CHAPTER – 3
बेटी सेर
राजेश ने जब उसे चूमा था,
सोनिया मोम की तरह पिघल गई थी।
कुछ ही देर में उसने अपनी पैंटी खोल कर
अपनी कुंवारी चूत राजेश के लन्ड के सामने खोल दी थी।
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शुरू में दर्द हुआ, पर जल्द ही मजा भी आने लगा था।
राजेश ने लंड बाहर निकाल कर उसके गोरे,
नर्म पेट पर अपना सफ़ेद,
चिपचिपा लन्ड का तेल उडेल दिया था।
उस वक़्त तो उसे राजेश का लंड बड़ा लगा था,
पर अब बाप के दमदार लन्ड के सामने कुछ भी नहीं लगता था।
सोनिया के मस्त जवाँ बदन में अब वही भावनएं मचल रहीं थीं
जिन्हें वो सामान्य अवस्था में कभी उजागर नहीं होने देती थी।
अंदर झांकने पर उसने देखा उसकी माँ जाँघों की छरहरी
मांसपेश्हीयों को भींच कर अपनी भूखी चूत उछाल-उछाल
कर पति के खौलते हुए लंड के झटके झेल रही थी।
| सोनिया का मुँह खुला रह गया
जब उसने अपने बाप के लसलसाते लंड को माँ की
मलाईदार खाई में सटा- सट गोते लगाते और
माँ को कराहते देखा।
अब उसकी माँ आनंद से अपने प्रेमी को पुचकार रही थी
– ऐसी बेशर्मी से गंदी बतें कर रही थी,
जिसे सुनने को सोनिया व्याकुल थी।
“ऊन्हुह! ऊन्हह! चोद मुझे !
हरामी कस के चोद! बाप रे, क्या लन्ड है तेरा!”
इस हैरान कर देने वाले नजारे को देख कर सोनिया के
जवान बदन में कामुकता की लहरें उमड़ रहीं थीं।
उसके पाँव जैसे जमीन से गड़ गये हों।
मम्मी-डैडी की उत्तेजक चुदाई को देख सुन कर
खुद-ब-खुद उसक एक हाथ अपनी गोल
मखमली चूचियों को रगड़ने लगा।
दूसरा हाथ अपनी पैंटी के अंदर सरक गया और
अपनी किशोर चूत को सहलाने लगा।
बारह साल की उम्र से वो हस्तमैथुन कर रही थी और
जो चूत एक बार भड़की,
उसे आनंद देना भली तरह जानती थी।
पहले उसने चूत के होंठों को एक उगली से सहलाया,
जब उंगली गिली हो गयी तो उससे अपने मादा – द्रवों को
चूत की पंखुड़ीयों पर मल कर उसे चिपचिपा कर दिया।
उसकी जवान चूत में रोमांच की बिजली दौड़ पड़ी
जब चूत के चोचले को दो उंगलीयों के बीच दबाया।
सैक्स के बस एक ही अनुभव ने उसे सैक्स के
गुप्त आनंद का ज्ञान करा दिया था।
अब उसे चाहिये था तो बस एक मर्द जो
उसकी चूत में एक लन्ड को भर दे।
“म्म्मूहहह! अन्न्घ! अम्म्म्म!” अपनी रिसती चूत में लन्ड के बदले एक
और उंगली डाल कर सोनिया कराह पड़ि।
ऊहहह ! राजेश ! डैडी! कोई तो आओ !”
उसकी उत्तेजित आंखें डैडी के थीरकते लन्ड पर चिपकी थीं।
मम्मी-डैडी की सैक्स-क्रीड़ा की लय पर ही
सोनिया अपनी कमर को ऐंठती हुई हस्तमैथुन कर रही थी।
ठीक वैसे ही जैसे पहली बार जब राजेश ने अपने लन्ड से
उसकी कुआँरी चूत को चोदा था।
चरम आनंद के उमड़ते सैलाब में वो कल्पना करने लगी कि
उसके डैडी ही विशालकाय लन्ड से उसकी जवान चूत को चोद रहे हैं।
अपनी कल्पना में उसकी मम्मी नहीं बल्कि वही
अपने डैडी के ठेलते बदन के नीचे उछल-मचल रही थी।
पाप भरी इस कल्पना ने उसे उबाल दिया।
“ऊह्ह! डैडी चोद दो मुझे !
चोदो चोऽदो ना मुझे !”
सिसकते हुए वो उंगलीयों पर ही बहने लगी।
आने से उसका पूरा बदन ऐंठने लगा और
मस्ती की लहरें जैसे थमने लगीं,
अपने हाथों को उसने पतली जाँघों पर टेक दिया।
पर डैडी-मम्मी की चुदाई देख कर जो आग उसमें भड़की थी,
वो अभी शांत कहाँ हुई थी …

