महिला कारावास – Update 16

महिला कारावास - Adultery Story

अंदर वही सर्फ की खुशबू थी। अंदर की हवा की नमी ने 5 सेकंड में किंजल को पसीने से भर दिया। सोनिया उसे अंदर की तरफ ले गई। चारों तरफ चादरे सूखने डाली हुई थी। चादरों के बीच एक जगह मौसी बैठी थी कुर्सी पर। सामने कुर्सी पर शिफा बैठी थी। सोनिया और किंजल दोनो शिफा के साथ जाकर खड़ी हो गई। “देख लड़की इस बार तो तेरी किस्त टाइम पर आ गई। और अगली बार भी टाइम पे ही आए। ऐसे तो मैं ये किस्तों वाला काम करती नही हू। ये तो बस शिफा के कहने पे किया। आगे भी अपना काम ढंग से करना।” मौसी किंजल को ऊपर से नीचे देखती हुई बोली।
“ठीक है मौसी में थोड़ा काम करवा लू।” शिफा उठते हुए बोली। मौसी ने हाथ से जाने का इशारा किया।
शिफा ने किंजल का हाथ पकड़ा और अपने साथ ले जाने लगी। किंजल फिर शिफा के साथ चलने लगी। शिफा उसे चादरों के बीच लेकर गई। वहा बैठने की थोड़ी जगह बनी थी। पीछे से दो औरते और आई। शिफा उन दोनो को देख कर बोली। “इसपे काम करना है। पहले जंगल साफ करना है। फिर बाल ठीक करके चेहरा चमकाना है।”
“जी दीदी” एक बोली।
“चल जल्दी कपड़े उतार।” एक ने किंजल को देख कर बोला। किंजल पहले घबराई। अभी थोड़ी पहले के काम से उसकी हालत खराब हो चुकी थी। शिफा उसका चेहरा देख कर समझ गई।
“अरे कुछ नही। बस तेरा मेकअप करना है।”
किंजल ने कुर्ता उतारा। और सलवार उतार दी।
“ये भी उतार दे” दूसरी ने बोला।
किंजल ने पैंटी और ब्रा भी उतार दिए। एक कैदी ने उसका हाथ पकड़ के पास में एक बेंच पे बिठा दिया। और अपने बैग से कैंची निकली। “चल टांगे खोल। तेरा जंगल साफ करना है।” किंजल समझ गई। उसकी choot के बाल साफ करेंगे। एक औरत उसके झांटों को कैंची से काटने लगी। और दूसरी उसके सर के बालो में कंघी फिराने लगी। बहुत दिनों से कंघी ना करने के कारण बाल उलझ गए थे। फिर भी वो आराम से उसके बालो को सुलझाने लगी। टांगों के बीच बैठी औरत ने कैंची साइड में रखी और बैग से एक क्रीम निकाली। और किंजल की choot और गान्ड के आसपास लगाने लगी। थोड़ी देर बाद उसकी choot को कपड़े से साफ किया तो उसकी choot और गान्ड दोनो चिकनी हो चुकी थी।
उधर दूसरी औरत ने उसके बाल ट्रिम कर दिए थे। और चेहरे को क्लींजिंग मिल्क से साफ करना शुरू कर दिया था। इधर उसकी टांगों को फैला कर wax लगाना शुरू हो गया। थोड़ी थोड़ी दर्द के साथ किंजल की टांगे भी चिकनी होनी शुरू हो गई। चेहरे को पोंछने के बाद किंजल के शरीर का निखार ही अलग था। धीरे धीरे उसके पूरे शरीर को वैक्सिंग कर दिया गया। शिफा ने आकर उसे नई ब्रा पैंटी दी। किंजल ने वापिस अपने कपड़े पहन लिए। ये सब काम में शाम हो चुकी थी।

किंजल और शिफा दोनो बाहर आ गए। “आंटी मुझसे और ऐसा काम मत करवाओ प्लीज। मुझसे नही हो रहा है।” किंजल रुआंसी होती हुई बोली।
“देख तेरा ही फायदा है। मैं तेरे लिए अच्छे वकील का इंतजाम कर रही हूं। पर अच्छा वकील मुफ्त में नही मिलता। कोर्ट जो मुफ्त का वकील तुझे देगी। वो तुझे कभी यहां से नही निकालेगा। और ये काम तो तुझे फिर भी करना ही पड़ेगा। ये जेल में सब करवा लिया जाता है। कोई कुछ नही सुनेगा तेरी। सोच ले क्या करना है?”
शिफा चलते चलते बोली।
किंजल कुछ पल सोच में पड़ गई और चुपचाप शिफा के पीछे चल दी। दोनो वीआईपी बाथरूम की तरफ जा रहे थे। लॉन्ड्री में गर्मी से दोनो की हालत खराब थी। किंजल का चेहरा अब अलग ही चमक रहा था। बाल सुलझे हुए थे। किसी के भी मुंह में पानी आने के लायक था।

गुसलखाने में कुसुम, सोनिया, इंद्रा और तीन और वीआईपी औरत पहले से नहा रहे थे। ऐसे तो जेल में और भी वीआईपी कैदी थे। पर उनके बाहर निकलने का समय अलग अलग था। ये लोगों को खाना उनके बैरक में आ जाता था। इनके काम करने के लिए दूसरे कैदी होते थे। इसलिए ये ज्यादा बाहर नहीं निकलते थे। किंजल ने जन कपड़े उतारे तो सबकी आंखे उसके नंगे बदन पर तैरने लगी। इंद्रा ने अपने होंठो पर जीभ फिराई। शिफा सबकी आंखों को देख रही थी। किंजल की पीठ सबकी तरफ थी। वो अपने शरीर को रगड़ रगड़ कर धो रही थी। आंखे आंसुओं से भरी हुई थी। उसे पूरे शरीर पर इंद्रा की गंदगी महसूस हो रही थी। वो सब धो देना चाहती थी। उसे अब कोई इल्म नहीं था कि कुछ आंखे उसके नंगेपन को निहार रही हैं।

नहाना खतम कर सब वापिस बाहर आ गए। शाम हो चुकी। खाने की घंटी बज चुकी थी। सब मैस की तरफ चल दिए। वहां लाइन लगी हुई थी। एक लाइन में सरिता भी लगी थी। उसे मेडिकल से डिस्चार्ज कर दिया था। सोनिया इतने में सबकी थालिया ले आई। सब एक जगह बैठे खा रहे थे। दोपहर को इतना लजीज खाने के बाद किंजल से निवाला अंदर नही जा रहा था। थाली में 4 रोटी और दाल मिली थी। “कोई ना खा ले। जेल में ऐसे ही चलता है। आदत खराब मत कर लेना अपनी।” शिफा मजाक करते हुए बोली। किंजल चुपचाप खाने लगी।
कोने में एक तरफ सरिता अकेली बैठी खा रही थी। उसे डर था कि फिर उसके साथ वही सब करेंगे। कोई उसके पास नही जा रहा था। सब जानते थे उसके साथ क्या हुआ। उसके साथ दोस्ती का मतलब था अपनी मौत को बुलाना। इसी तरह दिन ढल गया।

रात को आज फिर शिफा बहुत देर बाद आई अपने बैरक में। कुसुम तब तक सो चुकी थी। शायद दवाओं का असर था। सोनिया भी अपना पजामा उतार कर लेट गई थी। शिफा ने भी कपड़ों के अंदर से अपनी ब्रा उतारी और लेट गई। सब सो गए। किंजल की आंखों से नींद कोसों दूर थी। दिन में जो हुआ उसकी आंखों के आगे घूम रहा था। आज उसे अपना बदन बहुत हल्का लग रहा था। पूरे शरीर की सफाई जो हुई थी। किंजल का हाथ बरबस ही अपनी पैंटी में चला गया। अपनी बिना बालो को choot को सहलाने में उसे अच्छा लग रहा था। सहलाते सहलाते वो पुरानी च**** की यादों में खोने लगी। पहले झड़ने में ही वो कब नींद के आगोश में चली गई
उसे पता ही नही चला।

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