अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] – Update 20

अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani

जब हम दोनो कार से उतरे तो हर किसी की निगाहे सिर्फ़ नीरा पर ही थी….में जल्दी जल्दी उस जगह से नीरा को उस कोठे में ले आया ….

वहाँ नज़्म पहले से ही खड़ी थी….उसके हाथो में आरती का सुंदर थाल था अंदर आते ही उसने हम दोनो की साथ में आरती उतारी….और मैने कुछ 500-500 के नोट उस थाली में रख दिए….

नज़्म–क्या किस्मत पाई है बाबूजी आपने….इतनी सुंदर बीवी हर किसी को नही मिलती….कभी किसी की बुरी नज़र ना लगे इनको….

और ये कह कर वो हम दोनो का रास्ता छोड़ देती है….कामली बाई भी हॉल में ही हमे मिल जाती है….सब से पहले कामली बाई नीरा की बालाएँ लेती है….और एक नींबू नीरा के उपर वार के नज़म को उसे चौराहे पर रख कर आने को कह देती है….

कामली–वाह जनाब इतनी खूबसूरती मैने आज तक नही देखी….अब तो आपके पास दो दो खूबसूरती की मिसाले हो गयी है….

नीरा–कामली जी अगर आप बुरा ना माने तो क्या में अब शमा से मिल सकती हूँ….

कामली–इस में बुरा मानने वाली बात कौनसी है….अब तो वैसे भी वो आप लोगो की हो चुकी है….जैसे चाहो वैसे मिलो….उसके बाद सुम्मी नीरा को एक रूम की तरफ ले जाती है वहाँ शमा बेसब्री से हमारा इंतजार कर रही होती है.

नीरा और सुम्मी के चले जाने के बाद….में और कामली बाई मिनी बार वाले रूम में चले जाते है….अंदर बैठते ही में उसे 15 लाख रुपये दे देता हूँ…..

कामली–जनाब क्या कमाल का रूप है आपकी पत्नी का….कोई बूढ़ा भी देख ले तो शेर बन जाए….

में–कामली बाई नीरा के लिए कहा गया हर बुरा शब्द….मेरे गुस्से को बढ़ा देता है…इसलिए आपसे गुज़ारिश है आप उसके लिए कुछ ग़लत ना बोले….

कामली–नही…नही….जनाब में तो तारीफ़ कर रही थी….में उस हुश्न की मल्लिका के लिए बुरा कैसे कह सकती हूँ…..

अब बताइए क्या लेंगे आप ठंडा या गर्म…

में–कुछ भी पिला दीजिए जो आपको पसंद हो….

उसके बाद कामली बाई….मेरे लिए एक चाँदी के ग्लास में शराब भर के ले आती है और पहला सीप मारने के बाद में उस से कहता हूँ…..

में–कामली बाई वादे के मुताबिक मैने आपको पैसे देकर अपना वादा पूरा कर दिया है….अब आपकी बारी है वादा पूरा करने की…..

कामली–पूछिए जनाब क्या पूछना चाहते है….अब शमा आपकी हो गयी है….और शमा के साथ जुड़ा हर राज़ भी….

में–शमा आपके कोठे पर कैसे पहुँची…. इसके माँ बाप कौन है….???

कामली–19 साल पहले मेरे पास दीनू इस बच्ची को लेकर आया था….बच्ची को देख कर लग रहा था कि कुछ दिन पहले ही ये पैदा हुई है…..पहले तो मैने उस हरामजादे को खूब पिटवाया अपने आदमियो से….इतनी मासूम बच्ची को अपनी माँ से जुदा करने के लिए….और जब उस से पुछा गया ऐसा उसने क्यो किया है तो उसने किसी का नाम लिया…..

में–किसका नाम लिया कामली बाई…याद करिए…

कामली–दीनू किसी मुंबई में रहने वाले प्रधान की बात कर रहा था….उसने इस बच्ची को ख़तम करने की सुपारी दी थी….लेकिन ज़्यादा पैसा कमाने के चक्कर में वो इसे मेरे पास बेचने के लिए ले आया…..

में अपने मन में ही प्रधान का नाम सुनकर चोन्के बिना नही रह सका….

में–क्या मुझे प्रधान या दीनू के बारे में कोई जानकारी मिल सकती है…..

कामली–जनाब जिस तरह से मैने अभी तक आपके बारे में नही पूछा वैसे ही मैने ना ज़्यादा प्रधान के बारे में पूछा और ना ही दीनू के बारे में…..लेकिन दीनू की पिटाई करवाने के बाद उसकी जेब में जो भी माल था वो सब निकाल लिया गया था….तकरीबन 20000 रुपये और कुछ कागज भी मिले थे उसकी जेबो मे से…..उन कागजो में उसका गाड़ी चलाने का लाइसेन्स भी था….

में–क्या में वो सब कागज देख सकता हूँ…

कामली–बेशक जनाब…..माना कि ये कागज मेरे किसी काम के नही थे लेकिन अमानत के तौर पर आज भी मैने संभाल कर रखे है…क्या पता वो अपने कागजात लेने वापस आता लेकिन 19 सालो में वो दुबारा कभी नही आया….में अभी वो कागजात ले कर आती हूँ….

में–मन मे ही सोचे जा रहा था….प्रधान और दीनू के बारे मे….इन दोनो का नाम मैं पहले भी कही सुन चुका था….लेकिन कहाँ सुना कुछ याद नही आ रहा था….लेकिन अगर कामली के पास दीनू का ड्राइविंग लाइसेन्स पड़ा है तो इसका मतल्ब जल्दी ही इस पहली से परदा हट जाएगा…..

तभी कामली भी वापस आचुकी थी…उसने वो कागज मेरे हाथ में पकड़ा दिए….

उन कागजो में कुछ हिसाब किताब लिखा था कुछ रसीद थी सामानों की और एक ड्राइविंग लाइसेन्स

में उस लाइसेन्स को उलट पुलट कर देखने लगता हूँ….दिनेश वर्मा….सोन ऑफ गोपाल लाल वर्मा

अथवा लाने नियर क्रिस्टल अपार्टमेंट सूरत गुजरात…..

मेरे पास दीनू का 19 साल पहले का पता आचुका था…

में–कामली बाई क्या में इसे अपने पास रख सकता हूँ….

कामली–ज़रूर जनाब….लेकिन मेरे मन में एक सवाल उठ रहा है….आप क्यो गढ़े मुर्दे उखाड़ने की कोशिश कर रहे है….

गढ़े मुर्दे नही में बिछड़े हुए कुछ अपनो को मिलाने की कोशिश कर रहा हूँ….कम से कम शमा जान तो पाएगी कि उसके माँ बाप कौन है….

कामली–जनाब आप सही कह रहे है….लेकिन ये कोठा है और यहाँ जो एक बार आजाता है उसे दुनिया इतनी आसानी से नही अपनाती है…

में–आपको कोई ऐतराज तो नही है अगर में शमा के माँ बाप को ढूँढने की कोशिश करूँ….

कामली–जनाब ऐतराज कैसा शमा की पूरी कीमत दी है आपने….आप जो चाहे वो करे लेकिन इस कोठे के कुछ उसूल है इन्हे आपको पूरा करना बाकी है….अब आप शमा की नथ उतराई की रसम जल्दी से जल्दी पूरा कर दीजिए….

में–कामली बाई आपसे एक चीज़ माँगूँ….

कामली–हुकम कीजिए जनाब….

में–जब हम लोग यहाँ से जाए….तो वो खून से सना हुआ कपड़ा आप मुझे वापस लौटा दीजिएगा….क्योकि में तंत्र मंत्र पर काफ़ी यकीन रखता हूँ और में नही चाहता कोई भी उस कपड़े का ग़लत यूज़ करे…..

कामली–जनाब यहाँ के रिवाज के अनुसार कोठे के चारो तरफ घुमा लेने के बाद वो कपड़ा हमारे किसी काम का नही होता वैसे तो हम उसे जला देते है लेकिन अगर आप उसे अपने साथ लेजाना चाहे तो ले जा सकते है.

कामली–जनाब यहाँ के रिवाज के अनुसार कोठे के चारो तरफ घुमा लेने के बाद वो कपड़ा हमारे किसी काम का नही होता वैसे तो हम उसे जला देते है लेकिन अगर आप उसे अपने साथ लेजाना चाहे तो ले जा सकते है…..

अब में कामली की तरफ 2 लाख रुपये और बढ़ा देता हूँ और बड़ी अदा के साथ वो उन 2_2हज़ार के नोटो को अपने ब्लाउस की गहराईयो में दफ़न कर देती है….

कामली–अब उठिए जनाब…..वो दोनो आपकी राह देख रही होंगी….

और इसीके साथ में अपना जाम एक ही साँस में ख़तम करके नीरा और शमा के रूम की तरफ बढ़ जाता हूँ….रूम का दरवाजा खोलते ही में पलट कर जल्दी से उसे लॉक कर देता हूँ….

शमा और नीरा वहाँ मोजूद डबल बेड पर बैठी हुई एक दूसरे से बाते कर रही थी….

कमरे मे काफ़ी रोशनी थी बेड से थोड़ी ही दूरी पर लकड़ी का एक बाथ टब गर्म पानी से लबालब भरा हुआ था एक कमोड भी लगा हुआ था वही कौने में ही….यानी कि उस रूम का बाथरूम भी बिना चार दीवारी के था…..सिर्फ़ एक खिड़की पर परदा लगा हुआ था बाकी परदा रखने की कोई जगह उस कमरे में नही थी….

बेड पर बैठी हुई शमा और नीरा दोनो ही खूबसूरती मे बेमिसाल लग रही थी ऐसा लग रहा था दोनो ही के जिस्मों को भगवान ने बड़ी फ़ुर्सत में बनाया हो…दोनो की आँखे नाक बिल्कुल एक जैसे लग रहे थे….जैसे दोनो जुड़वा बहने हो….

में अब उन दोनो के पास बैठ गया उस रूम को अच्छे से देखने के बाद…

शमा–भैया अब कैसे होगा ये सब….भाभी को भी आपने यहाँ बुला लिया….कैसे सबूत दे पाएँगे हम नथ उतराई का….

नीरा–तुम चिंता मत करो शमा….सब कुछ हो जाएगा….तुम्हारी जगह आज में लूँगी इस नथ उतराई की रस्म मे….

शमा–लेकिन भाभी कैसे दे पाएँगी आप वो सबूत….आप तो कुँवारी नही है फिर कैसे होगा सब कुछ….

नीरा–किसने कहा में कुवारि नही हूँ….हम लोगो ने आज ही शादी करी है….सिर्फ़ तुझे यहाँ से निकालने के लिए….और आज पहली बार हम दोनो के जिस्म मिलेंगे….आत्मा तो कब की मिल चुकी है….

शमा–लेकिन यहाँ आप मेरे सामने सब कुछ कैसे कर पाएँगे….

में–शमा मेरी बहन मुझे माफ़ कर देना लेकिन ये सब तुम्हारे सामने ही होगा….

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और हम तीनो एक दूसरे की शकल देखने लग जाते है में शमा को अपनी गोद में खीच लेता हूँ शमा को अपनी गोद में बिठाने के बाद में नीरा से दरवाजा खोलने की कह देता हूँ…..

नीरा दरवाजा खोलती है और कामली बाई के साथ नज़्म एक बड़ी सी ट्रे में चाँदी के ग्लास कुछ खाने का सामान और एक बढ़िया स्कॉच की बोतल ले कर अंदर घुस जाती है….कामली बाई शमा को मेरी गोद में इस तरह बैठे देख कर हम दोनो की बालाए लेने लग जाती है…,

कामली–मुझे माफ़ करे जनाब शमा अभी बच्ची है और इसे ज़्यादा दर्द ना हो इसीलिए में ये शराब आप लोगो के लिए ले आई….अब आपको कोई तंग नही करेगा अब जब आप ये दरवाजा खोलेंगे….तभी ये दरवाजा खुलेगा,…

और ये कह कर वो दोनो बाहर चली जाती है..

कामली–मुझे माफ़ करे जनाब शमा अभी बच्ची है और इसे ज़्यादा दर्द ना हो इसीलिए में ये शराब आप लोगो के लिए ले आई….अब आपको कोई तंग नही करेगा अब जब आप ये दरवाजा खोलेंगे….तभी ये दरवाजा खुलेगा,…

और ये कह कर वो दोनो बाहर चली जाती है….

उनके जाते ही नीरा अच्छे से दरवाजा बंद कर देती है और में शमा को अपनी गोद मे से उठा देता हूँ…

शमा मेरी गोद से उठ कर जाम बनाने लग जाती है….और एक एक करके हम दोनो को दे देती है इतने में नीरा अपना जाम लेकर मेरी गोद मे आकर बैठ जाती है….हम दोनो एक दूसरे के हाथो से वो जाम पीने लगते है….शराब ख़तम होने के बाद में नीरा को कस कर अपनी बाहो में भर लेता हूँ….अचानक नीरा मेरी बाहो में से छूट कर मुझ से दूर हो जाती है लेकिन उसकी साड़ी का पल्लू मेरे हाथों में ही रह जाता है….

नीरा अपने खूबसूरत बदन को मुझ से छुपाने की कोशिश कर रही थी लेकिन एक शर्म से भरी हल्की सी मुस्कुराहट मुझे अपने पास बुलाने का संकेत दे रही थी में अपनी जगह से उठ कर नीरा को कस कर अपने सीने से लगा लेता हूँ..,

मेरे होंठ अब नीरा के होंठो का रस को चूसने में लगे थे….

अचानक नीरा मेरी बाहो मे ही पलट जाती है और में उसका ब्लाउस उसके कंधे से नीचे करके उसकी गर्दन की खुसबु सूंघने लग जाता हूँ..

खुद पर हुए इस तरह के हमले को नीरा सह नही पाती और वो मेरी बाहो मे ही तड़पने लग जाती है…..एक ख़ुसनूमा तड़प नीरा के रोम रोम मे से उठती खुश्बू से जाहिर हो रही थी….

ज़्यादा देर वो मेरा ऐसा करना बर्दाश्त नही कर पाती और मुझे बेड पर धक्का दे देती है….और बेड पर लेटते ही में अपनी शर्ट उतार देता हूँ…..मेरे इस तरह नंगे सीने को देख कर नीरा मुझ पर चढ़ बैठती है….और मेरे सीने को सहलाते हुए अपने होंठ मेरे मेरे होंठो से लगा लेती है.

नीरा–जान कितना तडपी हूँ में इस दिन के लिए….ना जाने कितना और इंतजार करना पड़ता मुझे….हमेशा अपनी नीरा को अपने दिल में बसा कर रखना….वरना में जी नही पाउन्गि एक पल भी…..

में उसके होंठो पर अपना हाथ रखते हुए कहता हूँ….

में–मरने की बात मत कर जान जी तो में भी नही पाउन्गा तेरे बिना….तेरी कसम जान दुनिया की कोई ताक़त अब हम दोनो को जुदा नही कर सकती….बस कभी मरने की बात मत करना…..तेरी कसम तेरी तरफ उठी हुई हर उंगली में जड़ से उखाड़ दूँगा….हमेशा मुझे ऐसे ही प्यार करती रहना….तेरी हर ज़िद तेरी हर बात….तेरा कहा गया हर शब्द….तेरी कसम…. में अपनी जान देकर भी पूरा करूँगा….

अब में नीरा को अपने नीचे ले चुका था और उसका ब्लाउस उसके बदन से अलग कर चुका था….एक नज़र मैने शमा पर डाली….वो ज़मीन पर हमारी तरफ पीठ करके बेड के सहारे बैठी हुई शराब पी रही थी….उसके मन की हालत में अच्छे से समझ पा रहा था….वो ना चाहते हुए भी हमारे मिलन की गवाह बन चुकी थी….

मैने अपना चेहरा नीरा के बूब्स की घाटियो में दबा लिया.. नीरा ने अपने एक हाथ से मेरे सिर को काफ़ी ज़ोर लगा कर अपने सीने में दबा दिया था…जैसे मुझे अपने अंदर समा लेना चाहती हो….

अब वो मुझे पलटते हुए हुए मेरे उपर आ गयी थी और अपनी ब्रा मे से एक बूब निकाल कर मेरे मुँह में डालने लगी….

में उसका बूब पागलो की तरह चूसने लग गया और ना जाने कब उसकी ब्रा से उसका दूसरा बूब भी मैने बाहर निकाल दिया….

नीरा की सिसकिया पूरे कमरे में फैलने लग गयी थी….मैने अपने एक हाथ से उसकी ब्रा को खोल दिया….और फिर से उसके दोनो बूब्स पर टूट पड़ा जगह जगह मैने अपने दाँतों के निशान उसके बूब्स पर बना दिए थे…..

में एक दम से नीरा से अलग हुआ और उसका पेटिकोट और पैंटी एक झटके में उतार कर खुद भी उसके सामने नंगा हो गया….और फिर से उसे अपनी बाहो में भर लिया….

अब हम एक दूसरे की बाहो में पूरे बेड पर गुलाटियाँ खाने लग गये कभी नीरा मेरे उपर आजाती और कभी में उसके उपर….

अब वो समय आ गया था जब हम दोनो को एक दूसरे मे समा जाना था….मैने नीरा की आँखो मे देखा और मेरा इशारा समझ कर वो बेड पर सीधी लेट गयी

में उसके पूरे बदन पर अपने होठों से किस करता हूँ….उसकी चूत तक पहुँच गया था….मैने अपनी जीभ से नीरा की चूत को कुरेदना शुरू कर दिया….नीरा की चूत किसी गरम भट्टी की तरह भाप छोड़ रही थी….उसकी ये गरमी मेरे चेहरे पर बर्दाश्त नही हो रही थी….

मैने उसकी टांगे फैलाई और अपना लिंग उसकी चूत पर सेट करके एक जोरदार झटका लगा दिया….मेरा ऐसा करते ही नीरा ज़ोर ज़ोर से चीखते हुए मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गढ़ाने लग जाती है….

कुछ पल रुक कर में नीरा को दर्द से बाहर आने देता हूँ….और जब वो थोड़ा नौरमल होती है….में एक और झटका लगा कर अपना पूरा लिंग नीरा की चूत में उतार देता हूँ….मेरे इस हमले से नीरा दर्द से बिलबिला उठती है ….वो ज़ोर ज़ोर से चीखते हुए मेरे चेहरे पर थप्पड़ मारने लग जाती है…..

दर्द मुझे भी हो रहा था ….उसकी चूत की गर्मी मेरे लिंग को झुलसा रही थी….ऐसा लग रहा था जैसे तेज़ाब डाल दिया हो मैने अपने लिंग पर….एक जलन के साथ साथ बेपनाह दर्द मुझे भी महसूस हो रहा था….

लेकिन में धीरे धीरे नीरा की चूत मे अपना लिंग लगातार अंदर बाहर किए जा रहा था…..नीरा का चेहरा पूरा लाल हो चुका था…दर्द की वजह से उसकी बंद आँखो मे से भी आँसुओ की धारा फूट पड़ी थी….मैने धीरे धीरे झटके लगाते हुए नीरा के होंठो को चूसना शुरू किया….

मेरा इस तरह से करने से उसका दर्द अब धीरे धीरे कम हो रहा था….अब वो भी अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लग गयी थी….20 मिनिट्स तक चले इस खेल मे नीरा 2 बार झड चुकी थी और अब मेरा भी वक़्त आ गया था….में अपने झटको की स्पीड बढ़ाता हुआ नीरा पर हावी हो रहा था…..तभी सारे बाँध एक साथ टूट पड़े….मेरा लावा नीरा की चूत की गहराईयो में उतरता चला गया….साथ ही साथ नीरा ने भी अपना चरम सुख पा लिया था….वो एक के बाद एक कयि झटके खाती हुई लगातार झड़ने लगी थी उसका झड़ना बंद ही नही हो रहा था….वो लागातार बस झड़े ही जा रही थी….उसकी चूत से निकलता हुआ बेशुमार रस पूरे बेड पर फैलने लग गया था….और इस के साथ एक जोरदार चीख के साथ वो पूरी तरह से झड गयी….मुल्टीपल ओर्गज़म उसे पहली बार में ही हो गया था…..में ये सोच कर हैरान था कि कुछ लोग इस सुख को सारी ज़िंदगी नही पा पाते….और नीरा ने इस सुख को पहली बार में ही पा लिया…

नीरा बेहोश हो चुकी थी इस तरह झड़ने के बाद में वहाँ से उठा और एक तेज पुक्क्क की आवाज़ के साथ मेरा लिंग भी नीरा की चूत मे से बाहर आ गया था…..

पूरे बेड पर खून ही खून फैला हुआ था…मेरा लिंग भी खून से सना हुआ था….मेरा लिंग बुरी तरह से सूज गया था….और उसमें से लगातार खून निकल रहा था….मेरे लिंग का टांका भी अब टूट चुका था….में वहाँ से उठ कर एक टवल उस बाथ टब के गर्म पानी में डुबो कर नीरा की चूत को अच्छे से सॉफ करता हूँ….गरम पानी नीरा से लगते ही उसकी आँखे खुल जाती है और एक दर्द भरी कराह के साथ मुझे देखने लग जाती है….

वो उठने की कोशिश करती है लेकिन में उसे अपनी बाहो में उठाकर उस गरम पानी से भरे बाथ टब मे लेटा देता हूँ….और अपने लिंग को अच्छे से पोछ कर अपने कपड़े पहनने लग जाता हूँ….बेड पर से चादर उठा कर उसे साइड में रख देता हूँ….और शमा की तरफ देख कर उसे आवाज़ लगा देता हूँ….

शमा अभी भी बेड का सहारा लेकर मेरी तरफ पीठ करके बैठी हुई थी….

में–शमा उठो यहाँ से अब चलने का वक़्त हो गया है ….

शमा जैसे ही मेरी तरफ पलटती है उसके आँसुओ से भरा हुआ चेहरा मेरे दिल में आग लगा देता है….वो वहाँ से उठ कर मेरे पैरो मे गिरकर रोने लग जाती है…..

शमा–भैया मुझे माफ़ कर दो….मेरी वजह से आपको अपना मिलन एक ऐसी जगह करना पड़ा जिसकी छाया भी शरीफ लोग अपने घर पर पड़ने नही देते….

में शमा को अपने पैरों में से उठाकर अपने सीने से लगा लेता हूँ….और कहता हूँ….

में–शमा तुझे यहाँ से निकालने के लिए में कुछ भी कर सकता था….लेकिन सब से बड़ा बलिदान जो किसी ने आज दिया है वो है नीरा….मेरी बहन मेरी पत्नी….इसीकि वजह से आज हम साथ रह पाएँगे….

शमा–क्या कहा आपने बहन….??

में–हाँ शमा नीरा मेरी छोटी सग़ी बहन है….लेकिन अब ये मेरी पत्नी है….हम लोग इसकी पढ़ाई के बाद शादी करना चाहते थे लेकिन तुन्हे यहाँ से निकालने के लिए ये बिना सोचे समझे ही तैयार हो गयी….

शमा मेरी बात सुनते ही नीरा की तरफ दौड़ पड़ी और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर रोते हुए उसको प्यार करने लगी….

नीरा–शमा अब तुन्हे रोना नही है….अब तो तुम्हारे खुशियो के दिन आ गये है…अब जल्दी ही हम यहाँ से बाहर निकल जाएँगे….लेकिन एक प्राब्लम है….

में–अब क्या बाकी रह गया नीरा….कौनसी प्राब्लम की बात कर रही हो तुम.

में–अब क्या बाकी रह गया नीरा….कौनसी प्राब्लम की बात कर रही हो तुम….

नीरा–आपने जो मेरे जिस्म पर इतने सारे लव बाइट्स दिए है जो में किसी से छुपा भी नही सकती….लेकिन जब बाहर कोई शमा पर ये निशान नही देखेगा तो कुछ भी सोच सकता है….इसलिए आपको शमा के जिस्म पर भी वैसे ही लोव बाइट्स बनाने होंगे….

में–बात तो तेरी सही है…लेकिन में शमा के साथ ये सब कैसे कर सकता हूँ….तुझे तो में फिर भी प्यार करता हूँ लेकिन शमा के साथ ऐसा कुछ करने की में सोच भी नही सकता….

नीरा–जान सोचना तो आपको पड़ेगा ही किसी को भी शक हो गया तो सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है….इसलिए आपको ऐसा करना ही होगा….

नीरा पानी के टब मे से नंगी ही बाहर आजाती है….और शमा की तरफ देखते हुए कहती है….

नीरा–माफ़ करना मेरी बहन अब कुर्बानी देने की बारी तुनहारी है….में चाहूं तो अपने दांतो से भी तुम्हारे जिस्म पर निशान बना सकती हूँ लेकिन एक मर्द से बने निशान एक औरत से बने निशानो से अलग हो सकते है….

शमा–भैया आपको जो भी करना हो मेरे साथ कर लो….बस अब में यहाँ ज़्यादा देर नही रह सकती….अगर कुछ देर और यहाँ रही तो मेरी आत्मा मेरा शरीर छोड़ देगी….

अब नीरा ने आगे बढ़कर शमा का ब्लाउस पकड़कर उसके दोनो बूब्स बाहर निकाल दिए….

और मुझे इशारा करके निशान बनाने के लिए बोल दिया और खुद जाकर फिर से उस टब में बैठ गयी….

दरवाजा नीरा ने खोल दिया…में शमा को अपनी गोद मे उठाकर बाहर ले आया मेरे पीछे पीछे नीरा भी हमारे मिलन का सबूत वो चादर अपने हाथो मे लिए लड़खड़ाते हुए चल रही थी….

नीरा–ये लीजिए कामली जी आपका सबूत….

कामली वो चादर खोल के सब को दिखाती है…वहाँ पर इतना खून देख कर सब के मुँह खुले के खुले रह जाते है….

में–कामली बाई अब आप जल्दी से आपकी रसम पूरी कर लीजिए…अब हमे निकलना होगा….

कामली जैसे नींद से जागी हो… वो उस चादर को नज़म को देकर रसम पूरी करने का बोलकर नीरा से कहती है…

कामली–हाँ…हाँ…क्यो नही बस 2 मिनिट में रसम पूरी हो जाएगी….लेकिन जनाब आपने शमा को गोद में क्यो उठा रखा है….

नीरा–शमा की हालत ठीक नही है….इसे जल्दी से डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा…

कामली–हालत तो आपकी भी कुछ ठीक नही लगती है….लगता है….शमा के बाद आपका नंबर लग गया हो….

नीरा मुस्कुराते हुए….

नीरा–इनको झेलना कोई आसान काम नही है….पहली बार में तीन दिन तक बेड से नही उठ पाई थी….

कामली–ये मर्द भी बड़े निर्दयी होते है…थोड़ा आराम से नही कर सकते थे जनाब आप….देखो दोनो फूल जैसी बच्चियो की क्या हालत कर दी है आपने….

में–ये दोनो भी किसी शेरनी से कम नही है….इन्हे काबू करने के लिए थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ता है….

कामली–आपने सही कहा…और वैसे भी ये खेल ऐसा है ज़ोर कोई भी लागाए जान दोनो की ही निकलती है….

तभी नज़म भी वहाँ आजाती है….और आकर वो चादर नीरा के हाथो में समेट कर दे देती है…..

में–कामली बाई आपका एहसान रहेगा मुझ पर जो आपने इतना खूबसूरत तोहफा दिया है मुझे….,,

कामली–तोहफा तो आपने दिया है शमा को एक सुखी जीवन जीने का….

में–कामली बाई…में आप से एक बात और कहना चाहता हूँ….इस दरवाजे से बाहर निकलते ही ना आप मुझे पहचानती है और ना आप शमा को जानती है….आप कभी भी ये जानने की कोशिश नही करेंगी कि शमा कहाँ है….

कामली–जनाब में ऐसा कुछ भी नही करूँगी…आप तीनो जहाँ भी रहो वहाँ खुश रहो बस मेरे श्याम से यही प्रार्थना करूँगी…

उसके बाद में शमा को गोद में उठाकर वहाँ से बाहर ले आया और किसी तरह नीरा भी लड़खड़ाते हुए हिम्मत करके कार तक पहुँच ही जाती है….नज़म पीछे वाला दरवाजा खोल देती है जहाँ में शमा को बैठा देता हूँ…और फिर में नीरा को सहारा देकर आगे वाली सीट पर बैठा देता हूँ….वहाँ अब सभी की आँखो में आँसू आ गये थे जैसे कोई दुल्हन विदा होकर जा रही हो….नज़म का तो रो रो कर बुरा हाल हो गया था….वो बस बार बार शमा से लिपटकर रो रही थी…

मैने नज़म को संभालते हुए कामली बाई के पास छोड़ दिया और कार लेकर उन गलियो को दुबारा वापस ना आने का वादा करके वहाँ से निकल गया…….

हम वहाँ से अब निकल के सीधा होटेल पहुँचे और वहाँ से अपना सामान लेकर एरपोर्ट की तरफ़ बढ़ गये….नीरा को मैने एक पेन किल्लर दे दी थी…उसकी वजह से वो अब काफ़ी आराम महसूस कर रही थी..

……………………

में–राजेश भाई…शमा को मैने वहाँ से निकाल लिया है….अब आपको आगे संभालना है….

राजेश–चिंता मत करो जय….में अपना काम बखूबी समझता हूँ….

में–भाई आप से एक रिक्वेस्ट थी….

राजेश–बोलो जय…क्या बात है….

में–भाई वहाँ एक लड़की है नज़म….उसका ख्याल रखना बेचारी मासूम है….उसको ज़िंदगी जीने की सही राह दिखाना हो सके तो उसकी पढ़ाई का भी बंदोबस्त करवा देना….उन लड़कियों के पढ़ने लिखने और रहने खाने का जो भी खर्चा होगा वो में भरदूँगा….बस तुम संभाल कर उन सारी लड़कियो को उनकी सही जगह पर पहुँचा दो….

राजेश–पहली बार अपनी ताक़त का इस्तेमाल करके मुझे अपने आप पर शर्म नही आ रही….वो सारी लड़किया अब आज़ादी की साँसे लेंगी….वहाँ के सारे कोठो पर थोड़ी देर मे हम लोग रेड करने वाले है…तुमसे अब मुलाकात घर पहुँच कर ही होगी…

में–ठीक है भाई….अब में फोन काट रहा हूँ….

उसके बाद में फोन काट कर वापस अपनी जेब मे रख लेता हूँ….थोड़ी देर बाद हम एरपोर्ट पर पहुँच जाते है और में टेक्शी ड्राइवर को उसकी मेहनत देने के बाद सारा सामान उठा कर एरपोर्ट की तरफ बढ़ जाता हूँ….नीरा भी मेरे पीछे चलती हुई आ रही थी….लेकिन शमा वहीं रुक गयी….

जब मैने शमा को देखा तो वो उस रास्ते की तरफ देख रही थी जहाँ से हम लोग आए थे….

में उसके पास जाकर उसके कंधे पर अपना हाथ रख देता हूँ….

मेरा ऐसे करते ही वो फूट फूट के रोने लग जाती है….

में–शमा अब सब ठीक हो गया है अब तुम्हे रोने की ज़रूरत नही है….इसलिए अपने आँसू पोंच्छो और हमारे साथ अच्छी ज़िंदगी की तरफ अपने कदम बढ़ाओ….

शमा–भैया अगर आज आप मुझे वहाँ से बचा कर नही लाते तो जाने क्या हाल होता मेरा….भगवान का लाख लाख सुक्र है जो उसने मेरे देवता भाई को मुझे बचाने भेज दिया….

में–शमा में कोई देवता नही हूँ….में बस तेरा भाई हूँ…महादेव सब के दुख दूर करते है….सब की फरियाद वो पूरी करते है….बस अब तुम्हारे दुख के दिन ख़तम हुए और खुशी के दिन शुरू हो गये है….

उसके बाद में उसके आँसू पोछ कर उसे अपने सीने से लगा लेता हूँ और नीरा शमा के सिर पर हाथ फेरने लग जाती है.

शमा–भैया अगर आज आप मुझे वहाँ से बचा कर नही लाते तो जाने क्या हाल होता मेरा….भगवान का लाख लाख सुक्र है जो उसने मेरे देवता भाई को मुझे बचाने भेज दिया….

में–शमा में कोई देवता नही हूँ….में बस तेरा भाई हूँ…महादेव सब के दुख दूर करते है….सब की फरियाद वो पूरी करते है….बस अब तुम्हारे दुख के दिन ख़तम हुए और खुशी के दिन शुरू हो गये है….

उसके बाद में उसके आँसू पोछ कर उसे अपने सीने से लगा लेता हूँ और नीरा शमा के सिर पर हाथ फेरने लग जाती है….

हम अपनी अपनी सीट्स पर बैठे चुके होते है और वो फ्लाइट हमे उड़ा लेज़ाति है हमारे घर की तरफ….उस घर की तरफ जो अब पूरा होने वाला था.. और शायद घर को भी अपने परिवार के नये सदस्य का इंतजार कब से होगा…..अब फिर से खुशियो के फूल खिलेंगे हमारे उस प्यारे से घर मे….

हम लोग उदयपुर एरपोर्ट पहुँच चुके थे….मैने पार्किंग से अपनी कार निकाली और बढ़ चला घर की तरफ….

लेकिन शायद घर को कुछ और इंतजार करना बाकी था….मैने तुरंत अपनी गाड़ी होटेल रिडिसन की तरफ मोड़ ली और वहाँ एक सूयीट बुक करवा लिया…

में–नीरा में कुछ दिनो के लिए सूरत जा रहा हूँ….तुम दोनो तब तक यही रहना….

नीरा–लेकिन अब तो शमा हमारे साथ है फिर हम घर क्यो नही जा सकते….

में–नीरा जो कुछ भी मुझे पता है वो अधूरा सच है….और इस अधूरे सच के सामने मे घर पर किसी के सवालो का जवाब नही दे पाउन्गा….मुझे पूरा सच जानना ही होगा….बस 2 दिन तुम लोगो को यही रुकना है….मम्मी को में फोन कर के बोल दूँगा कि थोड़ा वक़्त और लग रहा है…….

नीरा–लेकिन मैं शमा को घर मे अपनी फ़्रेंड बोल कर भी रोक सकती हूँ….यहाँ होटेल मे रुकने की क्या ज़रूरत है….

में–शमा किसी झूठ के सहारे उस घर मे दाखिल नही होगी….ये सच के साथ ही पूरे हक़ से उस घर में जाएगी…तुम दोनो यहाँ अपना ख्याल रखना….और नीरा तुम्हे अभी प्रेग्नेंट नही होना है…इसलिए कोई पिल्स ले लेना….अभी तुम्हे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है उसके बाद बच्चो की सोचना…

नीरा–क्या जान आप भी…..ठीक है जैसा आप कहेंगे वैसा हो जाएगा….

काफ़ी देर से चुपचाप बैठी हुई शमा आख़िरकार अपनी चुप्पी तोड़ती है और कहती है….

शमा–जय भैया अगर बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं….

में–हाँ शमा क्या हुआ गुड़िया बोलो क्या बात है….

शमा–कुछ साबित होता है या नही….लेकिन आपने साबित कर दिया है कि भगवान किसी को ज़्यादा दिनो तक दुखी नही देख सकता…..आपको भगवान ने एक फरिश्ते के रूप मे मुझ से मिलवाया है….मुझे मेरा परिवार मिल गया मेरा देवता समान भाई मिल गया मुझे प्यार करने वाली बहन मिल गयी अब मुझे और कुछ नही चाहिए….आप मेरे रहने की व्यवस्था किसी दूसरी जगह करवा दो….मैं अपने सूरज से उजले परिवार पर कालिख नही पोतना चाहती….

नीरा–हम लोगो के प्यार का ऐसा सिला तुम दोगि शमा ऐसा मैने कभी सोचा ही नही था….पूरा परिवार तुम्हारी तरफ आने वाली हर मुसीबत का सामना करने के लिए चट्टान की तरह खड़ा है….तुम अब हमेशा हमारे साथ हे रहोगी….अपने घर में अपने परिवार के साथ….

में–नीरा ठीक कह रही है शमा….में इसीलिए जा रहा हूँ ताकि तुम पर कोई उंगली ना उठा सके…..बस मुझ पर भरोसा रखो और मेरे वापस आने का इंतजार करो….

उसके बाद में वहाँ से निकल जाता हूँ और मम्मी को कॉल करके उन्हे कुछ दिन बाद आने का बोलकर सूरत के लिए निकल जाता हूँ….

सूरत…..भारत का एक ऐसा शहर जो हीरे की तरह हमेशा जगमगाता रहता है….

में अब सूरत पहुँच चुका था और लोगो से पूछ ताछ करता हुआ उस जगह पर पहुँच गया जो अड्रेस दीनू के ड्राइविंग लाइसेन्स के उपर लिखा हुआ था…..

में जीवन की पहेलिया सुलझाते सुलझाते एक और जवाब के दरवाजे पर खड़ा था…

मैने दरवाजे पर दस्तक देना शुरू कर दिया….अंदर से किसी के ख़ासने की आवाज़ आई तो मैने दस्तक देना बंद कर दिया….

एक हल्की आवाज़ आई अंदर से जो दरवाजा खुलने की थी..मेरे सामने एक बूढ़ा आदमी खड़ा था जो बिल्कुल दुबला पतला मरियल सा दिख रहा था…

में–जी मुझे दीनू से मिलना था…..क्या वो यही रहते है….

उस आदमी ने मुझे उपर से नीचे तक देखा और कुछ सोचकर वो बोला कि वही दीनू है….

दीनू–तुम कौन हो बेटा…..आज बरसो बाद किसी ने मेरे दरवाजे पर दस्तक दी है….वरना यहाँ तो कुत्ता भी मूतने नही आता….

मुझे दीनू की ऐसी हालत देख कर उस पर दया आ गयी….और जो गुस्सा मेरे अंदर यहाँ पहुँचने से पहले उबल रहा था वो मेरे दिल की गहराइयो मे समा गया था….

में–मुझे आप से कुछ ज़रूरी बात करनी है….क्या आपके पास बात करने का थोड़ा समय होगा….

दीनू–समय अब कहाँ बचा है बाबूजी….अब तो अंत नज़दीक है मेरा….इसलिए आप जो भी जानना चाहते हो मुझ से पूछ सकते हो….शायद में आपके सवालो का सही जवाब दे सकूँ….

में–आपने काफ़ी सालो पहले एक लड़की को कोठे पर बेचा था….में बस ये जानना चाहता हूँ उस लड़की को किस के कहने पर आप ने उठाया और उसके माँ बाप कौन थे….

दीनू मेरी ये बात सुनकर यादो के समंदर मे गोते लगाने लगा….

दीनू–बाबूजी शायद में इसी दिन के लिए अभी तक ज़िंदा हूँ…..मेरी आत्मा तो उसी दिन मर चुकी थी जिस दिन उस फूल सी बच्ची को मैने उसकी माँ से अलग कर दिया था….मुझे उस बच्ची का चेहरा आज भी याद है…वो चेहरा आज भी मुझ सोने नही देता…. कुछ 19-20 साल पुरानी बात है….

कुछ सालो पहले…..

सुबह के 3.30 बज रहे थे….एक साया तेज़ी से आगे बढ़ता हुआ हॉस्पिटल में घुस गया था…शायड वो यहाँ किसी की तलाश में आया था….उसके हाथो म एक तस्वीर थी किसी औरत की उसे पता चला था कि उसका शिकार हॉस्पिटल में अड्मिट है…वो आदमी तेज़ी से अपने कदमो से आगे बढ़ता हुआ….और एक जगह पर पहुँच कर रुक जाता है.

वहाँ बने ओप्रेशन थियेटर के बाहर एक परिवार बैठा था….जो बार बार डॉक्टर से संध्या के बारे मे पूछ रहा था….

उस साए ने अपना मोबाइल निकाल कर एक फोन लगाया और सामने से आने वाली आवाज़ प्रधान की थी….

प्रधान–क्या हुआ दीनू तूने इस समय मुझे फोन क्यो किया है….?क्या काम हो गया है जो तुझे दिया गया था…??

दीनू–साहब जिसके लिए आपने सुपारी दी थी उसे इस समय मारना मुश्किल है….वो अभी हॉस्पिटल मे है और शायद उसे बच्चा होने वाला है….

प्रधान–ये तो अच्छी बात है तू एक काम कर उसे छोड़ और उसके बच्चे को मार दे….उस रंडी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया मेरा उसकी खुशिया छीन ले…. उस बच्चे को मारना है अब तुझे.

दीनू–साहब उस बच्चे से आपकी कौनसी दुश्मनी है….जिसने अभी अपनी माँ के पेट से बाहर आकर सुकून की साँस भी नही ली हो उसे कोई कैसे मार सकता है….

प्रधान–अपना ज़्यादा दिमाग़ मत चला….और तुझे जो काम करने को बोला है वो कर…वरना तेरे काम का पैसा तो देना दूर की बात है..में तेरे हाथ पाव तुडवा आर तुझे भीख ना माँगने पर मजबूर कर दूं तो नाम बदल देना मेरा…

दीनू–ठीक है साहब में आपका काम करने के बाद आपको फोन करता हूँ….

उसके बाद फोन काटने के बाद दीनू फुर्ती से वहाँ बने एक रूम मे घुस जाता है….और उस रूम के उपर बने रोशनदान मे से ओप्रेशन थियेटर मे झाकने लग जाता है….वहाँ 1 नर्स और दो डॉक्टर संध्या के चारो तरफ खड़े थे…संध्या अपनी टांगे फैलाए ज़ोर ज़ोर से चीखे जा रही थी….और डॉक्टर उसे और ज़ोर लगाने को कह रहे थे….कुछ ही देर बाद संध्या ने एक बच्चे को जन्म दिया और वो दोनो डॉक्टर्स उस नर्स से बच्चे को सॉफ करने को और कुछ देर मे वापस आने का बोल कर बाहर निकल गये…

नर्स के अंदर जाते ही….दीनू भी फुर्ती के साथ रोशनदान मे से छलाँग लगाकर उस ओप्रेशन थियेटर मे कूद जाता है….

वहाँ संध्या अभी भी उसी अवस्था में बेहोश पड़ी थी अपनी टांगे चौड़ी करे हुए….संध्या की तरफ से अपना ध्यान हटाकर दीनू तेज़ी से नर्स की तरफ बढ़ जाता है….

नर्स उसे देखकर शोर मचा पाती उस से पहले ही दीनू के एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने उस नर्स को बेहोशी की दुनिया मे पहुँचा दिया….

उस बच्चे को दीनू अपनी गोद में उठाकर फुर्ती से जिस रास्ते से यहाँ आया था उसी रास्ते से निकल जाता है….और हॉस्पिटेल से बाहर निकल कर फिर से एक फोन मिला देता है….

दीनू–साहब संध्या ने एक लड़की को जन्म दिया है….आप एक बार फिर से सोच लीजिए इस मासूम की जान लेने से किसी को कुछ नही मिलेगा….

प्रधान–गुस्से मे….मदर्चोद साले बेवड़े जितना कहा है वो कर….उस कुतिया की बच्ची को ख़तम कर वरना तू जहाँ भी होगा तुझे ढूँढ कर मारूँगा…

दीनू–ठीक है साहब आप नाराज़ मत होइए….में अपना काम ख़तम करने के बाद आपसे वापस मिलता हूँ…

एक नयी कहानी जन्म ले चुकी थी….अगर शमा ही मेरी सग़ी बहन हा तो अब तक मुझ से क्यो छुपाया गया….क्यो किसी ने भी शमा को ढूँढने की कोशिश नही करी…..मम्मी तो मुझे सब कुछ बता चुकी है फिर क्यो वो मुझ से ये बात छिपा गयी….इस कहानी के साथ एक और पहेली जन्म ले चुकी थी….और जिसका भी राज़ मुझे जल्दी ही खोलना होगा….

में–उसके बाद क्या हुआ….क्या किया तुमने उस लड़की का….

दीनू–में उस लड़की को मार तो नही सका लेकिन मुझे कुछ तो ऐसा करना ही था जिस से उसका पता कभी ना चले….

मैने उसे कामली बाई के कोठे पर बेच दिया….अगर सड़क पर छोड़ देता तो उसे भूखे जानवर नोच नोच कर खा जाते….और अगर वो कामली के कोठे पर रहती तो जवान होने तक उस पर कोई आँख भी नही उठा सकता था….यही सोच कर मैने उसे कोठे पर बेच दिया….लेकिन मुझे उसका एक रुपया भी नही मिला उल्टा मुझे मार पीट कर वहाँ से भगा अलग दिया….

में–प्रधान के बारे मे क्या जानते हो तुम….कहाँ रहता है कैसा दिखता है….कोई ठिकाना जहाँ वो मुझे मिल सके….

दीनू–बाबूजी…. में प्रधान से कभी मिला नही ना ही उसके बारे मे कुछ ज़्यादा जानता हूँ….मेरे पास एक दिन फोन आया था किसी की सुपारी लेने के लिए और उसके बाद प्रधान से बात हुई थी मेरी….10000 रुपये प्रधान ने किसी के हाथो भिजवाए थे इसलिए मुझे उसका चेहरा भी नही पता….

में–उसका भी में पता कर लूँगा….

दीनू–साहब आप कौन है….क्या आप उस बच्ची को जानते है….

में–वो मेरी छोटी बहन है….और जिसने भी ये सब करवाया है उसको मैं उसकी कब्र से भी खींच के बाहर निकाल लूँगा….

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