श्वेता को देख घर में सभी खुश हो गए। ख़ास कर सुधा दी। उसकी और सुधा दी की बहुत पटने लगी थी। घर पहुँचने पर उसकी काफी आवभगत हुई। उसने घर पहुँच कर कपडे बाल लिए और सुधा और सरला दी से बातें करने लगी। गांव से लौटने के बाद उससे किसी की कोई ख़ास बात नहीं हुई थी। तीनो सोफे पर बैठ गलचौर में लगीं थी। मैं किचन में चची और माँ के साथ मस्ती कर रहा था।
सुधा दी के चूत को लंड नसीब नहीं हो रहा था। डॉक्टर ने उन्हें इंटरकोर्स करने से मना किया था। पर उनके अंदर की ठरक ख़त्म नहीं हो रही थी। और अब उनकी ठरक चूत ढूंढने में लगी थी। वो श्वेता को सेड्यूस करने के मूड में थी। उन्होंने मुझे पहले ही बता दिया था। इसी लिए मैं किचन में ऐसी हरकत कर रहा था जिसे देख श्वेता भी गरम हो जाये।
सरला दी – और बता , सुना तूने गाँव में इस बार इसके लौड़े के लिए कई चूतो का इंतजाम किया ?
श्वेता – मैंने कहा कुछ किया , इसकी माशूका ने किया।
सुधा दी – माशूका ? यहाँ तो सब उसकी माशूका हैं।
श्वेता – वही जिसके साथ अभी लगा हुआ है।
सरला दी – चाची ने ?
श्वेता – हाँ।
सरला दी – पर तूने भी तो इसके लिए दूध का जुगाड़ किया।
श्वेता – हीहीहीही, सोचा कुछ मदद कर दूँ।
सुधा दी – तूने भी तो कम मस्ती नहीं की वहां। सुना है तेरा स्वाद भी बड़ा अच्छा है ।
श्वेता शर्मा गई। सुधा दीदी ने उसके गाल को किस करके कहा – हमें भी टेस्ट करा दे ना।
श्वेता – आपको टेस्ट कराने के लिए तो यहाँ तीन तीन रसभरी चूतें हैं।
सुधा दी ने अपना हाथ सीधे उसके जाँघों के बीच में रख दिया और कहा – पर कोई कुँवारी नहीं है। बहुत दिन हुए कोई कुँवारी चूत का रास लिए।
सरला दी – लगता है तुम्हे सोनिया की याद आ रही है।
सुधा दी – जब श्वेता सामने है तो उसे क्यों याद कर। मेरी बहन से बढ़िया कौन होगा।
सरला दी ने भी अपनी जीभ श्वेता के गर्दन को चाटते हुए कहा – ये तो सही कह रही हो।
दोनों ने श्वेता को दोनों साइड से चूमना और चाटना शुरू कर दिया।
इधर मैंने किचन में चाची आटा गूंथ रही थी और मैं उनके पीछे खड़े होकर उनके मुम्मे मथ रहा था। चाची और माँ ने हमेशा की तरग ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था। मेरे मथने के चक्कर में उनके ब्लाउज का हुक खुल चूका था। चाची भी चुदासी हो राखी थी। उन्होंने अपने गांड को पीछे धकेलना शुरू किया जिससे मेरा लंड उनके गांड के फांको के बीच में फंस गया। अब मैं चाची के मुम्मे निचोड़ रहा था और चाची अपने कमर को पीछे करके गांड मरवाने वाले पोज़ में लंड ले रही थी। हम दोनों की हरकत देख माँ ने कहा – तुम दोनों ऐसे करोगे तो खाना क्या बनेगा ? देर हो जाएगी।
मैंने माँ को कहा – पीछे देखो , किसी को खाने की जल्दी नहीं है।
माँ ने देखा तो ड्राइंग रूम में नजारा कुछ ऐसा था। तीनो की तीनो लड़कियां टॉपलेस हो राखी थी। सुधा दीदी नीचे जमीन पर बैठी श्वेता के जांघो के बीच जीभ चला रही थी। शायद श्वेता का शार्ट और पाणित्य भी उतर चुकी थी। श्वेता के हाथ सुधा दीदी के सर पर था और वो अपने कमर को हिला रही थी। सरला दीदी श्वेता के ऊपरी बदन को चाट रही थी।
ये देख माँ ने कहा – ये घर चोदुओं और चुदक्कडों का घर हो गया है।
चाची – सब तुम्हारी ही तो औलाद हैं। तुम्हारी तरह मस्त।
माँ – अभी तो तुम मस्त हो रखी हो।
चाची – तुम्हारे बेटे के लौड़े ने मस्त कर रखा है। लल्ला अब बर्दास्त नहीं होता , घुसा दो अपना लौड़ा मेरी चूत में।
मैंने चाची के पेटीकोट की डोरी खोल दी। उनका पेटीकोट जमीन पर था और वो पूरी तरह से नंगी। मैंने उनके गांड पर दो तीन चटाक चटाक
थप्पड़ लगाए ।
चाची – आह लल्ला काहे मारते हो।
मैं – चाची तेरा मस्त गांड देख कर रहा नहीं जाता। ढोल बजाने का मन कर जाता है।
चाची – ढोल बाद में बजाना अभी तो तुम्हारी बांसुरी मेरे निचे के मुँह में चाहिए।
मैं – अभी लो।
मैंने उनको थोड़ा झुकाया और एक ही झटके से अपने लंड को उनकी चूत में पेल दिया।
चाची – आह , मार डाला रे। बड़ा सा लौड़ा धीरे डालना था न।
माँ – तुझे ही तो चुदवाने का शौक है न। राज बेटा फाड़ दे इसकी चूत। माँ बेटी दोनों मजे से चुदनी चाहिए।
चाची की चीख और माँ की ललकार सुन उधर सुधा दी ने भी श्वेता को अपने जीभ से चोदना शुरू कर दिया। उसकी चूत से रास बहे जा रहा था। वो कई बार स्खलित हो चुकी थी पर सुधा दी ने नहीं छोड़ा। मैंने चाची को जमीन पर कुतिया बना दिया और उनके चेहरे को ड्राइंग रूम की तरफ कर दिया। इस तरह से हम दोनों वहां चल रहे खेल को भी देख सकते थे।
दीदी – उम्म्म, मस्त चूत है तेरी। क्या स्वाद है।
श्वेता – दीदी क्या चूसती हो। चूस चूस कर मेरा क्लीट लम्बा कर दिया। बस करो ना।
दीदी – अभी जी नहीं भरा है।
श्वेता – दीदी अभी मैं दो तीन दिन हूँ। पी जाना जितना पीना है। अभी बस करो, मेरी मूत निकलने वाली है।
सुधा दी ने कहा – वही तो मैं चाहती थी। निकलने दे। मुझे उसका स्वाद चाहिए।
श्वेता – दीदी वो गन्दा होता है।
सुधा दी -कुछ गन्दा नहीं।
उन्होंने अपनी जीभ श्वेता के मूत्रद्वार पर रख चाटना शुरू किया। उधर सरला दी सोफे से ही झुक कर उसके क्लीट को चाट रही थी। श्वेता से बर्दास्त नहीं हुआ , उसने मूत की एक धार छोड़ दी , जो की सीधे सुधा दी के चेहरे पर गिरी। सुधा दी ने कुछ चाटा और फिर अपने शरीर पर गिरने दिया। श्वेता का शरीर झटके दे रहा था और वो मूते जा रही थी। सुधा दी और सरला दी दोनों उसके मूत से नहाये जा रही थी। मुझे सुधा दी के इस शौक का पता नहीं था। सरला दी ने इसकी एक झलक दीप्ति मैम के घर में दिया था पर मेरी दोनों बहने इतनी वाइल्ड होंगी पता नहीं था। उन तीनो की हालत देख मेरे लंड ने भी अपना पूरा लोड चाची के चूत में डाल दिया। हम दोनों वहीँ जमीन पर लेट गए।
कुछ देर बाद माँ ने हमसे कहा – हो गया हो तो खाना भी बना लें या ऐसे ही पेट भरना है। चाची तह कर नंगे ही माँ की मदद करने लग गई। मैं उठ कर ड्राइंग रूम में आ गया। देखा तो सरला दी वहां जमीन से पड़े कपड़ो से सफाई कर रही थी। पर सुधा दी तो अब भी श्वेता के पैरों और जांघों में लगी मूत चाट रही थी। श्वेता तो लगभग होश खो चुकी थी। वो सोफे के हेडरेस्ट पर आँखे बंद किये पड़ी हुई थी।
मैं वहाँ जाकर सोफे पर नंगे ही बैठ गया। पर लगता था सुधा दी का मान नही भरा था। वो उठ कर चाची के पास पहुँच गईं। चाची नंगी ही खड़ी थीं। दीदी उनके पैरों के पास बैठ गईं और उनके चूत से रिस रहे माल को पीने लगी।
माँ ने देखा तो कहा – लगता है आज तुम सबका पेट ऐसे ही भरेगा।
चाची भी सिसकते हुए बोली – बेटी का रसपान करके मन नहीं भरा जो माँ के पास चली आई।
दीदी ने चटकारे लेते हुए कहा – तुम माँ बेटी इतनी रसीली हो मन ही नहीं भर रहा।
चाची – डॉक्टर ने चुदने से मना किया पर तू और चुदासी हो गई है।
दीदी अपनी एक ऊँगली उनके गांड के छेद में डालते हुए बोली – चुप रंडी, खुद चुदने के बाद भी मजे से चटवा रही है और मुझे बोल रही है।
चाची – गांड में से ऊँगली निकाल। साली बहनचोद भाई के औलाद को कोख में लेकर घूम रही है और मुझे रंडी बोल रही है।
दीदी – हां , तू भी बन जा माँ मेरे भाई से। अपने भोसड़े से एक और पैदा कर और लड़का पैदा करना ताकि तेरे बुढ़ापे में तेरी मारे।
चाची – इस्सस , साली गांड में से ऊँगली निकाल दुःख रहा है।
दीदी – अभी ऊँगली डाला है बस। जल्दी भाई का गधे जैसा लैंड डलवाउंगी। चुप चाप आदत डाल ले।
चाची – आह आह। आह अच्छे से चूस।
माँ ने अब खुद ही रोटियां बनानी शुरू कर दी थी। चाची बस सब्जी देख रही थी।
इधर दीदी चाची के चूत से चूस चूस के रसपान कर रही थी, इधर सरला दीदी ने मेरे लंड की सवारी शुरू कर दी थी। उन्होंने अपने सारे कपडे उतार दिए थे और मेरी गोद में मेरी तरफ पीठ करके बैठ गई थी। मेरा लंड उनके चूत में था। उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने मुम्मो पर रख लिया था। मैं बैठे बैठे उनके मुम्मो को दबा रहा था और दीदी मेरे ऊपर कूद रही थी।
सरला दी – भाई , क्या लौड़ा है तुम्हारा , एकदम अंदर तक जाता है। आह आह। जरा मेरे मुम्मे दबा , अच्छे से दबा। इस्सस। आह आह।
मैं – दीदी , तुम्हारी चूत के मजे ही कुछ और है। मजा आ जाता है। आह , आह।
सरला दी सिसकारियां और आवाज सुन श्वेता ने आंखें खोल दी। वो इतना खुल चुकी थी की उसने अपने आपको ढकने की कोशिश नहीं की। हमें इस हालत में देख कर मुश्कुराते हुए बोली – बहनचोद तेरा मन नहीं भरता क्या ?
मैं – मस्त चूचियां और चुतें हों तो किसका मन भरेगा।
श्वेता ने किचन में सुधा दी को अपनी माँ की चूत चाटते देखा तो कहा – इनको क्या हो गया है ?
सरला दी – ऐसे टाइम पर यही होता है।
श्वेता की निगाहें ये सुन सरला दीदी की चूत की तरफ चली गई। दीदी की चूत रिस रही थी। ऊपर नीचे होते समय मेरे लंड की झलक भी मिल रही थी।
दीदी की निगाहों ने उसकी निगाहों का पीछा किया तो मुश्कुरा उठी। बोली – मदद करेगी ?
श्वेता ने कहा – क्या मदद ?
दीदी – मेरी मुनिया पर जीभ लगा दे। मजा आ जायेगा।
श्वेता उठ कर सोफे पर मेरे पैरों के बीच में बैठ गई। दीदी ने अपने पैर और फैला लिए। श्वेता ने कुछ देर सोचा फिर अपने एक हाथ को दीदी के जांघ पर रखा और दुसरे हाथ के अंगूठे से दीदी के क्लीट को रगड़ने लगीं।
दीदी – आह आह आह। इस्ससससससस। मजा आ रहा है। यससससससस , ऐसे ही रगड़ दे मेरी मुनिया को।
मैंने कहा – मेरी भी मदद कर देती जरा।
श्वेता ने दीदी के जांघ पर रखे अपने दुसरे हाथ को हटा मेरे बॉल्स को पकड़ हलके से सहलाने लगी थी। अब वो हम दोनों को मजे दे रही थी।
बीच में जब दीदी ऊपर होती तो वो मेरे लंड को भी एक टच कर लेती थी। उसकी इस हरकत से हम दोनों सातवें आसमान पर थे। दीदी तो बस आने ही वाली थी। मैं भी जल्द ही जवाब देने वाला था। एक मस्त गदराई मेरी सवारी कर रही थी और श्वेता जैसी कुँवारी लंडिया सामने थी। उस पर से श्वेता अब खुल कर उकसाने भी लगी थी।
श्वेता – क्या चोदू भाई है हमारा। देखो न मादरचोद अभी माँ को चोद कर आया है और अब बहन से सवारी करवा रहा है।
सरला दी – आह आह। टेंशन मत ले। कुछ ही दिन में तू भी सवारी करेगी इसकी।
श्वेता भी दोबारा उत्तेजित हो चुकी थी। उसने कहा – आअह, मेरे से पहले इसे तीन कुंवारी चूत लेनी पड़ेगी।
सरला दी – बस एक तारा की तो मिल जाएगी। माँ बेटी दोनों तैयार बैठी हैं। बाकी दो भी जल्दी मिल जाएँगी। तब तक तू तैयार कर खुद को।
श्वेता – मैं तो कब से तैयार हूँ दी।
उसकी ये बात सुनते ही मेरे लंड ने उलटी करनी शुरू कर दी। मैंने दीदी को कमर से पकड़ अपने लंड पर रोक लिया और उन्हें जोर से बाँहों में जकड लिया। दीदी भी अपनी चूत को ऐसे सिकोड़ ली जैसे मेरे लंड को चूस लेना चाहती हों। हम दोनों को स्थिर देख श्वेता ने अपना मुँह दीदी के चूत पर लगा दिया और वहां से रिसते चूतरस और वीर्य के मिश्रण को चाटने लगी।
कुछ देर वैसे ही रहने के बाद दीदी मेरे ऊपर से उठ गईं। मेरा लंड पक की आवाज करता हुआ उनके चूत से बाहर आ गया। माल निकलने के बाद थोड़ा सिकुड़ तो गया था पर फिर भी लम्बा ही था। सरला दी उठ कर बाथरूम की तरफ चली गईं। श्वेता ने मेरी तरफ देखते हुए मी लंड को पकड़ लिया और धीरे से बोली – इतना बड़ा जायेगा कैसे ?
मैंने कहा – आ बैठ दिखाता हूँ।
श्वेता उठी और भाग कर अपने कमरे में जाते हुए बोली – तेरे बातों में नहीं आने वाली।
मैंने कहा – शर्त पूरी कर दू तो ?
श्वेता – तब तक इंतजार कर।
मैं – देख ले नुक्सान तेरा है।
श्वेता अंदर चली गई।
इतने में माँ भी आ गई और बोलीं – सबको चोद लिया हो तो नहा ले। खाना भी खाना है।
मैं उठकर उनसे लिपट गया और बोला – सबको कहाँ चोदा है। तुम तो बची हुई हो।
माँ ने मेरे पीठ पर हाथ मारा और खुद से दूर करते हुए बोली – इतनी चुदाई के बाद भी मन नहीं भरा। देख पसीने पसीने हो गया है। जा नहा ले , खाना ठंढा हो रहा है।
मैं – पर तुमको देख कर मैं गरम हो रहा हूँ। मेरी ये हालत देख तुम्हारी तो लार टपकनी चाहिए।
माँ ने मेरे सीने पर चमकते पसीने को चाटते हुए कहा – उफ्फ्फ , तुम सबने जो हरकत की है उससे क्या हालत हुई है पता है। लार तो कब से टपक रही है। चल तुझे नहला दूँ।
मैं – चलो न। बहुत टाइम हुए तुमने नहलाया नहीं है।
माँ – ठीक है। पर कुछ करेगा तो नहीं?
मैं – नहीं माँ , जो करोगी तुम ही करोगी मैं कुछ नहीं करूँगा।
माँ – ठीक है चल।
मैं और माँ उनके कमरे की तरफ चल पड़े।
कमरे में पहुँच कर माँ ने दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने कहा – दरवाजा क्यों बंद कर दिया माँ ?
माँ – अब मेरे साथ है तो सिर्फ मेरे साथ रह।
माँ ने फिर अपनी साडी उतार दी और मेरे पास खड़ी हो गई। उन्होंने मेरे दोनों कंधो पर हाथ रख कर मुझसे कहा – कितनी अच्छी खुशबु आ रही है।
मैंने कहा – अभी तो वहां तुम इसकी वजह से नहाने को कह रही थी।
माँ – मैं तो देख रही थी मेरे लाल को मेरा कितना ख्याल है ?
माँ में फिर मुझे किस किया। मैंने अपनी जीभ निकाल ली जिसे माँ ने अपने मुँह में भर लिया । माँ ने फिर मेरे होठों को चूमने के बाद मेरे चेहरे पर लगे पसीने को चाटना शुरू किया। माँ के जीभ के एहसास से मेरा लंड फिर से खड़ा हो रहा था। माँ मुझसे बिलकुल सट के खड़ी थी इस वजह से मेरा लंड माँ में चूत पर दस्तक देने लगा।
माँ ने कहा – तूने फिर से इसे खड़ा कर दिया।
मैं – माँ , तुझे देखता हूँ तो अपने आप ही खड़ा हो जाता है।
माँ झुक कर मेरे सीने से टपकते पसीने को चाटते हुए बोली – इसी लिए अपनी चाची और बहन को चोद कर आ रहा है। मेरा बड़ा ख्याल था तुझे।
मैं – मुझे पता होता तुम इतनी चुदासी हो तो तभी चोद देता। कोई बात नहीं अभी चोद देता हूँ तुझ।
माँ ने मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली – शह्ह्ह्ह , अब चुप रह। अब तेरे लंड को आराम दे। आज कोई चूत नहीं।
मैंने कहा – माँ अपने मुम्मे तो छूने दे।
माँ ने कोई जवाब नहीं दिया। वो मेरे बाँहों और बगलों में लगे पसीने को चाटने लगी। उनके चाटने से मैं गिला होता जा रहा था। मेरा लंड उत्तेजना में तो था पर हवा से बातें कर रहा था। माँ ने उसे खुला छोड़ दिया था। वो मुझसे सट के तो खड़ी थी पर मी लंड को अपने बदन के किसी भी हिस्से से टच नहीं करने दे रही थी। एक बार मैंने खुद हाथ लगाने की कोशिश की तो मेरे हाथ को हटा दिया।
जब उन्होंने मेरे बदन के ऊपरी हिस्से को पूरा चाट लिटा तो बोली – मजा आ गया। आज मस्त नशा कराया तूने। चल नहला दूँ अब।
मैंने कहा – लंड भी तो मेहनत करके पसीने पसीने है माँ।
माँ बोली – मुझे सब समझ आता है। मैं उसे कुछ नहीं करुँगी। चल बाथरूम में।
माँ मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गईं। उन्होंने शावर ऑन किया और मुझे उसके निचे खड़ा कर दिया। उन्होंने अपना ब्लॉउस और पेटीकोट अब तक उतारा नहीं था , जबकि वो गीली हो रही थी।
मैंने कहा – माँ ये तो गलत है। मैं नंगा हूँ और तुमने कपडे पहन रखे हैं।
माँ ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने साबुन लिया और मेरे बदन पर लगाने लगीं। उन्होंने पहले मेरे पीठ पर साबुन लगाया और फिर कुछ देर मलने के बाद सामने आकर मेरे सीने पर साबुन लगाने लगीं। उनका ब्लॉउस पूरा भींग चूका था और भींगे ब्लाउज से उनके निप्पल और उसके चरों तरफ के काले घेरे साफ़ दिख रहे थे। भींगे होने की वजह से या उत्तेजना से उनके निप्पल भी एकदम निकले हुए थे। अब मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उनके बूब्स पकड़ लिए। चूँकि खुद को बहुत देर से रोका हुआ था तो मैंने थोड़ी ताकत लगा दी।
मेरे हाथ लगाते ही उनके मुँह से तेज सिसकारी निकली – इसस्स्सस्स , आराम से।
मैं फालतू में अपने आपको इतनी देर से रोका हुआ था। वो मेरी परीक्षा ले रही थी कि मैं कितनी देर तक अपने आप को रोक सकता हूँ। मैंने माँ के ब्लाउज के ऊपर से ही उनके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया।
माँ ने कहा – आह , दूध का दीवाना है तू। रुक , ब्लाउज खोलने दे वरना फट जायेगा।
माँ ने फिर अपना ब्लाउज खोल दिया और वहीँ शावर के नीचे खड़ी हो गईं। मैं उनके मुम्मो और निप्पल से बहते पानी को इस तरह पीने लगा जैसे दूध आ रहा हो।
कुछ देर तक मैंने उनके मुम्मे पीने के बाद मैंने कहा – माँ चूत से बहता पानी भी पिलाओ न।
माँ ने अपने पेटीकोट का नाडा खोल दिया। मैं वहीँ बाथरूम के जमीन पर उनके चरणों में बैठ गया और उनके चूत पैट मुँह लगा दिया।
माँ – आह , चाट ले लाल , अच्छे से चाट। बहुत देर से रोका हुआ था खुद को मैंने। अब नहीं बर्दास्त होता। पी जा मेरे चूत से बहता पानी पी जा।
माँ ने मेरे सर को मेरे बालो से पकड़ लिया और अपने कमर को मेरे मुँह पर ही हिलाने लगीं। मैंने भी अपनी जीभ निकाल कर उनके चूत की फांकों पर टिका भर दिया। बाकी तो वो खुद ही कमर हिला कर मेरे जीभ से चुदने लगीं।
माँ – आह आह , मादरचोद , अपनी माँ की चूत का ख्याल नहीं था तुझे। इस्सस चोद अपने मुँह से चोद। साले नै चूत पा गया तो जन्मस्थान भूल गया। आह आह आह आह।
माँ ने मेरे सर को जोर से पकड़ रखा था। बाल खींचने की वजह से मुझे दर्द तो हो रहा था पर मैं उनके आनंद में बाधा पहुँचाना नहीं चाह रहा था। माँ तेजी से अपने कमर को हिलाये जा रही थी।
माँ – उफ्फ्फ , कितनी आग भर दी है तूने मेरे अंदर। इस्सस इस्सस आह आह। चोद , चोद जोर से चोद। बहन के लौड़े अपनी माँ के लौड़े को भी चूस।
मैंने माँ के क्लीट को दांतो तले दबा लिया।
माँ – हाँ , खा जा उसे। बहुत परेशान करती है। आह आह
क्लीट को चूसने से माँ अपने चरम के नजदीक पहुँच गईं। उनका सारा शरीर कांपने लगा। उन्होंने कमर हिलना बंद करके मेरे मुँह को अपने जांघो के बीचज जोर से दबा दिया। मेरे दम घुट रहा था पर मैं माँ की ख़ुशी रोकना नहीं चाहता था।
माँ – आआआआह माआआआ मैं तो गई।
कुछ देर बाद माँ जब होश में आई तो उन्होंने अपने जाँघों की पकड़ ढीली की। मैं चरण जोर जोर से हांफने लगा। मुझे खांसी भी आ रही थी।
माँ ने मेरी हालत देखी तो उन्हें होश आया। उन्होंने मेरा कन्धा पकड़ कर उठा दिया और कहा – अरे मेरे लाल। पहले क्यों नहीं बोला।
मैं – माँ तू इतने मजे में थी की डिस्टर्ब करने का मन नहीं किया।
माँ -बता दिया कर पगले। ऐसे में कईयो की मौत तक हो चुकी है।
मैं – ऐसी नौबत नहीं थी माँ। तेरा बेटा संभाल लेता।
माँ ने मुझे चूम कर कहा – अब तूने मेरे लिए इतना किया है तो तेरा इनाम तो बनता है।
माँ निचे बैठ गईं और उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और उसे लॉलीपॉप की तरह चाटने लगीं। मेरी आँखे बंद हो गईं। चूँकि मैंने बहुत देर से अपने आपको रोका हुआ था मेरा माल बस मुहाने पर था। मुझे पता था मैं कुछ ही देर में आ जाऊंगा और ऐसा ही हुआ। मैंने माँ के मुँह में अपना पूरा माल उड़ेल दिया। माँ ने मेरे लंड से निकलते हर एक बूँद को चाट लिया। माल निकलते ही मुझे भी कमजोरी सी महसूस होने लगी थी। माँ ने जल्दी जल्दी फिर अपने साथ साथ मुझे भी नहलाया और तौलिये से मेरे बदन को पूरा पोछ दिया। फिर अपने बदन को भी पोछने लगीं। मैं वहीँ खड़ा था। माँ ने कहा – जा कपडे पहन।
मैं फिर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। बाहर निकला तो देखा चाची और बहने टी वी देख रही थी।
मुझे देखते ही सब एक साथ बोली – मादरचोद , इतनी देर लगा दी। हम तब से इंतजार कर रहे हैं।
मैं भाग कर अपने कमरे में कपडे पहनने चला गया। मैं और माँ लगभग एक साथ अपने अपने कमरे से बाहर निकले।
हमें देखते ही चाची ने कहा – हमें तो बड़ा जल्दी जल्दी कह रही थी। खुद लौड़ा मिला तो समय का पता नहीं चला।
माँ – बड़ी हूँ तुम सबसे तो ज्यादा समय लगना ही था। ज्यादा हक़ है मेरा। चलो जल्दी से खाना निकालो।
हम सब फिर खाने के लिए बैठ गए। उस रात हम सब इतना थके थे की कौन कहाँ कैसे सोया किसी को होश नहीं था।
अगली सुबह मैं उठा तो देखा माँ और चाची सोफे पर बैठ कर चाय पी रहे थे। कोई और नजर नहीं आ रहा था। मैं जाकर माँ के गोद में सर रख कर लेट गया। मैंने कहा – बाकी सब सोये हैं क्या ?
चाची – कल जो तूने सबका हाल किया उसके बाद कौन सुबह उठता।
तभी ऊपर कमरे से सरला दी जिम के पेंट और स्पोर्ट्स ब्रा पहने हुए उतरी – ऐसा नहीं है। मैं आप सबसे पहले उठ चुकी थी।
मैं – तुमने जिम भी कर लिया ? मुझे उठा देती।
दीदी – साले मादरचोद , गई थी उठाने पर तुम माँ बेटे ऐसे लिपटे पड़े थे की पूछो मत। एक बार तो मेरा भी मन खराब हो गया , सोचा वहीँ शुरू हो जाऊं पर खुद पर बड़ी मुश्किल से काबू किया।
मैं – हीहीहीही , माँ मेरी ऐसी है।
दीदी – चुप चोदू।
मैं – चुप चुदक्कड़।
दीदी हँसते हुए सुधा दी के कमरे की तरफ बढ़ गई। उन्होंने कमरे में देखा तो वहां सुधा दी और श्वेता दोनों नंग धडंग सोई हुई थी। सुधा दी के चेहरा श्वेता के पैरों की तरफ था। लगता है रात में उन दोनों ने सिक्सटी नाइन पोज़ में एक दुसरे की चूत चटाई की थी।
सरला दी – उठो चूत चुसनियों उठो। कितना सोवोगी।
सरला दी की आवाज सुन श्वेता बोली – सोने दो न दीदी , सुबह पांच बजे तो सोएं हैं।
सरला दी – क्याआ ? सुबह ?
श्वेता – हाँ यार। सुधा दी को ना जाने क्या हो गया है। मुझे एकदम से पागल बना कर रख दिया था।
सुधा दी आँख बंद करे करे बोली – चुप रंडी। साली खुद ही चुसवा रही थी। बिस्तर पर आते ही बोली दीदी एक बार सिक्सटी नाइन करें। और मुझे दोष दे रही है।
सरला दी – ठीक है सो जाओ वापस। सरला दी ड्राइंग रूम में वापस आई तब तक मैं ब्रश कर चूका था। माँ ने हम दोनों के लिए भी चाय निकल दिया था।
सरला दी मेरे बगल में बैठ गई और बोली – और क्या प्लान है ? आजकल श्वेता भी है। अपना फ्यूचर प्लान डिसकस कर ले। देख ले क्या पता उसके दिमाग में ही कोई नया बिजनेस आईडीया आ जाए।
मैं – हाँ। सोचता हूँ। एक दो दिन सब हैं तो डिसकस कर सकते हैं।
हम दोनों बातें करने लगे , माँ और चाची किचन में लग गए। तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी। देखा तो मामा का फ़ोन था। मैंने उठाया। कुछ देर नमस्ते , प्रणाम के बाद मामा ने बताया वो और मामी यहाँ आ रहे हैं खाने पर। सरला दी के आने की खबर से मामी का मिलने का मन कर गया। मैंने माँ को बताया। माँ भी खुश हो गईं। कुछ देर बाद श्वेता और सुधा दी भी जाग गए। मामा मामी के आने की खबर सुन सब खुश हो गए।
सुधा दी ने पुछा – नाना भी आ रहे हैं क्या ?
मैंने कहा – नहीं वो गॉंव गए ह। आजकल वहीँ रह रहे हैं।
सुधा दी – तब ठीक है।
दो तीन घंटे बाद मामा और मामी घर आ गए। मैंने मामा के पैर छुए , उन्होंने मुझे गले लगा लिया। मामी ने तो सीधे गले लगा लिया। उनके सॉफ्ट सॉफ्ट मुम्मे मेरे सीने से लगे तो मुझे गोवा की याद आ गई। मैंने महसूस किया कि उनके मुम्मे पहले से बड़े हो गए हैं। उनका पेट भी थोड़ा निकल आया था।
मामी को देखते ही सरला दी बोली – यार आपको दूध आने लगा क्या ?
मामी ने अपने मुम्मे देखे और हँसते हुए बोली – नहीं बहनी , अभी तो नहीं। पर बड़े होने लगे हैं।
सरला दी उनके चूचे पकड़ कर बोली – तब मामा आपको तो मजा आता होगा।
मामी – मजा तो शलभ बाबू को भी आता होगा। बड़े तो आपके भी हुए हैं।
जब तक मामी को एहसास होता कि क्या बोल गईं , सरला दी उदास हो गईं पर वापस जिंदादिली से बोली – हाँ मजा तो उनको भी आता है और यहाँ चोदूमल को भी पर अफ़सोस मैं इन्हे दूध नहीं पीला पाऊँगी।
मामी – सॉरी , मैं भूल गई थी।
सरला दी – अरे कोई बात नहीं। आप दुखी मत होइए।
माँ ने भी मामी और मामा को गले से लगाया। मामी ने चाची को देखा तो बोली – अच्छा तो ये हैं हमारे लल्ला का पहला प्यार।
फिर वो दोनों गले लगीं। तभी चाची कि नजर अलसाई सी श्वेता के ऊपर पड़ी।
उन्होंने उसे देखते ही कहा – ओह्हो कितनी सुन्दर परी है ये। मर्द होती तो भगा कर अभी शादी कर लेती तेरे से।
मामी की मस्ती देख कर श्वेता शर्मा गई।
मामा ने कहा – हो गया परिचय सबसे तो कुछ चाय पानी भी हो जाये।
मामी ने श्वेता का हाथ पकड़ा और सोफे पर बैठ गई। वो श्वेता का हाथ छोड़ ही नहीं रही थी। चाची और सरला दी किचन से चाय नाश्ता लाने चले गए। सुधा दी मामी के पास आकर बैठ गई। मामा मेरे बगल मे बैठे थे पर उनका ध्यान किचन में कड़ी चाची के बड़े बड़े गांड पर ही अटका था। लगता था मेरे ननिहाल वालों को जितना मजा चूत मारने में आता है उतना ही गांड में भी।
मैंने धीरे से कहा – सील पैक गांड है मामा , मुझे भी नहीं मिली अभी तक।
मामा – तो इसका मतलब अपनी मामी के अलावा किसी की गांड नहीं मारी अब तक।
मैं ने चेहरा लटकाते हुए कहा – नहीं। अभी तक नहीं। मामी की भी कहाँ ठीक से मार पाया था।
मामा – चला आता घर। ये तो प्रेग्नेंसी में भयंकर चुदास हो रखी है। डॉक्टर से गांड मरवाने की स्पेशल परमिशन ली है।
मैं – मुझे ख्याल ही नहीं आया। यहाँ सुधा दी भी एकदम गरम हो रखीं हैं पर जबसे सरला दी का काण्ड हुआ है एकदम सावधानी ले रही हैं।
मामा – हाँ भाई अभी शुरुआती महीने हैं। सावधानी में ही भला है।
फिर बात चीत मेरे पढाई और काम धंधे की तरफ चल पड़। पर इन सब बात चीत के बीच में मामा की निगाहें बार बार चाची की तरफ ही अटकी हुई थी। चाची के साथ साथ मामा सरला दी को भी ताड़े जा रहे थे। मिसकैरेज और हार्मोनल चंगेस की वजह से उनका बदन और भी गदरा गया था। चूँकि मामा ने उन्हें गोवा के बाद आज देखा था तो परिवर्तन उन्हें ही दिख रहा था। गोवा में वैसे भी खुल्लम खुल्ला एक साथ प्यार होने की वजह से मेरी बहनो के प्रति मामा का नजरिया बदल भी गया था। सरला दी के मन में क्या चल रहा है ये मुझे पता नहीं था। पर चाची मामा की तरफ आकर्षित हो रही थी। घर का एक नया जवान मर्द , जिससे उनकी मुलाकात कम ही हुई हो अगर ताड़े तो मजा तो आता ही है।
इधर मामी श्वेता के पीछे पड़ी थी। लगता है उन्हें पसंद आ गई थी। श्वेता थी ही ऐसी।
मामी चाची से – जिज्जी , इसे मुझे दे दो। बड़ी प्यारी है। मेरा दिल इस पर आ गया है।
चाची – इसका जो दीवाना इधर बैठा है उसका क्या ?
मामी – अच्छा , तभी। कोई बात नहीं मैं दोनों को अपने साथ ले जाउंगी।
चाची ने मामा की तरफ इशारा करके कहा – और जो इधर बैठे हैं आपके , उनका क्या ?
मामी – उन्हें आप रख लो। वैसे भी बहुत देर से आपको ताड़े जा रहे हैं। आप पसंद आ गई हो इन्हे।
ये सुन चाची शर्मा गईं।
माँ ने तब जवाब दिया – मेरा क्या होगा ?
मामी – आपके भाई आप दोनों बहनों की सेवा करेंगे। वैसे भी आने इन्हे कई सालों से प्यार नहीं दिया है।
माँ – कई साल , हम्म्म। ये तो सच है। तेरे जीजा के जाने के बाद से मैं सबसे कट ही गई थी।
मामी – मौका है , कर लो भरपाई।
तभी सरला दी बोल पड़ीं – हमारा नहीं सोचा मामी।
मामी – अरे भाई तेरे तो मामा हैं। हक़ है। वैसे भी गोवा से लौट कर आने के बाद तेरे नाम से मेरी इतनी ली पूछो मत। मैंने तेरा सबसे ज्यादा रोले प्ले किया है। वैसे तू और भी गदरा गई है। नजर इनकी तेरे पर भी है।
आज मामी ना जाने किस मूड में थी। शायद ज्यादा ही हॉर्नी हो रखी थी। और बातों से संको लाजवाब भी किये जा रही थी। किसी के पास कोई जवाब नहीं था। पर श्वेता थोड़ी असहज हो रही थी। और सुधा दी भी।
श्वेता बोली – आप सबको सेक्स के अलावा कुछ और नहीं सूझता ? कोई ये नहीं बात कर रहा की राज का बिजनेस आईडिया क्या है ? वो आगे क्या करे ? सुधा दी कैसी हैं ?
मामी आज पुरे मूड में थीं।
बोल पड़ी – देख सुधा का तो पता है ? मालूम है मेरी तरह गरम हो रखी है । राज ने बता दिया था , रात भर तेरे साथ सिक्सटी नाइन किया है। जहाँ तक राज के बिजनेस की तो बहनचोद सिर्फ एक फ्रेंची में फोटो डाल दे गेट पर , लाइन लग जाएगी। औरतें , लड़कियां गड्डी लेकर कड़ी रहेंगी इसके पास टाइम नहीं रहेगा।
मामी की हाजिर जवाबी सुन सब हंस पड़े। श्वेता भी। वो भी आखिर बोल ही पड़ी – चोदू राज के चुदाई का धंधा। हाहाहाहाहा।
मामी – तू अपने सैंया के कमाए मस्त नोट गिनना फिर।
श्वेता फ्लो में बोल गई – मेरा क्या होगा ?
मामी – अब आई मेरी लाडो लाइन पर। तेरी तो ऐसी फाड़ेगा कि बससससस।
श्वेता शर्मा कर वहां से भाग गई और सब हंस पड़े ।
मामी – जिज्जी , कुछ खाने को दो। पता नहीं आजकल बस चुदाई और खाना बस यही दिमाग में घूमता रहता है। सुधा तेरा क्या हाल है ?
सुधा दी बोली – बस ऐसा ही कुछ है अपना भी। खाना तो लगता है कोई और ही खा जाता है।
माँ उठाते हुए बोली – भाई तुम दोनों एक का नहीं दो का हिस्सा खाते हो। अच्छा है।
चाची भी माँ के साथ किचन में चली गईं। कमरे में मैं, मामा , मेरी दोनों बहने और मामी ही रह गए।
मैं उठकर मामी के पास चला गया और गर्दन के पीछे से उनके दुसरे कंधे पर हाथ रख कर बोला – आपको इतने दिनों में मेरी याद नहीं आई?
मामी – याद नहीं आई होती तो आती क्या ?
मेरा हाथ उनके कंधे से होता हुआ उनके मुम्मे पर लटका हुआ था। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मुम्मे दबाते हुए कहा – बस अब साथ आठ महीने औ। फिर तुम्ही से दुहावआउँगी।
मैंने कहा – अभी ही थोड़ा पीला दो।
मामी ने तुरंत अपने पल्लू के अंदर हाथ डालकर ब्लाउज के हुक खोलना शुरू कर दिया। वो बोली – सब तुम्हारा ही है।
मुझे उम्मीद नहीं थी मामी मामा के सामने इतनी जल्दी तैयार हो जाएँगी। पर जिस तरग से सुधा दी का व्यवहार था , अब मुझे कोई विशेष आश्चर्य नहीं हुआ। जब तक मामी ने अपने ब्लाउज और ब्रा को खोला मैं उनके गोद में सर रख कर लेट गया। उन्होंने मुझे अपने पल्लू में छुपा लिया और अपना एक निप्पल मेरे मुँह में डाल दिया। उनके निप्पल जो पहले से काफी बड़े थे और उभर आये थे। उनके मुम्मे गोवा ट्रिप के बाद से बड़े हो गए थे। मैं एकदम बच्चे की तरह उनके दूध पीने लगा।
मामी – आह , आराम से पियो लल्ला। तुम्हारे होठो को तरस गए थे ये।
मैं मामी के मुम्मो में खोया हुआ था और सरला दी असमंजस में थी। उनका मन मामा के पास जाने का कर रहा था पर आजतक उन्होंने अपने पति और मेरे अलावा किसी और से सम्बन्ध नहीं बनाये थे। गोवा में हम सब आस पास एन्जॉय कर रहे थे और खुले भी हुए थे पर अभी इतना भी नहीं खुले थे। पर आखिर हवस की जीत हुई। दीदी उठकर मामा के पास पहुँच गई उन्होंने निचे सुबह वाला जिम पेंट ही डाला हुआ था। ऊपर बस स्पोर्ट्स ब्रा के ऊपर से एक ढीला ढाला टी शर्ट डाल रखा था। वो जाकर मामा के पैरन के पास बैठ गईं उन्होंने उनके पेंट की जिप पर हाथ लगा दिया। उनका लंड मेरे और मामी की हरकतों के वजह से पहले से ही खड़ा हो चूका था। दीदी के हाथ लगते ही एकदम उछलने लगा।
मामी ने जब ये देखा तो कहा – खा जाओ सरला दी उनके लौड़े को। काट लेना साला मुझे बहुत परेशान करता है।
दीदी – चुप रहो मामी। खुद ही रंडीबाजी पर लगी हो और मेरे प्यारे मामू को दोष दे रही हो। मामा जरा निकालो अपने लौड़े को , देखो बेचारा अंदर परेशान है।
मामा ने तुरंत अपना जिप खोल दिया और अंडरवियर के अंदर से ही अपना लंड निकाल लिया। उनका लंड वाकई बड़ा था। मैं इतने यकीन से कह सकता हूँ की जीजू से बड़ा था। क्योंकि उसे देख दीदी की आँखें खुली रह गई। दीदी ने प्यार से उसे हाथ में ले लिया और बोली – राज से भले ही छोटा है पर मेरे मियाँ से तो बड़ा है। मामी कैसे तुम लेती हो इसे ?
मामी – तभी तो मेरी चूत का कबाड़ा कर रखा है। गांड खिड़की बना दी है इस लौड़े ने। तुमने अभी तो इसका मतलब अपने नाना का देखा ही नहीं है। इसका डेढ़ गुना है।
दीदी ने मामा के लंड पर मुँह लगा दिया और उसे चूसने लगी। मामा ने अपनी आँखें बंद कर ली । बोले – कितने दिनों से तरस रहा था मैं तेरे लिए सरला। तेरी मामी के मुँह में तेरा नाम ले लेकर माल निकाला है। आज तूने खुश कर दिया।
सरला दी ने थोड़े देर के लिए लंड निकाला और कहा मुझे तो लगा था आप इनसे मुझे गोवा में ही मांग लेंगे। पर चलिए कोई बात नहीं देर आये दुरुस्त आये। अब चुप चाप बैठिये मुझे कुल्फी का मजा लेने दीजिये। तभी किचन से चाची सच में आइसक्रीम लेकर आ गई। मामा और मामी के आने का सुनकर मैं दो तीन ब्रिक आइसक्रीम मार्किट से लेकर आया था। उसी में से एक मामी लेकर सरला दी के पास आई।
मामी ने खूब सारा आइसक्रीम हाथो में लिया और मामा के लंड पर लगाते हुए बोली – अब लो असली कुल्फी का माजा बहनी।
सरला दी एकदम चाव से मामा के लंड को ऊपर से लेकर निचे तक चाटने और चूसने लगीं।
मामा – आह , क्या लंड चूसती हो सरला। आह , दीदी आप आइसक्रीम नहीं खाओगी।
मामी – नहीं पहले अपनी भांजी का उद्धाटन कर लो।
इधर मैंने मामी का दूध पीना बंद कर दिया था और मामी को अपने लंड की सवारी करा रहा था। मामी ने अपनी साडी नहीं उतारी थी बस पैंटी निकाल दी थी। फिर मेरे तन्नाए लंड को अपने गांड में ले लिया था। सच में मामा और नाना ने मिलकर मामी के गांड को खिड़की बना दिया था। मेरा लंड सबसे बड़ा और मोटा था फिर भी उनके अंदर जाने में मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। पर एक बार अंदर जाते ही मुझे लगा जैसे मेरा लंड किसी कैसे हुए सुरंग में घुस गया हो। मामी मेरे तरफ पीठ करके बैठी थी। वो मेरे ऊपर उछल रही थी और मैं पीछे से उनकी चूचियां दबा रहा था। रात भर की चुदाई के बाद मेरा आने में तो देर थी।
उधर सरला दी ने मामा के लंड पर लगे आइसक्रीम को चाटने के बाद अपना टी-शर्ट उतार दिया। उन्होंने स्पोर्ट्स ब्रा पहन रखा था। वो थोड़ा आगे झुकीं और मामा के लंड को ब्रा के अंदर से डाल कर अपने मुम्मों के बीच फंसा लिया। ये मेरे लिए भी नया था। मामा तो एकदम मजे में आ गए।
मामा – आह , क्या मस्त चुचे हैं तेरे।
दीदी – मामा चूत तो नहीं दे पाऊँगी पर इसके मजे ले लो।
फिर दीदी ने अपने मुम्मे ब्रा सहित इस तरह से हिलाना शुरू कर दिया जैसे वो मुम्मो से उन्हें छोड़ रही हों।
मैंने अब मामी को सोफे के सहारे कुटिया बना दिया था और उनकी गांड में तेज धक्के लगा रहा था। साथ ही उनके मुम्मे भी दबा रहा था।
मामा तो बस आनंद के महासागर में थे। मामी और सरला दी की आहें सुनकर बाकी औरतें भी वहां डाइनिंग टेबल पर बैठ मस्त लाइव ब्लू फिल्म का नजारा ले रही थी। सबने शायद अपने एक एक हाथ की उँगलियाँ अपनी चूत में कर रखी थी और एक हाथ से अपने मुम्मे दबा रही थी।
मामी चीखें जा रही थी – कहाँ फंस गई रे में। जिज्जी क्या खा कर पैदा किया है। इसका तो माल ही नहीं निकल रहा है। मेरी गांड फटने को है। साले मादरचोद अब बक्श दे।
मैं – चुप रंडी की औलाद , साली तुझे ही गांड मरवाने का शौख था न। अब क्यों फट रह है।
मामी ने श्वेता की तरफ देख कर कहा – साले मुझ जैसी खाई खेली का ये हल कर दिया तो श्वेता नीतिया की कुँवारी चूत का क्या हाल होगा
जिज्जी , उसके सुहागरात में तो तुम सबको उसका साथ देना होगा वार्ना ये गधे वाला लंड डाल कर उसकी पहली रात में ही फाड़ देगा।
मैं धपाधप मामी की गांड मारे जा रहा था।
मामी – आह आह लीला बहनी भी आने वाली है। उसकी मार लेना। मुझे बक्श दो। अपनी चुदाईल मौसी की ले लेना मुझे बक्श दो।
मामी मुझे मेरे ही परिवार की औरतों का नाम लेकर चढ़ा रही थी। कुछ देर बाद आखिर मेरे लंड ने अपना माल उनके गांड में छोड़ ही दिया।
मैं उनके ऊपर लुढ़कने वाला ही था की मामी ने कहा – पेट में बच्चा है। मेरे ऊपर न लदो। ये सुनते ही मैं होश में आ गया। मैंने अपना लंड निकाल लिया और वहीँ सोफे पर लुढ़क गया। दीदी ने पहले से ही मामा का माल निकाल दिया था।
कुछ देर बाद हम सबने बाथरूम का रुख किया और फ्रेश होने के बाद खाने के लिए बैठ गए।
चाची और श्वेता मामा और मामी को देखे जा रहीं थी । बल्कि वो दोनों बारी बारी से हम सबको देख रही थी और मन में यही सोच रही थी की कितना बड़ा चोदू खानदान है। बात सही भी थी। पूरा परिवार हर वक़्त चुदाई में डूबा जो रहता था। चाची तो खैर इस खेल में शामिल थी पर श्वेता को पूरा मजा लेने में टाइम था। देर थी पर बहुत देर नहीं।
