उधर मम्मी भी अपने रूम में चली गयी थी….और उनके पीछे पीछे रूही भी अंदर आ गई थी….
रूही ने मम्मी को पिछे से हग कर लिया था और अपने दोनो हाथ उनके बड़े बड़े बूब्स पर रख कर मसलने लगती है….
मम्मी–रूही क्या हुआ आज तू बड़े मूड में लग रही है…
रूही अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मम्मी की चूत सारी के उपर से ही भींच देती है दूसरे हाथ उनके ब्लाउस में डालकर उनका बूब मसल्ने लग जाती है….
रूही–आप की याद मुझे बहुत आई…मन कर रहा है अभी आपके सामने अपने सारे कपड़े उतार कर आपसे मेरी चूत चुस्वा….
मम्मी–चल अब मुझे छोड़ जो करना हो वो रात को कर लेना…मुझे एक बात बता तुम तो कल शाम को आने वाले थे फिर इतनी रात को कैसे आए वहाँ से….
रूही–में अपने और आपके लिए किसी चीज़ का बंदोबस्त कर रही थी हमेशा के लिए….
रात को जब में जय के रूम में गयी उसे देखने के लिए और फिर मेरा मन नही माना तो मैने उसके होंठो पर किस करदी….जब मैने उसे किस किया तब उसमें से शराब की काफ़ी ज़्यादा स्मेल आरहि थी….मैने इस मोके का फ़ायदा उठा कर जय का लंड भी चूसा और उसका पानी भी पिया….
अब जल्दी ही हम दोनो की चूत में उसका लंड होगा….आपने तो कभी मेरी चूत में उंगली भी नही डाली….लेकिन कल जय का लंड देख कर,मेरी चूत उसका लन्द लेने को तड़प रही है….
हरिद्वार में जब हम निकलने वाले थे तब मुझे पता पड़ा था कि वहाँ कोई बड़ा तांत्रिक आया हुआ है…मैने जब उन्हे अपनी परेशानी बताई तब उन्होने एक दवाई मुझे जय के खाने मिलाने के लिए दे दी थी….जिस की वजह से जल्दी ही हम दोनो की चूत की आग ठंडी हो सकेगी…..
तड़ाक्ककक……एक ज़ोर दार थप्पड़ से रूही का पूरा वजूद झन्झना उठता है….
मम्मी–तेरी हिम्मत कैसे हुई जय को कुछ भी ऐसा वेसा खिला देने की….कहाँ है वो दवाई लेकर आ मेरे पास उसे….
रूही ने अपनी ब्रा के अंदर छुपि हुई एक पूडिया निकाल कर दे दी….और अपने गालो को मसल्ते हुए कहने लगी….
रूही–में जानती हूँ आप मुझे जय से सुख लेने नही दोगि और ना ही खुद लोगि….लेकिन में उसे अपना बना कर ही रहूंगी….
मम्मी–तू शायद जानती नही है तेरे जाने के बाद यहाँ क्या क्या हंगामा हुआ है…
और मम्मी रूही को नीरा से लेकर चाची तक की सारी बाते बताती चली जाती है….
रूही को जब ये सारी बाते पता चलती है तो उसको रुलाई फूट पड़ती है…वो मम्मी के पैरों में बैठकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है….
लेकिन मम्मी की आँखो में बस रूही के लिए नफ़रत ही थी….
रूही–मम्मी मुझे माफ़ कर दो….अगर मुझे ऐसा पता होता कि मेरे जाने के बाद यहाँ इतने तूफान आगये है….तो में कभी भी ऐसी हरकत नही करती….
मम्मी–तेरी ये ग़लती जय को पागलपन के अंधेरे में धकेल देती….तूने देखा नही था उसका वो रूप अगर देख लेती तो वही बेहोश हो जाती…मैने नीरा और जय की शादी के लिए हाँ इस लिए करी क्योकि नीरा उसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती है….उसे जय के जिस्म का लालच नही है….
रूही–मगर में भी जय से प्यार करती हूँ….में भी उसके लिए जान दे सकती हूँ….और रही बात हवस की तो ये तोहफा आपने ही मुझे बचपन में दे दिया था…..में जय के बिना ज़िंदा नही रह सकती….
मम्मी को भी अब शायद अपनी ग़लतियो का एहसास होने लगा था….कैसे उसने खुद के स्वार्थ के लिए उस मासूम को हवस के गहरे दल दल में धकेल दे दिया था..
मम्मी रूही को उठाते हुए…
मम्मी–रूही जो हुआ वो ग़लत था लेकिन उसके बाद तू जो कर रही थी ये उस से भी ज़्यादा ग़लत है….अगर तू जय से प्यार करती है तो उसका दिल जीत….उसका प्यार जीत….तभी तू उसे पा सकती है….लेकिन इस तरह टोने टॉट्को से तू उसका शरीर तो पा लेगी लेकिन कभी उसका प्यार नही पा पाएगी….
बोल मुझे तुझे क्या चाहिए अगर तुझे जय का शरीर चाहिए तो मेरे बोलने भर से वो तेरे साथ वो सब कुछ कर लेगा जो तू चाहती है….लेकिन अगर तुझे उसका प्यार चाहिए तो ये काम तुझे खुद करना पड़ेगा….
अब अपने आँसू पोछ और जो तूने किया है उसके बारे में सोच…..और सोच जय का प्यार तू कैसे पा सकती है….
उसके बाद मम्मी रूही को रूम के अंदर छोड़ कर बाहर निकल जाती है…
और अंदर रूम में रूही बेतहाशा रोए जा रही थी…..बस रोए जा रही थी….
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अब सब कुछ बदल गया था…मेरा हर रिश्ता बदल गया था….जिस बहन से में अपनी जान से ज़्यादा प्यार करता था वो अब मुझे पति के रूप में देखने लगी थी….चाची के साथ जो मैने किया…..उस वजह से एक रिश्ता और बदल गया….चाची की कोख में अपना बीज रोपीत कर चुका था….कुछ रिश्ते अभी और बदलने वाले थे….लेकिन रिश्ते बदलते बदलते कहीं में तो नही बदल जाउन्गा….कहीं में उस प्यार को तो नही भूल जाउन्गा जो मुझे मेरे संस्कारों में मिले ….ये क्या बेचैनी छा गयी है मेरे जीवन में….कैसे ख़तम होगा ये अध्याय….कौन निभाएगा मेरा साथ….क्या बस यही लिखा है मेरे जीवन में…..
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मम्मी–जय उठ जा रात होने वाली है कब तक सोता रहेगा ऐसे ही….
में–मम्मी पढ़ते पढ़ते मुझे कब नींद आ गयी कुछ पता ही नही चला ….
मम्मी–चल हाथ मुँह धो ले….और जल्दी से खाना खाने आजा…
उसके बाद तेरे चाचा चाची भी थोड़ी देर में जाने वाले है….
में– मम्मी में खाना उनके जाने के बाद खा लूँगा अभी कुछ खाने का मन नही है….
मम्मी–ठीक है तेरा जब मन करे तब खा लेना…लेकिन फ्रेश होकर बाहर तो आजा तेरे चाचा कब से तेरा वेट कर रहे है…
में–ठीक है मम्मी में थोड़ी देर में आता हूँ…
उसके बाद में हाथ मुँह धोकर बाहर चाचा के साथ सोफे पर बैठ जाता हूँ…
में–चाचा हो गया आपका काम….ले लिए खाद और बीज…
चाचा–हाँ बेटा यहाँ अच्छी किस्म के बीज मिल्गये….और अगर इस बार बारिश अच्छी हुई तो फसल भी देखने लायक होगी…
उसके बाद चाचा अपने बेग में से 10 लाख रुपये निकाल कर मेरे हाथ मे रख देते है…
में चाचा जी ये पैसे किस लिए…
बेटा ये वैसे तो तेरे पापा की अमानत थी लेकिन अब ये तेरी है….में अपने हिस्से की खेती के साथ साथ तेरे पापा वाले हिस्से में भी खेती करता था….ये उसी खेती के हिस्से के पैसे है जो में जमा करता रहता था….पहले कभी उस बात पर ध्यान नही दिया मैने लेकिन जब में यहाँ आरहा था तब मुझे अहसास हुआ कि मुझे तेरे पापा के हिस्से वाले पैसे भी देने चाहिए….
में–चाचा जी ये पैसे में नही रख सकता…ये आपकी मेहनत का फल है अगर आप उस ज़मीन पर मेहनत नही करते तो वो बंज़र पड़ी रहती….इसलिए इसे आप ही रखिए…
चाचा–बेटा हिस्से का धन चाहे मेहनत का हो या ज़मीन का वो हिस्सा ही रहता है….अगर तू ये पैसे मुझ से नही लेगा तो में हमेशा तुम्हारा कर्ज़दार ही बना रहूँगा….इसलिए तू ये पैसे रख ले….
उसके बाद चाचा ज़बरदस्ती वो दस लाख रुपये मेरे हाथो में रख देते है….
में मम्मी को आवाज़ लगाकर अपने पास बुलाता हूँ और उनसे ये कहता हूँ…
में–मम्मी ये पैसे कल कोमल और दीक्षा दीदी का बॅंक में खाता खुलवाकर एफडी करवा देना और अपनी तरफ से भी 5-5 लाख रुपये मिला देना….
मम्मी–मुस्कुरा कर….मुझे तुझ से यही उम्मीद थी बेटा अपने परिवार का ध्यान अब तुझे ही रखना है और तूने पहला फ़ैसला ही बिल्कुल सही लिया है में कल तुम लोगो के स्कूल कॉलेज से आने के बाद इन्हे बॅंक ले जाउन्गि….
चाचा–जय है तो तू भी तेरे पापा की तरह जिद्दी का जिद्दी….अच्छा मेरा एक काम करेगा जहाँ से में ये बीज लेकर आया था उनके लड़के की परसो शादी है….मैने जब उन्हे बताया कि में किशोर भाई साब का छोटा भाई हूँ तो उन्होने ज़िद्द करते हुए अपने बेटे की शादी का कार्ड थमा दिया अब में तो वहाँ जा पाउन्गा नही इसलिए एक बार वहाँ जाकर उन्हे शादी का तोफ़ा ज़रूर दे आना…
में–ठीक है चाचा जी में चला जाउन्गा…
चाचा–बेटा वो कार्ड मैने तेरी मम्मी को दे दिया है तू वहाँ जाना भूल मत जाना क्योकि ये बुलावा मुझे नही है बल्कि तेरे पापा के सम्मान को था इसलिए अपने पापा के मान के लिए तू वहाँ ज़रूर चले जाना….
में–ठीक है चाचा जी में चला जाउन्गा आप चिंता ना करे…
उसके बाद चाचा और चाची अपना समान लेकर और हम सभी बच्चो को अपने गले से लगाकर विदा लेते है….
उसके बाद में भी अपनी बाइक उठा कर बाहर निकल जाता हूँ…मुझे डॉक्टर के यहाँ से वो डीयेने रिपोर्ट्स लेनी थी…जो कि में सुबह लेना भूल गया था…..
में हॉस्पिटल पहुँच गया था डॉक्टर आलोक अभी किसी मरीज को देखने में व्यस्त थे तब तक में बाहर ही वेट करने लग गया था….
में अपने आस पास दीवारो पर टॅंगी पंटिंग्स देख रहा था….तभी मेरी नज़र एक फॅमिली ट्री पर बनी हुई पैंटिंग पर पड़ी….
उसमे ट्री की रूट्स को पुरखो के रूप में दर्शाया गया था….और तने को फादर के रूप में….उस ट्री की ब्रॅंचस सन्स के रूप में थी और उन ब्रॅंचस में से छोटी छोटी ब्रॅंचस और निकल रही थी जो सन्स के सन्स की थी…..
तभी एक चपरासी मेरे पास आजाता है और कहता है….
चपरासी–डॉक्टर साहब आपको बुला रहे है….अब आप उनसे मिल सकते है….
में–ठीक है काफ़ी जल्दी फ्री हो गये…में आता हूँ…
इतना कह कर में अपनी जगह से उठ गया और डॉक्टर आलोक के कॅबिन की तरफ़ बढ़ गया….
डॉक्टर–आओ जय….लगता है तुम सुबह आना भूल गये थे….कोई बात नही….ये रिपोर्ट्स रेडी है तुम इन्हे ले जा सकते हो….
में–सर मुझे आप से एक सवाल पूछना है…मैने जो आपको डीयेने सम्पेल्स दिए थे वो एक पिता के एक बेटे के और दो बहनों के थे जो कि आपस में मिल रहे थे….लेकिन में एक बेटे के सम्पेल्स देना भूल गया क्या वो ज़रूरी है….
डॉक्टर–अगर कोई ऐसी वेसी प्रॉब्लम. नही है तब तक तो ठीक है लेकिन अगर उस बेटे का डीयेने भी मिल जाता तो अच्छा होता….वैसे तुम कहना क्या चाहते हो सॉफ सॉफ कहो….
ये बात सुनकर नीरा मुस्कुरा देती है….और मेरे गालो पर किस करके वहाँ से चली जाती है….
नीरा का मेरे प्रति प्यार लगातार बढ़ता ही जा रहा था….वो मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करने लग गयी थी……
में बाहर हॉल में आकर बैठ गया था वहाँ दीक्षा भी बैठी हुई थी और टीवी देख रही थी….
में–दीदी कल कॉलेज का आपका पहला दिन है आइ थिंक आपने अपनी सारी तैयारी पूरी कर ली होगी…
दीक्षा–हाँ जय भैया.,,,तैयारी तो लगभग पूरी हो गयी है….बस अब तो वहाँ जाने का वेट कर रही हूँ….
में–में आपसे एक बात कहना चाहता…..कॉलेज में और स्कूल लाइफ में काफ़ी अंतर होता है….इसलिए अपने दोस्त हमेशा चुन कर बनाना….
दीक्षा–भैया में ये बात जानती हूँ…आप चिंता मत करे…
इतनी देर में मम्मी मेरे लिए खाना लेकर आ गयी थी….और में वही बैठ कर खाना खाने लगता हूँ…….
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अगले दिन सुबह….रूही की आवाज़ मुझे नींद से जगा रही थी….आज कॉलेज जो जाना था…
में नीरा और कोमल एक बाइक पर थे और रूही और दीक्षा अपनी अक्तिवा पर…
रूही और दीक्षा को मैने कॉलेज जाने का बोल दिया था और कोमल और नीरा को उनके स्कूल छोड़कर उस स्कूल के प्रिन्सिपल से भी मिलना था….
वहाँ के प्रिन्सिपल से मिलकर में जल्दी ही कॉलेज भी पहुँच गया….वहाँ कुछ लेक्चर मैने अटेंड किए और कॅंटीन में आकर बैठ गया…..
कॅंटीन में उस दिन हुई घटना के बाद काफ़ी लोग मुझे जानने लग गये थे…इस लिए वहाँ पहुँचते ही कुछ लड़के लड़कियाँ मेरे पास आकर बैठ गये और पापा की डॅत का अफ़सोस जताने लग गये….उसके बाद बाकी सब चले गये और बस 2 लड़के और एक लड़की मेरे साथ ही बैठे रहे…एक लड़के का नाम अरमान था दूसरे का जॉनी….और जो लड़की थी उसका नाम मीना….
अरमान–जय भाई उस दिन जो कुछ भी हुआ उसके बाद पूरा कॉलेज आपका फॅन हो गया है…..
मीना–आपने उस दिन अच्छा सबक सिखाया था उन सब लड़को को….आपकी वजह से ही यहाँ रेजिंग बंद हो सकी है…
में–मैने ऐसा कुछ भी नही किया बस जो कुछ भी किया वो एक सेल्फ़ डिफेन्स में मुझ से हो गया…
मीना–क्या हम लोग आपके दोस्त बन सकते है….वो आक्च्युयली में हम तीनो ही इस शहर से नही है इस लिए यहाँ किसी को ज़्यादा जानते भी नही है…..
में–अरे ये भी कोई पूछने की बात हुई…वैसे भी मेरा इस कॉलेज में कोई दोस्त नही है….
अरमान–तो फिर आज के कॉफी और समोसे मेरी तरफ से….
में–हाँ….हाँ…क्यो नही मुझे तो कब से भूख लग रही थी….इसी बहाने समोसे की पार्टी भी हो जाएगी….
उसी समय रूही और दीक्षा भी वहाँ आ गये….अब वो तीनो मेरे दोस्त बन चुके थे इसलिए मैने उनसे कुछ ना छुपाते हुए रूही और दीक्षा का इंट्रो उन्हे दे दिया…..
मीना–मुझे तो लग रहा था में अकेली पड़ जाउन्गि इस गॅंग में…..अब तो बराबर की टक्कर हो गयी है….हम भी तीन और तुम लोग भी तीन….
और उसके बाद इसी तरह हँसते मुस्कुराते मेरे कॉलेज का दूसरा दिन ख़तम हो गया था….बड़ा अच्छा लग रहा था….नये दोस्त बना कर….इतने दिनो से लाइफ की गाड़ी जैसे रुक ही गयी थी वो फिर से चल पड़ी अपनी पूरी रफ़्तार से….
हम लोग वापस घर के लिए निकल चुके थे नीरा और कोमल का भी स्कूल अब छूटने ही वाला था….इसलिए में स्कूल के दरवाजे के बाहर ही उन दोनो का वेट करने लग गया…..दीक्षा और रूही को कुछ शॉपिंग करनी थी इसलिए वो सीधा मार्केट चली गयी….
तभी मुझे नीरा और कोमल भी आते हुए दिखाई देगयि….नीरा मेरे पीछे वाली सीट पर मुझ से चिपक कर बैठ गयी और कोमल नीरा के पीछे…नीरा बार बार मेरे पेट पर गुदगुदी करती जा रही थी….साथ ही साथ अपने बूब्स भी मेरी पीठ पर रगडे जा रही थी….जबकि कोमल लगातार स्कूल के पहले दिन क्या क्या हुआ ये बताती जाने लगी….
हम लोग अब घर पहुँच गये थे.
![अपनों का प्यार या रिश्तों पर कलंक [ ड्रामा + सस्पेंस ] - Pariwarik Chudai Ki Kahani](https://desikahani4u.com/wp-content/uploads/2023/03/अपनों-का-प्यार-या-रिश्तों-पर-कलंक-ड्रामा-सस्पेंस-Pariwarik-Chudai-Ki-Kahani.png)