मेरी माँ बहने और उनका परिवार – Update 18

मेरी माँ बहने और उनका परिवार - Family Sex Story

——————————————————————-वर्तमान समय ——————————————————————

दीदी से नाना द्वारा लीला दी की पहली चुदाई का किस्सा सुन कर जहाँ मुझे एक्ससाइटमेंट  हो रहा था वहीँ गुस्सा भी आ रहा था।  ये शायद इस लिए भी था की नाना की वजह से ही मैं लीला दी का दूध पीते पीते रह गया।  और लीला दी ने भी एक जवान लंड छोड़ बुड्ढे नाना को ज्यादा पसंद किया था।  उन्हें पता नहीं था की क्या मिस किया था उन्होने।

दीदी ने फिर बताया की उस दिन के बाद से वो नाना से दूर ही भागती रहीं। पर लीला दी मस्त मजे लेती रही।  दीदी की वजह से माँ हम बच्चों को नाना के यहाँ काम ही ले जाती थी।  बल्कि उनका भी जाना काम हो गया।

मैंने दीदी से पुछा – आपकी नाना की चिढ की वजह से नाना नाराज नहीं हुए ?

दीदी – तुझे क्या लगता है , मैं तेरे साथ क्यों हूँ ? में शादी के नामर्द से नाना ने ही करवाई है।  तुझे लगता नहीं की ये उनका बदला है।

मुझे ये सोच कर बहुत गुस्सा आया।  मैंने कहा – माँ ने नहीं रोका उन्हें ?

दीदी – पहले तो पापा की जाने की वजह से माँ नाना और मौसी लोगों पर ही निर्भर थी।  किसी को भी उम्मीद नहीं थी की नाना ऐसा कर सकते हैं।  दूसरी बात नाना ने ये माँ को बताया ही नहीं होगा।

मैं – पर आपको कैसे पता नाना ने जान बुझ कर ये किया है।

दीदी – नाना मेरे ससुराल वालों को अच्छे से जानते थे।  मेरी सास भी कह रही थी की नाना को उनके परिवार के बारे में साड़ी जानकारी थी।  हो सकता है नाना को ये भी अंदाजा रहा हो।  तभी मुझे वहां बाँध दिया।

मैं एकदम गुस्से में था।  मुझे समझ नहीं आ रहा था आदमी अपने हवस में इतना पागल भी हो सकता है। मैंने मन बना लिया था की लीला दी और मौसी की अच्छे से कुटाई करूँगा।  तड़पा तड़पा कर उनके चूत का भोसड़ा बनाऊंगा।  पर नाना के लिए भी मुझे कुछ करना था। मैंने मन में डिसाइड किया की अगर ये बात सच निकली तो नाना को अब एक भी चूत नसीब नहीं होगी।  पर ये बात मुझे नाना के मुँह से ही निकलवानी थी।

यही सब सोचते सोचते मुझे नींद आ गई।  दीदी भी मुझसे चिपक कर यूँ ही सो गई।

अगले दिन भी श्वेता मुझसे नजरे छुपाती रही।  मैंने भी उसके सामने जाना अवॉयड किया ताकि उसको ओड न लगे।  दो दिन बाद उसे हॉस्टल वापस जाना था।  पहले तो उसने कहा खुद ही चली जाएगी , पर माँ और सुधा दी ने जबरदस्ती मुझे उसके साथ भेज दिया। उनके जिद्द के आगे उसकी भी कुछ न चली।

गाडी में दोनों शांत ही थे।  मैंने चुप्पी तोड़ने के लिए कहा – आई एम् सॉरी।  उस रात वैसे नहीं आना था।

श्वेता कुछ नहीं बोली।

मैंने कहा – नाराज मत होना प्लीज।

श्वेता ने कहा – कोई बात नहीं सिचुएशन ऐसी थी।

हम दोनों के बीच फिर से ख़ामोशी बस गई।  खैर हम उसके कॉलेज पहुँच गए।  वहां पहुँच कर उसको बाई करने के लिए मैं भी गाडी से उतरा।  जैसे ही वो जाने वाली थी की पास में ही एक गाडी रुकी।  उसमे से दीप्ति मैम निकली।  उन्हें देखते ही मैंने और श्वेता ने नमस्ते बोला।

दीप्ति मैम – कैसे हो तुम ?

मैं – ठीक हूँ मैम , आप कैसी हैं ?

दीप्ति मैम – मैं भी ठीक हूँ।  श्वेता , तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है ? कोई दिक्कत तो नहीं है।

श्वेता – सब ठीक है मैम।  कोई दिक्कत नहीं है।

अभी हम बात ही कर रहे थे की कार में से एक सुन्दर सी कमसिन लड़की निकली।  आँखे बड़ी बड़ी चंचल सी , दुबली तो नहीं थी पर मोती भी नहीं थी।  होठ भरे हुए। मुश्कुराने पर उसके एक गाल पर डिंपल पड़ रहे थे। उसे देखते ही मैं खो सा गया। मुझे लगा जैसे कोई परी उतर आई हो।

मुझे स्टैचू बना देख दीप्ति मैम ने मुझे आवाज देते हुए कहा – राज , वो मेरी मेरी बेटी तारा है।

मैंने कहा – हाय

तारा ने भी मुश्कुराते हुए कहा – हाय।

मैम ने फिर मेरा और श्वेता का परिचय करवाया और फिर बोली – अच्छा हम चलते हैं।  इसका यहीं एडमिशन करवाया है।  आज उसका पहला दिन है।

दोनों फिर कॉलेज में चली गई।  मैं दोनों को जाते हुए देखता रहा।  श्वेता वहीँ कड़ी थी।  उसने जोर से मेरे सर पर चपेट मारी।

कहा- सुधर जा, ऐसे मत देख।  ऑक्वर्ड लगता है। 

मैंने कहा – यार, कितनी सुन्दर है न।

श्वेता – फिर शुरू हो गया।  हर लड़की तेरे लिए नहीं है।

मैं – यार , तुम न बहुत खराब हो।  एक तो किसी से दोस्ती नहीं करवाती हो।  और किसी और को देखूँ तो देखने भी नहीं देती।  ना ही खुद देती हो।

ये सुनकर श्वेता फिर नाराज हो गई।  उसने पेअर पटका और अंदर जाने लगी।

मुझे लगा फिर गलत हो गया।  मैंने जोर से कहा – सॉरी यार।

पर तब तक देर हो चुकी थी।  वो अंदर चली गई।

समय कभी इंतजार नहीं करता।  एक महीना कैसे बीता पता ही नहीं चला।  एक दिन सुधा दी ने मुझे कॉलेज में फोन किया।  सब हाल चाल पूछने के बाद दीदी ने धीरे से कहा – सुन आते समय एक किट लेते आना।

मैं – कौन सा किट

दीदी – वही , प्रेग्नेंसी वाला

मैं उछाल पड़ा – क्या , मैं बाप बन गया।

दीदी – चुप, अभी पता नहीं है।  पीरियड नहीं आये हैं तो डाउट है।

मैं – फिर तो पक्का है।  आई लव यू।  जल्दी से खुशखबरी सुनाओ।

दीदी – पहले किट तो ले आ।

शाम को कॉलेज से लौटते वक़्त मैं किट लेकर आ गया।  अगले दिन सुबह जब दीदी ने टेस्ट किया तो पॉजिटिव था। दीदी ने जैसे ही बताया , मैंने उन्हें गोद में उठा लिया और ख़ुशी से नाचने लगा।

दीदी – अरे मुझे उतार तो।

मैं – वाह मैं बाप बन गया।  मजा आ गया।  वाऊ।

माँ – ठीक है , उतार दे इसे।  अब इसका ख्याल रख।

मैंने दीदी को गोदी से उतार दिया।  पर उसके बाद मैं उनको बेतहाशा चूमने लगा।  सुधा दी भी खुश थी।  सबसे खुश थी माँ।

मैं भागकर मिठाई लेकर आया।  माँ ने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया। 

खुशियां सिर्फ हमारे यहाँ ही नहीं आई थी।  एक हफ्ते के अंदर ही सरला दी और मामी ने भी ख़ुशख़बरी दे दी।  मैं माँ से कहा – सरला दी और मामी को भी यहीं बुला लें क्या ? एक साथ रहेंगी तो सबका ख्याल हो जायेगा।

माँ ने सरला दी के ससुराल में बात की।  उनकी सास से साला दी को अभी भेजने से मना कर दिया।  उन्होंने कहा – कुछ ख्याल उन्हें भी रखने दे।  माँ ने जिद्द की की बच्चा मायके में ही होना चाहिए तो उन्होंने कहा – डिलीवरी से एक दो महीने भेज देंगी।

सरला दी का आना तो मुश्किल था। 

मामी ने भी कहा – कुछ महीने बाद आ जाएँगी।  उनका ख्याल रखने के लिए बड़ी मौसी आ रही थी।

सुधा दी के ससुराल वाले ही बहुत खुश हुए।  उनकी सास ने कहा की सोनिया को भेज दे।  दीदी का ख्याल हो जायेगा।

दीदी ने कहा – उसकी पढाई का नुक्सान होगा।  इस लिए बाद में ही भेजें।

पर ये सब सुन चाची से नहीं रहा गया।  वो आना चाहती थी।  माँ ने उन्हें मना किया  तो बोलीं – सुधा से मिले बहुत टाइम हो गया है।  फिर उन्होंने कहा – आएंगी तो सुधा ही नहीं राज का भी ख्याल हो जायेगा।

माँ ने कहा – ये कह न राज से मिले दिन हो गया है।

खैर उन्होंने मुझे एक हफ्ते बाद बुलाया।  तब तक वो तैयारी कर लेंगी। मुझे भी काफी सालों बाद अपने गाओं जाने का मौका मिला था।  जब श्वेता ने ये सुना तो उसने कहा – वो भी गाओं चलेगी।  उसे भी गाओं गए काफी दिन हो गए थे।  वैसे भी एक दो दिन की बात थी तो कॉलेज का नुक्सान नहीं था।

तय हुआ की शुक्रवार को गाडी से ही हम दोनों जायेंगे।  और दो तीन दिन में वापस आ जायेंगे।

तय ये हुआ कि मैं घर से निकलूंगा और रास्ते में श्वेता को पिक करता हुआ गाओं कि तरफ निकल लूंगा। मैं सुबह सुबह ही दो तीन दिन का सामान पैक करके निकल पड़ा।  अब इसे मेरी खराब किस्मत कहिये या अच्छी जब मैं बाहर श्वेता का इंतजार कर रहा था तभी तारा कॉलेज से निकल रही थी।  उसने मुझे देखते ही हाय किया।  मैंने भी उसके हाय का जवाब दिया।

तारा – आज यहाँ कैसे ?

मैं – श्वेता को लेने आया था। आज हम दोनों दो तीन दिन के लिए गाँव जायेंगे। तुम बताओ कैसी चल रही है पढाई ?

तारा – मैं भी ठीक हूँ पढाई का तो पता नहीं अभी तो नई जगह और नए लोगों के साथ एडजस्ट कर रही हूँ।

मैं – हम्म।  थोड़ी दिक़्क़्क़त तो होती है।  वैसे कोई दोस्त बनाया या नहीं ?

तारा – नहीं , अभी नहीं।  पर बन जायेंगे कुछ दिन में।

मैं – हाँ कुछ एक महीने लगेंगे।  वैसे कोई दिक्कत हो तो मुझे बता सकती हो।  जैसे कि कभी मार्किट जाना हो या कहीं घूमना फिरना हो।

तभी पीछे से श्वेता कि आवाज आई – हाँ हाँ बता देना।  ये समाजसेवी है।  खासकर कोई लड़की कष्ट में मिल जाए तो हेल्प करने में बिलकुल भी देर नहीं करता।

तारा ये सुन सकपका गई।  वो क्या मैं भी समझ नहीं पाया।

मैं – वैसे श्वेता तो तुम्हारे कॉलेज में ही है।  कुछ ही साल सीनियर है।  जरूरत हो तो इसके साथ भी जा सकती हो।

तारा – हाँ।  जरूर।  अच्छा मैं चलती हूँ।  तुम दोनों को भी निकलना होगा।  देर हो रही होगी।

श्वेता न जाने क्यों चिढ़ी हुई थी।  उसने कहा – अरे देर नहीं होगी।  कोई जरूरत हो तो बताओ।  हम अभी चल पड़ेंगे।

तारा समझ गई कि श्वेता चिढ़ी हुई है।  उसने देर नहीं कि हमें बाय किया और चली गई।

मैंने श्वेता का सामान गाडी में रखा और हम फिर निकल पड़े।  मुझे श्वेता का व्यवहार अजीब लग रहा था।  बल्कि उसके तारा से इस तरह बात करना बिलकुल भी सही नहीं लगा।

मैंने कहा – ये क्या तरीका है किसी से बात करने का।  कितना बुरा लगा होगा उसे।

श्वेता – तो फिर जाकर माफ़ी मांगू ? तुझे सबकी बड़ी चिंता है है किसे और क्या बुरा लगा।  बस मेर ही~~ कह कर चुप हो गई।

मैंने कहा – तुम्हे हो क्या गया है ? तुम्हारी परवाह क्यों नहीं है मुझे।  मैं जब नजदीक आता हूँ तो दूरी बना लेती ह।  दूसरों से बात करून तो चिढ जाती हो।  न खुद मेरी फ्रेंड बनती हो न किसी और को बनने देती हो।  चाहती क्या हो ?

श्वेता चुप ही रही।  वो खिड़की से बाहर देखती रही।  मैंने भी गुस्से में गाडी की स्पीड बढ़ा दी।

शहर से बाहर निकल अब मेरी गाडी हाईवे पर थी।  हम दोनों में से कोई भी बात नहीं कर रहा था।  मैं गुस्से में गाडी तेजी से चलाये जा रहा था।  तभी अचानक से सामने चल रहे ट्रक ने ब्रेक लगाया।  मैं काफी स्पीड में था।  मैंने बड़ी मुश्किल से गाडी को ट्रक के बगल से काट कर निकाला।  गाडी बाल बाल टकराने से बची। श्वेता अचानक हुए इस घटना से बहुत तेजी से  चीखी।  मैंने थोड़ा आगे बढ़ा कर गाडी साइड में लगा दिया।  हम दोनों कि साँसे तेज चल रही थी।  मुझे बिलकुल समझ नहीं आया कि ये क्या हुआ।  शायद गुस्से में दिमाग कहीं और था पर गनीमत थी कि किसी तरह से एक्सीडेंट बच गया। गाडी के रुकते ही श्वेता मेरे गले लग गई और रोने लगी।  मैं भी घबरा गया था।  मेरी आँखों में भी आंसू आ गए। 

मैंने कहा – आई एम् सॉरी।

श्वेता सुबकते हुए – नहीं तुम क्यों सॉरी बोल रहे हो।  गलती मेरी है।  जब तुम किसी और को देखते हो और बात करते हो तो मुझे ना जाने क्या हो जाता है।  मैं तुम्हे तारा से बात करते देख गुस्सा हो गई थी  औरन ना जाने क्या क्या बोल गई।  मुझे माफ़ कर दो।

मैंने उसे अपने बाहों में भर लिया और उसके बालों को सहलाते हुए बोला –  अरे पगली , मेरा प्यार तेरे लिए काम थोड़े हो होगा।  मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ जैसे सुधा दी और सरला दी को।

वो सुबकती रही।  हम दोनों वैसे ही बैठे रह।  कुछ देर बाद मैंने कहा – अब चलें वार्ना देर हो जाएगी।

श्वेता – मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ

मैंने मजे लेने के लिए कहा – पर तुम मुझे सरला दी और सुधा दी जैसे प्यार नहीं करती।

उस पर उसने मेरे सीने पर मुक्के मारते हुए कहा – तुम्हारे दिमाग में हर वक़्त वही चलता है क्या ?

मैंने कहा – क्या चलता है ?

श्वेता – रहने दो।

मैं – नहीं तुम बताओ क्या चलता है तभी मैं गाडी चलाऊंगा।

श्वेता – प्लीज चलो न

मैं – तुम पहले बोलो

श्वेता ने नजरें झुकाते हुए कहा – वही सेक्स

मैं – ये क्या होता है ? हिंदी में बताओ

श्वेता – चलना है या मैं बस पकडू

मैं – प्लीज एक बार बोल दो न

श्वेता – चुदाई।

मैं हँसते हुए बोला – ये हुई न बात।  तुम्ही तो मुझे चोदू बोलती हो।  अब चोदू के दिमाग में चुदाई ही तो चलेगी।  पर अफ़सोस इसे जिसे चोदना है वो भाव ही नहीं देती।

श्वेता ने मुश्कुराते हुए कहा – दे रही है न भाव वो तारा और सोनिया।

मैं – लो फिर से जलन।। 

श्वेता – अब देर नहीं हो रही है।  चलो।

मैंने गाडी धीरे से बढ़ा ली।  मुझे पता चल गया था कि श्वेता के मन में भी मेरे लिए प्यार है।  पर शायद वो खुल कर इजहार नहीं कर रह इहै।  मुझे भी उसके साथ इस नोक झोंक भरे प्यार में मजा आ रहा था।  मुझे पता था कि एक दिन श्वेता भी मुझे सुधा दी और सरला दी वाला प्यार दे देगी।  कब ये मैं भी नहीं जानता था।

Please complete the required fields.




Leave a Reply