इससे अरुण और परी को मज़ा आने लगा. परी की सिसकियाँ फिर से गूंजने लगी. उस ने आँखे बंद कर लीं.अब अरुण ने अपने स्टाइल में परी को पेलना शुरू किया।पहले तो परी रोती चिल्लाति रही लेकिन कुछ देर बाद उसे मज़ा आने लगा और वह निचे से अपनी गांड उठाके चुदवाने लगी।
अरुण:देखो बुआ मेरी रंडी कितना मज़ा ले रही है।पहले साली कितना शरमा रही थी।अब देखो कैसे अपनी माँ के सामने नंगी होकर अपने भाई से चुदवा रही है साली रंडी।
परी:भाई कितनी गन्दी गाली देते हो मुझे।
अरुण:चुप कर साली रांड।कितनी देर से आराम से पेल रहा हूँ।चुपचाप कुतिया बन जा।नहीं तो यही लंड तेरी कुँवारी गांड में पेल दुँगा।
परी जल्दी से कुतिया बन जाती है।और अरुण परी की चूत में पूरा लौड़ा पेल कर तेज तेज धक्के मारकर चोदने लगता है।कुछ ही देर में परी को मज़ा आने लगता है और वह गांड पीछे करके अरुण का पूरा लंड लेने लगती है।अरुण प्रीति को भी परी के ऊपर कुतिया बना देता है।और लंड परी की चूत से निकाल कर प्रीति की चूत में पेल देता है।
अब अरुण अपना मोटा लंड बारी बारी माँ बेटी की चूत में पेलने लगता है।दोनों मज़े से चिल्ल्लाने लगती है।और अरुण कभी बुआ की चूत में पेलता है तो कभी उनकी बेटी की चूत में।दोनों दो दो बार झड़ चुकी है।लेकिन अरुण घोड़े की तरह दोनों को चोद रहा है।कुछ ही देर में अपना वीर्य दोनों को सीधा करके दोनों रंडियों के मुँह पर गिरा देता है।जिसे दोनों माँ बेटी चाट चाट कर साफ कर देती है।
आधे घंटे बाद अरुण प्रीति की कुँवारी गांड मारता है।जिसमे परी उसकी हेल्प करती है।वह अरुण के लंड को चूसकर पूरा खड़ा करती है और फिर अरुण के लंड को पकड़कर अपनी माँ की गांड के छेद पर सेट करती है।और अरुण प्रिती की कुँवारी गांड मारता है।प्रीति दर्द से चिल्लाती है।लेकिन बाद में मज़े लेने लगती है।अरुण प्रीति की गांड और चूत दोनों चोदता है।जिसे देख कर परी गरम हो जाती है फिर अरुण माँ बेटी दोनों की आधे घंटे तक जबरदस्त चुदाई करता है।जिसमे झड़कर माँ बेटी शांत हो जाती है।
परी:माँ ज़िन्दगी में मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया जो आज अरुण भइया ने दे दिया।
प्रीति:इसलिए तो मैं तुझे साथ ले के आई थी।
फिर सभी बाहर आ जाते है।
वो कुछ प्रोग्राम बनाते तभी राजेश आ गया।
सरला: भाई आप आ गए। वो कहा है।
राजेश: दी जीजाजी जी ने ये क़ाग़ज़ दिया है तुम्हे देने के लिए बोले है अकेले में पढने को बोले है।
सरला ने क़ाग़ज़ लिया और अपने रूम में आ गई।
और क़ाग़ज़ खोल कर पढने लगी।
सरला
मुझे पता चल गया है की मेरे हाथ में अब कुछ नही
है।तूम सब अब अरुन के गुलाम हो ।
मै चाह कर भी तुम्हे बापिस नहीं पा सकता और जो कल रात को हुआ उससे तुम लोगो की नज़र में मैं और गिर गया हूँ।।
इसलिए मेरे और तुम सब लोगो के लिए यहि अच्छा है की मैं तुम लोगो की ज़िन्दगी से कही दुर चला जाऊँ।
जीससे तुम सब अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जी सको ।
मुझे दूँढ़ने की कोशिश मत करना।
और हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।
क्यूं की आज जो भी हालात है मेरी बजह से।
अगर मैंने तुम्हे तुम्हारे हक़ का प्यार दिया होता तो शायद ये दिन हम लोगो को नहीं देखना पड़ता ।
तुम्हारा गुनहगार
रमेश
सरला लेटर पढ़ कर बेड पे बैठ जाती है ।
थोड़ी देर बाद अरुन अंदर आता है।
और लेटर पढ़ कर
सरला को समझाने की कोशिश करता है।
और बाद में सभी आ जाते है।
पर राजेश के समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
सरिता राजेश को कुछ देर के लिए घर से बाहर भेज देती है।
और सब सरला को समझा रहे थे।
तभी वो उठी और ड्रेसिंग टेबल पे से सिन्दुर की डिब्बी ले आई और अरुन के हाथों में देते हुए।
सरला: क्या तुम मुझसे शादी करोगे।
अरुन सिन्दुर ले कर सरला की मांग भर देता है।
मै पापा की तरह कभी भी आप का साथ नहीं छोड़ुंगा।
आप अब से सिर्फ मेरी हो जब तक मैं ज़िंदा हु। आप मेरी हो और मैं आप का और सरला को अपनी बाँहों में भर लेता है।
और वहाँ खड़े सब की आँख भर आती है।
नीतु : माँ और पापा मैं आप के साथ हूँ।
प्रीति: भाभी मैं भी आप के साथ हु और अब अरुन मेरा भतीजा ही नहीं भाई भी है।
परी: मैं भी आप के साथ हूँ मामी।
और सरला की आँख भर आती है।
पर ये तो ख़ुशी के ऑंसू थे ।फिर सभी रिश्तेदार अपने अपने घर चले जाते है।लेकिन नीतू अपनी माँ के पास रुक जाती है क्योंकि वह अब माँ बनना चाहती है।सरला नीतू और अरुण जमकर मेहनत करते है।जिससे नीतू के पेट में अरुण का बच्चा पलने लगता है।और वह अपने घर लौट जाती है।जहाँ कुछ दिनों बाद सभी को अपने पेट से होने की बात बताती है।उसके पति और सास की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था।
इधर सरला और अरुण की हर दिन सुहागदिन और हर रात सुहागरात थी।
समाप्त।
