साधु ने अब एक हवन कुंड बना कर उसमें आग जला दी थी उस हवन कुंड के आस पास दो साधु और बैठ गये थे….साधु ने मुझे अपने पास बैठने को कहा …और कुछ चावल के दाने देकर उसे उस हवन में डालने को कहा…में बिल्कुल साधु के कहे अनुसार ही कर रहा था…
साधु–सब से पहले तो ये बात जान ले तेरा जन्म जिसे तू तेरा भाई बोलता है उसके बीज से नही हुआ है….
वो फिर से मेरे हाथ में कुछ चावल के दाने देते है और मेरे उंगली में एक हल्का सा कट लगाकर उस में से निकला खून उन चावलो पर मसल देते है…और मुझे वो उस हवन कुंड में डालने को कहते है..में उनके कहे अनुसार वो रक्तरंजित चावल के दाने उस हवन में डाल देता हूँ…
साधु–मुस्कुराते हुए….ले एक खुश खबरी और सुन…जिसे तू अपना बाप बोलता है तू उसी की संतान है….
में–बाबा ये कैसे हो सकता है….मेरी माँ ने मुझे खुद ही बताया था में किसका खून हूँ.
साधु–तेरी माँ ने बिल्कुल ठीक बताया था…लेकिन महादेव की लीला को कोई समझ नही सकता ….अगर तुझे मेरी बात पर यकीन नही है तो तू वापस जब घर जाए तो तेरी माँ से पुकछना…कि जब तेरा बाप घर से कुछ दिनो के लिए बाहर गया था तब उसने संभोग कब और कितनी बार तक किया था …
में बाबा की इन बातो से एक बार फिर से सवालो में उलझ चुका था…जब बाबा ने मुझे कुछ सोचते हुए देखा…तब वो मुझे बोले…
साधु–ये चिलम ले और इसके दो दम और मार ले…अभी सोचने का सही वक़्त नही है…तेरी एक परेशानी का इलाज तो मैने कर दिया है…अगर तुझे मेरी बातो पर यकीन नही आता तो….वो क्या कहते है अँग्रेज़ी में….हाँ वो डी एन ए वाला टेस्ट करवा लेना तेरे सारे सवाल वही ख़तम हो जाएँगे…
अब तेरी दूसरी परेशानी का इलाज करते है…
साधु–तू कौन है….?
में–बाबा में इंसान हूँ…
साधु–तुझे इंसान किसने बनाया….??
में–बाबा भगवान ने बनाया…
साधु–ग़लत….भगवान ने सिर्फ़ जानवर बनाया …भगवान ने अलग अलग प्रकार के जानवर जोड़ो के रूप में बनाए नर और मादा…..तेरे और मेरे पूर्वज भी एक जानवर ही थे…जब हमारे पूर्वाजो ने अपना दिमाग़ विकसित करना शुरू किया…उसके बाद ही उन्होने अपने लिए हथियार बनाए…दूसरे जानवरो का शिकार करना शुरू किया…अपने दिमाग़ के विकसित होने पर उसने खुद से ज़्यादा शक्ति शालि जानवारो का शिकार शुरू कर दिया…लेकिन रहते तब भी वो जानवरो की तरह से थे..उनका बस यही रोज का काम था शिकार करना ….अपना पेट भरना और बच्चे पैदा करना…उस समय जब एक मादा परिपक्व हो जाती थी तो वहाँ ये सवाल नही होता था कि ये बेटी है या माँ है या बहन है…वो बस नर और मादा के रूप में ही रहा करते थे…धीरे धीरे उन्होने अपने अपने कबीले बनाए…उसके बाद वो सभी सुरक्षा के कारण अलग अलग परिवारो के रूप में अलग हो गये…उसके बाद धर्म बना…समाज बना…खुद को अलग अलग वर्गो में बाँट लिया उस जानवर ने अपने आप को…लेकिन ये सब कुछ होने से पहले वो बस एक नर और एक मादा ही थे….
साधु–इंसान को किसने बनाया….?
में–बाबा इंसान को किसी ने नही बनाया उस जानवर ने ही खुद को इंसान रूपी कपड़ो के आवरण से ढक लिया……
साधु–तुमने बिल्कुल ठीक कहा …सारे रिश्ते नाते,सारे धर्म बस सांसारिक है असली रिश्ता और असली धर्म प्रेम ही है…अब वो तुम पर निर्भर करता है तुम उस प्रेम को कौनसी संगया देते हो…
में–बाबा…जब में घर से निकला था तब में मर जाना चाहता था…लेकिन महादेव ने मुझे आप से मिलवा दिया…और मेरी सभी समस्याओ को सुलझा दिया…
साधु–तेरे जीवन में कठिनाइया अभी ख़तम नही हुई है….जैसे जैसे तू अपनी राह पर चलता जाएगा वैसे वैसे कठिनाइया भी तेरे साथ बढ़ती चली जाएँगी….लेकिन जब तू इन कठिनाइयो को पार कर लेगा उसके बाद तेरा जीवन सुख और प्रेम से भरपूर होगा…
में–बाबा में इन सभी कठिनाइयो को पार करके ही दम लूँगा…
.–चल तुझे में तेरे जीवन से जुड़ी एक बात और बता देता हूँ….तेरी कठिनाइयाँ उसके मिलने के बाद ही ख़तम होंगी…
में–किसके मिलने के बाद बाबा….
साधु–तेरी तीन बहनें और भी है…तेरी 2 बहने तेरी माँ के गर्भ से निकली है…और तेरी 2 बहने तेरी चाची के गर्भ से…लेकिन तेरी एक बहन और भी है…वो बिचारी बेहद दुख पूर्ण वातावर्ण में रह रही है…वो हर रोज महादेव की उपासना करती है उस नरक से निकालने के लिए जहाँ वो रहती है….में तुझे ये तो नही बताउन्गा कि वो कहाँ है लेकिन तू उसे देख चुका है…और मुझे पता है तू उसे ढूँढ भी लेगा….जिस पल वो तेरे जीवन में आ जाएगी उसी पल से तेरे दिन फिर जाएँगे सारे दुख तकलीफे खुशी और प्यार में बदल जाएँगी…
में–बाबा मुझे कैसे पता चलेगा जो चाची की संताने है वो मेरी ही बहने है….
साधु–जिसने उन्हे जन्म दिया है जब तू उस से पुछेगा वो सारे सच बता देगी….तुझे बस अपनी खो चुकी बहन को ढूँढना है इसे तू अपने जीवन का लक्ष्य समझ ले….
ये ले चिलम और एक जोरदार दम लगा….
में वो चिलम लेकर दम लगाता हूँ दम लगाने के बाद में जैसे ही अपनी आँखे खोलता हूँ…
मुझे वहाँ कोई नज़र नही आता सिवाए उस मंदिर के पुजारी के जो मुझे देखे ही जेया रहा था…मेरा दिमाग़ फिर से चलने लगा था ….किसी भी तरह का नशा मेरे दिमाग़ में अब नही था कुछ पल पहले जहाँ में नशे में मस्त हो रखा था वो अब बिल्कुल गायब हो चुका था…
तभी वो पुजारी मेरे पास आया और उसने मुझसे पूछा…
पुजारी–क्या हुआ बेटा तुम इस तरह ज़मीन पर क्यो बैठे हो और इतनी देर से किससे बाते कर रहे थे…
में–पुजारी जी मेरे साथ में एक साधु बाबा बैठे थे और उनके साथ कुछ साधु और थे..उन्होने मुझे चिलम दी दम लगाने के लिए लेकिन जैसे ही मैने दम भरने के बाद आँखे खोली वहाँ कोई नही था…वो चिलम भी मेरे हाथ में नही थी…बस ये कट ज़रूर लगा हुआ है मेरी उंगली पर जो उन्ही बाबा ने लगाया था मेरा खून लेने के लिए….
पुजारी–बेटा जो भी तुमने देखा वो सच है…ये मंदिर ऐसे ही चमत्कारो के लिए जाना जाता है…अब में मंदिर के पट खोलने वाला हूँ तुम महादेव से आशीर्वाद लेने के बाद ही वापस जाना…….
में वहाँ महादेव के मंदिर में काफ़ी देर रहा मैने महादेव का आशीर्वाद स्वरूप प्रसाद लिया….और फिर से घर की तरफ निकल गया….
घर पहुँचते ही देखा नीरा अपना बेग लेकर घर से बाहर जा रही थी और मम्मी उसे रोकने की कोशिश कर रही थी…मेरी कार देखते ही जो जहाँ खड़ा था वो वही खड़ा रह गया….में कार से उतर कर सीधा मम्मी के पास गया और उन्हे महादेव का प्रसाद सब को बाटने की बोलने के बाद में नीरा की तरफ़ मूड गया…
में–ये बेग लेकर कहाँ जा रही है तू…
नीरा–मुझे लगा आप मेरी वजह से घर छोड़कर चले गये हो…इसलिए में भी यहाँ नही रहना चाहती थी….
में उसका बेग वापस उठाता हूँ और उस से बिना कुछ कहे घर के अंदर जाने लगता हूँ…वो भी मेरे पीछे पीछे घर के अंदर आजाती है..
में–कोई कहीं नही जाएगा इस घर को छोड़ कर…ना में कही जाउन्गा और ना तू….
मम्मी–बेटा मुझे माफ़ कर दे….
वही कौने में दीक्षा और कोमल सूबक रही थी…मैने उन दोनो को अपने पास बुलाया और अपने गले से लगा लिया…
में–मम्मी से….मुझे आप से 2 मिनट. बात करनी है अकेले में….
मम्मी–ठीक है बेटा मेरे रूम में चल वही बात करते है ….जो भी तेरे मन में सवाल है वो तू मुझ से पूछ सकता है….
उसके बाद में और मम्मी रूम के अंदर चले जाते है और वो बेड पर बैठ कर रोने लग जाती है..
में–मम्मी में आपसे नाराज़ नही हूँ…इसलिए आप रोना बंद करो…और जो में पूछना चाहता हूँ उसका सही सही जवाब आप याद करके दो…
मम्मी ने अपने आँसू पोछ लिए…बोल जय क्या पूछना है…
में–जब आपको पता चला कि में आपकी कोख में आ चुका हूँ…तब आपने ये जानने की कोशिश नही करी कि आपकी कोख में पलने वाला बच्चा किसका है…
मम्मी–मैने ऐसा कुछ नही सोचा…और जो उस समय हुआ था में उस से काफ़ी घबरा गयी थी…
में–जब पापा बाहर गये थे कुछ दिनो के लिए….तब आप लोगो के बीच में कुछ हुआ था क्या…???
मम्मी–हाँ मुझे अच्छे से याद है जब तेरे पापा टूर पर गये थे हम लोग पूरी रात वो सब करते रहे थे…
में–तब आपने कोई प्रोटेक्षन लिया था क्या…
मम्मी–नही बेटा मैने ऐसा कुछ नही किया था और उसके अगले ही दिन राज के साथ वो घटना हो गयी थी….
ये बात सुनकर मैने चैन की साँस ली.
में–मम्मी एक बात बताओ जिस तरह से आपने हम सभी के पहली बार सिर मुंडवाने के टाइम पर जो बाल उतारे वो आपने आज भी संभाल कर रख रखे है….क्या वैसे ही पापा के बाल भी संभाले हुए है….
( दोस्तो राजस्थान में बच्चो के मुंडन होने के बाद उनके बाल संभाल कर रखे जाते है यहाँ तक कि जब बच्चा पैदा होता है और बच्चे और माँ को जोड़े रखने वाली नाल को भी संभाल कर रखा जाता है…यहाँ बालो को और गर्भ नाल को काफ़ी मान देते है…बाकी राज्यो में ऐसा कोई रिवाज है या नही इसका मुझे पता नही है …लेकिन राजस्थान में ये हर घर में होता है…)
मम्मी–हाँ संभाले हुए तो होंगे लेकिन यहाँ नही है…वो बाल सिर्फ़ माँ बाप के पास ही रहते है…लेकिन तू ये सब कुछ क्यो पूछ रहा है…
में–इसका मतलब वो बाल आज भी गाँव में संभाल कर रखे हुए होंगे…
में तुरंत चाचा को फोन लगा देता हूँ…
चाचा–हाँ जय बेटा कैसे हो…
में–चाचा में ठीक हूँ लेकिन इस समय मैने आपसे एक बात पूछने के लिए फोन किया है…
चाचा–हाँ बेटा बोल क्या बात है…
में–चाचा पापा के मुंडन के समय के बाल क्या आज भी संभाल कर रखे हुए है…
चाचा–हाँ बेटा माँ बताया करती थी कि तेरे पापा के बाल उस समय काफ़ी लंबे हो गये थे…बिल्कुल किसी लड़की के बालो की तरह…माँ ने वो संभाल कर रख रखे है…वो बाल आज भी उनकी अलमारी में एक डिब्बे के अंदर पड़े है…लेकिन तुझे उन बालो से एक दम से कैसे काम आ गया…
में–चाचा बस आप इस वक़्त कुछ मत पूछो क्या में दीक्षा दीदी को अपने साथ गाँव ले जा सकता हूँ वो बाल यहाँ ले आने के लिए…
चाचा–इसमें पूछना क्या है…वो भी तेरा ही घर है तू वहाँ से जो चाहे ले आ…
में उसके बाद चाचा से विदा लेता हूँ और फोन काट कर एक ठंडी साँस लेता हूँ……..
में अब काफ़ी राहत महसूस कर रहा था…खुद को बिल्कुल तरो ताज़ा महसूस करने लगा था चाचा से बात करने के बाद…
मम्मी–जय आख़िर तू करना क्या चाहता है मेरी समझ में कुछ नही आ रहा है…क्या करेगा. तू तेरे पापा के बालो का…
में–मम्मी ये सब में अभी नही बता सकता,लेकिन जब में गाँव से आउ तो मुझे दीक्षा के और कोमल के कुछ बाल चाहिए होंगे…और इस बारे में आप किसी से कोई बात नही करोगी…
मम्मी–ठीक है बेटा जैसा तू चाहेगा वो हो जाएगा…
उसके बाद हम दोनो रूम से बाहर निकल जाते है…रूम के बाहर ही नीरा दीक्षा और कोमल दरवाजा खुलने का वेट कर रहे थे….
जैसे ही दरवाजा खुलता है नीरा भाग कर मेरे सीने से लग जाती है…में उसे अपनी बाहो में कस लेता हूँ…जब कोमल और दीक्षा को भी वहाँ देखता हूँ तो इशारा करके उन्हे अपनी बाहो में समेट लेता हूँ…वही थोड़ी दूरी पर गुम्सुम सी भाभी भी खड़ी थी…लेकिन मैने अपना ध्यान वहाँ से हटाते हुए नीरा से बोलता हूँ…..
में–नीरा में दीक्षा के साथ गाँव जा रहा हूँ कल रात तक वापस आ जाउन्गा….तुम्हे कल स्कूल जाना है और वहाँ कोमल के भी आदमिशन की बात कर लेना…
कोमल–भैया क्या में आपलोगो के साथ रहने वाली हूँ…
में–हाँ कोमल अब में तुम दोनो को खुद से दूर कभी जाने नही दूँगा….दीक्षा का भी मेरे ही कॉलेज में आदमिशन करवा दूँगा…
दीक्षा –लेकिन पापा मम्मी हमे यहाँ रहने नही देंगे…
में–तुम दोनो उस बात की चिंता में करो उन्हे में समझा दूँगा…दीक्षा तुम जल्दी से रेडी हो जाओ हम लोगो को अभी गाँव के लिए निकलना है….
दीक्षा–गाँव क्यो जाना है भैया…
में–पापा का कुछ सामान लेना है…इसलिए अब जल्दी चल…
और उसके बाद हम वहाँ से निकल जाते है और रात तक गाँव भी पहुँच जाते है…में दादी की अलमारी खोल देता हूँ…अलमारी और घर की चाबियाँ दीक्षा के पास ही थी….वहाँ थोड़ी देर ढूँढने पर मुझे दो बॉक्स दिखाई देते है….उन दोनो बोक्शो में बाल भरे पड़े थे…अब मेरी समझ में ये नही आरहा था कि पापा वाला बॉक्स कौनसा है और चाचा वाला कौनसा….
में तुरंत चाचा. को फोन लगा देता हूँ…
में–हेलो चाचा जी में गाँव पहुँच गया हूँ…लेकिन अलमारी में दो बॉक्स है दोनो में से पापा वाला बॉक्स कौनसा है…
चाचा–जय बेटा जो बड़ा वाला बॉक्स है उसमें ही तेरे पापा के बाल है….और दूसरे वाले में मेरे…
में–ठीक है चाचा जी में दूसरे वाले को वापस अलमारी में रख देता हूँ ….क्या में पापा वाला बॉक्स अपने साथ ले जा सकता हू…
चाचा–अरे ये भी कोई पुच्छने वाली बात है क्या…..अच्छा सुन हम लोग आज निकल रहे है यहाँ से कल रात तक घर पहुँच जाएँगे…अच्छा अब में फोन रख रहा हूँ…
और उसके बाद फोन कट जाता है…में वापस अलमारी को ताला लगा देता हूँ और घर को पहले की तरह बंद करके वापस उदयपुर की तरफ निकल जाता हूँ……
उदयपुर में…..
हम सीधा घर पहुँच जाते है….वहाँ आकर में दीक्षा. के और कोमल के चुपके से बाल तोड़ लेता हूँ….और वापस घर से बाहर निकल कर अपने फॅमिली डॉक्टर आलोक कुमार के पास बढ़ जाता हूँ…
में–सर मुझे कुछ बालो का डीयेने टेस्ट करवाना है…क्या आप के यहाँ ऐसा करना पासिबल है…
डॉक्टर–अरे …अरे….आते ही इतने सवाल पहले बैठ तो जाओ आराम से…
में वहाँ रखी एक चेयर पर बैठ जाता हूँ…
डॉक्टर–अब बोलो किस का डीयेने टेस्ट करवाना है..
में–सर 4 अलग अलग लोगो के बाल है इनका डीयेने टेस्ट करवाना है.. इन चारो बालो के डीयेने का आपस में कोई संबंध है या नही बस यही जानना है…
डॉक्टर–तूने कुछ गड़बड़ तो नही करी ना….??
में–कैसी बात कर रहे हो सर….में कैसे कुछ गड़बड़ कर सकता हूँ….बस इन बालो का डीयेने चेक करवाना था और कुछ नही…
डॉक्टर–ठीक है सुबह तक आ जाना में रिपोर्ट रेडी रखूँगा….वो लगभग मेरी आँखो में झाँकते हुए ये बात बोलने लगे……
उसके बाद में वहाँ से बाहर निकल गया शाम हो चुकी थी और में काफ़ी थकान भी महसूस कर रहा था..में कल से लगातार ड्राइव कर रहा था…अब कुछ देर आराम करना चाहता था…मेरे सारे संदेह तो वैसे भी दूर हो चुके थे जब में साधु बाबा से मिला था…लेकिन संसार सबूत माँगता है…मेरी मम्मी को यकीन दिलाने के लिए भी सबूत चाहिए….मेरी चाची से सच बुलवाने के लिए भी सबूत चाहिए….सारा खेल बस सच और झूठ का ही तो है…झूठ को झूठ साबित करने के लिए भी सबूत चाहिए होते है….और सच को भी सच साबित करने के लिए उसी सबूत की ज़रूरत पड़ती है……….
वहाँ से गाड़ी निकाल के मैने गाड़ी का रुख़ सीधा घर की तरफ़ कर लिया….लेकिन रास्ते से एक बढ़िया शराब की बोतल ले जाना नही भुला…
में घर पहुँच गया था…और मुझे देख कर नीरा चहकते हुए मेरे गले से लग जाती है…और में भी उसे अपनी गोद में उठा लेता हूँ…
में–क्या बात है आज मेरी गुड़िया इतनी खुश कैसे लग रही है…
नीरा–में तो आपको खुश देख कर ख़ुसी के मारे फूली नही समा रही…चलो आज हम मिलकर साथ में खाना खाते है सब के साथ…
में–नही नीरा मुझे अभी भूक नही है में लेट खाउन्गा…
नीरा–ये आपके इस बेग में क्या है…ज़रा दिखाना तो मुझसे क्या छुपा कर ले जा रहे हो अपने बेग में…
नीरा वो बेग मुझ से छिनने लगती है जिसमें शराब की बोतल रखी हुई थी…
में–अरे नीरा चोट लग जाएगी तुझे….तेरे काम की चीज़ नही है इसमें…
नीरा–इसमें जो भी है मुझे वो देखना है…
में उसे दिखा देता हूँ कि बेग में क्या है…
नीरा–अब ये काफ़ी ज़्यादा ओवर हो रहा है…इस तरह से रोज शराब पीना अच्छी बात नही है…
आपने कल भी पी थी और आज फिर से बोतल ले आए…
में–कल मेरे पीने की वजह कुछ और थी लेकिन आज वो वजह पूरी तरह से बदल गयी है…आज में खुश हूँ और इसी लिए ये ले आया…
नीरा–ठीक है आप रूम में चलो में आपके लिए कुछ खाने पीने का सामान लेकर आती हूँ.
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