Update – 2
सोनाली अविनाश को लेकर अपने रूम की तरफ बढ़ जाती है… और रूम में मे पहुच कर अविनाश को बेड पर लिटा देती है… और फिर में डोर को लॉक करके आती है, फिर अविनाश के शूज और शॉक्स उतार कर उसे ठीकसे बेड पर लिटा देती है… और फिर थोड़ी देर अपनी किस्मत को कोसने के बाद अपनी नाइटी को उतार कर फेक देती है और अपना अधुरा काम पूरा करने में लग जाती है यानी की चुत की खुजली मिटने में, उसके हाथ और चुत में फिर एक जंग छिड़ जाती है…
उसी रात जहाँ एक तरफ सोनाली अपने जिस्म की आग बुजाने में लगी हुई थी… वही दूसरी तरफ लगातार बेल्ल बजने के कारन सतीश की आँख भी खुल गई थि, सतीश को समझते देर न लगी की गेट पर उसके डैड हैं जो की रोज की तरह लेट नाईट ड्रिंक करके आये हे, इसलिये सतीश दोबारा सोने के लिए लेट गया पर बहुत देर ट्राय करने के बाद भी उसे नींद नहीं आई, तभी उसे प्रेशर लगा तो वो उठ कर अपने रूम के टॉयलेट में चला गया और हल्का होने के बाद वापस अपने बेड पर आकर लेट गया, और सोने की कोशिश करने लगा अभी आँख लगने ही वाली थी की उसे जोर की प्यास लगती है, वो अपने बेड की साइड में रखी टेबल पे रखी बोतल को उठता है, पर बोतल बिलकुल खली थि, इसलिए सतीश अपने रूम से निकलकर निचे पानी लेने के लिए चल देता…. सीढ़ियों पे से ही उसकी नजर अपनी माँ के बेडरूम के थोड़े से खुले डोर से आती रौशनी पर पड़ती है…
सतीश- माँ इतनी लेट नाईट लाइट जला कर क्या कर रही हे… खैर मुझे क्या? अभी तो पानी पीलु पहले क्योकि- ये प्यास है बड़ी…
ओर सतीश किचन की तरफ बढ़ जाता है… और पानी पीने के बाद वो सीढ़ियों की तरफ चल देता है… सीढ़ियों और किचन के बीच मे ही उसके माँ डैड का रूम था अभी वो अपने माँ के रूम से जरा सा आगे बड़ा ही था की तभी उसके कान में एक आवाज़ पड़ी और उसके कदम एक दम ठिठक गए और तभी उसे दूसरी आवाज़ सुनाई दि… आवाज हलकी होने के कारन उसे कुछ समझ नहीं आया… पर उसके कदम उसके माँ के रूम की तरफ बढ़ गए और उसने थोड़ेसे खुले डोर को हलके से खोला और फिर अंदर का सिन देख कर उसके होश उड़ गये… उसकी आँखें आस्चर्य की अधिक्ता के कारन फैलती चलि गई… और अभी थोड़ी देर पहले तर किया हुआ गला वापस ऐसे सुक्ख गया जैसे वर्षो का प्यासा हो…..
सामने का दृश्य देख कर उसकी साँसे थम सी गई…
सामने उसकी माँ उसकी आँखों के सामने अपने नंगे जिस्म में वासना का नंगा नाच कर रही थी… एक पल को तो सतीश वहां से हटा पर दूसरे ही पल वो वापस गेट पर आकर अंदर का दृश्य देखने लगा…
सतीश (अपने आप से)- नहीं ये गलत है मुझे अपनी माँ को इस हालत में नहीं देखना चाहिए… वैसे ही सतीशने उनके डोर को बिना नॉक करे खोलकर पाप किया है और अब में माँ को ऐसा देखकर महापाप नहीं कर सकता…
सतीश का हरामी दिमाग- अबे कोई पाप नहीं है बे… सामने का दृश्य देख भूल जा की सामने जो नंगी औरत है वो तेरी माँ है… और बता की आज तक तूने अपनी लाइफ में इतना हसीन जिस्म देखा है… साले देख उसके बॉब्स को कितने बड़े, गोल और सुड़ौल हे… कितना मजा
आएगा जब वो चूचियां तेरे हाथ में होंगीं और तू उन्हें मसल रहा होगा…
सतीश- नहीं मे इस बारे में सोच भी नहीं सकता वो मेरी माँ हे… तुम मुझे बहका रहे हो…
ह. द.(हरामी दीमाग )- अबे ध्यान से देख सामने जो है वो किसी की माँ बहन नहीं हो सकती, वो तो एक लाचार औरत है, जिसका पति उसकी सेक्स की आग को कम नहीं करता… देख इस औरत को इसे देख कर ही लगता है की ये बर्षो से किसी मर्द के स्पर्श को तड़प रही है, बरसो की प्यासी है ये औरत… और देख इसे अगर ये एक इशारा भी कर दे तो लोगो की भीड़ लग जायेगी पर ईसने अपने परिवार की इज्जत के लिए इस आग में झुलसना क़बूल किया… तु इसकी प्यास बुजा सकता है..
सतीश- “मैं… मैं कैसे,.. ये मेरी माँ है”
ह.दी.- “आगे कुछ बोलने से पहले अपने शार्ट में बने टेंट को देख ले…
सतीश अपने शार्ट की तरफ देखता है तो उसे पता चलता है की उसका लंड पूरा खड़ा हो कर उसके शार्ट में टेंट बना रखा है…
सतीश चौकते हुये- ये कैसे खड़ा हो गया, वो भी अपनी माँ को देख कर…
ह.दी- दोस्त लंड की कोई माँ और बहन नहीं होति, इसे बस चुत से मतलब होता है चाहे वो किसी की भी हो… और इसे तुम जितनी जल्दी समझ लोगे उतने ही ज्यादा तुम जिन्दगी को एन्जॉय करोगे…. जैसे की अभी अपनी माँ को देख कर, कर रहे हो…
सतीश- शायद तुम सही कह रहे हो… क्योकि मुझे पता ही नहीं चला की कब मेरा हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा…
अब सतीश अंदर का सिन देख के बहुत गरम हो गया था और अपने शार्ट को निचे खिसका देता है, और अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर देता है… रूम में सोनाली अपने एक हाथ से अपनी चुत में तेजी से डिलडो को अंदर बाहर कर रही थी जबकि दूसरे हाथ से अपनी चुत की क्लीट को रगड रही थी… पूरे रूम में उसके मुह से निकलती सिसकारियां गुंज रही थी जिन्हे सुनकर गेट पर खड़ा सतीश और भी गरम होकर अपने लंड को तेजी से हिलाने लगा… अन्दर सोनाली की आँखे पूरी मस्ती में बंद हो गई थी और वो तेजी से अपनी चुत को चोदने लगि, सोनाली मस्ती में अपने चूतडो को उछाल-२ कर डिलडो को अपने अंदर लेने लगी थी और थोड़ी देर में ही उसका जिस्म अकड जाता है, और उसकी चुत का बंद टूट जाता है, और उससे ढेरसारा कामरस निकलने लगता है…
सतीश की तो हालत ही ख़राब हो गई थी ये सब देख कर, एक पल को उसका मन किया की अभी अंदर जाकर अपनी माँ की चुत में अपना मुह घूसा दे और उसका सारा रस पि जाए, पर उसने अपने आपको रोक लिया क्योकि वो जल्दवाजी करके काम बिगाडना नहीं चाहता था…
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