तेरे प्यार मे …. – Adultery Story by FrankanstienTheKount
#99

मैं- देखो बात ये है की मुझे आदत नहीं है ये घुमा फिरा कर कहने वाली बातो की मैं जानना चाहता हूँ की क्या कारन है तुम इतनी रात को जंगल में घुमती हो. जबकि आदमखोर ने कितने लोगो को अपना शिकार बना लिया है

अंजू- मुझे उसकी परवाह नहीं है और फिर मौत से क्या डरना जिन्दगी के सफ़र का अंतिम पथ तो मौत ही है न .

मैं- तुम चाहे कहो की तुम प्रकाश से प्यार करती थी पर वो तुम्हे नहीं चाहता था , तुम्हारी पीठ पीछे न जाने कितनी औरतो संग चक्कर था उसका.

अंजू- फिर भी मैं जानना चाहती हूँ की उसे किसने मारा.

मैं- वैसे इस जंगल में तुमने किसकी मौत देखि थी .

अंजू- तुम्हे जानने की जरुरत नहीं

मैं- जरुरत है , एक रात अचानक से तुम मुझे मिलती हो , हम एक दुसरे को जानते है और पहली ही मुलाकात में तुम मुझे ये लाकेट देती हो क्यों

अंजू- इस लाकेट से तुमको इतनी ही परेशानी है तो वापिस दे दो मुझे अभी .

मैं- बेशक पर पहले मैं वो कारण जानना चाहता हूँ जिसके लिए तुम रात भटक रही हो .

अंजू- मैंने कहा न तुमको जानने की जरुँत नहीं

मैं- चाहूँ तो दो थप्पड़ मार कर भी पूछ सकता हूँ , एक मिनट नहीं लगेगी और जुबान टेप के जैसे चल पड़ेगी तुम्हारी.

अंजू- अपनी हद पार मत करो कबीर

मैं- हद तो देखि ही नहीं तुमने

अंजू-राय साहब को अगर मालूम हुआ की तुमने मेरे साथ बदतमीजी की है तो खाल खींच लेंगे तुम्हारी

मैं- जुती की नोक पर रखता हु मैं राय साहब जैसो को . तुमने मुझे झूठी कहानी बताई तुम भी जानती थी की उस रात गाड़ी के पास परकाश के साथ तुम नहीं रमा थी फिर मुझसे क्यों झूठ बोला तुमने , मेरे साथ क्या खेल खेल रही हो तुम.

अंजू- रमा से नफरत है मुझे कबीर, वो साली जैसी दिखती है वैसी नहीं है वो

मैं- हो सकता है , पर उसे फंसाने की कोशिश क्यों

अंजू- प्रकाश के सम्बन्ध थे रमा से, जब कोई अपना धोखा दे तो सहन करना मुश्किल होता है . पर मेरे लिए रमा से कुछ और जानना भी बहुत जरुरी था .

मैं- क्या , और अब तक तुम जान क्यों नहीं पाई.

अंजू- मैं जानती हूँ की मामा जरनैल के गायब होने के पीछे रमा का हाथ है .

मैं- कैसे और अगर ऐसा है तो तुमने ये बात राय साहब को क्यों नहीं बताई

अंजू- मैंने बताई थी उनको, रमा पर नजर है उनकी पर अफ़सोस उनके हाथ खाली है आजतक. मामा के गायब होने के कुछ दिनों पहले की ही बात है , उस शाम मैं नंदिनी से मिलने जा रही थी , पर कुवे पर उस दिन नंदिनी की जगह कोई और था , रमा और छोटे मामा. पहले तो मुझे लगा की रमा खेत पर काम करती होगी पर जब मैंने नजदीक से उनकी बाते सुनी तो छोटे मामा नाराज थे रमा पर.

मैं- रमा पर , क्यों, रमा तो उनको सबसे प्रिय थी .

अंजू- शायद इसलिए ही वो नाराज थे, छोटे मामा को मालूम हो गया था की रमा ने किसी और से भी नाता जोड़ लिया है .

मैं- किस से .

अंजू- यही नहीं जानती मैं इस बात का सबूत आज तक नहीं मिला मुझे.

मैं- प्रकाश ही रहा होगा

अंजू- नहीं , प्रकाश होता तो वो इतने दिन जिन्दा नहीं रह पाता छोटे मामा कभी का मरवा देते उसे.

मैं- तो फिर कौन हो सकता है

अंजू- कह नहीं सकती . मैंने रमा पर बहुत नजर रखी है पर प्रकाश के सिवा किसी और के पास नहीं गयी वो .

मैं समझ गया था की अंजू को गहराई की जानकारी नहीं थी .

मैं- चलो मान लिया रमा वाली कहानी पर तुम क्यों भटक रही हो जंगल में., मेरा सवाल फिर भी वही है .

अंजू-क्यों जानना चाहते हो तुम

मैं- क्योंकि तुम ही वो आदमखोर हो, तुम ही हो वो कातिल . मैं जानता हूँ सबसे बढ़िया जगह जंगल ही है . मैंने तमाम हिसाब लगाया है , जिन जिन रातो को आदमखोर की बेचैनी रहती है उन्ही रातो को तुम जंगल में भटकती हो.

अंजू- ओह, इतना बड़ा राज मालूम हो गया तुमको अब मैं क्या करुँगी. हाय मेरे ऊपर तो साया चढ़ रहा है हा हा

मैं- बात को घुमाओ मत

अंजू- ठीक है फिर अगली चाँद रात को मैं तुम्हारे साथ रहूंगी ,

मैं- अगली चाँद रात को मैं तुम्हारे साथ नहीं रह पाऊंगा.

अंजू- अभी से डर गए तुम , चाँद रात तो आई भी नहीं,

मैं- उस रात मुझे कुछ काम है

अंजू- क्या काम है तुम्हे, आदमखोर का दीदार करने से ज्यादा और क्या जरुरी है तुम्हे .

मैं- उस रात ब्याह है चंपा का

अंजू- ये तो और अच्छी बात है न, ब्याह में मैं भी आउंगी मुझ पर नजर रखने का बढ़िया मौका रहेगा तुम्हारे लिए.

इतना कहने के बाद अंजू उठ खड़ी हुई और चली गयी . मैंने आंच बुझाई और अपनी राह चल दिया. अगले दिन मैंने सबसे पहले चाची को पकड़ा.

मैं- चाचा ने तेरे लिए जो गहने बनवाये थे वो देखने है मुझे

चाची- उन्होंने कभी कोई गहने नहीं दिए मुझे. जो भी है वो ब्याह में दिए हुए है उसके बाद कुछ नहीं दिया मुझे .

मैं- याद कर चाची,

चाची ने अपनी अलमारी खोली और कुछ डिब्बो को बाहर रखते हुए बोली- देख ले , जो है यही है.कुछ मैंने नंदिनी को दे दिए पर ये सब मेरे बयाह में मिले थे .

मैं-रमा ने बताया की चाचा ने तेरे लिए गहने बनवाए थे

चाची- तो फिर उसी रंडी से पूछ ले की कहीं मेरी जगह उसको तो नहीं दे दिये वैसे भी तेरा चाचा मुझसे ज्यादा तो उसके पास ही रहता था .

मैं चाची की व्यथा समझता था पर चाचा ने गहने बनवाये थे तो फिर वो गहने गए कहाँ सोचने की बात तो थी. मैं ये मान भी लू की अगर तालाब वाले कमरे में चाचा इन रांडो को चोदता था तो फिर रमा और सरला क्यों नहीं जानती थी उस कमरे के बारे में.

खैर, मैंने अब मलिकपुर के सुनार से मिलने का निर्णय लिया वो ही अब कुछ बता सकता था . मैंने साइकिल उठाई और मलिकपुर की तरफ बढ़ गया जंगल पहुंचा ही था की सड़क के बीचो बीच मैंने कुछ ऐसा देखा की मैंने सोचा नहीं था. साइकिल अपने आप रूकती चली गयी. ……………… नजरे जम गयी …………….

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