। मैं उठ कर मौसी के सामने आ गया और उनके चेहरे के पास बैठ कर अपना लंड निकाल लिया।
माँ ने मेरा लंड अपने हाथों से पकड़ कर बोलै – बाउजी का ही बस थोड़ा बड़ा है पर इसका उनसे मोटा है। ले लेगी तो भूल जाएगी सब।
मौसी भी मेरा लंड देख आश्चर्य में थी। विक्की भी उचक कर देखने लगा।
विक्की बोल पड़ा – मां ये तो भयंकर है। फाड़ देगा तुम्हारी।
मौसी ने मेरा लंड अपने हाथो में लिया और नापने लगीं।
माँ – हाथो से क्या नाप रही है। मुँह में ले।
ऐसे मजा नहीं आएगा – कहकर मौसी अब बैठ गईं। उन्हें बैठते देख मैं खड़ा हो गया। अब विक्की का खेल बिगड़ गया था। उसे भी बैठना पड़ा। उसने अब मौसी के नाइटी को कमर पर कर लिया और कहा – माँ मेरे लंड पर बैठ कर उसका चूस।
माँ – हां मंजू, बेचारे विक्की का मजा क्यों ख़राब कर रही हो।
मौसी – ये मादरचोद कहाँ मानेगा।
कह कर मौसी उठी और विक्की के तरफ पीठ किये हुए उसके गोद में बैठ गईं। पर उन्होंने उसका लंड अंदर नहीं लिया। विक्की अब भी उनके जांघो के बीच लंड रगड़ कर संतोष कर रहा था। इधर मौसी ने मेरा लंड एकदम कुल्फी की तरह चाटना शुरू कर दिया।
मैं – वह मौसी , मस्त चाटती हो। तुम सब बहाने एकदम माहिर हो लंड चूसने में। जरा अंदर लो न।
मौसी – पहले चाट लेने दे लाल। मुँह में भी लुंगी।
कुछ देर कुल्फी की तरह चाटने के बाद मौसी ने मेरे लंड की मुँह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मुझे भी अब जोश आ गया। मैंने उनका सर पकड़ लिया और मुँह को चोदने लगा।
मौसी अब गुं गुं कर रही थी। माँ ने उनकी हालत देखि तो कहा – बस कर राज। सिर्फ एक ही छेड़ नहीं है। चोदने के लिए निचे चूत है।
मैंने फिर अपना लंड बाहर निकाल लिया। मौसी खांसते हुए बोली – मादरचोद , मेरा मुँह था तेरी माँ का भोंसड़ा नहीं जो चोदने लगा था। माँ का नाम सुन मैंने उनके गाल पर एक थप्पड़ पारा और कहा – माँ की चूत है , भोसड़ा तेरा है। खबरदार जो माँ को कुछ बोलै तो।
मौसी के आँखों में आंसू आ गए। बोली – भोसड़ी वाले मैं भी माँ जैसी ही हूँ।
मुझे गलती का एहसास हुआ। मैं बैठ कर उनके पैर पकड़ लिए और माफ़ी मांगते हुए बोला – माफ़ कर दो मौसी , बहुत दिन बाद सेक्स मिला तो थोड़ा वाइल्ड हो गया था।
मौसी ने मुझे गले लगा लिया और बोली – मुझे बुरा नहीं लगा। कोई तो मरद है इस घर में जो अपनी माँ की इज्जत करता है। वार्ना यहाँ देख इसने तो मुझसे बिना पूछे ही तेरे साथ शेयर करने की प्लानिंग कर ली थी।
मैं – माफ़ कर दो उसे। भोला है है।
मौसी – हाँ भोसड़ीवाला भोला ही है।
मैं हंसने लगा।
विक्की बोला – माँ , अब तो दे दो।
मौसी – हाँ अब तो तुम दोनों को देना पड़ेगा। एकदम गरम कर दिया है।
अब विक्की लेट गया और मौसी उसके चेहरे की तरफ पीठ करके उसके कमर के दोनों तरफ पैर कर लीं। उन्होंने धीरे से अपनी गांड में विक्की का लंड लेना शुरू कर दिया। या तो विक्की का लंड छोटा और पतला था या फिर मौसी के गांड फ़ैल कर फाटक हो गई थी। बिना तेल के अंदर ले लिया था। अब मेरी बारी थी। मैं मौसी के सामने आया और विक्की के पैरों के दोनों तरफ पैरकरके अपना लंड मौसी के चूत के सामने कर दिया। मैं धीरे धीरे खिसक कर मौसी के चूत में लंड डालना लगा। मैं और मौसी दोनों कोशिश रही कर रहे थे के विक्की के ऊपर वजन न पड़े। पर विक्की तो इस थ्रीसम के लिए पागल था। अब मैंने और विक्की दोनों ने मौसी की चुदाई शुरू कर दी। इन सबके बीच माँ बैठी थी। माँ ने गजब का संयम बना रखा तह । इंटने गरम माहौल के वावजूद भी वो बस हमारी चुदाई देख रही थी।
मौसी चुदते हुए – आह , मजा आ गया। दीदी राज में तो बड़ा दम है। अभी पूरा अंदर नहीं लिया है फिर भी लग रहा है लोहे का रोड दाल लिया है अंदर। आह आह।
माँ – सोच मंजू जब पूरा अंदर जायेगा तो क्या होगा।
मौसी – दीदी मेरे लाल का भी कुछ करो।
माँ को थोड़ी दया आ गई। वो उठ कर विक्की के सर की तरफ गई और अपनी नाइटी का चेक खोल अपनी दूध उसके मुँह में दे दिया।
अब रस्थिति ये थी की विक्की माँ की गोद में सर रख कर उनके दूध पी रहा था। मौसी उसके लंड गांड में डाले उछाल रही थी और मैं उन्हें आगे से छोड़ रहा था। बहुत हगरम माहौल था। मुझे इस आसन में आराम नहीं था पर विक्की की मौज थी। उस पर से उसे माँ का दूध भी मिल गया था। कुछ ही देर में वो फारिग हो गया।
उसके खलास होते ही मौसी बोली – मादरचोद को बस अंदर डालने के लिए लंड चाहिए होता है। दो चार हक्के में ही दम तोड़ देता है।
मैंने अब मौसी का हाथ पकड़ा और बोला – मेरी रंडी मौसी गुस्सा क्यों हो रही हो। बेचारा तब से तुम्हारे पिछवाड़े में लंड डाले पड़ा था। आओ मैं तुम्हे खुश कर देता हूँ।
मैं उन्हें वही छत पर बानी टंकी के पास लेकर चलता हूँ। जब मैं उठ रहा था तो मुझे लगा कोई छुप कर सीढ़ियों से हमें देख रहा है। मुझे लगा श्वेता होगी। उसे ही पता था की आज मैं मौसी की मारने वाला हूँ। मैं भी जानबूझ कर इस तरह मौसी को टंकी के तरफ ले गया जिससे उसे पूरा नजारा दिखे। मैंने मौसी को टंकी के पास बने बेच पर चौपाया बनाया और पीछे से उनके चूत में लंड दाल दिया। हालाँकि पीछे से डालने की वजह से पूरा लंड अंदर नहीं गया था पर फिर भी निचे वाले आसन से बढ़िया था। मुझे अब आराम था। मैंने मौसी के बाल पकडे और उन्हें घोड़ी बनाकर पीछे से चोदने लगा।
मौसी – आह ऊह, मस्त घोड़े जैसा लंड है लाल। छोड़ मुझे आह आह। पेल डाल। सच में बाउजी का लंड भी फेल है तेरे सामने। आह आह और तेज फाड़ दे मेरी चूत। ऊह ऊह। कुछ देर के बाद मौसी के चूत ने पानी छोड़ दिया पर मेरा नहीं हुआ था।
मौसी ने कहा – बस कर लाल मेरी चूत तो भोसड़ा हो गई। अब कितना पानी निकलेगा। आह आह , दीदी रोको इसे।
मुझे भी उन पर दया आ गई।
मैंने कहा – ठीक है मौसी , अब गांड लूंगा फिर।
मौसी – मार ले गाड़ , पर आराम से। जब चूत का ये हाल किया है तो गांड का क्या करेगा। पर तेरा लंड देख कर गांड भी कुलबुला रही है।
मैंने भी खूब सारा थूक लिया और कुछ अपनी पंड पर और कुछ उनके गांड के छेड़ के आस पास लगा कर अपना लंड डालना शुरू कर दिया । अभी मेरा लंड आधा भी नहीं गया होगा की मौसी चीत्कार उठी – भोसड़ी के निकाल। मेरी गांड फाड़ देगा क्या ? नहीं मरवानी मेरी गांड निकाल।
मैं – चिल्लाकर मुहाल को बताना है क्या छिनाल। चुप रह वार्ना पूरा फाड़ दूंगा।
मैंने फिर लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। अब मौसी को फिर मजा आने लगा था। उनकी चूत भी कुलबुलाने लगी थी।
वो विक्की से बोली – बहन के लौड़े मौसी का दूध पी लिया तो आकर मेरी चूत की धार पी। चल आ चाट मेरी चूत।
विक्की माँ का दूध छोड़कर मौसी के पैरों के पास बैठ गया और उनके चूत को चाटने लगा।
अब मैं उनकी गांड मार रहा था और विक्की उनके चूत में जीभ डाले छोड़ रहा था। मैंने उनके झूलते मुम्मे भी पकड़ लिए थे। उधर माँ ये नजारा देख कर अपनी चूत में ऊँगली किये जा रही थी। उनकी जगह को कोई और होता तो अब तक विक्की से चुद चूका होता।
मौसी – आह आह मजा आ गया। क्या मस्त लंड है तेरा। विक्की के पापा देखो मेरे भतीजे का लंड। जोर ऐसा होता है। बाउजी अब आपका लंड भी फेल है। आह आह। और तेज। फाड़ दे मेरी गांड।
मौसी के उत्तेजक बात सुनकर मेरा लंड भी अब अपना माल छोड़ने वाला था। कुछ एक धक्के के बाद मैंने कहा – मौसी गांड में लोगी या मुँह में।
मौसी – मुँह में तो फिर कभी। अभी अंदर ही डाल।
मैंने पूरा माल उनके गांड में डाल दिया। मौसी ने विक्की से कहा – हट निचे से मुझे मूतना है।
विक्की – कर दो न। वैसे भी बहुत दिन हुए नहाये हुए।
मौसी ने भी बेशरमी के हद को पार करते हुए विक्की के ऊपर मूतना शुरू कर दिया। इधर मेरा लंड मौसी के गांड में झटके लेता हुआ वीर्य की बुँदे उलट रहा था उधर मौसी विक्की के गर्दन और कंधे से निचे उसे भीगा रही थी।
जब मौसी ने पूरा मूत लिया तो मैंने भी अपना लंड निकाल लिया।
विक्की – मजा आ गया भाई। क्या मस्त चोदा है तुमने माँ को। पहली बार इतना मस्तियाते हुए देखा है इसे मैंने।
मौसी – देख ले भाई में कितना दम है। अब कैसे मुझे खुश रख पायेगा।
माँ पीछे से बोल पड़ी – बेटा है तेरा। वही खुश रखेगा। अभी सीखना बाकी है। सीख जायेगा तो बिना लंड डाले ही तुझे खुश कर देगा।
मौसी – हीहीहीहीहीही। जैसे तुम और माँ शादी से पहले करती थी।
विक्की और मौसी छत पर बने बाथरूम में नहाने के लिए घुस गए। मैं वहीँ थक कर लेट गया। छत पर जो कोई भी आया था कब गया पता नहीं चला। मैं लेता था और माँ ने मेरे बाल सहलाने शुरू कर दिए। मेरे सामने उनका स्तन लटका हुआ था। माँ बोली – पियेगा ?
तभी मुझे याद आया आह सुधा दी ने मुझे बुलाया था। मुझे उनके दूध खली करने थे।
मैंने माँ से कहा – ओह्ह माँ मैं तो भूल ही गया। सुधा दी के दूध खली करने थे। वो तो नाराज होंगी।
माँ – जा जल्दी से भाग। उसे दर्द हो रहा होगा। मेरा फिर पी लेना। वैसे भी विक्की ने लगता है काट लिया है।
मैं उठते हुए बोला – उसने मेरी माँ के काटे हैं। मैं उसके माँ का पूरा दूध ही काट कर रख लूंगा।
माँ हंसने लगी। मैं सीढ़ियों की तरफ चल पड़ा।
