Update – 10
ओ अभी भी अपनी नजरे झुकाए हुए बैठि थि, और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल थी….
ड्रिंक के साथ स्नैक्स खाते हुए वो नोर्मल्ली बातें करने लगते है पर भारती अभी भी चुप थी और कनखियों से सतीश को देख रही थी सतीश की नजरे भी बार बार उसकी तरफ चलि जाती…
सागर उन दोनों की हरकतों को देख रहा था…
सागर अपनी कोल्ड ड्रिंक खत्म.करने के बाद…
सागर उठते हुये- “भाई मुझे जरुरी काम से जाना है तू बैठ मे आधे घंटे मे आता हु”…
सतीश- “मे भी साथ चलता हु”..
सागर- “तू बैठ और बाइक की की मुझे दे”…..
सागर सतीश से बाइक की की लेकर बाहर निकल जाता है, अब घर मे केवल भारती और सतीश ही थे….
पूरे घर मे एकदम सन्नाटा फैल गया था… दोनों ही कुछ बोलना चाह रहे थे पर हिम्मत किसी की नहि हो रही थी….
सतीश हिम्मत करके अपनी जगह से उठता है और भारती के पास जाकर बैठ जाता है…
इससे पहले की सतीश कुछ कहता भारती अपनी जगह से उठ कर आगे बढ़ जाती है, सतीश उठ कर पीछे से उसका हाथ पकड़ लेता है….
सतीश- “जान अभी तक नाराज हो क्या?
भारती पलट कर सतीश की तरफ देखति है….
“चटाकककक….. एक थप्पड़ की गुंज से पूरे कमरे मे फैला सन्नाटा ख़तम होता है….
ये थप्पड़ भारती ने सतीश के बाए गाल पर जड़ा था… थप्पड़ की गुंज ख़तम होते ही कमरे मे एक बार फिर से सन्नाटा हो जाता है…
भारती के चेहरे पर अब काफी गुस्सा था जिसे देखकर सतीश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, और वो अपना दाया गाल आगे बड़ा देता है….
“चटाककक… एक बार फिर से थप्पड़ की आवाज से घर गुंज उठता है….
सतीश भारती की और देखता है, उसकी आँखों मे आँसु थे सतीश अपना बाया गाल फिर से आगे कर देता है….
भारती ग़ुस्से से उसके छाती मे एक के बाद एक कई घुसे मारती है, और फिर उसके सीने से लग कर सुबकने लगती है… सतीश भी उसे अपनी बाँहों मे जकड लेता है…
भारती सुबकते हुये- तुम बहुत बुरे हो सतीश, मुझसे मिलने के लिए भी टाइम नहि है तुम्हारे पास… पता है आज पुरे ५ महीने और ११ दिन और ४ घंटे बाद मिले हो… तुम्हे एक पल को भी मेरी याद नहि आई”…
सतीश- ५ महीने ११ दिन ४ घंटे २० मीनट. और ४० सेकंद. एक्साक्ट्ली…. और मेरी लाइफ का एक भी मिनट ऐसा नहि गया जब मैंने तुम्हे याद न किया हो….
भारती सतीश की आँखों मे देखते हुए – “झुठ मत बोलो अगर तुमने मुझे इतना याद किया तो मिलने क्यों नहि आये ???
सतीश- “यही बात अगर मे तुमसे कहु तो…. अगर इतना ही तुम मुझे.मीस कर रही थी मिलने तो,तुम भी आ सकती थी”…..
भारती अभी भी सतीश के सीने से लगी खड़ी थी और भारती की सांसे उसे अपने चेहरे पर महसूश हो रही थि, अगर भारती की जगह कोई और लड़की सतीश के इतने करीब होती तो बेशक उसका लंड खड़ा हो चुका होता पर भारती के इतने करीब होने के बावजूद भी उसमे कोई हलचल नहि थी… और ये सब प्यार के कारन था सतीश के मन मे भारती के लिए कभी भी कोई गलत ख्याल नहि आया…. बिना एक दूसरे को आई लव यु बोले वो एक दूसरे को बेइन्तेहा प्यार करते थे….
दोनो एक दूसरे के आँखों मे खो गए थे….
भारती- “तो ठीक है अब मैं ही तुमसे मिलने आ जाया करुँगी”….
ओर इतना कहकर भारती वापस अपना चेहरा सतीश की छाती मे छुपा लेती है…
सतीश- “एक बात कहु भारती”…
भारती- “ह्म्म्म”
सतीश- “तुमने थप्पड़ बहुत जोर से मारे थे… अभी तक कान झनझना रहे है”….
भारती हस् देती है…
भारती- “देख लो बच्चू अगर तुमने दोबारा ऐसी ग़लती करी न तो तुम्हारा बैंड बजा दूँगी”….
सतीश- “जब मे आया था तो मुझे गेट पर लगा की तुम मुझे देख कर काफी खुश हो और शायद मुझसे नाराज नहि हो”….
भारती- “हमम, खुश तो मे बहुत.थी पर नाराज भी बहुत थी वो तो उस समय सागर भाईया थे वरना उसी समय तेरा मोड़ देती”….
सतीश- “कोई बात नहि उस समय नहि तो अब तो तोड़ ही दिया ना”….
भारती सतीश से अलग होते हुये- “क्या वाक़ई मे बहुत तेजी से पड़ गया हाथ”….
सतीश अपने चेहरे पर मासुमियत लाते हुये- “बहुत तेज”….
भारती उसके करीब आते हुये- “तो क्यों दिलाते हो मुझे इतना गुस्सा पता है ये तेरे गाल पर पड़ा ६० वा थप्पड़ था”…
ओर भारती अपने पंजो पर खड़े होकर सतीश के लेफ्ट गाल पर अपने होंठ रख देती है, और फिर राईट गाल पर भी अपने होंठ रख देती है…
कब वो अपने होंठ सतीश के होंठो के पास लाती है, दोनों एक दूसरे की आँखों मे झाकते है…. और फिर भारती की पलके बंद हो जाती है और वो अपने होंठ सतीश के होंठो की और बड़ा देती है, दोनों के होंठ किसी भी समय एक हो सकते थे…..
पर इससे पहले की भारती अपने होंठो को सतीश के होंठो पर रख देति, सतीश झटके से पीछे हट जाता है… और उसकी इस हरकत से भारती जोकि सतीश के सहारे खड़ी हुई थि, लडखडा जाती है पर इससे पहले की वो गिर जाती सतीश उसे थाम लेता है और भारती अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाकर उसकी तरफ देखति है….
भारती अपने होंठ सतीश के होंठो के पास लाती है, दोनों एक दूसरे की आँखों मे झाकते है…. और फिर भारती की पलके बंद हो जाती है और वो अपने होंठ सतीश के होंठो की और बड़ा देती है, दोनों के होंठ किसी भी समय एक हो सकते थे…..
पर इससे पहले की भारती अपने होंठो को सतीश के होंठो पर रख देति, सतीश झटके से पीछे हट जाता है… और उसकी इस हरकत से भारती जोकि सतीश के सहारे खड़ी हुई थि, लडखडा जाती है पर इससे पहले की वो गिर जाती सतीश उसे थाम लेता है और भारती अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाकर उसकी तरफ देखति है….
सतीश उसके चेहरे के एक्सप्रेशन से समझ जाता है की वो क्या कहना चाहती है…
सतीश उसे छोड़ते हुये- देखो भारती ये गलत है”….
भारती हैरत से- “पर”
सतीश- “नहि मे अपने दोस्त के विश्वास को नहीं तोड़ सकता, उसने मुझे तुम्हारे साथ अकेला छोडा क्युकी वो जानता है की हम प्यार करते हैं और हम अकेले मे अपने गीले सिक्वे मिटा सकें पर हमे दूरि बनाकर रखणी होगी जब तक की हमारी एंगेजमेंट नहि हो जाति”…
भारती- “सॉरी सतीश वो मैं”….
सतीश- “तुम्हे सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहि है भारती”…
भारती थोड़ी नर्वस हो जाती है इस्लिये भारती के मूड को फ्रेश करने के लिये…
सतीश- “वैसे एक बात तो है तुम्हारे मल्हम ने काम कर दिया अब मेरे गाल दर्द नहि कर रहे….. थोड़ा और मल्हम लगाओगी क्या??
भारती हस्ते हुए उसकी तरफ बढ़ती है- “अब तुम मार खाओगे मेरे हाथ से”…
सतीश- “मारलो जितना मारना है बाद मे मल्हम भी तो तुम्हे लगाना पड़ेगा मेरे जख्मो पर”…..
भारती सतीश के गले लगते हुये- “तुम न बहुत बुरे हो”…
सतीश- “हाँ वो तो मे हु”…
तभी डोरबेल बजती है भारती सतीश से दूर हटके गेट खोलने के लिए बढ़ती है, और सतीश अपनी जगह पर बैठ जाता है….
गेट पर सागर था सागर अंदर आते हुये- “तूने ज्यादा परेशान तो नहि किया ना मेरे दोस्त को”…
भारती- “क्या भाई आप भी ना?
सागर सतीश की तरफ बढ़ जाता है और भारती गेट बंद करके किचन की तरफ…
सतीश-“कहा मराने गया था बे??
सागर- “आरे गया था कहि मराने तुझे इससे क्या? हाँ तुझे मरानी हो तो मुझे बता”…
सतीश सागर के कंधे पर मुक्का मारते हुये-बड़ा हरामी हो गया है तु.”..
सागर- “सब तेरी संगत का असर है”….
ओर दोनों हस देते है….
सागर- “छोड़ इन बातों को और ये बता की तू किस बात को लेकर परेशान था”…
सतीश- “मे और परेशान, भाँग पीकर तो नहि आया है रे छोरे”….
सागर- “बेटा मुझे लौंडिया चोदना मत सिखा, चुपचाप बता की बात क्या है”…
सतीश- “चल तो तेरे कमरे मे चलकर बात करते है”…
सागर- “चल…
दोनो उठकर सागर के कमरे की और चल देते है…
सतीश- सिगरेट है…
सागर सतीश को एक सिगरेट देता है और एक खुद लेता है और दोनों उसे लाइट करके कश लगाने लगते है…
सागर- अब बतायेगा या फिर पैक भी बनाऊ.
सतीश- नहि यार बताता हु…
ओर सतीश उसे शिप्रा और प्रिंस के बारे मे और फिर कैफ़े मे हुई बात के बारे मे बताता है…
बात पूरी होने के बाद कमरे मे शान्ति हो जाती है दोनों एक एक और सिगरेट जला कर कश लगाने लगते है…
सागर- बात तो ये वाकई मे चिंता की है….
सतीश- साले अगर चिंता की बात न होती तो मे इतनी टेंशन क्यों लेता…
सागर- अबे तू कहे तो ठिकाने लगा देते हैं उसके दिमाग को साले के हाथ पैर तोड़ देंगे….
इससे पहले की सतीश कुछ कहता रूम का गेट खुलता है और भारती रूम मे एंटर होती है..
सागर जोकि अभी सिगरेट का कश लगा रहा था उसको देख कर इतना शॉकेड हो जाता है की अपने मुह से सिगरेट निकालना भी भूल जाता है जबकी दूसरी तरफ सतीश भारती को देखते ही उठ कर खड़ा हो जाता है और अपनी सिगरेट पीछे छुपाने की असफल कोशिश करता है….
रूम फ्रेशनर के बावजूद सिगरेट की स्मेल पुरे कमरे मे फैल गयी थी….
भारती ग़ुस्से से सागर की तरफ देखति है और फिर अपनी नजरे सतीश पर टीका देती है और उसे घुरने लगती है… भारती के देखने के तरीके से ऐसा लग रहा था की जैसे वो अभी सतीश को कच्चा चबा जाएगी….
सतीश उसके ऐसे घुरने पर चुतियों की तरह अपनी बत्तीसी दिखा कर हॅसने लगता है…
सतीश- ओ… वो भारती तुम गलत समझ रही हो. .
इससे पहले की वो कुछ और कहता भारती ट्रे को टेबल पर रख कर…बलकी पटक कर कहना ज्यादा बेहतर रहेगा, कप्स मे से थोड़ी कॉफ़ी बाहर छलक कर ट्रे मे गिर गई थी….
ओर ट्रे को रखने के बाद वो ग़ुस्से मे तेजी से रूम से निकलती और गेट को इतनी तेजी से बंद करती है की गेट के बंद होने की आवाज पूरे रूम मे गुंज जाती है….
गेट इतनी तेजी से बंद हुआ था की थोड़ी देर तक सागर और सतीश गेट की तरफ ही देखते रह्ते है…
ओर फिर सतीश सागर की तरफ बढ़ता है और उसके सर पर एक थपकि लगाते हुये- “भोसडी के तू एक काम भी ठीक से नहि कर सकता ना”,
सागर- सॉरी भाई मे गेट करना भूल गया था….
सतीश- हरामखोर लौंडिया चोदते समय तो ४-४ बार चेक करते हो… तब क्यों नहि भूलते गेट खुला छोड़ना…
सागर- अब ग़लती हो गई भाई, अब क्या जान लेगा मेरी..
सतीश- साले तेरी ग़लती की वजह से मेरी तो बज गई ना… इतनी मुस्किल से तो मनाया था उसे और तूने फिर से अपनी गांड मरा ली…. अब पता नहि कितने खाने पडेंगे….
सागर- खाने तो मुझे भी पडेंगे….
सतीश उसकी बात पर उसकी तरफ देखता है…
सतीश- मतलब तुझे भी उसके हाथ से…
सागर- भाई जब वो ग़ुस्से मे होती है तो किसी को नहि छोड़ती….
ओर फिर दोनों हॅसने लगते है…
सागर- छोड़ वो मान जाएगी… तू प्रिंस का बता, ठोंक दू उसे क्या…
सतीश- अबे अकल क्या तूने बेच दी है.. अगर तू उसके हाथ पैर तोड़ेगा तो शिप्रा को उससे और सिम्पथी हो जायेगी और वो मुझे ही गलत समझेगी…
सागर- बात तो तेरी सही है, तो तू ही बता क्या करना है….
सतीश- यार अभी तो हम कुछ नहीं कर सकते सिवाए उसपर नजर रखने के, हमे बस ये ध्यान रखना है की प्रिंस उसके साथ कोई गलत हरकत न करे…
सागर- ठीक है पर ऐसा हम कब तक करेंगे….
सतीश- जब तक की मे उसके सामने प्रिंस की असलियत ना ला दु… या फिर वो उससे खुद बा खुद दूर न हो जाए…
सागर- चल ठीक है… पर अगर उसने कुछ गलत करने की कोशिश की शिप्रा के साथ तो मे उसे नहीं छोडूंगा….
सतीश- हमं… तब अगर तूने कुछ नहि करा तो मे तुझे नहि छोडूंगा….
ईधर सतीश और सागर अपनी आगे की योजनओं के बारे मे बातें कर रहे थे उधर दूसरी तरफ सतीश के घर मे शिप्रा जोकि बेड पर अपने आँसु बहाते हुए ही नींद के आग़ोश मे चलि गई थि, अपनी नींद से जागति है वो अपने बेड से उठकर वाशरूम मे जाकर फ्रेश होती है और फिर अपने रूम से निकल कर सतीश के रूम की तरफ बढ़ती है….
शिप्रा मन मे सोचते हुये- मुझे भाई से अपनी ग़लती के लिए माफ़ी माँगनी ही होगी कुछ भी हो मुझे उनसे इस तरह बेहेव नहि करना चाहिए था, पर मे उन्हें मना कर ही रहुंगी…..
यहि सब सोचते हुये.जब वो सतीश के रूम तक पहुचती है तो देखति है की रूम का गेट खुला हुआ है और रूम मे कोई नहि है…..
शिप्रा- भाई जरूर निचे होंगे…
ओर वो तेजी मे सीढियाँ उतरते हुए निचे आती है तो देखति है की उसकी माँ सोनाली सोफ़े पर बैठे टीवी देख रही थी….
शिप्रा अपनी माँ के गले मे पीछे से हाथ डालते हुए उनके गाल पर किस करती है….
सोनाली प्यार से उसके बालों मे हाथ फिराते हुये- उठ गई महारानी तुम्…
शिप्रा अपनी माँ के पास आकर बैठते हुये- माँ भाई कहा है कही नजर नहि आ रहा?
सोनाली- वो तो कॉलेज से आने के १५ मीनट. बाद ही निकल गया था खाना भी नहि खाया…. वैसे खाना तो तूने भी नहि खाया.. मैंने तुझे कितनी आवाज लगाई पर तू गेट अंदर से लॉक करके सो गई थी…..
शिप्रा- माँ भाई बता कर गए है की वो कहा गये है?
सोनाली- तू तो जानती है की वो कहा मुझे कुछ बताता है हमेशा अपने मन की करता है.. कहकर गया है की दोस्त के यहाँ जा रहा है शाम को आयेगा…. पता नहि कुछ खाया भी होगा की नहि इस लड़के ने, फ़ोन भी तो उसका स्विच ऑफ जा रहा है…
शिप्रा अपनी माँ की बात से और परेशान हो जाती है… क्युकी वो जानती थी की सतीश उससे नाराज होने के कारन ही घर से बाहर चला गया है…
सोनाली- मे खाना लगा देती हु तू कुछ खा ले, सुबह से तूने भी कुछ नहि खाया…
पर शिप्रा ने तो जैसे कुछ सुना ही न हो और वो अपनी सोचो मे गुम अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है…
सोनाली उसे पीछे से आवाज लगाती रह जाती है, पर वो नहि सुनति…
सोनाली- क्या हो गया है आज दोनों को..
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