अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 9

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

जब रजनी ने पहली बार किशोर को देखा था वो उसी वक़्त उस पर आसक्त हो गयी थी….उसे बस हर समय किशोर ही नज़र आता था…रजत वैसे तो सेक्स में ठीक था लेकिन रजनी को बच्चा चाहिए था हर कीमत पर….

वो अपने मायके जाने के बहाने से किशोर से मिलने लगी….और पहली बार मिलने के बाद हे कुछ दिनो बाद उसकी गोद हरी हो गयी थी…

पहली लड़की हुई जिसका नाम दीक्षा रखा गया….लेकिन रजनी को एक बेटा भी चाहिए था वो कुछ साल सबर रख कर …..फिर से किशोर से मिलने लगी उसको किसी बात से मतलब नही था ….बस उसको एक लड़का चाहिए था…

जब दूसरी भी लड़की ही पैदा हुई जिसका नाम कोमल रखा गया तो एक दिन रजनी ने किशोर को फोन किया. और जैसलमेर मिलने के लिए बुला लिया…

किशौर–क्या हुआ रजनी…तुमने मुझे इतनी जल्दी में क्यो बुलाया है…

रजनी–गुस्से से किशोर का गिरेबान पकड़ लेती है….मैने तुमसे बेटा माँगा था. और तुमने मेरी गोद बेटियों से भर दी…

किशौर–ये क्या गँवारों की तरह बेटा बेटा लगा रखा है…जमाना बदल गया है रजनी आज बेटियाँ भी बेटो के बराबर हक़ रखती है…

रजनी–में वो सब नही जानती मुझे एक बेटा चाहिए…

किशौर –रजनी ज़िद्द मत कर ….मेरे कह देने और तेरे माँग लेने से बेटा कोई आसमान से नही टपक पड़ेगा जो मिला है…उस से संतोष कर…

रजनी–गुस्से से चिल्ला कर…. तो फिर ठीक है मिस्टर. किशोर गुप्ता…तूने मुझे बेटा नही दिया…

ठीक है अब से में मेरी बेटियों को बेटा बना कर ही पालूंगी….

तूने मेरी लाचारी का फ़ायदा उठाया…तू मेरे जिस्मा को नोचता रहा…

और मेने बेटा पाने के चक्कर में तुझे अपना सब कुछ दे दिया…

तेरी कसम…किशोर गुप्ता तेरे खानदान में ऐसी आग लगाउन्गी जो बुझाने से भी नही बुझेगी…

ये ख्याल आते ही…रजनी उठ के बैठ जाती है…

रजनी–है भगवान ये कैसी कसम खा ली थी मैने उस वक़्त… में कैसे भूल गयी जिस आदमी के परिवार को बर्बाद करने की मैने कसम खाई थी… उसी की वजह से मेरा परिवार आज आबाद है…

उसी के कारण मेरी गोद भरी…और मेने उसी को तबाह करने की कसम कैसे खा ली…मेरा दिल जानता है मैने कभी किशोर और उसके परिवार का कभी बुरा नही चाहा…. बस उस दिन पता नही बेटे की चाह में क्या क्या बोल गयी…है भगवान मुझे माफ़ करना….

और उसके बाद रजनी अपनी आँखे बंद कर के सो जाती है….

उधर नीरा जय के रूम के बाहर खड़ी थी…

उसके मन में आने वाला पल एक भयानक सपने की तरह लग रहा था .

वो खुद को दौराहे पर खड़ा महसूस कर रही थी….तभी अचानक वो कुछ निश्चय करके दरवाजा खोल देती है….

और जो वो देखती है उसकी आँखो में से झार झार आँसू बहने लगते है…

सामने बेड पर रूही और जय बिल्कुल आराम से सो रहे थे…

नीरा के मन का बोझ अब हल्का होने लगा था…वो जय की तरफ़ बढ़ जाती है जय का मासूम चेहरा देख कर उसका मन उस चेहरे को चूमने का करता है लेकिन शायद ये सही वक़्त नही था…फिर वो रूही की तरफ़ देखती है…रूही इस समय किसी मासूम बच्ची की तरह…एक टेडी बियर अपनी बाहो में भर कर सो रही थी…नीरा कुछ पल जय और रूही को निहारती है…और अपने रूम में वापस आकर सो जाती है…..

अब उसके मन में कोई ग़लत फ़हमी नही थी अपनी प्यारी बहन रूही के लिए….और मेरे रीडर्स से भी निवेदन है रजनी के लिए भी आप वही प्यार अपने मन में ले आए जो नीरा के मन में जय के प्रति है…..

एक बार फिर सूरज अपने प्रकाश से रात के घने अंधेरे को भगा देता है…

यही तो प्रकृति का नियम है…जहा प्रकृति अंधेरा फैलाती है…वही उसे दूर भी करती है…

इसी तरह जीवन में सुख और दुख निरंतर चलते रहते है….

उसी तरह जैसे सर्दी के बाद बसंत..बसंत के बाद पतझढ़..पतझड़ के बाद सावन ….जो . अपने चक्र में गतिमान रहते है…

इनको देखने वालो के लिए ये बस मौसम है…लेकिन महसूस करने वाले के लिए ज़िंदगी…..

सवेरे सवेरे….

भैया उठो सवेरा हो गया है आज काफ़ी काम करने है ….जल्दी उठो भैया.,.

ये आवाज़ में पहचानता था लेकिन ये आवाज़ वो नही थी जो मुझे रोज़ सवेरे नींद में से जगा देती थी …ये आवाज़ नीरा की थी…

में–क्या हुआ नीरा आज तू मुझ से पहले उठ गयी…

नीरा–हाँ उठ गयी और आपको उठाने भी आ गई…जैसे आपके उपर पूरे परिवार को संभालने की ज़िम्मेदारी है…वैसे ही मैने भी आपको संभालने की ज़िम्मेदारी ले ली है…

में–क्या बात है…तू अपने छोटे छोटे कंधो पर मुझे उठा लेगी…

नीरा–हाँ में आपको उठा भी लूँगी और ज़्यादा मुँह खोला तो नीचे पटक भी दूँगी चलो अब जल्दी से फ्रेश हो जाओ पंडित जी आने वाले है…

उसके बाद नीरा वहाँ से चली जाती है..

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे इस घर पे जो दुख के बादल छा गये थे…वो अब दूर हो गये है …सब कुछ बिल्कुल नौरमल सा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो…

में उठ कर नहा धो कर बाहर हॉल में आजाता हूँ वहाँ चाचा जी अख़बार पढ़ रहे थे…

मैने जाते ही उनके पेर छुए…और उन्होने भी स्नेह से मेरे सिर पर हाथ रख कर कहा …

चाचा…बेटा आज हम लोगो को तीसरे की बैठक करनी है और दिन में जाकर अस्थिया भी लेकर आनी है…उसके बाद में और तेरी चाची और रूही हम तीनो अस्थिया लेकर हरिद्वार के लिए निकल जाएँगे…

में–जैसा आप ठीक समझो चाचा जी.,,पता नही अगर आप यहाँ ना होते तो में कैसे ये सब ज़िम्मेदारियाँ उठा पता …

चाचा–बेटा मेरे होने या ना होने से कोई फ़र्क नही पड़ता…ये सब काम अपने आप आजाते है इनको सीखना नही पड़ता …ये बिल्कुल उसी तरह है जैसे एक बछड़े को उसकी माँ का दूध पीना सीखना नही पड़ता… वो अपने आप ही उस जगह को ढूँढ लेता है जहा से उसकी भूक मिट सकती हो…

में–आप बिल्कुल पापा की तरह बात करते है चाचा जी…

चाचा–अब ये सारी बाते छोड़ और लग जा काम पर…बाज़ार से में एक लिस्ट दे रहा हूँ वो सामान जाकर ले आ और बाजार जाने से पहले तेरी मम्मी और भाभी से मिलकर जाना..

मम्मी और भाभी का नाम सुनते ही मेरे माथे पर चिंता की लकीरे उभर आई…जिसे चाचा जी ने तुरंत पहचान लिया.

चाचा–बेटा तू उन दोनो से छुप नही सकता उनसे छुप कर तू उन्हे और अकेला कर रहा है

अपनी सारी चिन्ताओ को छोड़ और उन्हे वापस इस संसार में लाने की कोशिश कर…

उसके बाद में मम्मी के रूम में चला गया वहाँ चाची भी बैठी हुई थी…

मम्मी मुझे बड़ी आस भरी नज़रो से देख रही थी….शायद वो कुछ कहना चाहती थी मुझ से ….शायद कुछ ऐसा कहना चाहती थी जो में सह ना सकूँ….शायद एक और तूफान मेरे दिल के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था….

मम्मी मुझे बड़ी आस भरी नज़रो से देख रही थी….शायद वो कुछ कहना चाहती थी मुझ से ….शायद कुछ ऐसा कहना चाहती थी जो में सह ना सकूँ….शायद एक और तूफान मेरे दिल के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था…..,

में मम्मी के पास जाकर बैठ गया…और मम्मी मेरे सिर पर हाथ फिराने लगी…

मम्मी–तू तेरी भाभी से नही मिला क्या अभी तक…

में–नही मम्मी ….में अब जाउन्गा उनके पास..

मम्मी–मैने तो अपनी आधी से ज़्यादा जिंदगी सुख से निकाल दी…लेकिन वो बेचारी तो अभी बच्ची है…..उसने तो अभी तक कुछ देखा ही नही है…

में–हाँ मम्मी आप सही कह रही हो भाभी…कैसे रहेगी ये सोच सोच कर मेरा दिनग फटे जा रहा है…

मम्मी–तू तेरी भाभी से बात कर अगर वो अपने मायके जाना चाहे तो जा सकती है…और वैसे भी अब वो इस घर में रह कर करेगी भी क्या ….अपने माँ बाप के साथ रहेगी तो हो सकता है उसकी दूसरी शादी भी करवा दे…

में–मम्मी ये कैसे पासिबल होगा भाभी के जीवन में इतना भारी तूफान आ गया और उनके मम्मी पापा ने यहाँ आना तो दूर एक फोन तक नही किया….वो कैसे भाभी का ख्याल रख पाएँगे…

मम्मी–बात तो तेरी सही है …लेकिन कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा …

में–मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा..,आप हे सलाह दो में क्या करूँ ऐसा जिस से उनकी लाइफ में फिर से खुशियाँ आ सके.

मम्मी–यही बात में भी सोच रही हूँ कब से…कैसे में उस बच्ची को दर्द की दुनिया से बाहर निकालु…क्या करूँ कुछ भी कहने की हिम्मत नही है मुझमे…

में कुछ कहना भी चाहूं तो मेरी ज़बान लड़खड़ा जाती है

में–मम्मी अब आप ज़्यादा मत सोचो में भाभी से मिलकर बाज़ार जा रहा हूँ कुछ ज़रूरी सामान लेने…

और में उठकर रूम से बाहर निकालने लगता हूँ…

में रूम के दरवाजे तक ही पहुचा होता हूँ. तभी मेरे कानो में मम्मी की आवाज़ सुनाई पड़ती है…

जो तूफान मेरे घर के दरवाजे पर दस्तक देता हुआ महसूस हो रहा था वो अब मेरे सामने एक सवाल के रूप में आकर खड़ा हो गया था…

मम्मी–तू क्यो नही कर लेता नेहा से शादी…..??????

ये बात सुनते ही में मम्मी की तरफ पलट कर देखता हूँ….मम्मी मेरी आँखो में सुलगते हुए अंगारे देख के बिल्कुल खामोश हो जाती है…..और में बिना कुछ कहे वहाँ से भाभी के रूम की तरफ चला जाता हूँ…

में–भाभी घर से किसी का फोन आया क्या…अग्र आप बुरा ना माने तो में एक बात कहना. चाहता हूँ…

भाभी–नही जय किसी का फोन नही आया….में उनलोगो के लिए उसी दिन मर गई थी जब मैने तुम्हारे भैया से शादी की थी…तुम बोलो क्या कहना चाहते हो…

में–हिचक्कता हुआ ये बात कहता हूँ….भाभी अगर आप वापस जाना चाहो तो घर जा सकती हो….वैसे भी आपके लिए यहाँ कुछ भी बचा नही है….आप चाहो तो दूसरी शादी के बारे में सोच सकती हो….

भाभी–ये बात तुझे मम्मी ने कही या….तो खुद अपने मन से ये बात कह रहा हैं….

में–भाभी जो इस हालत में सही है…,में वही बात कर रहा हूँ…,

भाभी–तो फिर मेरा एक फ़ैसला तू भी सुन ले …,,ये मेरा घर है….ये मेरे प्यार का घर है…क्या हुआ जो आज वो मेरे साथ नही है…लेकिन में ये घर कही भी छोड़ कर नही जाउन्गि……आइ थिंक तुझे तेरा जवाब मिल गया होगा …….इसलिए मुझे अब अकेला छोड़ दे और बोल दे सभी से मेरे बारे में चिंता करने की ज़रूरत नही है….

में–पर भाभी….

भाभी–मैने कहा ना अब किसी पर की गुंजाइश नही है….बस मुझे अकेला छोड़ दो तुम सब …..में अपने घर में ही रहना चाहती हो यहाँ से अगर में जाउन्गि तो एक लाश के रूप में ही जाउन्गि….

में–भाभी अगर आप यहाँ रहना चाहती हो तो में कौन होता हूँ आपको रोकने वाला…. लेकिन ऐसा ना हो कि एक दिन आप अपने फ़ैसले पर पछताओ….

भाभी–जिस दिन मुझे इस फ़ैसले पर पछ्ताना पड़ा ये मान लेना वो मेरे जीवन का आख़िरी दिन होगा.

में–लेकिन भाभी आप मेरी बात समझ ने की कोशिश करो….

भाभी–में तेरी बात अच्छे से समझ रही हूँ…लेकिन तेरी नियत को नही समझ पा रही…अगर तू चाहता है…तेरा मेरा रिश्ता ऐसे ही बना रहे तो यहाँ से चुप चाप उठकर बाहर चला जा……

में वहाँ से बिना कुछ कहे निकल गया…बाहर निकलते ही मुझे चाचा जी ने वो लिस्ट वाला काम पूरा करने के लिए कह दिया.

इस बीच चाचा जी श्मशान से अस्थिया भी लेकर आ गये थे…

शाम को 5 बजे तीसरे की बैठक थी…उस बैठक में शहर का ऐसा कोई बड़ा आदमी नही था जो ना आया हो…

लेकिन एक शक्श ऐसा भी था जिसके यहाँ आने के बारे मे में सोच भी नही सकता था….आज बैठक में मुझे सुहानी भी दिखाई दे गयी….

पता नही एक अदृश्य सा रिश्ता हमारे बीच में जुड़ चुका था….मुझे जब भी ज़रूरत होती….वो मेरे सामने किसी ना किसी रूप में आ ही जाती थी….

बैठक ख़तम होने के बाद वहाँ आए सभी लोगो ने मुझ से विदा ली ….और तभी सुहानी भी मेरी बगल में आकर खड़ी ही गयी….

जब सब लोग चले गये तब सुहानी ने भी जाने के लिए बोला….

में–नही सुहानी अगर तुम यहाँ नही आती तो मुझे इसका कोई अफ़सोस नही होता लेकिन ….यहाँ से अगर तुम इस तरह से चली जाओगी तो शायद में खुद को माफ़ भी नही कर सकूँगा….

और मेरा एक लालच भी है तुम्हे यहाँ रोकने का….में तुम से कुछ बाते करना चाहता हूँ…शायद उन सवालो का जवाब तुम ही मुझे सही तरीके से दे सकती हो….

सुहानी ने जब मुझे इतना उलझा हुआ देखा अपने ही सवालो में तब वो चाहकर भी जा ना सकी…

मैने नीरा को बुलाया और सुहानी के रुकने का प्रबंध नीरा के रूम में ही करवा दिया…

उसके बाद चाचा मेरी तरफ़ कुछ बात करने के लिए बढ़ जाते है….

चाचा—बेटा अब हम लोग हरिद्वार के लिए निकलेंगे और 2 दिन बाद वापस आजाएँगे…

में–चाचा जी किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो आप मुझे बोल सकते हो..

चाचा–अरे नही बेटा किसी चीज़ की ज़रूरत नही है मुझे…

लेकिन दीक्षा और कोमल आज पहली बार मेरे और रजनी के बिना रहेंगी…में चाहता हूँ तुम उन दोनो का ध्यान रखो…

में–चाचा जी आप कैसी बात कर रहे है….

दीक्षा और कोमल मेरे लिए रूही और नीरा की तरह ही है आप लोग बिना किसी चिंता के वहाँ जाकर आ जाओ…

चाचा–ठीक है बेटा…हम थोड़ी देर में ही निकल जाएँगे….

में–चाचा जी आप लोग मेरी कार में चले जाना ड्राइवर को साथ में लेकर….

चाचा–ठीक है बेटा तू जैसा चाहेगा वेसा ही होगा…

और थोड़ी देर बाद चाचा जी…चाची जी. और रूही तीनो हरिद्वार के लिए रवाना हो जाते है..

वो सब लोग हरिद्वार के लिए निकल गये थे,.

मेने नीरा को आवाज़ दी और उसे कॉफी बनाने के लिए बोल दिया….मेरे पास सुहानी भी आकर बैठ चुकी थी…

में–सुहानी तुम्हे यहाँ देख कर काफ़ी सुकून मिला है मुझे….मेरी हर परेशानी तुम चुटकियो में हल कर देती हो…अभी भी में एक परेशानी में उलझा हुआ हूँ….

सुहानी–ऐसी क्या परेशानी है…जो आप इतना उलझ गये हो…

में–सुहानी मेरी मम्मी चाहती है कि में मेरी भाभी से शादी कर लूँ….और मुझे ये समझ नही आ रहा है कि भाभी को जब ये बात पता चलेगी तब उनका रियेक्शन क्या होगा….

सुहानी–आपकी मम्मी ने आपसे ये शादी वाली बात कब करी थी…

में–आज ही…

सुहानी–मुझे लगता है आप पूरे के पूरे बेवकूफ़ है….

में–हाँ वो तो में हूँ नही तो तुम मेरी मदद कैसे कर पाती…

सुहानी–देखो आप के पापा और भाई की डॅत को ज़्यादा दिन नही हुए है….इस लिए भाभी से इस बारे में कोई भी बात करना पूरी तरह से ग़लत है….और मुझे समझ नही आ रहा ऐसे मोके पर आपकी मम्मी के दिमाग़ में ये शादी वाली बात आ कहाँ से गयी…. आप अब मेरी बात सुनो …..कौन आप से क्या करने को कहता है आप उस पर ध्यान मत दो…आप बस अपने दिल और दिमाग़ की आवाज़ से ही अपना काम करते जाओ…

में–तुम्हारी बात ठीक है लेकिन…में भाभी और मम्मी को इस तरह परेशान नही देख सकता….

सुहानी–आप इसमें कुछ नही कर सकते…आप उन्हे वो नही लौटा सकते जो उनसे छीन लिया गया है…..इसलिए जो हो रहा है वो होने दो सब कुछ समय के उपर छोड़ दो…क्योकि आज नही तो कल तुम्हे अपनी बात कहने का सही मोका ज़रूर मिलेगा….

उसके बाद नीरा कॉफी ले आती है …और वो भी हमारे साथ बैठ कर कॉफी पीने लग जाती है…

नीरा–भैया क्या बाते हो रही है आप दोनो में मुझे भी तो कुछ बताओ….

में–कोई बात नही हो रही नीरा बस थोड़ा मम्मी की एक बात पर परेशान हो गया था…

नीरा–कौनसी बात भैया ऐसा क्या कह दिया आपसे मम्मी ने जो आप इतना परेशान हो गये…

में–मम्मी का कहना है कि मुझे भाभी से शादी कर लेनी चाहिए…

ये बात सुनते ही नीरा के होश उड़ जाते है लेकिन वो खुद को काबू में रख कर कहती है…

नीरा–भैया इसमें इतने चिंता करने वाली बात कौनसी है….पहली बात तो ये कि आप दोनो की शादी कोई बच्चो का खेल तो है नही…जो मम्मी ने बोल दिया और शादी हो गयी…

ये बात आपको और भाभी को तैय करनी है…और इसके लिए अभी काफ़ी समय का इंतजार करना होगा….क्योकि भाभी का फ़ैसला सिर्फ़ समय ही कर सकता है….

सुहानी नीरा की इस बात पर मुस्कुराए बिना नही रह सकी..,

सुहानी–सर आगे से आप नीरा जी को ही अपनी उलझने बता देना…क्योकि ये आप के दिल के हालात बहुत अच्छे से समझती है…

तभी नीरा उठ कर किचन की तरफ़ चली जाती है…और रोते हुए खुद से ही बात करने लगती है…उसे अपने दिल में सब कुछ टूटता हुआ महसूस हो रहा था…लेकिन वो किसी से कुछ कह भी नही सकती थी…प्यार जो करती थी जय से……!!!

रात हो चुकी थी और सुहानी ने मुझ से जाने की पर्मिशन माँगी और फिर में जाकर उसे एरपोर्ट तक छोड़ आया…जब में घर वापस आ रहा था तब रास्ते में से मैने एक शराब की बोतल भी ले ली थी…

जब घर पहुचा तो देखा नीरा कोमल और दीक्षा एक ही रूम में है ….और शायद भाभी और मम्मी सो चुके थे खाना खा कर…

में अपने रूम में चला गया और किचन में से कुछ स्नॅक्स ले कर मेरे रूम में आ गया उसके बाद मैने वो बोतल ओपन करी और धीरे धीरे सीप करता हुआ ड्रिंक करने लगा…

तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई….

मैने जैसे ही जाकर दरवाजा खोला तो सामने भाभी खड़ी थी उनका चेहरा बिल्कुल बुझा हुआ…आँखे रो रो कर सूज चुकी थी…

में–भाभी क्या हुआ….कुछ चाहिए क्या मुझ से…,

भाभी–जय क्या में थोड़ी देर तुम्हारे साथ बैठ सकती हूँ अगर तुम बुरा ना मानो तो…

में –हाँ भाभी क्यो नही….मुझे भी नींद नही आ रही थी…

उसके बाद में दरवाजे से हट गया और भाभी सीधा मेरे रूम के बेड पर जाकर बैठ गयी मैने दरवाजा बंद किया लेकिन लॉक नही किया और वापस बेड के पास एक चेयर पर बैठ गया…

भाभी–जय तुमने शराब पी है???

में–हाँ भाभी जब से ये सब कुछ हुआ है तब से मुझे से रहा ही नही जाता…

भाभी–क्या मुझे भी थोड़ी सी दे सकते हो…

में–लेकिन भाभी….आप कैसे पियोगी इसे….आपने तो कभी पी भी नही होगी…

भाभी–आज मेरा मन बहुत घबरा रहा है….कुछ भी अच्छा नही लग रहा प्ल्ज़ मुझे एक ड्रिंक दे दो…

भाभी को इस तरह परेशान होता देख मेने अपने बेड के नीचे से वो सारा समान निकाल लिया जो भाभी के अंदर आने से पहले में बेड के नीचे सरका चुका था…

में किचन से जाकर भाभी के लिए एक ग्लास और ले आया और उनको उस ग्लास में ड्रिंक बना कर दे दिया…

भाभी–तुम सुबह मुझ से नाराज़ तो नही होगये थे ना…

में–नही भाभी में आपसे भला क्यो नाराज़ होने लगा…

भाभी–मुझे लगा शायद तुम मेरी उस नियत खराब वाली बात पर नाराज़ हो गये होगे…

में–नही भाभी ऐसी कोई बात नही है आप परेशान मत होइए….जब मैने ऐसा कुछ कहना चाहा ही नही था तो फिर में आपके गुस्से से नाराज़ क्यो हो जाउन्गा…

भाभी–जय मुझ से कभी भी नाराज़ मत होना…मेरा इस दुनिया में तुम सब के अलावा कोई नही है…मुझे माफ़ कर देना अगर में गुस्से में आकर कुछ बोल दूं तो…

में–अरे नही भाभी आप कैसी बाते कर रही है….में कभी नाराज़ नही हो सकता आपसे ….

उसके बाद हम दोनो ने एक एक ड्रिंक और लिया फिर भाभी जाने के लिए खड़ी हो गयी…

भाभी–अच्छा जय में अब जा रही हूँ….तू भी अब ज़्यादा मत पीना और खाना खा लेना.

में–भाभी भूक मर गयी है मेरी…कुछ समझ नही आता क्या करूँ…एक तरफ मम्मी का दुख मुझ से सहा नही जा रहा दूसरी तरफ़ आप को इस तरह तिल तिल करता मरते देख रहा हूँ…ये शराब में बस बेहोश होने के लिए पीता हूँ…

मेरी ये बात सुनकर भाभी ने मुझे कस कर गले से लगा लिया….और मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी….

भाभी–तुझे मेरे दर्द से इतनी तकलीफ़ होगी ये मैने कभी सोचा भी नही था…मुझे माफ़ कर दे जय मुझे माफ़ कर दे…

तभी अचानक……………….

तभी अचानक मेरे रूम का दरवाजा खुल जाता है…नीरा अपने साथ मेरे लिए खाना लाई थी…

जब वो हम दोनो को इस तरह से गले लगे हुए देखती है…और बेड पर शराब की बोतल और 2 ग्लास देख कर वो बस इतना ही बोलती है…

नीरा–भैया खाना खा लेना नही तो ठंडा हो जाएगा….

वो हम दोनो से नज़रे नही मिला रही थी वो चुपचाप खाना वही बेड पर रख कर चली जाती है….

नीरा के जाने के बाद भाभी भी चली गयी थी….लेकिन नीरा ने मुझे जिस तरह से देखा था वो तीर सीधा मेरे सीने में उतर गया था…पता नही क्यो लेकिन ये अहसास हुआ कि कुछ तो ग़लत हुआ है….उसके बाद मैने अपने सिर को झटक के वो बात अपने दिल और दिमाग़ से निकाल दी…

मैने फिर से एक ग्लास में शराब भर ली और उसे पीने लग गया….

अचानक दरवाजे पर हुई दस्तक से में चोंक जाता हूँ…उठ कर दरवाजा खोलने के बाद मुझे नीरा दरवाजे के बाहर खड़ी हुई मिलती है…

नीरा–आप से बात करनी है….मुझे अंदर आने दो….

में–तुझे किसने रोक रखा है जो मुझ से पर्मिशन माँग रही है अंदर आने की…

उसके बाद नीरा सीधा चल कर मेरे बेड के पास आकर बैठ जाती है…

में–बोल क्या बात करनी है…

नीरा–पहले आप मेरी कसम खाओ जो बात में कहूँगी वो आप मानोगे..,

में–ये कैसी बच्चो वाली बात कर रही है तू…में तेरी हर बात वैसे ही मान लेता हूँ…इसमें कसम देने वाली बात कहाँ से आ गयी…

नीरा–कसम तो आपको खानी ही होगी…जो बात में कहना चाहती हूँ मेरे जीवन और मरण के बराबर है…

में–ऐसी क्या बात है नीरा…तू बोल तो सही तू जो बोलेगी में वो मान लूँगा…

नीरा–आप पहले कसम खाओ..,.उसके बाद ही में अपनी बात कहूँगी….

में–नही….में ऐसी कोई कसम नही खा सकता…नीरा क्यो मज़ाक कर रही है….

नीरा–आपको मेरी बात मज़ाक लग रही है तो फिर…में क्या हूँ आपके लिए..में मज़ाक नही कर रही…बोलो अब आप कसम खा रहे हो या नही….

में सोच में पड़ जाता हूँ….कहीं मम्मी की तरह ये भी तो कुछ ऐसा ही कहने तो नही आई है ना…लेकिन ऐसी क्या बात हो सकती है जिस वजह से ये मुझ से कसम खिलवा. रही है…

नीरा–किस सोच में पड़ गये …कसम तो आपको खानी ही पड़ेगी….

में–अच्छा थोड़ा तो हिंट दे दे ये किस बारे में है….

नीरा–आप इतना क्या सोच रहे हो अगर आप मेरी जान भी माँग लो तो में हँसते हँसते आप पर कुर्बान हो जाउन्गि…लेकिन आप इतनी देर से एक कसम भी.. नही खा पा रहे हो…..

में–क्या तुझे अपने भाई पर यकीन नही है… जो तू मुझे कसम खिलाकर ही अपनी बात मनवा सकती है…

नीरा–मुझे आप पर पूरा यकीन है…लेकिन अपने आप पर से में अपना यकीन खोती जा रही हूँ….इसीलिए में आपको कसम खाने के लिए बोल रही हूँ….अगर कोई चीज़ मुझे चाहिए होती तो मेरे बोलने से पहले ही आप उसे मेरी आँखो के सामने रख चुके होते…लेकिन ये बात कहना, ना मेरे लिए आसान है और ना आपके लिए इसे कर पाना…

में–अगर ये बात इतनी ही ज़रूरी है तो फिर ठीक है….

अचानक दरवाजे पर हुई दस्तक ने दोनो के बीच चल रही इस बात पर विराम लगा दिया…नीरा ने जाकर दरवाजा खोला तो देखा वहाँ दीक्षा खड़ी थी…

दीक्षा–सॉरी मैने आप लोगो को डिस्टर्ब तो नही किया….

नीरा–नही नही दी ऐसी कोई बात नही है आप अंदर आ जाओ…

नीरा का चेहरा बिल्कुल उतर गया था लेकिन अपने चेहरे पर उसने ये ज़्यादा देर रहने नही दिया…

दीक्षा ने एक नाइटी पहन रखी थी जो कि काफ़ी. लंबी थी और ढीली भी उसकी स्लीवस में से उसकी वाइट ब्रा भी दिखाई दे रही थी…

दीक्षा–बेड पर लेट ते हुए…..मुझे वहाँ नींद नही आ रही थी इसलिए मुझे लगा आप लोगो के साथ बैठ कर थोड़ी देर में भी बाते कर लूँ…

दीक्षा कमर के बल लेटी हुई थी और उसने अपना एक हाथ अपने सिर के पीछे रख दिया था जिस से उसके अंडर आर्म्स के बड़े बड़े बाल नुमाया हो गये थे…दीक्षा को इस तरह लेटे देख कर नीरा को गुस्सा आ गया लेकिन अपने गुस्से पर काबू करते हुए…

नीरा–दीदी सुबह अंडर आर्म क्लीन कर लेना में रिमूवर दे दूँगी आपको…

दीक्षा इस बात पर बुरी तरह झेंप गयी…और बात बदल कर…

दीक्षा–ये शराब की स्मेल कहाँ से आ रही है…

नीरा–मेरे भैया शराब पीते है…क्यो आपको भी पीनी है…

दीक्षा अब उठ के बैठ चुकी थी…लेकिन नीरा के इस तरह के बर्ताव की वजह से थोड़ी शर्मिंदा भी हो रही थी…

दीक्षा–नीरा तुम रूम में कब तक आओगी….

नीरा–में थोड़ी ही देर में आती हूँ रूम में…आपने दूध पी लिया क्या…

दीक्षा–नही में वही लेने जा रही हूँ…ठीक है गुड नाइट जय भैया अब सुबह मिलेंगे…

फिर मैने भी गुड नाइट कहा और उसके जाते ही अपनी साँस छोड़ते हुए नीरा से कहा …

में–अब तू भी जा और सो जा…

नीरा–मेरी बात अभी पूरी नही हुई है…लेकिन में रात को फिर आउन्गि…लेकिन इस बार अपनी बात मनवा कर ही जाउन्गि…

उसके बाद नीरा अपने रूम में चली जाती है और में फिर से अपने बेड के नीचे से वो शराब की बोतल निकाल कर अपना ग्लास भरने लग जाता हूँ…

उधर नीरा के रूम में…

दीक्षा–सॉरी नीरा मुझे पता है तुम किस बात पर नाराज़ हो गयी…

नीरा–दी में आपसे नाराज़ हो ही नही सकती हूँ लेकिन आपका इस तरह अपने अंडर आर्म्स को शो करना मुझे अच्छा नही लगा…

दीक्षा–हाँ यार नीरा मुझ से ग़लती हो गयी है पता नही भैया मेरे बारे में क्या सोचेंगे…

नीरा–वो कुछ नही सोचेंगे अगर उन्होने तुम्हारी अंडर आर्म्स की तरफ देख भी लिया होगा तो वो अपनी नज़रे हटा चुके होंगे वहाँ से…आप इस बात से परेशान मत रहो और सुबह में आपको रिमूवर दूँगी जिस से आप अपने हेर रिमूव कर लेना…

दीक्षा–हाँ यार मुझे देना मैने आज तक रिमूवर यूज़ नही किया…में भी स्लीवलेस पहनना चाहती हूँ लेकिन इन बालो की वजह से शर्म आती थी…

नीरा–कोई बात नही…में कल आपको रिमूवर दे दूँगी और रूही दीदी की कुछ स्लीवलेशस ड्रेसस भी…अब आप आराम कर लो थोड़ी देर….क्योकि मुझे अभी वापस जाना है भैया के पास कुछ ज़रूरी बात करने…

दीक्षा–ऐसी क्या बात आ गयी…जो तुम्हे इस समय ही करनी है…

नीरा–कुछ बाते समय नही देखा करती…उन्हे जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए..वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी…काल करे सो आज कर… आज करे सो अब…पल में प्रलय होवेगी….. जदे करेगा कद…..

और इसी के साथ हम लोग मुस्कुरा कर एक दूसरे से गले मिलते है और गुड नाइट बोलकर सोने लगते है…लेकिन नीरा को आज नही सोना था….वो बस सही समय का इंतजार कर रही थी …….

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रात के 1.30 बज रहे थे…तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक होती है….

में अपनी ड्रिंक ले चुका था और बस खाना खाकर उठने ही वाला था…मैने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने नीरा खड़ी थी अपने चिरपरिचित अंदाज में…

वो अपनो आँखे बड़ी बड़ी करके बस मुझे देखे ही जा रही थी….

में–तू सोई नही अभी तक…

नीरा–जब तक ये बात में आपसे कर ना लूँ, तब तक ना में सो सकती हूँ ना में कुछ खा सकती हूँ…

मैने आज शाम से कुछ भी नही खाया है…सिर्फ़ आपको वो बात कहनी थी इसलिए

में–तू पागल तो नही हो गयी है….खाना क्यो नही खाया तूने…

नीरा…खाने को गोली मारो और सबसे पहले आप मेरी कसम खाओ और जो भी में बात बोलूँगी वो आप मानोगे…

में–ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है, तू अपनी बात ख़तम होने के बाद मेरे हाथो से खाना खाएगी उसके बाद में तुझे जवाब दूँगा….और तुझ से सवाल भी पूछूँगा

नीरा–ठीक है अब कसम खाओ मेरी…

में–तेरी कसम नीरा जो तू कहेगी में वो मानूँगा…तेरी कसम…..बस अब बोल क्या बात है.

नीरा ने अपनी आँखे अब बंद कर ली थी और अपनी दिल की बढ़ती हुई धड़कानों पर काबू करने की कोशिश करते हुए कहती है….

नीरा–भैया आप मुझ से शादी कर लो….में आपसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती हूँ…में आपके बिना एक पल भी नही रह सकती….मुझे बचा लो भैया मुझ से शादी कर लो…मेने अपनी हर साँस आपके नाम कर दी है….मुझ से शादी कर लो भैया मुझ से शादी कर लो…..

नीरा अपनी पूरी बात एक ही साँस में कह जाती है और में लगातार उसकी इन बातो को अपने सीने मे चुभता हुआ महसूस कर रहा था…

ऐसा लग रहा था जैसे मेरे कानो में किसी ने पिघला हुआ सीसा उडेल दिया हो. ….

वो अब लगातार मेरी तरफ़ देखे जा रही थी अपने जवाब के इंतजार में….

में–अब किचन में से खाना ले आ उसके बाद तेरी हर बात का जवाब भी दूँगा और सवाल भी करूँगा…

नीरा उठ कर अपने लिए खाना ले आई ….और में उसकी आँखो में देखता हुआ उसे खाना खिला रहा था….उसकी आँखे आँसुओ से भर गयी थी ना जाने कौनसा बाँध बना रखा था नीरा ने अपनी आँखो में जो उसके आँसुओ को बहने से रोक रहा था…

में नीरा की बात में ही उलझा हुआ था कि आख़िर उसने ऐसा क्यों कहा…वो मेरी बहन है कैसे उसके मन में मेरे लिए ये ग़लत ख्याल आ गये…कुछ समझ नही आ रहा था में फस चुका था आख़िर कसम जो खाई थी मैने…

जिसे में अपनी जान से भी ज़्यादा चाहता था उसने मुझे एक दौराहे पर ला कर पटक दिया….अगर में कसम तोड़ता हूँ तो कसम के साथ उसका दिल भी टूट जाएगा…और अगर में ये कसम मान लेता हूँ तो मेरी आत्मा मर जाएगी…दोनो ही सुरतों में मेरा ही हाल बुरा होना तैय है….

खाना ख़तम हो चुका था और मेरा हाथ बिना नीवाले के ही नीरा के मुँह के सामने था और नीरा की आँखो का वो बाँध कब का टूट चुका था वो लगातार रोए जा रही थी….और में अपनी सोच के समंदर में डूबे जा रहा था…डूबे जा रहा था…गहरा और गहरा…

नीरा–भैया…..भैया….प्ल्ज़ कुछ बोलो भैया…भैय्ाआअ

उसने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर जोरदार झटका दिया जिस से में समुंदर की गहराई से वापस लौट आया…

में–क.क क्या हुआअ…

नीरा– कहाँ खो गये थे…

मैने उसे कोई जवाब नही दिया और उठ कर हाथ धोने चला गया…

में हाथ धोकर आते ही उस से पूछ बैठा..

में–तो तुझे मुझ से शादी करनी है… और अब मैने कसम खा ली है तो इसका मतलब दुनिया की कोई ताक़त तेरी और मेरी शादी को नही रोक सकती….लेकिन तू मुझे एक बात बता तेरे मन में ये शादी का ख्याल आया कहाँ से …मैने हमेशा तुझ से और रूही से एक डिस्टेन्स मेन्न्टेन रखा है…तू सोच आज पापा की आत्मा कितनी दुखी हुई होगी…उनके अपने ही बच्चे आपस में शादी कर रहे है…उनको मरे हुए दिन ही कितने हुए है….और तेरा ये सवाल…

नीरा–आप भी तो भाभी से शादी कर के उन्हे खुश रखना चाहते हो ना….लेकिन वो भी तो आपको भाई मानती है…फिर कैसे आप उन से शादी के लिए रेडी होगये…और कौन्से पापा की बात कर रहे हो आप…वो बाप जिसकी वजह से आप पैदा हुए या वो बाप जिसने आपकी हर सुख सुविधा का ध्यान रखा है…..

में–ये क्या बकवास कर रही है नीरा…होश में रह कर मुझ से बात कर….पापा के बारे में एक शब्द भी में सुनना पसंद नही करूँगा….

नीरा–मेरी आपसे शादी करने की सबसे बड़ी. वजह. मेरे प्यार के बाद आप का बाप ही है……में बस इन भेड़ियो से आपको बचा कर रखना चाहती हूँ…

में–नीराअ …..इस से पहले मेरा हाथ तुझ पर उठ जाए…में ये भूल जाउ तू मेरी बहन है…तू यहाँ से चली जा

वरना आज तक तूने मेरा प्यार देखा है…मेरा गुस्सा तुझे जला देगा नीरा मान जा….मैने बोला ना तुझ से शादी करूँगा में…फिर क्यो पापा. का नाम ले ले कर उनको इन सब बातो का दोषी बना रही है…

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