अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 22

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

सवेरे …सवेरे

हमेश की तरह रूही मुझे नींद से जगा रही थी….मैने जल्दी ही उठ कर रूही को मोर्निंग विश किया और चल पड़ा बाथरूम के अंदर….जब मैं रेडी हो कर बाहर आया तो बाहर सिर्फ़ रूही और मम्मी बैठी थी….नीरा और भाभी किचन में घुसी हुई थी…

मम्मी–क्या बात है….आज सवेरे सवेरे कहाँ जाने की तैयारी है….

में–मैने सोचा आज कॉलेज का चक्कर लगा आउ काफ़ी दिन हो गये कॉलेज गये हुए…..

रूही–लेकिन मुझे तो आपने कॉलेज जाने से मना किया है….और आप वहाँ जाकर क्या करोगे अकेले….

में–तुम लोगो को जाने से मैने इसलिए रोका ताकि तुम सभी आराम से शॉपिंग कर सको….और मैं घर मे पड़ा पड़ा क्या करूँगा इसलिए मैं कॉलेज जा रहा हूँ….

मम्मी–ठीक है चला जा….दिन में क्या खाएगा ये बता दे मुझे….

में–कुछ भी बना लेना सब चलेगा….शमा कहाँ है और दीक्षा और कोमल भी दिखाई नही दे रही….

मम्मी–शमा तो जल्दी ही उठकर मंदिर चली गयी है….और कोमल और दीक्षा अभी सो रही है….

में–अच्छी बात है….मम्मी में चाहता था कि शमा की पढ़ाई पर आप लोग थोड़ा ध्यान दें…में नही चाहता कि बस एक पढ़ाई की कमी से शमा का भविश्य खराब हो….

मम्मी–तू चिंता मत कर….नेहा ने उसे पढ़ाने की ज़िम्मेदारी उठा ली है….और वो जल्दी ही उसे सब कुछ सिखा भी देगी….

में–हाँ ये अच्छा हुआ….भाभी का एक्सपीरियेन्स शमा के काफ़ी काम आएगा….

तो फिर में चलता हूँ कॉलेज के लिए दिन में आकर मिलता हूँ….

उसके बाद में अपनी बाइक उठा कर तेज़ी से कॉलेज की तरफ बढ़ जाता हूँ….कॉलेज में आज ज़्यादा लोग दिखाई नही दे रहे थे……आज तो कोई छुट्टी भी नही है फिर सारे लोग गये कहाँ….

में इन्ही सवालो में उलझा हुआ अपनी बाइक पार्क करके कॉलेज की तरफ बढ़ गया…लेकिन कॉलेज की बिल्डिंग पर भी ताला लटक रहा था..

उसके बाद में कॅंटीन की तरफ जाने लगा वहाँ बाहर ही मुझे जॉनी और अरमान भी मिल गये….

मुझे देखते ही वो मेरे पास पहुँच गये और मेरा हाल चाल पूछने लग गये….

मैने उन से जब मीना के बारे में पूछा तो उन्होने कहा कि वो लोग भी कब से मीना का वेट कर रहे है….लेकिन उसका फोन भी बंद आरहा है….

तभी किसी शीशे के टूटने की आवाज़ से हमारा ध्यान उस तरफ चला गया….वो खिड़की 3र्ड फ्लोर पर थी और जब हम वहाँ पहुँचे तो वहाँ किसी गर्ल का एक सॅंडल पड़ा हुआ दिखाई दे गया….

मुझे तुरंत किसी गड़बड़ की आशंका ने घेर लिया….मैने तुरंत जॉनी और अरमान को गेट का टाला तोड़ने के लिए कहा और में पाइप्लाइन के सहारे उस खिड़की के करीब पहुँचने लगा….

में उस खिड़की के करीब पहुँच चुका था….उस खिड़की मे कोई जाली या रेलिंग नही लगी हुई थी….एक ज़ोर दार किक मारते हुए में उस खिड़की में घुस गया और जब मैने वहाँ का हाल देखा तो कुछ पॅलो के लिए बूत सा बना रह गया…..

मीना बिल्कुल नंगी वहाँ पड़ी थी….उसके चेहरा मार खाने की वजह से बुरी तरह से सूजा हुआ था….उसके बूब्स पर काटने नोचने के निशान सॉफ दिखाई दे रहे थे….उसकी निपल खून से लथपथ हो रखी थी वहाँ वो तीनो लड़के भी नंगे खड़े थे….उनमे से एक मीना की पीठ पर अपनी बेल्ट से मारे जा रहा था…

मुझे स्तिथि समझते ज़्यादा देर नही लगी और लगभग चीखता हुआ उन तीनो की तरफ बढ़ गया….

खिड़की टूटने की आवाज़ के कारण वो भी समझ चुके थे कि कोई अंदर आ गया है….उनमे से एक लड़का मुझे बोला…

लड़का–भाई लड़ाई झगड़े में कुछ नही रखा….चल साथ में इस लड़की की चूत फाड़ते है….उद्घाटन तू ही कर पहले हम बाद में कर लेंगे….

वो बस इतबा ही बोल पाया था तब तक में उसके पास पहुँच चुका था….एक जोरदार किक उसकी गोटियो पर जड़ते ही किसी पर कटे पन्छि की तरह ज़मीन पर तड़पने लगा….

आगे बढ़कर मैने उस बेल्ट वाले लड़के से वो बेल्ट छीन लिया और लगा उन दोनो की सुताई करने…..गुस्सा और उन लोगो के प्रति मेरी बढ़ती हुई नफ़रत ने मेरे हाथो की गति को और तेज़ कर दिया था….उन लोगो ने मुझे भी मारने की कोशिश करी लेकिन मुझे जुनून में किसी दर्द का आभास नही हो रहा था….

आख़िरकार बेल्ट का सबर भी टूट गया….वो मेरे हाथो से टूट कर अलग हो चुका था….जब में अपने होश में आया वो तीनो लड़के ज़मीन पर पड़े पड़े तड़प रहे थे…..

तभी मेरा ध्यान मीना के रोने की आवाज़ सुन कर उस की तरफ हो गया….मैने तुरंत अपनी शर्ट निकाल कर उसे पहना दी और उसे अपनी बाहो में भर कर चुप करने लगा…..

तभी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

तभी मेरा ध्यान मीना के रोने की आवाज़ सुन कर उस की तरफ हो गया….मैने तुरंत अपनी शर्ट निकाल कर उसे पहना दी और उसे अपनी बाहो में भर कर चुप करने लगा…..

तभी दरवाजे पर अरमान और जॉनी की आवाज़े भी गूंजने लगी….मैने मीना को वही एक बँच पर बैठा दिया और दरवाजे की तरफ बढ़ गया…..

अरमान–कौन है अंदर दरवाजा खोल….

में–अरमान जल्दी से किसी लड़की के पास से एक जोड़ी कपड़े लेकर आ ….यहाँ मीना की हालत बुरी है….और में नही चाहता तुम लोग इसे इस हालत में देखो…..

अरमान मेरी आवाज़ पहचान गया और लगभग दौड़ते हुए किसी लड़की को ढूँढने लगा….अक्सर कॉलेज जाने वाली लड़किया अपने बेग में एक जोड़ी ड्रेस ज़रूर रखती है….लेकिन मीना के पास बस वही कपड़े थे जो वो पहन कर आई थी और वो फर्श पर फटे पड़े थे….

अरमान को भी कुछ लड़कियो से पूछने के बाद एक लड़की के पास एक्सट्रा ड्रेस मिल हे गयी वो भागते हुए दरवाजे के पास आ गया….इस बीच मैं राजेश को भी फोन लगा कर यहाँ का हाल बता चुका था…. मैने धीरे से दरवाजा खोला जॉनी और अरमान अंदर झाकने लगे लेकिन मैने उन्हे अभी अंदर आने से मना कर दिया….वापस दरवाजा बंद करके मैने वो कपड़े मीना को पहनने के लिए दे दिए और दूसरी तरफ अपना चेहरा घुमा कर खड़ा हो गया….

मीना ने भी सुबक्ते सुबक्ते जल्दी ही वो कपड़े पहन लिए और तभी मेरा फोन घनघना उठा ये कॉल राजेश का था….मैने अरमान को आवाज़ लगाकर नीचे से राजेश को लाने के लिए बोल दिया और दरवाजा खोल दिया….दरवाजा खोलते ही जॉनी रॉकेट की तरह भागता हुआ मीना के पास चला गया और वहाँ का हाल देख कर वो मीना को अपने गले से लगा कर रोने लगा….

दोस्ती नाम ही ऐसा है….एक दोस्त को दर्द हो तो वो दर्द जल्दी ही दूसरा भी महसूस कर लेता है….जॉनी ने खुद को काबू में लाते हुए उन तीनो पर लात घुसो की बारिश कर दी ….तभी राजेश भी 3 लेडी पोलीस के साथ वहाँ पहुँच गया था….वो लेडी पोलीस स्पेशल डिपार्टमेंट की थी….और जब उन तीनो ने वहाँ का हाल देखा तो जॉनी को साइड में हटा कर खुद पिल पड़ी उन तीनो पे….

उन तीनो लड़कियो ने उन लड़को को अपने बूट्स की ठोकरों पर ले लिया था….उनमे से एक लड़की ने अपनी जेब में से एक चाकू निकाला और एक लड़के का लिंग बिना सोचे समझे काट दिया….उस लड़की के ऐसा करते ही बाकी दो ने भी यही किया….

हम उनको ऐसा करते देख लगभग सन्नाटे में आगये….एक दुमाम से ऐसा कुछ हो जाएगा इसकी कल्पना भी नही करी थी किसी ने भी….वो तीनो अपना काम ख़तम करने के बाद पलटी और राजेश से ये कहने लगी….

लड़की–सर अगर हमने कुछ ग़लत किया है तो आप हमारे खिलाफ रेपौर्त दर्ज करवा सकते है…..

राजेश–तुम ने जो कुछ भी किया वो सही किया….वैसे भी ये लोग ज़्यादा दिन जेल में नही रहते….तुम्हारे ऐसे करने से इन्हे उमर भर अपने किए को भुगतना होगा….

में–राजेश भाई मीना को हॉस्पिटल पहुचना होगा जल्दी ही….इन हरामजादो ने बहुत मारा है इस बच्ची को….

राजेश–जय तुम फिकर मत करो….

राजेश उन तीनो लेडी पोलीस को मीना को हॉस्पिटल ले जाने के लिए बोल देता है और हॉस्पिटल मे ही उनसे मिलने का बोलकर उन्हे रवाना कर देता है….

वो तीनो लड़के बेहोश हो गये थे….उनका खून अभी भी बह रहा था….राजेश एक आंब्युलेन्स और मंगवा लेता है और उन तीनो को उसमें पटक कर उसे भी हॉस्पिटल भिजवा देता है….

राजेश–वास्तव में तुम किसी देवता से कम नही हो जय….पहले बनारस में तुमने उन सभी लड़कियो को आज़ाद करवा के ये साबित कर दिया है….और अभी इस लड़की की जान बचा कर…..मन करता है तुम्हारे कदमो में झुक जाउ लेकिन मेरी वर्दी ऐसा करने की इजाज़त नही देती…

में–राजेश भाई इतना बड़ा मुझे मत बनाओ….में एक इंसान ही ठीक हूँ भगवान कह कर मुझे शर्मिंदा मत करो….

राजेश–मुझे माफ़ करना जय लेकिन भगवान तो तुम हो….और ये में नही वो सारी लड़किया भी कहती है जिन्हे वहाँ से छुड़ाया था हमने….

में–क्या अब सारी लड़किया सुरक्षित है….

राजेश–हाँ सब ठीक है…म वहाँ से आने के बाद तुम्हे बताना चाहता था लेकिन शादी के चक्कर में ऐसा उलझा के बता भी ना सका….

में–शादी….? किस से कब….क्या राजेश भाई आपने बुलाया भी नही….

राजेश–नज़्म से शादी कर ली है मैने….उसकी मासूमियत मेरे पत्थर जैसे दिल को भी पिघला गयी….इसीलिए हम दोनो ने यहाँ आते ही शादी के पवित्र बंधन में एक दूसरे को जीवन भर के लिए बाँध लिया….

में–ये आपने बहुत अच्छी खबर सुनाई….

राजेश–चलो जय मैं अब निकलता हूँ….उन हरामजादो की अभी और खातिर करनी है….और मीना का भी बयान लेना है….

में–क्या मेरी भी ज़रूरत पड़ेगी….क्योकि कल हम सब कुछ दिनो के लिए बाहर जा रहे है…

राजेश–तुम आराम से जाकर आओ….में यहाँ सब संभाल लूँगा….

उसके बाद राजेश अपनी जीप में बैठ कर निकल जाता है और में जॉनी और अरमान भी हॉस्पिटल की तरफ बढ़ जाते है मीना के पास….

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हम वहाँ से हॉस्पिटल पहुँच गये थे…..राजेश और वो तीनो लेडी पोलीस हमे मीना के रूम के बाहर ही मिल गये थे….

राजेश ने बताया कि मीना ठीक है…..शरीर पर काफ़ी जखम है लेकिन वो सब जल्दी ही ठीक हो जाएँगे….

में राजेश से बाद में मिलने का बोल कर मीना के रूम में जा घुसा….

रूम के अंदर मीना हॉस्पिटल बेड पर लेटी हुई थी हाथ में ग्लूकोस द्रीप और चेहरे पर ऑक्सिजन मास्क चढ़ा हुआ था उसकी एक आँख के चारो तरफ एक काला घेरा बना हुआ था…..होंठो पर चढ़ि सूजन अभी भी उसे मिले दर्द की कहानी बता रही थी….हम सभी उसके पास लगी बँच पर जा बैठे और मैने मीना का हाथ अपने हाथो में ले लिया….

मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसने अपनी आँखे खोल दी और मेरी तरफ देखने लगी….अचानक उसकी आँख से एक आँसू लुढ़क कर उसके गालो से होता हुआ सीधा पिल्लो पर जा गिरा…

उसे इस हालत में देख कर मैं भी ज़्यादा देर तक अपने आँसू नही रोक पाया….

मीना–मुझे बचाने के लिए शुक्रिया दोस्त….आज अगर तुम वक़्त पर नही पहुँचते तो ना जाने वो मेरा क्या हाल करते….

में–मीना तू आराम कर….और वैसे भी तुझे अब दुखी होने की ज़रूरत नही है उन भेड़ियो को इसका अच्छा सबक मिला है…..अब कोई भी किसी लड़की की तरफ आँख उठाने से पहले 100 बार सोचेगा….

मीना–जॉनी अरमान मेरी मम्मी को कॉल किया क्या तुमने….

अरमान–हाँ मीना वो रास्ते मे ही है थोड़ी देर में पहुँच जाएँगे….जब तक हम है ना तेरी देखभाल के लिए….

में–मीना मुझे एक बात बताओ कॉलेज के मेन गेट पर लॉक लगा हुआ था तो फिर तुम पहुँची कैसे वहाँ तक…..

मीना–मैं जब सुबह कॉलेज आई तो मुझे वहाँ एक सर मिले जो कि बता रहे थे किसी स्टाफ की डॅत हो गयी है तो आज कॉलेज बंद रहेगा…..इसलिए मैं कॅंटीन की तरफ चली गयी लेकिन आज वो भी बंद थी….थोड़ी देर बाद एक लड़की मेरे पास आई और उसने कहा कि अरमान और जॉनी पीछे वाले पोर्षन म है….उसके बाद मैं वहाँ से उठ कर सीधा पीछे पहुँच गयी लेकिन वहाँ किसी को नही देखा मैने….

अचानक मेरा ध्यान उस खुले हुए दरवाजे की तरफ चला गया जो कॉलेज के अंदर जाने का रास्ता था….वहाँ ताला भी टूटा हुआ था…..मुझे लगा अरमान और जॉनी किसी ग़लत इरादे से अंदर घुसे तो मैं जस्ट उन दोनो डाटने के इरादे से जैसे ही अंदर घुसी किसी ने मेरा मुँह दबोच लिया….मैं कुछ समझ पाती उस से पहले ही वो मुझे उठाकर वहाँ लेगये….वो सब मुझे अपने साथ इन्वॉल्व होने को कह रहे थे और धमकी भी दे रहे थे अगर तू नही मानी तो गली का कुत्ता भी तेरे साथ नही सोएगा ऐसी हालत कर देंगे वो मेरी….

लेकिन मैने उन लोगो से हार नही मानी….मैं उन तीनो से लड़ती रही और वो मेरे जिस्म से एक एक कपड़ा नोचते गये….मुझे बहुत मारा उन्होने….मेरे हाथ मे मेरी एक सॅनडेल आ गयी जिसे मैने एक लड़के पर ज़ोर से फेक के मारा था….लेकिन वो सॅनडेल भी जाकर खिड़की पर लगा….

में–तुम्हारा वही सेंडल मुझे तुम्हारे पास ले आया….अब ये सारी बाते भूल जाओ….राजेश ने तुम्हारा बयान ले ही लिया होगा मैं उसे बोल दूँगा वो तुम्हे ज़्यादा परेशान नही करेगा….

जॉनी–मीना जल्दी से ठीक हो जा…..उसके बाद तू जहाँ बोलेगी वहाँ पार्टी दे दूँगा तुझे….बस जल्दी से ठीक हो जा….

मीना–अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट लाते हुए……जॉनी पार्टी तो ज़रूर लूँगी…..लेकिन थोड़े और पैसे जोड़ ले वरना ख़तम होने पर मुझ से फिर से माँगेगा….

इस बात पर मीना के साथ साथ हम भी हँसने लग गये…..

तभी ……………..

मीना–अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट लाते हुए……जॉनी पार्टी तो ज़रूर लूँगी…..लेकिन थोड़े और पैसे जोड़ ले वरना ख़तम होने पर मुझ से फिर से माँगेगा….

इस बात पर मीना के साथ साथ हम भी हँसने लग गये…..

तभी रूम का दरवाजा खुला और मीना के मम्मी पापा अंदर आगये….उनके अंदर आते ही हम लोग बँच पर से उठे और मैं जैसे ही बाहर जाने के लिया मुड़ा मीना ने मेरा हाथ पकड़ लिया….

मीना–पापा ये है जय….आज इसी की वजह से आपके सामने ज़िंदा पड़ी हूँ मैं…

उसके पापा मेरी तरफ हाथ जोड़ कर खड़े होगये उनकी आँखो मे आँसू थे ज़ुबान से शब्द नही निकल रहे थे….और एक बाप की ये हालत एक बाप ना होते हुए भी मैं समझ पा रहा था…..

मैने उन्हे अपने गले से लगाया और कहा चिंता की कोई बात नही है मीना अब ठीक है….मीना की मम्मी भी प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी….

जॉनी–मीना अब हम लोग चलते है कोई भी ज़रूरत हो हम यहाँ बाहर ही है….

में–मीना मैं रुक तो नही पाउन्गा क्योकि आज रात को मुझे परिवार के साथ कहीं जाना है 4-5 दीनो के लिए….इसलिए मैं अब कुछ दिनो बाद ही मिल पाउन्गा….

मीना–आराम से जाओ जय अब तो मम्मी पापा भी आ गये है….और जल्दी ही मैं भी ठीक हो जाउन्गि….

मीना से विदा लेने के बाद हम तीनो हॉस्पिटल से बाहर आ गये और अरमान और जॉनी को मैने हिदायत दे दी कि वो मीना का अच्छे से ध्यान रखे….पोलीस प्रोटेक्षन मीना को मिल ही चुका था….

अब मैं वहाँ से सीधा अपनी बाइक उठा कर अपने घर की तरफ बढ़ गया…..

घर पहुँचने के बाद में सीधा अपने रूम मे चला गया था….घर पर इस वक़्त सिर्फ़ मम्मी थी जो अभी अपने रूम मे ही थी….मुझे आया देख वो भी मेरे पास आ गयी…

मम्मी–क्या बात है जय आज इतनी देर कैसे हो गयी….

मम्मी के इस सवाल ने मुझे फिर से पूरे दिन की घटना याद दिला दी….में उन्हे सब कुछ बताता चला गया….

मम्मी–ये तो बुरा हुआ जय….लेकिन उस बच्ची की खुश किस्मती से वो बच गयी वरना जाने क्या होता उसके साथ…

में–वो अब ठीक है मम्मी….क्या मुझे एक कॉफी मिल सकती है….

मम्मी–तू चेंज कर ले तब तक में तेरे लिए बढ़िया कॉफी बना कर लाती हूँ..

उसके बाद मम्मी बाहर चली गयी और में चेंज करने लगा….थोड़ी देर बाद मम्मी अपने हाथो में दो मग कॉफी के ले आई और मेरे पास ही बैठ कर पीने लगी….

मम्मी–जय वहाँ रिजोर्ट में बुकिंग करवा ली क्या तूने….

में–नही अभी करवाता हूँ….मैने सोचा सब आजाए तो उनके सामने ही बुकिंग करवा दूं….

मम्मी–चल ठीक है….मुझे तुझ से एक बात करनी है….,

में–बोलो क्या बात है….ऐसी कौनसी बात है जो आपको इतना परेशान कर रही है….

मम्मी–में नेहा के बारे में तुझ से बात करना चाहती थी….

में–भाभी के बारे में….??क्या हुआ बोलो..

मम्मी–तूने नीरा से शादी कर ली….लेकिन मैं सोच रही हूँ नेहा को भी कोई साथी मिलना ही चाहिए….

में–मम्मी ये बात वक़्त के हाथो में ही छोड़ दो….जब वक़्त आएगा भाभी को भी किसी का साथ मिल ही जाएगा….

हम लोग उसके बाद काफ़ी देर तक इधर उधर की बाते करते रहे….और थोड़ी देर बाद ही वो सभी लोग बाज़ार से शॉपिंग करके पहुँच गये थे…..

में–हो गयी तुम लोगो की शॉपिंग….लगता है आज पूरा बाज़ार ही खरीद लाए….

कोमल–जिसका भाई आपके जैसा हो….उसकी बहने बाज़ार भी खरीद सकती है….

रूही–आज क्या कांड हो गया कॉलेज में….मेरी सहेली बता रही थी कि मीना के साथ कुछ हुआ था….

में–कुछ नही हुआ सब ठीक है….तुम बताओ कैसा रहा सब कुछ…

नीरा–सब क्या ठीक है….क्या हुआ ये बताओ….हम लोग इसी वजह से घर जल्दी आ गये क्योकि दीदी की सहेली ने आपका नाम भी लिया था….

नीरा के इतना कहने के बाद ही में किसी तोते की तरह फिर से आज जो कॉलेज में हुआ वो सब को बता देता हूँ….और इस बारे मे कोई भी बात करने से मना भी कर देता हूँ…मैं नही चाहता मेरा परिवार किसी भी बात पर परेशान हो इसलिए क्लोज़ दा टॉपिक…

शमा–शॉपिंग करने में तो मज़ा आ गया भैया….

में–शॉपिंग तो कर ली लेकिन घूम कर आने के बाद तुम्हे पढ़ाई पर ध्यान भी देना होगा….मैं नही चाहता कभी भी किसी के सामने भी तुम्हारा सिर नीचा हो….

भाभी–इसकी पढ़ाई की चिंता तुझे करने की ज़रूरत नही है….वो मेरा काम है मैं संभाल लूँगी….खुद की पढ़ाई पर ध्यान दे तो ज़्यादा अच्छा होगा…

भाभी की ये बात सुनकर में बगले झाकने लगा ….आख़िर कहा भी तो सही था उन्होने….पढ़ाई की माँ बहन हो रखी थी इतने टाइम से….और मैं पढ़ाई का ग्यान शमा को दे रहा था…

मम्मी–अच्छा चलो अब जल्दी से खाना खा लो फिर बढ़िया सा रिजोर्ट सेलेक्ट कर लो….

नीरा–सेलेक्ट क्या करना है….वही रिजोर्ट सही रहेगा….लेकिन इस बार आउटिंग की जगह थोड़ी अलग होनी चाहिए….आप सुहानी को फोन क्यो नही कर देते….

में–मैं उसे फोन लगाने ही वाला था….लेकिन सोचा सब कुछ तुम लोगो के साथ ही सेलेक्ट किया जाए….

नीरा–आप तो ऐसे कह रहे हो जैसे आपका सेलेक्ट किया हुआ हमे पसंद नही आता….पिछली बार भी जबरदस्त सर्प्राइज़ था हम सब के लिए….और मुझे पक्का यकीन है आप इस बार भी कोई ना कोई सर्प्राइज़ देने की तैयारी मे ही हो…

रूही–ठीक कहा नीरा….चलो भाई अब जल्दी से फोन लगा भी दो सुहानी मेडम को….

उसके बाद मेरी उंगलिया सुहानी का नंबर डाइयल करने लग जाती है….

सुहानी–कैसे है सर….आज कैसे याद आ गयी….

में–हम सब अच्छे है सुहानी….बस हृषिकेश आने की तैयारी कर रहे है….लेकिन चाहते है इस बार जहाँ हम रुके वो जगह पहले से ज़्यादा ख़ास हो….बिल्कुल नेचर के करीब….

सुहानी–में तो आपकी मदद के लिए हमेशा रेडी हूँ सर….लेकिन जिस रिजोर्ट मे मैं पहले थी वो मैं अब छोड़ चुकी हूँ….इसलिए अगर आप को परेशानी ना हो तो क्या आपकी बुकिंग जहाँ मैं अभी हूँ वहाँ कर लूँ…. ये रिजोर्ट छोटा है लेकिन आपकी नीड्स बखूबी पूरी कर सकता है….

में–कैसी बात कर रही हो सुहानी….पहले वाला रिजोर्ट कोई मेरे ससुर का थोड़े ही था जो हमे उसी में जाना है….बस जगह अच्छी होने चाहिए….और मुझे तुम पर भरोसा है…

सुहानी–आपका भरोसा कभी नही टूटेगा….कितने मंबेर्स के लिए बुक रखना है सर….

में–ये सर सर क्या लगा रखा है…..जय नाम है मेरा….और चाहूँगा तुम मुझे इसी नाम से बुलाओ….

सुहानी–ठीक है सर…..आइ मीन जय…

में–मेरे अलावा 7 मेंबर है…और मेरे अलावा बाकी सब फीमेल है इस लिए उनकी सुविधा का ध्यान रखना होगा तुम्हे….

सुहानी–एक शेर और 7 शेरनिया……अब तो इंतज़ाम पक्का करना ही होगा….वरना गुस्से में आकर शेरनियो ने मेरा शिकार कर लिया तो में गयी….

में–हहहहः ऐसा कुछ नही है….तुम आराम से तैयारी कर लो….हम कल दिन तक वहाँ पहुँच जाएँगे आज रात को ही हम यहाँ से निकल रहे है….

सुहानी–ठीक है सर….सॉरी….सॉरी….जय….आप आएँगे तब तक सारी तैयारिया पूरी हो जाएँगी…..

में–ठीक है सुहानी….लेकिन इस सर को अपनी ज़ुबान से निकाल दो वरना पक्का मैं तुम्हारा सिर फॉड दूँगा….

सुहानी–ओके जय अब ग़लती नही होगी….अब में फोन रखती हूँ….मुझे अरेंज्मेंट्स भी देखने है….

उसके बाद सुहानी फोन काट देती है और में फोन सामने टॅबेल पर रख कर नीरा की तरफ देखता हूँ जो बस मुझे गुस्से से खा जाने वाली नज़रो से देख रही होती है….

सुहानी–ओके जय अब ग़लती नही होगी….अब में फोन रखती हूँ….मुझे अरेंज्मेंट्स भी देखने है….

उसके बाद सुहानी फोन काट देती है और में फोन सामने टॅबेल पर रख कर नीरा की तरफ देखता हूँ जो बस मुझे गुस्से से खा जाने वाली नज़रो से देख रही होती है……

नीरा–ये क्या तरीका है….रिजोर्ट चेंज कर दिया….लेकिन वो जगह कितनी अच्छी थी…अब उस से अच्छी जगह कौनसी होगी….

में–अरे मेरे लाल टमाटर नाराज़ क्यो होती है वैसे तो मुझे सुहानी पर भरोसा है लेकिन अगर फिर भी तुम्हे वो जगह पसंद ना आए तो हम पुरानी जगह चल देंगे….इस में मुँह फुलाने की कौनसी बात है…

भाभी–अगर कोई नयी जगह है जो पहले से भी बेहतर हो तो मज़ा दुगना हो जाएगा….वैसे टूर के लिए सही समय चुना है तुमने….4 -5 दिन हम सब वहाँ मज़े करेंगे और उसके बाद होली भी है….यानी मस्ती करने के खूब सारे दिन है अब हमारे पास…..

में–होली….अरे बाप रे…होली से तो डर ही लगता है भाभी मुझे…

रूही–चल अब डरना बंद कर और पॅकिंग कर ले….शाम को निकलना भी है…होली जब आएगी तब आज़एगी…

उसके बाद हम सभी अपनी अपनी तैयारियो मे मशगूल हो जाते है….बीच बीच मे नीरा आकर मुझे किस भी करती जा रही थी….

शाम को हमने दो गाड़ियाँ ले ली थी….एक गाड़ी में ड्राइव कर रहा था जिसमें आगे नीरा बैठी थी पीछे भाभी और शमा….

और दूसरी गाड़ी रूही चला रही थी…उस गाड़ी में आगे दीक्षा पीछे मम्मी और कोमल…

हम लोग हर 1 घंटे में रुक रहे थे क्योकि रूही हाइवे पर गाड़ी चलाने की इतनी अभ्यस्त नही थी….इसलिए किसी को भी गाड़ी में नींद नही आ रही थी….

ऐसे ही चलते चलते मस्तिया करते करते हृषिकेश पहुँच गये….

सुहानी ने हम लोगो का स्वागत जोरदार तरीके से किया….और उसके बाद रिजोर्ट की दो गाडियो में हम जंगल के अंदर बढ़ने लगे….

में–सुहानी ये जंगल तो काफ़ी गहरा है….किसी जंगली जानवर का डर तो नही है यहाँ….

सुहानी–जंगली जानवर तो काफ़ी है यहाँ लेकिन इंसानो को कोई नुकसान नही पहुँचा सकता….यहाँ के जानवर इंसानो से दूर ही रहते है….

में–फिर ठीक है….नही तो मालूम पड़ा जंगली जानवरो से डरते डरते हुए यहाँ एंजाय करना पड़े….

सुहानी–ऐसा कुछ भी नही होगा….आज का दिन आप लोग आराम करिए….कल से जंगल के नज़ारे देखना शुरू कर देना…

उसके बाद सुहानी हमे जंगल के बीचो बीच एक जगह पर ले आई….लेकिन ना तो यहाँ टॅंट लगाने की जगह दिख रही थी ना हे आराम करने की….

में–ये कैसी जगह है सुहानी….यहाँ तो सभी पेड़ इतने पास पास है कि गाड़ी भी आगे नही जा पाएगी….

सुहानी–मैने आप सभी के रहने की पूरी व्यवस्था यहीं करी है….

उसके बाद हम गाडियो से निकल कर पैदल ही जंगल के अंदर बढ़ने लगे….एक जगह रुकने के बाद सुहानी ने अपने हाथो का इशारा एक सिढी की तरफ किया और मुझे पहले उस पर चढ़ने को कहने लगी….

ज़मीन से उपर देखने पर मुझे पता चला कि वहाँ ट्री हाउस बने हुए थे….में सिढी पर चढ़ गया….ट्री हाउस अंदर से किसी लग्जरी होटेल रूम की तरह ही बना हुआ था….लाइट्स भी उन ट्री हाउस में सुपली हो रही थी….

में–वाह सुहानी ये तो मजेदार जगह है….

सुहानी–असली नज़ारा आपने देखा कहाँ है….ज़रा सेकेंड फ्लोर पर जाकर देखो….

में अपने कॉटेज के अंदर ही बनी सीढ़िया चढ़ता हुआ उपर पहुँच गया….और जब बाहर निकल कर देखता हूँ….में एक पेड़ के सबसे उपरी जगह पर था वहाँ से पूरा जंगल ऐसा लग रहा था मानो घास का मैदान था….पूरा हरा भरा जंगल मेरी आँखो के सामने था….और यही से एक कॉटेज से दूसरे पर जाने के लिए छोटे छोटे पुल भी बने थे जो मजबूती के साथ एक दूसरे से बँधे थे….

हम सभी पूरे जंगल का वही से नज़ारा लेने लग गये थे….जहा नीरा कुछ देर पहले मुझे आँखे दिखा रही थी वो अब शांत थी….

कोई किसी से कुछ नही कह रहा था बस उस नज़ारे को सब अपनी आँखो मे क़ैद करने मे लगे थे….

सुहानी–कैसी लगी जय आपको ये जगह….

जय–ऐसा लग रहा है जैसे रहने के लिए इस से खूबसूरत जगह कोई और हो ही नही सकती….इतनी खूबसूरत जगह तो सिवाए स्वर्ग के कही हो ही नही सकती….

मम्मी–सही कहा जय….सच मे बहुत खूबसूरत जगह है ये….मन करता है यहाँ ऐसे ही अपना पूरा जीवन बिता दूं….

सुहानी–मुझे बस यही डर लग रहा था क्या पता मैं आप लोगो के भरोसे पर खरी उतरूँगी भी या नही….लेकिन आप लोगो को खुश देख कर मुझे भी अब इतमीनान हो गया है….

नीरा–सच में इतनी सुंदर जगह देख कर मुझे बड़ी खुशी हो रही है….

सुहानी–कल इस से भी ज़्यादा सुंदर जगह आप देख पाएँगे….में किसी को आपलोगो को रास्ता बताने के लिए भिजवा दूँगी….

में–नही सुहानी….मुझे बस एक मॅप दे देना और उसमे जो जगह देखने लायक हो उन्हे मार्क कर देना….

सुहानी–सुहानी ठीक है जय….जैसा तुम चाहो….अब आप लोग आराम करो किसी भी चीज़ के ज़रूरत होने पर यहाँ मोजूद वाइयरलेस से तुम मुझे कॉंटॅक्ट कर सकते हो….

उसके बाद सुहानी ये कह कर वहाँ से चली गयी और हम फिर से खो गये जंगल की खूबसूरती को अपनी आँखो मे बसाते हुए….

जंगल की सुंदरता का लुफ्त उठाते उठाते ना जाने कब अंधेरा हो गया….हम सभी अब भी एक ही कॉटेज मे बैठे बाते कर रहे थे….

कोमल–वाह भैया कमाल की जगह है ये तो…..कितना सुकून है यहाँ पर…

दीक्षा–ज़्यादा सुकून मत ले लेना कहीं ऐसा ना हो तू पढ़ाई लिखाई छोड़ के जंगली बन कर यहीं रहने लग जाए…..

दीक्षा की इस बात पर हम सभी हँसे बिना नही रह सके….

भाभी–वैसे में तो कहती हूँ हमे भी एक छोटा सा घर ऐसी ही किसी जगह बना लेना चाहिए…..

मम्मी–ज़रूर में भी यही सोच रही हूँ….एक फार्म हाउस कुछ इस तरह से बनाया जाए कि वो किसी छोटे जंगल से कम ना हो…

में–हाँ मम्मी वापस जाकर मैं यही काम करूँगा सब से पहले…..में भी दुखी हो गया हूँ शहर की भीड़ भाड़ से…..

नीरा–क्या यार इतनी प्यारी जगह हम आए है और यहाँ बंदरों की तरह पेड़ पर टँगे बैठे है….कहीं घूमने चलना चाहिए….

में–आज नही नीरा…..हमने ये इलाक़ा अच्छे से देखा नही है अभी….कल सुबह हम सब एक साथ चलेंगे घूमने…..

नीरा–जैसा आप लोग चाहे…..में तो इस पेड़ पर भी खुश हूँ….

रूही–हाँ बंदरिया….तुझे तो जय भैया जहाँ दिख जाए वही खुशी मिल जाती है….

नीरा–इसमें ग़लत क्या है….मैं प्यार करती हूँ इनसे….

नीरा की ये बात सुन कर मैं मम्मी और शमा नीरा की तरफ अपना मुँह फाड़ के देखने लगे….मम्मी ने बात बदलते हुए कहा…..

मम्मी–चलो अब सब थोड़ा आराम कर लो….नीरा…शमा तुम दोनो मेरे साथ सो जाना….कोमल दीक्षा तुम नेहा के साथ अड्जस्ट कर लेना….और जय तुम रूही को यहीं सुला लेना….

मम्मी की ये बात सुन कर जहाँ नीरा का मुँह उतर गया वहीं रूही का चेहरा किसी गुलाब की तरह खिल उठा…..

सब लोग अपने अपने कॉटेज की तरफ पेड़ो पर बने उस छोटे से पुल पर बढ़ गये….नीरा मुझे छोड़ कर जाना तो नही चाहती थी लेकिन उदास मन से मेरी तरफ देखने लगी….

में–मम्मी नीरा का मन नही है….इसे आप मेरे पास ही छोड़ जाओ…..ये बंदरिया मेरे पास अच्छे से सो जाएगी….

नीरा का इतना सुनना था और वो मुझ पर उछलती कुदती चढ़ के बैठ गयी….

में–ज़्यादा उछल कूद मत मचा हम पेड़ पर है कहीं ये ट्री हाउस गिर गया तो लेने के देने पड़ जाएँगे….

भाभी–जय अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ….

में–हाँ भाभी बोलो….

भाभी–वैसे ये जगह काफ़ी अच्छी है लेकिन मेरा सोचना ऐसा है कि हमे ज़मीन पर ही टॅंट लगा कर रहना चाहिए….हम लोग काफ़ी उँचाई पर है….कही उतरते चढ़ते कोई हादसा ना हो जाए…..

में–भाभी की इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया….

में–ठीक है भाभी मैं कल ही सुहानी से बोलकर टॅंट का बंदोबस्त करवा दूँगा…

में–हाँ भाभी बोलो….

भाभी–वैसे ये जगह काफ़ी अच्छी है लेकिन मेरा सोचना ऐसा है कि हमे ज़मीन पर ही टॅंट लगा कर रहना चाहिए….हम लोग काफ़ी उँचाई पर है….कही उतरते चढ़ते कोई हादसा ना हो जाए…..

में–भाभी की इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया….

में–ठीक है भाभी मैं कल ही सुहानी से बोलकर टॅंट का बंदोबस्त करवा दूँगा….

मेरी ये बात सुनकर वो सभी लोग फिर से अपने कॉटेज की तरफ बढ़ जाते है जो नीरा की वजह से रुक गये थे….

वैसे तो किसी को भूक नही थी लेकिन सब का खाना. कॉटेज में पहले ही पहुँच गया था….में अपने बेड पर बैठ कर एक स्कॉच की बोतल खोल देता हूँ जिसमें से रूही और नीरा के लिए भी एक एक छोटा छोटा पेग बना देता हूँ….

रूही–क्या बात है भाई….आज तू खुद हमे दारू पिला रहा है….

में–क्या करूँ अगर मुझे पीनी है तो तुम दोनो को भी पिलानी तो पड़ेगी ही….

इसी तरह हसी मज़ाक करते करते वो दोनो निढाल हो कर बेड पर पसर जाती है और में बाहर खड़ा होकर पूनम के चाँद का दूर से दीदार कर रहा था….थोड़ी देर बाद में भी दोनो के बीच मे पसर जाता हूँ….मेरे ऐसा करते ही नीरा और रूही दोनो का हाथ मेरे सीने पर आजाता है…..

में भी सो जाता हूँ आने वाले उस ख्तरे से अंजान जो किसी मकड़ी के जाल की तरह हमे फसाने के लिए तैयार हो रहा था….

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रात को तकरीबन 3 बजे…

में पसीने में पूरा भीगा हुआ लगातार एक सपना देखे जा रहा था….

मम्मी मुझे पुकार रही है उनके कपड़े जगह जगह से फट चुके है….माथे से खून रीस रहा है उनके बगल में रूही बेसूध पड़ी है….एक साया उनके पास लगातार बढ़ रहा था….उस साए के हाथो मे एक खंज़र था जो किसी की अंतड़ियाँ निकालने के लिए काफ़ी था….में भाग रहा हूँ लगातार रूही और मम्मी को पागलो की तरह आवाज़े लगाते हुए….

भैया…..भैयाअ….भैया….उठो क्या हुआ आपको

रूही की आती हुई आवाज़ ने मुझे उस सपने से बाहर निकाल दिया में लगभग हान्फता हुआ पसीने से लथपथ रूही को देखे जा रहा था….

रूही के इस तरह ज़ोर से जगाने की वजह से नीरा की भी आँख खुल गयी थी….वो भी मेरी तरफ मुँह फ़ाडे देखने लग गयी …

रूही–क्या हुआ भाई….कोई बुरा सपना देखा है क्या….

में–तू ठीक है ना रूही….मम्मी कहाँ है….तुझे कही चोट तो नही लगी….

रूही–में बिल्कुल ठीक हूँ…और मम्मी भी कॉटेज में आराम कर रही है….तूने ज़रूर कोई बुरा सपना देखा है….

इतने में नीरा ने उठ कर मेरे लिए पानी का ग्लास भर दिया….और मुझे अपने हाथो से पिलाने लगी….

में–हम अब यहाँ नही रहेंगे….हम सुबह होते ही वापस घर के लिए निकल जाएँगे….

मेरी ये बात सुनकर वहाँ जैसे एक सन्नाटा छा गया….नीरा और रूही दोनो एक दूसरे का चेहरा देखने लगे….लेकिन में निश्चय कर चुका था वापस घर जाने का….

एक अनचाहा डर मेरे मन मे घर कर गया था….में अब यहाँ से अपने परिवार को ले जाना चाहता था….

मेरे इस फ़ैसले से आफरा तरफरी का माहॉल बन गया था….कोई भी जाना नही चाहता था…सभी मुझे समझाने मे लगे हुए थे….

मम्मी–जय ये कैसा बच्पना है…..एक सपने के पीछे तू सबकी खुशियो पर पानी फेर देगा….

में–मम्मी पता नही क्यो…लेकिन मेरा मन नही मान रहा….

मम्मी–ठीक है अगर कुछ ग़लत होता है तो उसकी ज़िम्मेदारी में लेती हूँ…..तू बस अपने दिमाग़ से उस सपने को निकाल दे….

मम्मी की बात भी ठीक ही तो थी….एक सपने के पीछे में सब की ट्रिप खराब कर दूं ये सही नही होगा….इसलिए मैने फ़ैसला किया जैसा चल रहा है वैसे ही चलते रहने देने का….

में–ठीक है मम्मी जैसा आप चाहे….

मम्मी–तो फिर ठीक है चल अब सब को जंगल में घुमा कर ले आ….सुबह से सबको परेशान कर दिया है तूने….

उसके बाद में सब को एक जगह इकट्ठा करता हूँ और सबसे चलने की कहता हूँ….

नीचे उतर कर हम सभी मॅप के अनुसार आगे बढ़ने लगे….हम जिस तरफ जा रहे थे वहाँ एक छोटी नदी थी…और काफ़ी देर चलने के बाद हम सभी उस नदी पर पहुँच गये….

नदी ज़्यादा तेज़ नही बह रही थी….और ज़्यादा गहरी भी नही थी…

नदी को देखते ही नीरा कोमल रूही और भाभी जैसे पागल हो गये थे….उन्होने वही पर झाड़ियो मे जाकर चेंज किया और कूद पड़ी नदी के अंदर….

शमा–भैया मुझे डर लगता है पानी से….में नही जाउन्गि नदी मे…

में–डरना कैसा शमा ये नदी ज़्यादा गहरी नही है….और तुझे संभालने वाले हम लोग है ना यहाँ….

शमा–नही भैया मैं नही जाउन्गि….

शमा को डरता देख में उसे अपनी गोद में उठा लेता हूँ और नदी के अंदर मस्ती करती हुई नीरा और भाभी को इशारा करके शमा को संभालने की कह कर नदी में फेक देता हूँ….थोड़ी देर नदी मे उछाल कूद मचाने के बाद शमा भी अब नौरमल हो गयी थी…वो भी अब पानी में मस्ती करने लग गयी थी….उसको खुश देख कर मैने सुकून की साँस ली….

मेरे और मम्मी के अलावा सभी पानी मे मस्ती कर रहे थे….अचानक मम्मी ने मुझे भी पानी मे धक्का दे दिया….और मैं सीधा रूही और भाभी के बीच नदी में गिर गया….खुद को संभालने की कोशिश में मेरा हाथ रूही के बूब्स पर छु गया…..जिसे महसूस कर रूही अपनी आँखे बंद कर चुकी थी….

हम सभी नदी के पानी मे खेलते खेलते समय को भूल ही गये थे….

शमा–भैयाअ…..

में–क्या हुआ शमा….मज़ा नही आ रहा है क्या….

शमा–मज़ा तो आ रहा है लेकिन अब भूक लगने लग गयी है….

मम्मी–अरे खाना साथ लाना तो हम भूल ही गये….जय तू कॉटेज से जाकर खाना ले आ जब तक हम सब यही है….

नीरा–में भी चल रही हूँ आपके साथ खाना लेने……

में–ठीक है नीरा चल….इन भुक्कडो के लिए खाना लेकर आते है…

मम्मी–अरे खाना साथ लाना तो हम भूल ही गये….जय तू कॉटेज से जाकर खाना ले आ जब तक हम सब यही है….

नीरा–में भी चल रही हूँ आपके साथ खाना लेने……

में–ठीक है नीरा चल….इन भुक्कडो के लिए खाना लेकर आते है…

मेरा उन को भुक्कड़ कहते ही सब मेरे उपेर पानी उछालने लगे….और मैं तेज़ी से नीरा का हाथ पकड़ के पानी से बाहर आ गया….नीरा और मैं गीले कपड़ो मे ही मस्ती करते हुए कॉटेज की तरफ बढ़ गये….

कॉटेज में पहुँचते ही में खाना सेट करने लगा जबकि नीरा मुझे देखे जा रही थी….

में खाना सेट कर चुका था….और नीरा से कहने लगा अब जल्दी चल मुझे भी भूक लग रही है….

नीरा–क्या में आपकी भूक मिटा सकती हूँ….

मैने पलट कर देखा तो देखता ही रह गया…..

नीरा बिल्कुल नंगी होकर बस मुझे ही देखे जा रही थी

एक सेकेंड नही लगा नीरा का ये रूप देख कर मेरे शॉर्ट्स मे तूफान आने मे…

में–जान क्या हुआ…आज मूड बदला बदला क्यो है….

नीरा–आपको तो बिल्कुल फिकर नही है मेरी….कितना तड़पति हूँ आपके बिना मैं….

में–तड़प्ता तो में भी हूँ नीरा….

नीरा–क्या में इतनी भी सुंदर नही हूँ कि आप मुझे बिना कपड़ो के देख कर भी इतना दूर खड़े हो….या मन भर गया है आपका मुझ से…

में धीरे धीरे उसके पास पहुँच कर उसे अपनी बाहो में भर लेता हूँ और बेतहाशा उसके होंठो का रस पीने लग जाता हूँ….

नीरा मुझ से छूट कर मेरे कपड़े उतारने लग जाती है और मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा देती है

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